एक महतारी कऊन भाखा मं सपना देखथे? गंगा ले के पेरियार के पार तक ले वो ह अपन लइका मन ले कऊन भाखा मं गोठियाथे? का ओकर बोली हरेक राज, हरेक जिला, हरेक गाँव के संग अपन रंग बदलथे? हजारों भाखा, लाखों बोली, का वो ह तऊन सब्बो ला जानथे? वो ह कऊनो एक मं विदर्भ के किसान मन ले, हाथरस के लइका मन ले, डिंडीगुल के माईलोगन ले गोठियाथे? सुनव! अपन मुड़ी ला लाली बालू मं खुसेर देवव. एक ठन डोंगरी के टीपी मं जावव जऊन मेर हवा तुम्हर चेहरा ले मया-दुलार करत रहिथे, सुनव! का तुमन वोला सुन सकत हवव, ओकर कहिनी मन ला, ओकर गीत मन ला, ओकर रोवई ला? मोला बतावव, काय तुमन ओकर जुबान ला पहिचाने सकथो? मोला बतावव, का तुमन मोर जइसने एक ठन सुग्घरलोरी गावत सुने सकत हवव?

चलव सुनथन गोकुल जी.के. कविता ओकर अवाज मं

जुबान

मोर जुबान मं एक ठन कटार समा गे!
मंय येकर तेज धार के गम पाथों –
चीर देथे जुबान के नाजुक जगा मन ला.
मंय अब अऊ बोले काबिल नईं रहे सकंव,
कटार ला मोर जम्मो आखर मिल गे,
सब्बो आखर के भाव, सब्बो गीत, सब्बो कहिनी, मन ला खोदर डरिस
जेन मन रहिन सब्बो जाने पहिचाने अऊ जेन ला मसूस करे रहेंव.

लहू ले लथपथ मोर जुबान,
लहू के धार
मोर मुंह ले छाती तक बोहावत,
मोर बोर्री, मोर अलकर जगा ले होवत
द्रविड़ मन के धनहा माटी मं मिल जाथे.
भूईय्या जीभ जइसने लाल अऊ ओद्दा हो गे हवय.
हरेक बूंद ले नवा जनम होथे,
करिया धरती ले जामे लाल कांदी पंऊरे लागथे .

ओकर कोख मं सैकड़ों, हजारों अऊ लाखों
जुबान दबे हवंय
जुन्ना मरघट्टी ले मरे भाखा मन जिंयत उठ जाथें,
बिसोरे सब्बो बोली मन फागुन मं परसा के फूल जइसने खिले हवंय.
गावत हवंय गीत अऊ सुनावत कहिनी, जऊन ला मोर महतारी सुनावत रहिस.

मोर जुबान मं कटार समा गे
ओकर धार अब भोथराय लगे हवय,
कतको बोली वाले देस मं गीत मन ले डेरावत.

अनुवाद: निर्मल कुमार साहू

Poem and Text : Gokul G.K.

گوکل جی کیرالہ کے ترواننت پورم کے ایک آزاد صحافی ہیں۔

کے ذریعہ دیگر اسٹوریز Gokul G.K.
Illustration : Labani Jangi

لابنی جنگی مغربی بنگال کے ندیا ضلع سے ہیں اور سال ۲۰۲۰ سے پاری کی فیلو ہیں۔ وہ ایک ماہر پینٹر بھی ہیں، اور انہوں نے اس کی کوئی باقاعدہ تربیت نہیں حاصل کی ہے۔ وہ ’سنٹر فار اسٹڈیز اِن سوشل سائنسز‘، کولکاتا سے مزدوروں کی ہجرت کے ایشو پر پی ایچ ڈی لکھ رہی ہیں۔

کے ذریعہ دیگر اسٹوریز Labani Jangi
Editor : Pratishtha Pandya

پرتشٹھا پانڈیہ، پاری میں بطور سینئر ایڈیٹر کام کرتی ہیں، اور پاری کے تخلیقی تحریر والے شعبہ کی سربراہ ہیں۔ وہ پاری بھاشا ٹیم کی رکن ہیں اور گجراتی میں اسٹوریز کا ترجمہ اور ایڈیٹنگ کرتی ہیں۔ پرتشٹھا گجراتی اور انگریزی زبان کی شاعرہ بھی ہیں۔

کے ذریعہ دیگر اسٹوریز Pratishtha Pandya
Translator : Nirmal Kumar Sahu

Nirmal Kumar Sahu has been associated with journalism for 26 years. He has been a part of the leading and prestigious newspapers of Raipur, Chhattisgarh as an editor. He also has experience of writing-translation in Hindi and Chhattisgarhi, and was the editor of OTV's Hindi digital portal Desh TV for 2 years. He has done his MA in Hindi linguistics, M. Phil, PhD and PG diploma in translation. Currently, Nirmal Kumar Sahu is the Editor-in-Chief of DeshDigital News portal Contact: [email protected]

کے ذریعہ دیگر اسٹوریز Nirmal Kumar Sahu