ये ह बनेच बखत के बात नो हे, जब महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिला के हाटकनंगले तालुका के एक ठन गांव खोची के किसान मन मं एक दूसर ले होड़ लगे रहय के कऊन एकड़ पाछू कुसियार सबले जियादा उपजाही. गांव वाला मन के कहना आय के ये रिवाज ह करीबन 60 बच्छर जुन्ना आय. ये एक किसिम के बढ़िया होड़ रहिस जऊन मं सामिल सब्बो लोगन ला बढ़िया ईनाम मिलय: कुछेक किसान मन एकड़ पाछू 80,000 -100,000 किलो तक उपजाय सकत रहिन, जेन ह आम उपज ले 1.5 गुना जियादा रहिस.
अगस्त 2019 मं आय पुर के बाद ले ये रिवाज ह एकदम ले खतम हो गे. ये पुर ले गांव के कतको हिस्सा करीबन 10 दिन तक ले पानी मं बुड़े रहिन, जेकर ले कुसियार के फसल के भारी नुकसान होइस. दू बछर बाद जुलाई 2021 मं भारी बरसात अऊ पुर ह एक बेर अऊ खोची के कुसियार अऊ सोयाबीन फसल ला भारी नुकसान करिस.
खोची के बासिंदा रेघ-अधिया मं खेती करेइय्या किसान 42 बछर के गीता पाटिल कहिथें, “अब किसान मन होड़ नई करंय, फेर भगवान ले बिनती करत रहिथें के वो मन के कम से कम आधा कुसियार बांचे रहय.” गीता जेन ह कभू मानत रहिस के वो ह कुसियार के उपज बढ़ाय के सब्बो तरीका सीख ले हे, दू ठन पुर मं 8 लाख किलो ले जियादा कुसियार खतम हो गे. वो ह कहिथे, “कुछु गलत हो गे हवय.” फेर ओकर दिमाग मं बदलत मऊसम के बात कहूँ नई ये .
वो ह कहिथे, “बरसात के आय के तरीका (2019 के पुर के बाद ले) पूरा तरीका ले बदल गे हवय.” 2019 तक ले ओकर तय समय रहिस. कुसियार के हरेक फसल के बाद, अक्टूबर-नवंबर के लगालगी, वो ह दीगर फसल – सोयाबीन, मूंगफली, धान के कतको किसिम, एस हालू (उन्नत जुवार) धन बाजरा (मोटी बाजरा) - के खेती करत रहिस जेकर ले ये तय करे सकत रहिस के माटी उपजाऊ बने रहय. ओकर जिनगी अऊ काम मं सब्बो कुछु एक ठन तय लय मं रहिस. अब ये ह अऊ नई ये.
“ये बछर (2022) बरसात महिना भर बाद ले आइस. फेर जब पानी गिरे ला धरिस त महिना भर के भीतर मंइच खेत करीबन भर गे रहिस.” अगस्त मं भारी बरसात सेती बनेच अकन खेत दू हफ्ता तक ले पानी मं बूड़े रहिस, जऊन किसान मन हालेच मं कुसियार लगाय रहिन वो मन भारी नुकसान के खबर देय रहिन काबर ऊपरहा पानी सेती फसल नई बढ़े सकिस अऊ नुकसान होईस. इहाँ तक ले पंचइत ह पानी अऊ भरे के हालत मं लोगन मन ला अपन घर छोड़े ला घलो चेताय रहिस.
किस्मत के बात रहिस के गीता ह जऊन एकड़ भर खेत मं धान लगाय रहिस, वो ह ये जलपरलय ले बांच गे अऊ वोला अक्टूबर मं बढ़िया फसल होय अऊ कुछु आमदनी के आस रहिस. फेर अक्टूबर मं अइसने बरसात होईस (ये इलाका मं येला ‘धगफुटी’ धन बदल फटे जइसने कहिथें) – जऊन ह, टाइम्स ऑफ इंडिया के एक ठन रपट के मुताबिक, अकेल्ला कोल्हापुर जिला के 78 गांव के करीबन एक हजार हेक्टेयर खेत ला बरबाद कर दीस.
गीता कहिथें, “हमर करीबन आधा धान बरबाद हो गे.” इहां तक ले के भारी बरसात ले बचे कुसियार के उपज घलो कम होही. ओकर मुसीबत इहींचे नई सिरोय. वो ह कहिथें, “रेघा अधिया किसानी सेती हमन ला उपज के 80 फीसदी जमींदार ला देय ला परथे.”
गीता अऊ ओकर परिवार चार एकड़ खेत मं कुसियार के उपज लेथे. समान्य सीजन मं कम से कम 320 टन उपज होही. ये मेर ले सिरिफ 64 टन अपन तीर रखे सकहि, बाकि जमीन मालिक करा जाही; परिवार के कम से कम चार झिन के 15 महिना हाड़ तोड़ मिहनत के मोटा मोटी 64 टन यानि 179,200 रूपिया होथे. जमीन मालिक जऊन ह सिरिफ उपज के लागत ला लगाथे, वो ह 716,800 रूपिया के भारी आमदनी लेगथे.
2019 अऊ 2021 मं जब ओकर जम्मो कुसियार पुर मं बोहागे, तब गीता के परिवार करा एको रूपिया नई आइस. कुसियार के खेती करे के बाद घलो वो ला मिहनत मजूरी नई मिलिस.
कुसियार के नुकसान होय ला छोड़, अगस्त 2019 के पुर मं ओकर घर के थोकन हिस्सा धसक जाय ले वो ला बड़े धक्का घलो लगिस. गीता के घरवाला तानाजी कहिथें, “येकर मरम्मत करे मं हमर करीबन 25,000 रूपिया खरचा हो गे, सरकार ह मुआवजा मं सिरिफ 6,000 रूपिया दीस.” पुर आय के बाद तानाजी के उच्च रक्तचाप के पता चले रहिस.
2021 मं आय पुर ह ओकर घर ला फिर ले नुकसान पहुंचाइस, येकर सेती वो मन ला आठ दिन तक ले दूसर गांव मं रहे ला मजबूर होय ला परिस. ये बखत ये परिवार ह अपन घर के मरम्मत करवाय के हालत मं नई रहिस. गीता कहिथें, “आज घलो गर ओकर दीवार ला छूके देखहू त ओद्दा लागही.”
पुर के जखम अभू घलो भरे नई ये. वो ह कहिथे, “जब घलो बरसात होथे अऊ छानी ले पानी टपके लगथे, त मोला हरेक बूंद पुर के सुरता करा देथे. जब अक्टूबर (2022) के दूसर हफ्ता मं भारी पानी गिरे रहिस, त मंय हफ्ता भर ले बने करके सुते नई सकेंव.”
2021 के पुर मं ये परिवार के दू ठन भईंस घलो गंवा गे, जेन मन के दाम 160,000 रूपिया रहिस. वो ह कहिथें, “येकर गोरस बेच के हमर रोज के आमदनी ह खतम हो गे.” परिवार ह 80,000 रूपिया मं नवा भईंस बिसोइस. जेन ह वो मन के हैसियत मं रहिस. वो ह एक ठन नवा भईंस बिसोय के पाछू के बात ला कहिथे, “जब खेत के भरपूर बूता नई मिलय (पुर अऊ पानी भरे सेती खेत काम के लइक नई रहय) मवेसी के गोरस ह आमदनी के एकेच जरिया रहिथे.” वो ह गुजारा सेती खेत मजूरी घलो करथे, फेर इहाँ बूता घलो जियादा नई ये.
गीता अऊ तानाजी ह स्वयं सहायता समूह मन ले अऊ साहूकार मन समेत कतको जगा ले करीबन 2 लाख रूपिया करजा लेय हवंय. एक अऊ पुर के सरलग खतरा के अंदेसा ओकर मन के फसल संग लगे हवय, अब वो मन ला डर हवय के बखत मं करजा पटाय नई सकहिं, जेकर ले बियाज के बोझा अऊ बढ़त जाही.
बरसात के रंग-ढंग, उपज ला बचाय अऊ आमदनी थिर नई होय के चिंता ह गीता के सेहत ऊपर खराब असर डारे सुरु क्र दे हवय.
वो ह कहिथे, “जुलाई 2021 के पुर के बाद, मोर देह मं कमजोरी, जोड़ मं अकड़न अऊ इहाँ तक के सांस फूले के गम होय लगिस.” वो ह चार महिना तक ले लच्छन मन ला धियान नई दीस, ये आस मं के समे के संग अपन आप बने हो जाही.
वो ह कहिथे, “एक दिन ये ह सहन ले अतक बहिर हो गे के मोला डॉक्टर करा जाय ला परिस.” गीता ला हाइपरथायरायडिज्म के पता चलिस; डॉक्टर ह वोला बताइस के तनाव तेजी ले ओकर सेहत ला बिगाड़त रहिस. गीता बछर भर ले महिना मं 1,500 रुपिया दवई मं खरचा करत हवय. अवेइय्या 15 महिना तक ले इलाज चले के अंदाज हवय.
कोल्हापुर के पुर के असर वाले चिखली गाँव के सामुदायिक स्वास्थ्य सेवा अधिकारी डॉ. माधुरी पन्हालकर कहिथें के ये इलाका मं बनेच अकन लोगन मन पुर के सेती दुख अऊ बढ़त आर्थिक मार अऊ भावनात्मक तनाव ले निपटे नई सके ह घलो लोगन मन के बातचीत के बड़े चिंता आय. करवीर तालुका के ये गाँव पानी बढ़े ले सबले पहिली बुड़ेइय्या गांव मन ले एक आय.
राज मं 2019 के पुर के चार महिना बाद केरल के पुर असर वाले पांच जिला मं 374 परिवार के मुखिया मन के संग करे गे शोध मं मिलिस के जऊन लोगन मन दू बेर पुर के सामना करे रहिन, वो मन के भीतरी बेबस होय के भावना (पहिली जइसे हो चुके कऊनो घटना के फिर ले गम करे ले उपजे नकारात्मक हालत ला हतास होके मान लेय) ओकर बनिस्बत जियादा हवय जऊन मन एके पुर के बरबादी के सामना करे हवंय.
शोध के सार बात रहिस, “नकारात्मक मनोवैज्ञानिक नतीजा मन ला रोके सेती सरलग मऊसम के मार झेलत लोगन मन डहर खास धियान देय ला चाही.”
कोल्हापुर के गांव मन मंइच नई ,फेर भारत के देहात मं रहेइय्या 83.3 करोड़ (2011 के जनगणना के मुताबिक) लोगन मन बर दिमागी सेहत के इलाज के सुविधा मिले मं अभू घलो बनेच मुस्किल काम आय. डॉ. पन्हालकर कहिथें, “हमन ला दिमागी सेहत के दिक्कत ले जूझत लोगन मं ला इलाज सेती जिला अस्पताल भेजे ला होथे, फेर सब्बो अतका दूरिहा आय जाय के खरचा उठाय नई सकंय.”
ग्रामीण स्वास्थ्य सांख्यिकी, 2020-21 के मुताबिक भारत के देहात इलाका मं सिरिफ 764 जिला अस्पताल अऊ 1,224 उप-जिला अस्पताल हवंय ,जिहां मनोचिकित्सक अऊ क्लिनिकल मनोविज्ञानी नियुक्त हवंय. डॉक्टर कहिथें, “हमन ला सब-सेंटर मं नई त कम से कम हरेक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मन मं दिमागी सेहत के देखभाल करेइय्या पेशेवर मन के जरूरत हवय,” 2017 मं छपे विश्व स्वास्थ्य संगठन के रिपोर्ट के मुताबिक, भारत मं हरेक लाख अबादी ऊपर 1 (0.07) ले घलो कम मनोचिकित्सक हवंय.
