गुडला मंगम्मा कहिथें, “जब हमन हैदराबाद आयेन त हमन ला जऊन बूता मिलिस तऊन ला करेन. हमन अपन बेटी ला बढ़िया पढ़ाय सेती भरपूर पइसा कमाय ला चाहत रहेन.” वो अऊ ओकर घरवाला गुडला कोटैया 2014 मं तेलंगाना के महबूबनगर जिला के अपन गांव ला छोड़ के राज के राजधानी हैदराबाद आ गे रहिस. ये ह वो मन के पहिली लइका कल्पना के जनम के तुरते बाद रहिस.
फेर सहर वो मन सेती मयारू नई रहिस. जब वोला कऊनो बूता नई मिलिस, त कोटैया ला रोजी-रोटी सेती हाथ ले मैला ढोय ला मजबूर होय परिस. वो ह नाली साफ करे ला सुरु कर दीस.
हैदराबाद मं, कोटैया के कपड़ा धोय के पुस्तेनी बेवसाय के कऊनो पूछ-परख करेइय्या नई रहिन - वो ह चकली समाज ले रहिस (तेलंगाना मं पिछड़ा वर्ग के रूप मं सूचीबद्ध). मंगम्मा बताथें के वो दूनो ला काम मिले काबर मुस्किल लगिस. “हमर पुरखा मन कपड़ा धोय अऊ इस्त्री करे के काम करत रहिन. फेर अब हमर बर बहुते कम काम रहिगे रहिस; हरेक करा अपन वाशिंग मसीन अऊ आयरन हवंय.”
कोटैया ह बिल्डिंग-सड़क बनेइय्या जगा मं घलो रोजी मजूरी के घलो कोसिस करिस. मंगम्मा कहिथे, “ये काम वाले जगा मन घर ले बनेच दूरिहा मं रहिस अऊ वो ला आय-जाय मं खरचा करे ला परत रहिस, येकरे सेती वो ला हमेसा लगत रहय के हाथ ले मैला सफाई के काम ओकर ले बने हवय काबर काम घर के तीर मं रहिस.” वो ह अनुमान लगाथे के वो ह ये बूता हफ्ता मं कम से कम तीन जुवार करत रहिस. येकर ले वोला रोजी के 250 रूपिया मिलत रहिस.
मंगम्मा मई 2016 के तऊन बिहनिया ला सुरता करथे जब कोटैया ह बिहनिया करीबन 11 बजे घर ले निकरे रहिस. वो ह अपन घरवाली ले कहे रहिस के वो ह एक ठन सीवर ला साफ करे जावत हवय, अऊ वो ला एक बाल्टी पानी घर के बहिर रखे ला कहे रहिस जेकर ले लहुंट के घर भीतरी जाय के पहिली अपन ला धोय सकय. मंगम्मा कहिथें, “मोर घरवाला सफाई करमिकुलु (नगर निगम के सफाई करमचारी) नई रहिस. वो ह ये काम एकरे सेती करिस काबर हमन ला पइसा के जरूरत रहिस.”
वो दिन कोटैया ला जुन्ना सहर के भीड़-भाड़ वाले इलाका सुल्तान बाजार मं बूता करे सेती रखे गे रहिस, इहाँ अक्सर कतको नाली बंद हो जावत रहिस. जब अइअसने होथे, त हैदराबाद मेट्रोपॉलिटन वाटर सप्लाई एंड सीवरेज बोर्ड (एचएमडब्ल्यूएसएसबी) सेती काम करेइय्या ठेकादार ह मरद मन ला हाथ ले नाली साफ करे अऊ मैला ला हटाय के काम मं रखथे.
