“वो मन मोला मार डारहीं...” 28 बछर के अरुणा अकचकाय भरे नजर ले कहिथे, जब वो ह तीर मं अपन छे बछर के बेटी ला खेलत देखथे. ‘वो’ मन के मतलब अरुणा के घर के लोगन मन रहिन अऊ वो समझे नई सकत रहिन के वो ह अइसने बेवहार काबर करिस. मंय चीज बस ला फेंक दिहूँ. मंय घर मं नई रहेंव. कऊनो हमर घर के तीर नई आय सकही...”
अक्सर वो ह तमिलनाडु के कांचीपुरम जिला के अपन घर के लकठा के डोंगरी मन मं किंदरत रहिथे. जिहां कुछु लोगन मन वो ला देख के येकर सेती भागथें के कहूँ वो ह हमला झन कर देवय. उहिंचे कुछु लोगन मन ओकर उपर पथरा फेंकथें. ओकर ददा वो ला धरके घर लाथे, कभू-कभू वोला बहिर भाग जाय ला रोके सेती कुर्सी ले बांध देथे.
अरुणा(असल नांव नई) 18 बछर के रहिस तब वोला पता चलिस ले वोला सिज़ोफ्रेनिया हवय. ये बीमारी ह ओकर सोचे, हावभाव अऊ बेहवार ऊपर असर करथे.
कांचीपुरम के चेंगलपट्टू तालुक के, कोंडांगी गांव मं दलित कॉलोनी के अपन घर के बहिर बइठे, अरुणा ह मुस्किल के दिन मं गोठियाय ल घलो बंद कर देथे. वो ह अचानक भग जाथे. गुलाबी नाइटी पहिरे अऊ कटाय केश के ऊँच, सांवली माइलोगन ह चलत बखत झुक जाथे. वो ह अपन कुरिया के भीतरी मं जाथे अऊ डॉक्टर के पर्ची अऊ दू पत्ता दवई धर के आथे. “ये ह मोर सोया बर आय. दूसर नस ले जुरे दिक्कत ला रोके सेती आय,” गोली मन ला दिखावत वो ह कहिथे. मंय अब बढ़िया सुतथों. मंय हरेक महिना दवई लेगे बर सेम्बक्कम (प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र) जाथों.”
गर शांति शेष नई होतिस त सायदे अरुणा के बीमारी के पता चले रतिस.
61 बछर के शांति देख सकत रहिस के काय हवत हवय. वो ह अरुणा जइसने सैकड़ों लोगन मन के मदद करे रहिन जेन मन सिज़ोफ्रेनिया ले जूझत रहिन. 2017-2022 मं अकेल्ला शांति ह चेंगलपट्टू मं 98 मरीज के चिन्हारी करे रहिन अऊ वो मन ला इलाज मं मदद करे रहिन. स्किज़ोफ्रेनिया रिसर्च फ़ाउंडेशन (एससीएआरएफ) के संग करे करार मं सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता के रूप मं, शांति दिमागी रूप ले बीमार लोगन मन के इलाज करवाय के काम ले कोंडांगी गाँव मं जाने पहिचाने जावत रहिन.
जब 10 बछर पहिली शांति अरुणा ले मिले रहिस, “वो ह दुबर पातर अऊ जवान रहिस, बिहाव घलो नई होय रहिस,” वो ह कहिथें. “वो ह बस घूमत रहय, कभू खावत नई रहिस. मंय ओकर घर के लोगन मन ला वोला थिरुकालुकुंद्रम के केंप मं लाय ला कहेंव.” स्किज़ोफ्रेनिया ले जूझत लोगन मन के चिन्हारी करे अऊ इलाज सेती एससीएआरएफ डहर ले हरेक महिना केंप लगाय जावत रहिस.