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62 बछर के शिवबाई कांबले अर्जुनवाड मं हंसी-ठिठोली करे के अपन सुभाव सेती जाने पहिचाने जाथें. कोल्हापुर के ये गांव के मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता (आशा) शुभांगी कांबले कहिथें, “वो ह अकेल्ला बनिहारिन आय, जी हसत खेल काम करते (जऊन ह हंसत खेलत बूता करत रहिथे).”
अब 2019 के पुर के तीन महिना के भीतर, शिवबाई ला उछ रक्तचाप के पता चलिस. शुभांगी कहिथें, “गांव मं हरेक कऊनो हैइरान रहिन, खासकरके येकर सेती काबर वो ह एक झिन अइसने माइलोगन आंय जऊन ह कबू घलो तनाव मं नई आय सेती जाने जावत रहिस.” शुभांगी कहिथें, जउन ह अपन खुश होय सेती ओकर उपाय अजमावत रहिस. येकरे सेती वो ह 2020 के सुरु मं शिवबाई ले भेंट करे रहिस ओकर बाद दूनो मं बनेच गोठ बात सुरु होय लगिस.
शुभांगी सुरता करत कहिथे, “पहिली त वो ह अपन दिक्कत मन ला बतावत नई रहिन, वो ह हरेक बखत मुचमुचावत रहय.” फेर चक्कर अऊ जर समेत शिवबाई के बिगड़त सेहत ह आरो करत रहिस के सब्बो कुछु बने नई ये. कतको महिना के गोठ-बात के बाद, आशा कार्यकर्ता आखिर ये नतीजा मं पहुंचिस के घेरी-बेरी अवेइय्या पुर ह शिवबाई के हालत बर जिम्मेवार आय.
2019 के पुर ह शिवबाई के घर ला बरबाद कर दीस, ये ह आधा बने घर थोकन ईंटा ले बने रहिस अऊ अधिकतर कुसियार के सूखे पान, जुवार के ढेंठा अऊ पैरा ले बने रहिस.तब ओकर घर के मन टपरा कुरिया बनाय सेती करीबन 100,000 रूपिया खरचा करे रहिन, जेकर ले वो मन ला आस रहिस के वो ह एक ठन अऊ पुर ला झेल लिही.
वोकर हालत अऊ घलो खराब हो गे रहय, काबर बूता काम नई मिले सेती परिवार के आमदनी सरलग गिरत जावत हवय. सितंबर मंझा ले अक्टूबर 2022 के आखिरी तक ले शिवबाई ला काम बूता नई मिलिस काबर खेत मन पानी मं बूड़े रहिन अऊ आय-जाय ला नई होवत रहय; येकर छोड़ फसल खराब होय सेती किसान मन के बनिहार करे के कऊनो मतलब नई रहिस.
वो ह कहिथें, “आखिर मं मोला देवारी (अक्टूबर के आखिरी हफ्ता) ले पहिली तीन दिन तक ले खेत मं बूता करेंव, फेर बरसात लहूंट गे अऊ वो बूता घलो बरबाद हो गे.”
कम कमई सेती शिवबाई अपन इलाज नई कराय सकत हवय. वो ह कहिथे, “कतको बखत, भरपूर पइसा नई रहे सेती मोर दवई छुटा जाथे.”
अर्जुनवाड के सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ), डॉ. एंजेलीना बेकर के कहना आय के बीते तीन बछर मं उच्च रक्तचाप अऊ सक्कर जइसने गैर संक्रामक रोग (एनसीडी) के रोगी मन बढ़े हवंय. वो ह कहिथें, सिरिफ 2022 मं, अर्जुनवाड के 5,641 के अबादी (जनगणना 2011) मं 225 ले जियादा सक्कर अऊ उच्च रक्तचाप के मामला दरज करे गे हवय.