काम मं रखे गे लोगन मन ले एक कोटैया के संग काम करेइय्या अऊ ओकर मितान, बोंगू वीर स्वामी रहिस, जऊन ह बगेर कऊनो सुरच्छा साजो-सामान के मैनहोल मं उतर गे अऊ कुछु पल बीते अचेत होके गिर गे. वोला देख के ओकर संग बूता करत कोटैया ह वो ला बचाय सेती कुद परिस. कुछु मिनट बाद कोटैया घलो अचेत होके गिर परिस.
कऊनो घलो मइनखे ला वो मन के सुरच्छा सेती, जइसने मास्क, दस्ताना धन दीगर चीज नई दे गेय रहिस. दू झिन संगवारी के गे परान ह सीवर सफाई बखत मरे लोगन मन जइसने सिरिफ आंकड़ा बन गीस. केंद्रीय सामाजिक न्याय अऊ अधिकारिता मंत्रालय के मुताबिक, देश मं 1993 अऊ अप्रैल 2022 के मंझा मं "सीवर अऊ सेप्टिक टंकी के खतरा ले भरे सफई करत होय अलहन ले 971 लोगन मन के परान चले गे.”
जब मंगम्मा ह कोटैया अऊ वीरा स्वामी ला वो मन के मरे के कुछु घंटा बाद देखे रहिस, वो ह वो बखत ला सुरता करत कहिथें, “तऊन मैनहोल के बास अभू घलो उहाँ रहिस.”
गुडला कोटैया ह 1 मई, 2016 के गुजर गे रहिस. ये ह मई दिवस रहिस, जऊन दिन सरा दुनिया मजूर मन के हक के बात करथे. न त वो मन ला, अऊ न त ओकर घरवाली ला, ये मालूम हवय के कऊनो ला हाथ ले मैला ढोय के बूता कराय ह 1993 ले गैर कानूनी आय. अइसने करवाय ह अब हाथ ले मैला ढोय के बूता देय ह रोजगार के रूप मं रोक अऊ ओकर पुनर्वास अधिनियम, 2013 के तहत जुरुम आय. ये ला टोरे ले दू बछर तक के जेल धन एक लाख रूपिया तक के जुरमाना धन दूनों हो सकथें.
मंगम्मा कहिथें, “मोला ये मालूम नई रहिस के (हाथ ले मैला ढोय) गैर कानूनी आय. ओकर गुजर जाय के बाद घलो, मोला पता नई रहिस के मोर परिवार सेती मुआवजा हासिल करे के कानून हवंय.”
वो ह ये घलो नई जनत रहिस के कोटैया के गुजर जाय के तरीका ला जाने के बाद ओकर रिस्तेदार मन घलो ओकर ले दूरी बना लिहीं. वो ह कहिथे, “सबले जियादा दुख ये बात के हवय के वो मन मोला धीरज धराय घलो नई आइन. वो मन मोर अऊ मोर लइका मन ले गोठ-बात करे बंद कर दीन जब वो मन ला पता चलिस के मोर घरवाला के परान मैला नाली के सफई बखत चले गे.”
तेलुगु मं, मैला साफ करेईय्या मन ला ‘पाकी’ (मेहत्तर) कहे जाथें - गारी जइसने. सायदे पऊनि-पसारी के डर ले, वीरा स्वामी ह अपन घरवाली ला ये नई बताय रहिस के वो ह रोजी-रोटी सेती काय करथे. ओकर घरवाली बोंगू भाग्यलक्ष्मी कहिथे, “मोला मालूम नई रहिस के वो ह हाथ ले मैला ढोय के बूता करे हवय. वो ह कभू मोर ले येकर बारे मं नई गोठियाइस.” वीरा स्वामी ले ओकर बिहाव होवत सात बछर होय रहिस अऊ वो ह अपन मयारू घरवाला ला सुरता करथे, “मंय हर हाल मं ओकर ऊपर भरोसा करत रहे सकत रहेंव.”