जब अरुणा के घर के मन वोला कोंडांगी ले करीबन 10 कोस (30 किमी) दूरिहा तिरुकालुकुंद्रम ले जाय के कोशिश करिन त वो भारी उपद्रव करे लगिस अऊ कऊनो ला घलो अपन तीर मं फटके नई देवय. ओकर हांथ- गोड़ बांध के केंप मं लाय गे रहिस. शांति कहिथें, “मोला डॉक्टर (मनोचिकित्सक) ह 15 दिन मं एक बेर सूजी लगाय ला कहे रहिस.”
सूजी अऊ दवई ला छोड़ के, हरेक पखवाडा कैंप मं अरुणा के काउंसलिंग करे जावत रहिस. शांति कहिथें, “कुछेक बछर बाद ओकर आगू के इलाज ला करवाय, मंय वोला सेम्बक्कम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले गेंव.” एक ठन दीगर एनजीओ (बरगद) प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मं दिमागी बीमारी के दवाखाना चलावत रहिस. शांति कहिथें, “अरुणा अब पहिली ले भारी बढ़िया हवय. वो ह बढ़िया बोलथे.”
कोंडांगी गांव के स्वास्थ्य केंद्र अरुणा के घर के लकठा मं हवय. इहां नायडू अऊ नायकर जात के परिवार मन रहिथें. शांति नायडू आंय. शांति के मानना आय के “काबर के अरुणा ओकर जात (अनुसूचित जाति) के आय, येकर सेती वो ह वोला सहन करिस. वो ह बताथें के कालोनी के बासिंदा नायडू-नायकर परोसी नई बनंय.” गर अरुणा इहाँ गोड़ रखे रतिस, त येला लेके झगरा सुरु हो जातिस.”
इलाज के चार बछर बाद, अरुणा के बिहाव एक झिन अइसने मइनखे संग करदे गीस, जऊन ह ओकर गरभ धरे के बाद वोला छोड़ दीस. वो ह अपन मायका आगीस अऊ अपन ददा अऊ भैया के संग रहे लगिस. ओकर बियाहे दीदी, जेन ह चेन्नई मं रहिथे, ओकर लइका के देखभाल मं मदद करथे, अऊ अरुणा के बीमारी के दवई के खरचा उठाथे.
वो ह कहिथे के ओकर बढ़िया इलाज ह शांति अक्का सेती आय.
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हाथ मं मंझनिया खाय के डब्बा धरे, शांति हरेक दिन बिहनिया 8 बजे चेंगलपट्टू तालुक मं सर्वे करे सेती गाँव अऊ बस्ती के लिस्ट ले के घर ले निकर जाथे. मदुरंथकम मं बस टेसन तक जाय बर वो ह करीबन एक घंटा करीबन 5 कोस(15 किमी) रेंगत जावत रहिस. वो ह कहिथे, “ये वो जगा आय जिहां ले हमन ला दूसर गाँव जाय के साधन मिलथे.”
ओकर काम तालुक भर मं घूमे के रहिस, दिमागी बीमारी ले जूझत लोगन मन के चिन्हारी करे अऊ वो ला इलाज करवाय मं मदद करे रहिस.
“हमन पहिली तऊन गाँव मं जाबो जिहां जाय मं असानी हवय अऊ बाद मं दूर-दराज के इलाका मं. वो इलाका मं जाय सेती खास बखत मं मिलथे. कभू-कभू हमन ला बस टेसन मं बिहनिया आठ बजे ले मंझनिया तक धन मंझनिया एक बजे तक ले अगोरे ला परत रहिस,” शांति सुरता करत कहिथें.
शांति ह सिरिफ इतवार के छुट्टी ला छोर पूरा महिना काम करिस. सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता के रूप मं ओकर रोज के जिनगी ह 30 बछर तक ले थिर रहिस. ओकर काम, जेन ला अनदेखा करे जाथे, भारी महत्तम आय काबर दिमागी बीमारी भारत के अनुमानित 10.6 बड़े उमर के अबादी ला असर डारथे, जिहां 13.7 फीसदी लोगन मन अपन जिनगी के कऊनो बखत मं दिमागी बीमारी के गम करथें. फेर इलाज के अंतर बहुते जियादा हवय: 83 फीसदी. सिज़ोफ्रेनिया बीमारी वाले कम से कम 60 फीसदी लोगन मन ला वो इलाज नई मिले सकय जेकर वो मन ला जरूरत होथे.
शांति ह सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता के रूप मं1986 ले काम सुरु करिस. वो बखत, भारत के कतको राज मं दिमागी बीमारी के इलाज सेती भरपूर इलाज करेइय्या नई रहिन. जऊन थोकन रहिन वो मन शहर मं रहिन, सायदेच कऊनो देहात इलाक मं रहिन. ये दिक्कत ला दूर करे राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (एनएमएचपी) सुरु करे गीस. 1982 मं सुरु सब्बो सेती “दिमागी बीमारी के न्यूनतम इलाज करे अऊ वो मन तक पहुंच” तय करे के उद्देश्य ले करे गे रहिस, खास करके सबले कमजोर अऊ वंचित लोगन मन के सेती.
1986 मं, शांति ह रेडक्रास के संग सामाजिक कार्यकर्ता के रूप मं काम करिन. वो ह अपंग लोगन मन के पता लगाय अऊ ओकर तुरते जरूरत ला रपट बनाके संगठन ला भेजे सेती चेंगलपट्टू के दूर दराज के इलाका मन मं गीन.
जब एससीएआरएफ ह 1987 मं शांति ले भेंट करिस, त संगठन ह कांचीपुरम जिला के थिरुपोरूर ब्लॉक मं दिमागी रूप ले बीमार मइनखे के पुनर्वास सेती एनएमएचपी के कार्यक्रम मन ला लागू करत रहिस. ये समाज आधारित स्वयंसेवक मन के कैडर बनाय सेती ग्रामीण तमिलनाडु मं प्रसिच्छ्न कार्यक्रम चलावत रहय. एससीएआरएफ के निदेशक, डॉ. आर. पद्मावती, जऊन ह 1987 मं संगठन मं सामिल होय रहिस, वो ह कहिथें, “समाज के जऊन लोगन मन स्कूल तक के पढ़ई करे रहिन, वो मन ला भर्ती करे गे रहिस अऊ दिमागी बीमारी वाले लोगन मन के चिन्हारी करे अऊ वो मन ला अस्पताल भेजे सेती प्रसिच्छ्न दे गे रहिस.”
ये शिविर मं शांति ह अलग अलग दिमागी बीमारी के बारे में सिखिस अऊ येकर चिन्हारी कइसने करे जाय. वो ह दिमागी बीमारी ले जूझत लोगन मन ला इलाज करवाय सेती मनाय के तरीका घलो सिखिस. वो ह कहिथे सुरु मं ओकर तनखा 25 रूपिया महिना रहिस. वो ला दिमागी रूप ले बीमार मइनखे ला खोजे अऊ इलाज वाले शिविर मं लाय ला रहिस. वो ह कहिथे, “मोला अऊ एक झिन दीगर मनखे ला तीन पंचइत सौंपे गे रहिस- हरेक पंचइत मं करीबन 2-4 गाँव.” कतको बछर बूता करे बाद ओकर तनखा बढ़ गे. जब वो ह एससीएआरएफ ले 2022 मं रिटायर होईस, तब वोला महिना मं 10, 000 रूपिया ( भविष्य निधि अऊ बीमा काटे के बाद)मिलत रहिस.
ओकर ये काम ह वोला आमदनी के थिर जरिया दे दिस जेकर ले उथल-पुथल भरे जिनगी ला चलाय सकिस. ओकर घरवाला दरुहा आय अऊ मुस्किल ले घर के गुजरा करत रहिस. शांति के 37 बछर के बेटा बिजली मिस्त्री आय रोजी मं 700 रूपिया मिलथे. फेर वोला रोजी के बूता सरलग नई मिलय बी वो ला महिना मं सिरिफ 10 दिन के बूता मिलथे. अपन घरवाली अऊ बेटी संग गुजारा करे भरपूर नो हे. शांति के दाई घलो ओकर संग मं रहिथे. 2022 मं एससीएआरएफ के सिज़ोफ्रेनिया कार्यक्रम सिराय के बाद, शन्ति ह तंजावुर पुतरी बनाय ला सुरु करिस, 50 नग बनाय के बाद वो ह 3,000 रुपिया कमाइस.