वो ह कहिथें, “असल आंकड़ा बहुते जियादा होही, काबर बनेच अकन लोगन मन जाँच कराय सेती नई आवंय.” वो ह आरोप लगाथें के सरलग पुर आय, गिरत आमदनी अऊ पोसन मं कमी के सेती होय तनाव ला एनसीडी मं बढ़ोत्तरी दरज करे गे हवय. (ये ला घलो पढ़व: कोल्हापुर: मितानिन मन के दिमागी सेहत मं बदलत मऊसम के मार )
डॉक्टर बेकर कहिथें, “कतको पुर के असर वाले सियान लोगन मन आत्महत्या करत हवंय; अइसने घटना मन तेजी ले बढ़त हवंय.” वो ह बताथें के नींद नई परे के मामला मन घलो बढ़त हवय.
अर्जुनवाड के पत्रकार अऊ पीएचडी कर चुके, चैतन्य कांबले, जेकर-दाई ददा रेघा-अधिया किसानी अऊ खेत मजूर आंय, कहिथें, “गलत नीति सेती, खेत मजूर अऊ रेघा-अधिया वाले किसान मन पुर के सबले बड़े नुकसान ला उठाथें. एक रेघा-अधिया वाले किसान अपन उपज के 75-80 फीसदी हिस्सा जमीन मालिक ला देथे, अऊ जब पुर ह सब्बो बोहा के ले जाथे, त मुआवजा मालिक के झोली मं परथे.”
अर्जुनवाड़ के करीबन सब्बो किसान मन के फसल पुर मं बरबाद होगे रहिस. चैतन्य कहिथें, “फसल (पुर मं) जाय के दुख तब तक ले खतम नई होवय जब तक ले एक ठन अऊ बढ़िया उपज न हो जाय. फेर पुर हमर फसल मन ला बोहा के ले जाथे. करजा नई चुकाय के मजबूरी मं ये चिंता ह अऊ बाढ़ जाथे.”
महाराष्ट्र सरकार के कृषि विभाग के मुताबिक, प्राकृतिक आपदा ह जुलाई अऊ अक्टूबर 2022 के मंझा मं राज मं 24.68 लाख हेक्टेयर जमीन ऊपर असर करिस; सिरिफ अक्टूबर महिना मं ये आंकड़ा 22 जिला मं 7.5 लाख हेक्टेयर जमीन असर मं आय रहिस. 28 अक्टूबर, 2022 तक ले राज मं 1,288 मिमी बरसात होय रहिस, जऊन ह अऊसत बरसात के 120.5 फीसदी हवय. अऊ येकर 1,068 मिमी जून ले अक्टूबर के मंझा मं बरसे रहिस. (ये ला घलो पढ़व: आफत के बरसात )
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बॉम्बे मं सिविल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर सुबिमल घोष, जऊन ह बदलत मऊसम ऊपर रपट लिखे सेती बनाय संयुक्त राष्ट्र के अंतर सरकारी पैनल मं घलो योगदान देय हवय, कहिथें, “हम मऊसम वैज्ञानिक मन हमेशा अनुमान के तरीका मन ला बढ़िया बनाय के बारे मं बात करत रहिथन, फेर असल मं ये मऊसम के अनुमान के मुताबिक नीति बनाय के मामला मं हमन पूरा तरीका ले सुफल नई होय हवन.”
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ह सटीक भविष्यवाणी करे के क्षमता मं जबरदस्त सुधार करे हवय, फेर वो ह कहिथें, “किसान येकर उपयोग नई करे सकत हवंय, काबर वो येला नीति बनाय मं बदल सके मं सच्छ्म नई यें. फसल ला येकर बगेर बचाए असंभव आय.
प्रो. घोष किसान एक अइसने मॉडल के जोर देथें जऊन ह किसान मन के समस्या ला समझे सेती सहभागी तरीका ले चलय, अऊ बदलत मऊसम ला सही तरीका ले काबू करे के योजना उपर आधारित होय.वो ह कहिथें, “सिरिफ सही-सही एक (पुर) नक्सा बना देय ले समस्या के निपटारा नई होय.”
वो ह कहिथें, “हमर देश सेती, येला अपन अनुरूप बनाय ह जियादा महत्तम हवय काबर हमन मऊसम के असर ला देखत हवन अऊ हमर अधिकतर अबादी करा अपन अनुरूप बनाय के ताकत नई ये. हमन ला अपन अनुरूप बनाय के ताकत ला भारी मजबूत करे ला परही.”
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जब 45 बछर के भारती कांबले के वजन करीबन आधा घट गे, त वो ह मसूस करिस के ये ह दिक्कत के आरो आय. आशा कार्यकर्ता शुभांगी ह अर्जुनवाड के बासिंदा खेत मजूर ला डॉक्टर करा जाय के सलाह दीस. वो ला मार्च 2020 मं जाँच के बाद हाइपरथायरायडिज्म के पता चले रहिस.
भारती, गीता अऊ शिवबाई जइसने, पुर ले होय तनाव के सुरुवाती लच्छन ला चेत नई धरे के बात ला मंजूर करथें. वो ह कहिथें, “2019 अऊ 2021 के पुर मं हमर सब्बो कुछु खतम हो गे. जब मंय (तीर के एक गाँव के राहत सिविर ले) लहूंट के आंय, त मोला एको घलो दाना नई मिलिस, पुर हा सबू कुछु बोहा दे रहिस.”
2019 के पुर के बाद, वो ह अपन घर के मरम्मत सेती स्वयं सहायता समूह अऊ निजी साहूकार मन ले 3 लाख रूपिया करजा लीस. बखत मं करजा चुकाय अऊ चक्रवृद्धि बियाज ले बांचे सेती वो ह डबल मिहनत करे के सोचे रहिस.फेर, शिरोल तालुका के गांव मन मं मार्च-अप्रैल 2022 के लू वो मन बर भारी झटका साबित होईस.
वो ह कहिथे, “मोर करा भारी घाम ले बचे सेती सिरिफ एक ठन सूती पंछा रहिस.” ये ह सायदे कऊनो काम के नई रहिस अऊ वो ला चक्कर आय ला धरिस. फेर वो ह घर मं बइठे घलो नई सकत रहिस, येकरे बर वो ह राहत सेती दरद वाले दवई लेवत रहिस जेकर ले वो ह खेत मं बूता करे सकत रहय.
वो ला आस रहिस के बरसात आय ले भरपूर फसल होही, वो ला बनेच बूता मिलही. वो ह कहिथे, “फेर, मोला ये तीन महिना मं (जुलाई 2022 ले) 30 दिन के घलो बूता नई मिलिस.”
आस ले जियादा पानी सेती वो मन के फसल बरबाद हो गे, कोल्हापुर के पुर के असर वाले गाँव के कतको किसान मन लागत मं कटोती के उपाय करे लगिन. चैतन्य कहिथें, “लोगन मन बनिहार करे के जगा निंदानासक बऊरे शुरू कर दीन. काबर के बनिहार के मजूरी 1,500 रूपिया होथे अऊ निंदानासक के दाम 500 रूपिया ले कम होथे.”
येकर कतको खराब नतीजा परे हवय. एक झिन मइनखे सेती, येकर मतलब भारती जइसने लोगन मन के काम के हरजा आय जेन ह पहिली ले भारी आर्थिक दिक्कत ले जूझत हवंय. अचिंता नई होय सेती उपरहा मानसिक तनाव ओकर हाइपरथायरायडिज्म ला अऊ बिगाड़ देथे.
