जम्मो मीडिया मं दरके ह छाय रहिस. हरेक दिन वो ह चमोली जिला के पहाड़ ऊपर बसे अपन धसकत सहर के बारे मं नवा आंकड़ा के संग छपे कहिनी ला पढ़त रहिस. भरका के फोटू खींचे ला अऊ कस्बा मं होवत विरोध प्रदर्सन ला देखे सेती मीडियावाले मन के सरलग गांव मन मं रेला लगे रहय. बीते हफ्ता जेन बखत वो मन लोगन मन ला अपन घर ला छोड़ के जाय ला कहत रहिन, वो अपन नानकन घर ला छोड़ के जाय ले इंकार कर दे रहिस. जब तक ले वो मन वोला नई निकारतीन, वो ह जवेइय्या नई रहिस. वो ह बिल्कुले घलो डेर्राय नई रहिस.

वो ह गम पागे रहिस के ये भरका मन तऊन आरो जइसने रहिस जऊन ह लालच के रूप धरके टनल के रद्दा ले गांव तक ले खुसर गे रहिस. पहाड़ मन मं नवा प्रोजेक्ट अऊ सड़क सिरिफ उहिच मन येकर जिम्मेवार नई रहिन. कुछु अऊ घलो रहिस, गहिर ले सोचे जाय त ये दुनिया के संग गलत होय रहिस. दरार मन पहिलीच ले उहाँ बन गे रहिन. पहाड़ के कऊनो नार ले झूलत नवा सपना के पाछू भागत, वो मन अपन ला प्रकृति अऊ माटी महतारी ले अलग कर ले रहिन. फेर, ये नार ह जादू वाले रहिस. भरमाय भटकत फिरे के दोस काकर ