ये बूता मं गलती बर कऊनो जगा नई ये.
अमन के आंखी एके जगा लगे हवय, अऊ वो ह अपन हाथ ले भारी चेत धरे एक ठन पातर काड़ी ला ग्राहेक के कान मं खुसराथे. काड़ी के मुड़ी मं पोनी लपटाय हवय. धीरे-धीरे काम करत वो ये बात ला धियान मं रखथे के छड़ी मं खरोंच झन आय धन कान के परदा ला कऊनो नुकसान झन पहुंचे. वो सुरता देवाथे, “सिरिफ कनघौवा निकारे ला हवय.”
वो ह पीपल के बड़े अकन रुख के छाँव मं पारी ले गोठियावत हवंय, अऊ ओकर संग अऊजार मन के करिया बेग हवय, जऊन मं एक ठन सिलाई (काड़ी जइसने अऊजार), चिमटी अऊ पोनी परे हवय. बेग मं जड़ी-बूटी ले बने ओसध तेल के शीशी घलो रखे हवय, जऊन ला वो ह कान के सफई सेती बनाय अपन घर के एक ठन गोपन नुस्खा बताथे.
“सिलाई से मैल बाहर निकालते हैं और चिमटी से खींच लेते हैं. (काड़ी ले कनघौवा बहिर निकार लेथन अऊ चिमटी ले खींच लेथन)”. ओसध तेल तब काम मं आथे, जब कान मं कऊनो गांठ बं गे रहिथे. वो ह कहिथे, हमन संक्रमन के इलाज नई करन, हमन कान ले सिरिफ कनघौवा निकारथन धन कान मं खुजली हो त वोला देखथन.” ओकर मुताबिक, खुजली ह संक्रमन मं बदल सकथे, गर लोगन मन येला गलत ढंग ले साफ करे के कोशिश करथें, अऊ कान ला नुकसान पहुंचा लेथें.
करीबन 16 बछर के उमर मं अमन ह अपन ददा विजय सिंह ले कान के सफई करे ला सीखे रहिस. वो ह बताथे के हरियाणा के रेवाड़ी जिला के रामपुर मं ओकर ये खानदानी काम आय. अमन ह अपन नाता गोता के लोगन मन के कनघौवा निकरे के अभ्यास सुरु करे रहिस. वो ह कहिथे, “पहिली छे महिना हमन अपन परिवार के लोगन मन के कान सिलाई अऊ चिमटी ले कनघौवा निकारे के अभ्यास करथन. जब बिना कउनो नुकसान धन दरद के सही ढंग ले होय ला लगथे, त हमन ये काम बर घर ले बहिर निकर जाथन.”
अमन अपन परिवार मं कनघौवा निकरेइय्या तीसर पीढ़ी ले हवय. स्कूली पढ़ई के बारे मं वो ह बताथे के वो ह कभू स्कूल नई गीस अऊ अपन ला अंगूठा छाप (अनपढ़) बताथें. वो ह कहिथें, “पैसा बड़ी चीज़ नहीं है. किसी का कान ख़राब नहीं होना चाहिए. (पइसा बड़े चीज नो हे. ककरो कान खराब नई होय ला चाही).”
दिल्ली आय के पहिली, ओकर परिवार के बहिर के सुरु के ग्राहेक गुड़गांव, हरियाणा के रहिन. अमन बताथें के एक बखत वो ह कान साफ करके 50 रूपिया के हिसाब ले एक दिन मं 500 ले 700 रूपिया कमा लेवत रहिस. “अब मंय दिन भर मं मुस्किल ले 200 रूपिया कमा पाथों.”
वो ह दिल्ली के मुखर्जी नगर मं अपन घर ले निकरथें, अऊ ग्रैंड ट्रंक रोड के अंबा सिनेमा तक ले आय भारी भीड़ भड़क्का के बीच चार किलोमीटर पइदल चलथें. उहाँ पहुँच के भीड़ मं ग्राहेक खोजथें, खासकर के जऊन मन बिहनिया के शो देखे ला आथें. वो ह कहिथें के ओकर लाल पगड़ी कनघौवा निकरेइय्या लोगन के पहिचान आय. “गर हमन येला नई पहिरबो, त लोगन मन कइसने जानहिं के कनघौवा निकरेइय्या बगल मं जावत हवय?”
अंबा सिनेमा मं करीबन घंटा भर अगोरे के बाद, अमन 10 मिनट के दूरिहा कमला नगर के गली मं चले जाथें, जेन ह दिल्ली विश्वविद्यालय के नॉर्थ कैम्पस के तीर मं हवय. ये बजार पढ़ेइय्या लइका, फेरीवाले अऊ मजूरी सेती बूता काम ला अगोरत रोजी मजूर ले खचाखच भरे हवय. अमन बर हरेक मइनखे ग्राहेक हो सकत हवय, येकरे सेती वो ह पूछत रहिथे, “भैया, कनघौवा निकरवाबे का? बस दिखवा ले.”
वो सब्बो वोला मना कर देथें.
अब जब मंझनिया के 12.45 हो चुके हवय अऊ अंबा सिनेमा के दूसर शो सुरु होय के बखत हो गे हवय, वो ह उहीं लहूंटे के बिचार करथे. अऊ, आखिर मं वो ला एक झिन ग्राहेक मिल जाथे.
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महामारी बखत जब काम मिले के मऊका कम होगे, तब अमन ह लसून बेंचे ला सुरु कर दीस. वो ह कहिथें, “मंय बिहनिया 7.30 बजे नजीक के मंडी मं चले जावत रहेंव अऊ 1000 रूपिया के लसून बिसो लेवत रहेंव. करीबन 35-40 रूपिया किलो के भाव ले बिसो के वोला 50 रूपिया किलो बेंचत रहेंव. मंय 250- 300 रूपिया दिन भर मं बचा लेवत रहेंव.”
वइसे, अब अमन ला फिर ले लसून बेंचे के कऊनो मन नई ये. वो ह कहिथें के ये भारी मिहनत के बूता आय. मोला रोज बिहनिया मंडी जाय ला परत रहिस, अऊ लसून बिसो के, वो ला घर लाके, निमारे ला परत रहिस. मंय रात के 8 बजे लहूंटे सकत रहेंव. कान साफ करे के बूता मं वो ह संझा 6 बजे घर लहुंट आथे.
अमन जब 5 बछर पहिली दिल्ली आय रहिस, त वो ह डॉ. मुखर्जी नगर मं बंदा बहादुर मार्ग के तीर 3.500 रूपिया भाड़ा मं घर लेय रहिस. वो ह अपन घरवाली 31 बछर के हिना सिंह, तीन बेटा –नेगी, दक्ष अऊ सुहान- के संग, जऊन मन 10 बछर के कम उमर के हवंय, अभू घलो इहींचे रहिथें. ओकर बड़े बेटा एक ठन सरकारी स्कूल मं पढ़थे, अऊ वोला आस हवय के ग्रेजुएट करे के बाद वोला सेल्समैन के नऊकरी मिल जाही, अऊ वोकर बेटा मन ला ओकर जइसने कनघौवा निकारे के जरूरत नई परय. काबर “ ये काम मं कऊनो कदर (मान) नई ये. न मइनखे के ,न काम के.”
अमन कहिथें, “कमला नगर मार्किट (दिल्ली) के गली मन मं हरेक वर्ग के लोगन मन मिलथें. जब मंय वो मन ले पूछ्थों के काय वो मन कनघौवा निकरवाहीं, त वो मन जुवाब देथें के वो मन ला कोविड हो जाही. एकर बाद वो मं कहिथें के गर वो मन ला जरूरत पढ़ी त डॉक्टर करा चले जाहीं.”
“येकर बाद मंय वो मन ला काय कहे सकथों? मंय कहिथों,‘ ठीक हे. तुमन अपन कनघौवा झन निकरवावव’.”
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दिसंबर 2022 मं अमन संग तब अलहन होगे, जब वोला दिल्ली के आज़ादपुर मं एक झिन फटफटी वाला ह ठोकर मार दे रहिस. येकर ले ओकर चेहरा अऊ हाथ मं जखम आय रहिस. ओकर जउनि अंगूठा ला भरी जखम आय रहिस, जेकर कारन अब वोला कान साफ करे मं बनेच दिक्कत होवत हवय.
ओकर किस्मत रहिस के दवई ह जखम ला भर दीस. वो अब कभू-कभार कनघौवा निकारे के काम करथे, अऊ वो ह थिर आमदनी सेती बर-बिहाव, तीज-तिहार मं 500 रुपिया हरेक के हिसाब ले ढोल बजाय सुरु कर दे हवय. करीबन एक महिना पहिली अमन अऊ हिना ला एक बेटी होय हवय, वो ह कहिथे के परिवार चले सेती वोला अऊ बूता खोजे के जरूरत परही.
अनुवाद: निर्मल कुमार साहू