करीबन 30 बछर मं समाज के काम करत शांति कभू नई थकिस. एनजीओ मं अपन बीते पांच बछर मं, वो ह चेंगलट्टू के कम से कम 180 गांव अऊ बस्ती गे रहिस. वो ह कहिथे, “मंय डोकरी होगे हवंव, फेर अपन काम ला करत रहेंव. वइसे मोला बनेच पइसा नई मिलिस, मंय जऊन कमायेंव खरचा होगे. मोला मन ले संतोष हवय. ये मोर मान आय.”
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49 बछर के सेल्वी ई. ह सिज़ोफ्रेनिया ले जूझत लोगन मन ला खोजे शांति के संग चेंगलपट्टू के जम्मो इलाका मं गीस. 2017 अऊ 2022 के मंझा, सेल्वी ह 117 गाँव गे रहिस, जऊन मं तीन ब्लाक उथिरामेरुर, कट्टनकोलट्टूर अऊ मदुरंथकम के पंचइत के इलाका रहिस, अऊ 500 ले जियादा लोगन मन के इलाज करवाय मं मदद करिस. वो ह एससीएआरएफ मं 25 बछर ले जियादा तक ले काम करे हवंय, अऊ अब वो ह डिमेंशिया वाले मरीज मन के चिन्हारी करेइय्या एक ठन दीगर परियोजना मं काम करत हवंय.
सेल्वी के जनम चेंगलपट्टू के सेम्बक्कम गांव मं होय रहिस. स्कूल के पढ़ई पूरा करे के बाद वो ह एक ठन सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता के रूप मं काम सुरु करिस. वो ह सेनगुनथर समाज ले हवंय, जेकर पेशा बुनाई आय. येला तमिलनाडु मं अन्य पिछड़ा वर्ग मं रखे गे हवय. वो ह कहिथें, मंय 10 वीं पढ़े के बाद आगू नई पढ़ेंव. वो ह कहिथे, “कालेज जय सेती मोला तिरुपोरूर जाय ला परतिस, जऊन ह मोर घर ले करीब ढाई कोस (आठ किमी) दूरिहा रहिस. मंय पढ़े ला चाहत रहेंव, फेर मोर दाई-ददा मोला दूरिहा होय सेती येकर इजाजत नई दीन.”
26 बछर के उमर मं ओकर बिहाव हो जाय के बाद, सेल्वी अपन परिवार के अकेल्ला कमेइय्या बन हे. बिजली मिस्त्री ओकर घरवाला के आमदनी ला सुन बेस्वास नई होवय. येकरे सेती, अपन कम आमदनी के संग, घर के खरचा ला छोड़ बोला अपन दूनू बेटा के पढ़ई के खरचा उठाय ला परे. ओकर 22 बछर के बड़े बेटा छे महिना पहिली कंप्यूटर साइंस मं एमएससी के पढ़ई पूरा करे हवय. 20 बछर के ओकर छोटे बेटा, चेंगलपट्टू के एक ठन सरकारी कॉलेज मं पढ़त हवय.
येकर पहिली के वो ह गाँव मं जातिस अऊ सिज़ोफ्रेनिया के रोगी मन ला इलाज सेती मनातिस, सेल्वी रोगी मन के काउंसलिंग करत रहिस. वो ह तीन बछर तक ले 10 झिन मरीज के संग अइसने करिस. वो ह कहिथे, “मोला हफ्ता मं एक बेर वो मन ले भेंट करे जाय ला परत रहिस. ये बखत हमन मरीज अऊ परिवार के लोगन मन ले इलाज, इलाज के बाद दिखाय, खाय-पिये अऊ साफ-सफई के महत्ता के बारे मं बात करेन.”
सुरु मं, सेल्वी ला समाज के भारी विरोध के सामना करे ला परिस. वो ह कहिथें, “वो मन मानेंव नईं के कऊनो समस्या हवय. हमन जब वो ला बतावन के ये ह एक किसिम के बीमारी आय अऊ येकर इलाज करे जाय सकत हवय. मरीज के नाता गोता घर के लोगन मन बगिया जायेंव. कुछेक मरीज के रिस्तेदार मं अस्पताल ला छोड़ धार्मिक जागा मं ले जाय पसंद करेंव. वो ला इलाज शिविर मं आय सेती बनेच मनाय ला परिस अऊ वो मन के घर कतको बेर जाय ला परिस. जब रोगी ले आय जाय मं दिक्कत होवय, त एक झिन डॉक्टर ह ओकर घर जावत रहिस.”
सेल्वी येकर ले बांचे अपन जुगत लगाइस. वो ह गाँव के हरेक घर मं जावत रहिस. वो हा चाय ठेला मं जिहां बनेच लोगन मं संकलाय रहिथें घलो जावत रहय, अऊ स्कूल के गुरूजी मन ले अऊ पंचइत के मुखिया मन ले गोठ बात करेव. सब्बो ले मेल मुलाकत होय लगिस. सेल्वी ह सिज़ोफ्रेनिया के लच्छन काय आय, येकर इलाज कइसने करे जा सकत हवय, अऊ वो मन के गाँव मं दिम्गी बीमारी वाले लोगन मन ला बताय के बिनती करेव. सेल्वी कहिथे, “लोगन मन झिझकत रहंय, फेर कुछु मन बताईन धन मरीज के घर डहर आरो करिन. कतको खास दिक्कत ला नई जानंय.” वो ह कहिथे, “वो मन हमन ला बतायेंव के एक झिन ऊपर संदेहा हवय, धन कुछु लंबा बखत ले नींद नई परे के बात करथें.
समाज मं एके गोतर मं बिहाव नई करे के सख्त नियम हवय अऊ जात बिरादरी मं बिहाव आम आय बात आय. सेल्वी ह कतको लइका मन ला दिमागी रूप ले कमजोर जनम होवत देखे रहिस. वो ह कहिथे के येकर ले वोला दिमागी बीमारी अऊ दिमागी कमजोरी के लच्छन ला अलग करके देखे असान आय, जऊन ह ओकर बूता सेती एक ठन जरूरी हुनर आय.
सेल्वी के कतको महत्तम काम मन ले एक ठन ये तय करे रहिस के दवई मरीज के घर तक पहुंचाय जाय. भारत मं अधिकतर दिमागी बीमारी वाले लोगन मन इलाज अऊ दवई के खरचा करीबन सब्बो उठाथें. राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत मिलेइय्या इलाज के लाभ उठाय सेती 40 फीसदी मरीज मन ला 3 कोस ले जियादा (10 किमी) जाय ला परथे. दूरदराज के गाँव के लोगन मन ला बेरा के बेरा इलाज कराय बर जाय मं अक्सर मुस्किल होथे. एक ठन अऊ बड़े रुकावट रोगी ले जुरे कलंक आय, जऊन ह बीमारी ले जूझत अपन समाज के मांग ला पूरा करे नई सकंय.
सेल्वी कहिथे, ‘आजकल टीवी देखे सेती कुछु सुधार होय हवय.’ “लोगन मन डेर्रावत नई यें. बीपी, सुगर (ब्लड प्रेशर अऊ शक्कर) के इलाज असान होगे हवय.” येकर बाद घलो, जब हमन दिमागी बीमारी ले जूझत लोगन मन के परिवार करा जाथन, त वो मन बगिया जाथें अऊ हमन ले लड़े ला धरथें, तुमन इहाँ काय सेती आय हव... कऊन तुमन ला कहे रहिस के इहाँ बइहा मइनखे हवय?”
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44 बछर के डी. लिली पुष्पम चेंगलपट्टू तालुक के मनमथी गांव मं सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता आंय. वो ह सेल्वी के बात ले राजी हवंय के दिमागी बीमारी के इलाज ला ले ले गाँव-देहात मं कतको गलत बात हवय. लिली कहिथे, “भारी संदेहा हवय. कुछु लोगन मन सोचथें के डॉक्टर ह मरीज ला अगवा करके मारही पीटही, अतियाचार करही. इलाज सेती आय घलो रहिथें त डेर्रावत रहिथें. हमन वो मन ला अपन आईडी कार्ड दिखाथन, समझाथन के हमन अस्पताल डहर ले आय हवन. फेर वो मन संदेहा के नजर ले देखत रहिथें. हमन ला भारी जूझे ला परथे.”
लिली मनमथी के दलित बस्ती मं पले-बढ़े हवंय. वो ह दलित मन ला इलाका मं होवत भेद भाव ले भरे बेवहार के बारे मं जागरूक करे हवय.कभू-कभू ओकर जात ह मुस्किल खड़े कर देथे. येकरे सेती जब ओकर ले पूछे जाथे त वो ह अपन घर के जगा के नांव ला नई बतायेव. वो ह कहिथे, “गर मंय बतायेंव, त वो मन मोर जात ला जान डरहीं अऊ मोला डर हवय के लोगन मन मोर संग खराब बेवहार करहीं.” लिली ह दलित ईसाई आंय, फेर वो ह सिरिफ ईसाई के रूप मं अपन पहिचान बताथें.
लिली बताथें, हरेक गाँव मं सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता मन के संग अलग अलग बेवहार होथे. वो ह कहिथें, “कुछेक जगा मन मं जिहां ऊंच जात के अमीर मन रहिथें, वो मन हमन ला पिये बर पानी घलो नई देवंय. कभू कभू हमन अतका थक जाथन के हमन ला बस एक जगा बइठ के खाय ला परय, फेर वो मन खाय ला नई देवंय. हमन ला सच्ची मं भारी खराब लागथे. फिर हमन ला कम से कम एक कोस धन ओकर ले जियादा (3-4 किमी) रेंगत जाके बइठे अऊ खाय के जगा खोजे ला परय. फेर कुछु अऊ जगा मन मं वो मन हमन ला पिये बर पानी देथें अऊ इहाँ तक के जब हमन मंझनिया खाय के सेती बइठन त वो मन पूछेंव के काय हमन ला कुछु जिनिस चाही का.”
लिली के बिहाव ओकर फुफेरा भाई ले होय रहिस जब वो ह सिरिफ 12 बछर के रहिस. वो ह ओकर ले 16 बछर बड़े रहिस. वो ह कहिथे, “हमन चार झिन बहिनी हवन, मंय सबले बड़े हवंव.” परिवार तीर 3 सेंत जमीन रहिसज जऊन मं माटी के घर बना ले रहेंव. “मोर ददा चाहत रहिस के कऊनो मनखे ओकर जइदाद के देखरेख करेव अऊ खेती करे मं ओकर मदद करेव. येकरे सेती मोर बिहाव अपन बड़े बहिनी के बेटा ले कर दीस.” बिहाव ले वो ह खुस नई रहिस. ओकर घरवाला ओकर चेत नई धरत रहिस अऊ महिनो तक ले ओकर ले मिले नई आवत रहिस. अऊ जब आवय त ओला मारे पीटे. 2014 मं किडनी के कैंसर ले ओकर परान गीस, अपन पाछू 18 अऊ 14 बछर के दू झिन लइका के जिम्मेवारी छोड़ गीस.
2006 मं जब एससीएआरएफ ह वो ला सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता के नऊकरी के नेवता दीस, वो बखत वो ह सिलाई के बूता करत रहिस. वो ह हफ्ता मं 450-500 रूपिया कमावत रहिस, फेर ये ह ग्राहेक के भरोसा मं रहय. वो ह कहिथे के वो ह स्वास्थ्य कार्यकर्ता येकरे सेती बनिस काबर इहाँ बढ़िया तनखा मिलत रहिस. कोविड-19 ले ओकर महीना के 10,000 रूपिया के आमदनी ऊपर असर करिस. महामारी ले पहिली, वो ला बस भाड़ा अऊ फोन के बिल मिल जावत रहिस. वो ह कहिथे, “फेर कोरोना सेती, दू बछर तक ले मोला अपन फोन बिल अऊ आय-जाय के खरचा अपन ले करे ला परिस. ये भारी मुस्किल रहिस.”
अब, एनएमएचपी के तहत एससीएआरएफ की सामुदायिक परियोजना सिरागे हे, लिली ला डिमेंशिया वाले लोगन मन के परियोजना सेती लेय गे हवय. काम मार्च मं सुरु होईस, वो ह हफ्ता मं एक बेर जाथे. फेर, ये तय करे के सेती के सिज़ोफ्रेनिया के मरीज मन ला इलाज मिलत रहेय, वो ह वो मन ला, कोवलम अऊ सेम्बक्कम के सरकारी अस्पताल मं लेके जावत हवंय.
शांति, सेल्वी अऊ लिली जइसने माइलोगन, जऊन मन सामुदायिक स्वास्थ्य के प्रबंधन मं महत्तम भूमका निभाथें, वो मन ला 4-5 बछर के करार मं बूता करे सेती मजबूर करे जाथे. एससीएआरएफ जइसने एनजीओ के तय परियोजना सेती मिले रकम के हिसाब ले ओकर जइसने मजूर ला रखे जाथे. एससीएआरएफ के पद्मावती कहिथें, “हमन राज सरकार के स्तर ले एक ठन प्रणाली ला बनाय सेती सरकार ले बात करत हवन, जऊन ह मानथे के येकर ले सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता मन के बूता ला व्यवस्थित करे मं मदद मिलही.”
भारत मं दिमागी बीमारी के इलाज सेती बजट मं हाथी के पेट मं सोहारी कस भारी कम पइसा दे गे हवय. 2023-24 मं, स्वास्थ्य अऊ परिवार कल्याण मंत्रालय के मानसिक स्वास्थ्य सेती बजट अनुमान- 919 करोड़ रूपिया हवय जऊन ह केंद्र सरकार के कुल स्वास्थ्य बजट के 1 फीसदी हवय. येकर बड़े हिस्सा 721 करोड़ रूपिये नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो-साइंसेस (NIMHANS), बैंगलोर बर रखे गे हवय. बाकी गोपीनाथ रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ, तेजपुर (64 करोड़ रुपये) अऊ नेशनल टेली-मेंटल हेल्थ प्रोग्राम (134 करोड़ रुपये) ला जाही. येकर छोड़, सरकार के राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम, जेन ह बुनियादी ढांचा अऊ कार्मिक बिकास ऊपर नजर रखथे, ला ये बछर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के ‘तीसर श्रेणी के गतिविधि’ के तहत रखे गे हवय. येकरे सेती तृतीयक स्तर के मानसिक सेहत के देखभाल सेती आवंटन तय करे नई जाय सकय.
येकरे बीच, मनमथी मं लिली पुष्पम अब तक ले अपन हक के सामाजिक सुरक्षा लाभ ला हासिल करे जूझत हवंय. वो ह कहिथे, “गर मोला विधवा पेंशन बर अरजी दे ला हवय, त मोला रिश्वत देय ला परही. मोर करा वो मन ला देय बर 500 धन 1,000 रूपिया घलो नई ये. मंय सूजी (इंजेक्शन) लगाय सकथों, दवई देय सकथों, सलाह देय सकथों अऊ रोगी मन के इलाज के बाद के देखरेख कर सकथों. फेर एससीएआरएफ ला छोड़ के कऊनो जगा मं मोर ये अनुभव के काम नई ये. मोर जिनगी के हरेक दिन आंसू ले भरे हवय. कऊनो हमर मदद करेइय्या नई ये.
फीचर फोटू: शांति शेष
अनुवाद: निर्मल कुमार साहू