अऊ जमीन घलो खराब होथे. शिरोल के कृषि अधिकारी स्वप्निता पडलकर के कहना आय के 2021 मं तालुका के 9,402 हेक्टेयर (23,232 एकड़) जमीन नुनछुर मिले रहिस. वो ह फोर के बताथे के रासायनिक खातू अऊ कीटनाशक दवई भारी बऊरे, पानी पलोय के खराब तरीका अऊ एकेच फसल लेय सेती माटी के उपजाऊ होय मं खराब असर करथे.
चैतन्य कहिथें, 2019 के पुर के बाद ले, कोल्हापुर के शिरोल अऊ हटकनंगले तालुका मं कतको किसान मन रासायनिक खातू भरी बऊरत हवंय, जेकर ले “वो मन अचिंता होके रहे सकंय के पुर आय के पहिली वो मन फसल ला लु लिहीं.”
डॉ. बेकर के मुताबिक हालेच के बछर मं अर्जुनवाड़ के माटी मं आर्सेनिक के मात्रा बनेच बढ़ गे हवय. वो ह कहिथें, “येकर पहिली कारन रासायनिक खातू अऊ जहरीला कीटनाशक के भारी बऊरे ह आय.”
जब माटी जहरीला हो जाही, त लोगन मन येकर असर ले कइसने बांचे सकहीं? वो ह कहिथें, “माटी के जहरीला होय ले अकेल्ला अर्जुनवाड मं कैंसर के 17 रोगी हवंय, ये मं आखिरी स्टेज वाले रोगी मन ला छोड़ के. ये मं स्तन कैंसर,ल्यूकेमिया, सर्वाइकल कैंसर अऊ पेट के कैंसर घलो हवंय. वो ह आगू बतावत जाथें, अब असाध रोग-रई बढ़त हवंय, बनेच अकन लोगन मन लच्छन होय के बाद घलो डॉक्टर ले सलाह घलो नई लेवंय.
40 बछर के उमर पार खोची के खेत मजूर सुनीता पाटिल ला, 2019 ले देह अऊ माड़ी मं दरद, सुस्ती अऊ चक्कर आवत हवय. वो ह कहिथे, “मोला समझ मं नई आवत हवय के येकर कारन काय आय.” फेर ये तय हवय के ओकर तनाव ह बरसात ले जुड़े हवय. वो ह कहिथे, “भारी बरसात के बाद मोला सूते मं मुस्किल होथे.” एक अऊ पुर के डर वोला डेरावत अऊ सुते नई देवय.
बड़े इलाज के खरचा के डर ले, सुनीता अऊ कतको दीगर पुर असर वाले बनिहारिन मन दरद रोके के दवई के भरोसा हवंय. वो ह कहिथें, “हमन काय कर सकत हवन? डॉक्टर करा जाय के खरचा नई उठाय सकन, येकरे सेती हमन दरद खतम करे के दवई के भरोसे हवन जेकर दाम घलो बनेच कमती हवय, करीबन 10 रूपिया.”
फेर दरद दूर करे के दवई कुछु बखत बर ओकर मन के दरद ला कम करथे, गीता, शिवबाई, भारती, सुनीता, अऊ ओकर मन जइसने हजारों माइलोगन मन सरलग चिंता करत अऊ डेरावत जिनगी गुजारे ला मजबूर हवंय.
गीता कहिथें, “हमन अभू तक ले नई बूड़े हवन, फेर हमन हरेक दिन पुर के डर मं बूड़त हवन.”
ये कहिनी, रिपोर्टर ला स्वतंत्र पत्रकारिता अनुदान के तहत इंटरन्यूज के अर्थ जर्नलिज्म नेटवर्क डहर ले समर्थित कड़ी के हिस्सा आय.
अनुवाद: निर्मल कुमार साहू