कोटैया जइसने, वीरा स्वामी हैदराबाद मं आय रहिस. 2007 मं, वो अऊ भाग्यलक्ष्मी अपन बेटा 15 बछर के माधव अऊ 11 बछर के जगदीश अऊ वीरा स्वामी के दाई, राजेश्वरी संग तेलंगाना के नागरकुर्नूल सहर ले चले आय रहिन. ये परिवार ह मडिगा समाज ले आय, जऊन ह राज मं अनुसूचित जाति के रूप मं सूचीबद्ध हवय. वो ह कहिथे, “मोला ये काम पसंद नई रहिस जऊन ला हमर समाज करथे अऊ मोला लगिस के जब हमन बिहाव करेन त वो हा येला बंद कर दीस.”
मैनहोल मं जहरीला हवा ले कोटैया अऊ वीरा स्वामी के मारे जाय के कुछेक हफ्ता भर बाद, मंगम्मा अऊ भाग्यलक्ष्मी ला ठेकेदार डहर ले 2-2 लाख रूपिया दे गे, जेन ह वो मन ला काम मं रखे रहिस.
कुछेक महिना बीते, भारत मं मैला ढोय के रिवाज ला खतम करे सेती काम करेइय्या संगठन, सफाई कर्मचारी आंदोलन (एसकेए) के सदस्य मन मंगम्मा ले भेंट करिन. वो मं वोला बताइन के ओकर परिवार 10 लाख तक के राहत पैकेज पाय के काबिल हवय. 2014 मं सुप्रीम कोर्ट के एक ठन फइसला मं मुआवजा तय करे गे रहिस, जऊन मं राज सरकार मन ला 1993 ले सीवर धन सेप्टिक टंकी के सफई करेइय्या मन के परिवार ला मुआवजा देय के निर्देश देय रहिस. एकर छोड़, हाथ ले मैला ढोवइय्या लोगन मन के के पुनर्वास सेती स्वरोजगार योजना के जरिया ले, सरकार ह नगद सहायता घलो देथे. मैला ढोवइय्या अऊ ओकर आसरित लोगन मन ला पूंजी सब्सिडी (15 लाख रूपिया तक) अऊ कौशल विकास प्रसिच्छ्न देथे जेकर ले वो मन नवा काम धंधा करे सकंय.
एसकेए ह तेलंगाना हाई कोर्ट मं एक ठन अरजी दायर करे के बाद, मारे गे नौ मैला ढोवइय्या मन के परिवार ला 2020 मं सरी मुआवजा मिल गे - कोटैया अऊ वीरा स्वामी के परिवार ला छोड़के. एसकेए के तेलंगाना चैप्टर के मुखिया के. सरस्वती के कहना आय के वो ह अदालत मं ये मामला ला लड़े सेती एक झिन वकील के संग काम करत हवंय.
फेर मंगम्मा खुस नई ये. वो ह कहिथे, “मोला ठगाय असन लगत हवय. मोला पइसा मिले के आस दे गे रहिस अऊ अब वो आस कऊनो मेर नई ये.”
भाग्यलक्ष्मी आगू कहिथे, “कतको कार्यकर्ता, वकील, मीडियावाले हमर करा आइन. थोर बखत सेती मोला आस रहिस. अब मोला नई लगय के मोला वो पइसा मिलही.”
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ये बछर अक्टूबर के आखिरी मं, मंगम्मा हैदराबाद के कोटि इलाका मं एक ठन जुन्ना अपार्टमेंट के इमारत के गाड़ी रखे के जगा के ढलान वाले मुहटा मं कट्टेला पोयी (अलवा-जलवा चूल्हा) बनावत रहिन. आधा दरजन ईंटा ला जोड़ा मं एक के ऊपर रखे, तिकोना अकार मं बनाय रहिस. वो ह कहिथे, “कालि हमर गैस (एलपीजी) सिरा गे रहिस. नवंबर के पहिली हफ्ता मं नवा सिलेंडर आ जाही. तब तक ले हमन कट्टेला पोयी मं रांधबो. मोर घरवाला के गुजरे के बाद ले हमर हालत अइसनेच हवय.”
कोटैया ला मरे 6 बछर हो गे हवय अऊ मंगम्मा अब करीबन 40 बछर के हो गे हवय. वो ह अपन घरवाला ला मयारू होवत सुरता करथे, “जब मोर घरवाला गुजरगे, मंय बनेच बखत तक ले सदमा मं रहेंव. मोर करेजा फाट गे रहिस.”
वो अऊ ओकर दू झिन लइका, वामसी अऊ अखिल, एक ठन बहुमंजिला इमारत के कम उजियार वाले तलघर मं सीढ़ी के बगल मं बने एक ठन नान कन खोली मं रहिथें. वो मन 2020 के आखिर मं इहाँ रहे सेती आय रहिन, काबर वो मन वो इलाका के बने घर के 5,000-7,000 रूपिया भाड़ा अब देय के ताकत नई रहिस. मंगम्मा ये पांच मंजिला इमारत के चौकीदारी करथे अऊ ओकर आस-पास के साफ-सफई के काम घलो करथे. येकर बर वो ला महिना के 5,000 रूपिया मिलथे, अऊ रहे सेती ये खोली घलो दे गे हवय.
वो ह कहिथे, “ये ह हमन तीनों के रहे हिसाब ले बनेच कम जगा आय. ये खोली मं बिहनिया के भारी घाम बखत घलो बनेच कम उजियार रहिथे. जुन्ना पिंयर पर चुके दीवार मं कोटैया के फोटू मन लगे हवंय; खोली के छत भारी तरी मं हवय, जेन मं एक ठन पंखा लटके हवय. वो ह कहिथे, “मंय कल्पना (बेटी) ला इहाँ बलाय ला छोड़ देय हवंव. वो ह आही त कऊन मेर रहहि अऊ कऊन मेर बइठही?”
साल 2020 मं, जब कल्पना 19 बछर के रहिस, मंगम्मा ह अपन बेटी के बिहाव करे के फइसला करिस. ठेकेदार ले मिले 2 लाख रूपिया ले वो ह अपन बेटी के बिहाव के खरचा करिस. येकर छोड़, वो ह गोशमहल के एक ठन महाजन ले घलो करजा लीस. वो ह महिना के 3 फीसदी बियाज मं पइसा देय हवय. विधानसभा निर्वाचन इलाका के दफ्तर मं सफाई करमचारी मंगम्मा जतका पइसा कमाथे, ओकर आधा भाग हरेक महिना करजा चुकाय मं सिरा जाथे.
ये बिहाव के खरचा ह परिवार ला दिवालिया बना दे हवय. वो ह बताथे, “हमर ऊपर अभू 6 लाख रूपिया के करजा हवय. (अपन कमई ले) मुस्किल ले घर के खरचा चलत हवय.” इमारत के आस-पास के साफ-सफई ले होय कमई ला छोड़ के, जुन्ना हैदराबाद के गोशमहल विधानसभा निर्वाचन इलाका के दफ्तर मं सफ़ाईकर्मी के रूप मं वो ह 13,000 रूपिया महिना कमाथें.
17 बछर के वामसी अऊ 16 बछर के अखिला तीर के कॉलेज मं पढ़थें, अऊ वो मन के पढ़ई के साल भर के फीस 60,000 रूपिया हवय. वामसी ह कालेज मं पढ़े सेती अकाउंटेंट के रूप में पार्ट टाइम नऊकरी करथे. वो ह हफ्ता मं 6 दिन मंझनिया 3 बजे ले रत के 9 बजे तक ले काम करके रोज के 150 रूपिया कमाथे. येकर ले वोला अपन कालेज के फीस भरे मं मदद मिल जाथे.
अखिला के सपना डॉक्टरी के हवय, फेर ओकर दाई ला ये बात के भरोसा नई ये के वो ह अइसने करे सकही. मंगम्मा हतास होय कहिथे, “मोर करा ओकर पढ़ई कराय के साधन नई ये. मंय ओकर बर नवा कपड़ा तक ले बिसोय नई पावंव.”
भाग्यलक्ष्मी के लइका मन नान-नान हवंय. जऊन निजी इस्कूल मं पढ़े ला जाथें ओकर साल भर के फीस 25,000 रूपिया परथे. ओकर दाई भारी खुस के बताथे, “मोर दूनों लइका पढ़ई मं बहुत बढ़िया हवंय. मोला ये मन ऊपर गरब हवय.”
भाग्यलक्ष्मी घलो सफ़ाईकर्मी के काम करथे. वीरा स्वामी के गुजरे के बाद वो ह ये बूता करे ला सुरु करे रहिस. वो ह अपन बेटा मन अऊ सास के संग कोटि के एक ठन इमारत के तलघर मं बने एक ठन खोली मं रहिथे. वीरा स्वामी के फोटू खोली के एक ठन टेबल मं रखे हवय. ओकर खोली समान ले भरे पड़े हवय, जऊन मं अधिकतर समान लोगन मन के देय धन बऊरे बाद देय आय.
खोली के भीतरी मं जगा नई होय सेती, परिवार के कुछेक समान खोली के बहिर गाड़ी रखे के जागा के कोनहा मं परे हवय. बहिर मं रखे एक ठन सिलाई मसीन कंबल अऊ कपड़ा ले लदाय परे हवय. भाग्यलक्ष्मी येकर बारे मं बताथें; “मंय 2014 मं सिलाई के एक ठन कोर्स मं दाखिला ले रहेंव अऊ कुछु बखत तक ले ब्लाउज अऊ दूसर कपड़ा सिलत रहेंव.” काबर के, खोली मं सबके सुते सेती भरपूर जगा नई ये, येकरे सेती माधव अऊ जगदीश खोली मं सुतथें. भाग्यलक्ष्मी अऊ राजेश्वरी बहिर मं प्लास्टिक के चद्दर अऊ सरकी बिछाके सुतथें. ओकर रंधनी खोली इमारत के दूसर कोनहा मं हवय, येकरे सेती. प्लास्टिक के परदा ले घेर के नान कन जगा बनाय गे हवय, जिहां बहुते कम उजेला आथे.
इमारत के आस-पास साफ-सफई के एवज मं भाग्यलक्ष्मी ला हरेक महिना 5,000 रूपिया मिलथे. वो ह आगू कहिथे, “मंय बिल्डिंग के कुछेक घर मं बूता करथों, जेकर ले अपन बेटा मन के ओकर इस्कूल के काम मं मदद करे सकंव.” वो ह बताथें के ओकर ऊपर महाजन मन के करीबन 4 लाख रूपिया उधारी हवंय, जऊन ला वो ह बीते कतको बछर मं लेगे हवय. ओकर मुताबिक, “अपन करजा चुकता करे सेती हरेक महिना 8,000 रुपिया भरथों.”
ओकर परिवार ला बिल्डिंग के कारोबार वाले हिस्सा मं भूतल मं बने पखाना ला बऊरे परथे, जऊन ला दूसर कतको करमचारी बऊरथें. वो ह बताथें, “हमन दिन मं सायदेच कभू येला बऊरे सकथन. इहाँ मरद मन सरलग आवत-जावत रहिथें.” जऊन दिन वो ह पखाना के सफाई करथे, उही दिन, ओकरे बोले मुताबिक, “मंय सिरिफ मैनहोल के बास के बारे मं सोचत रहि जाथों, जऊन ह मोर घरवाला ला मार डरिस. भगवान करे रतिस वो ह मोला बताय होतिस. मंय वोला ये काम करे नई देतेंव. वो ह आज जींयत रतिस, अऊ मोला ये तलघर मं नई रहे ला परतिस.”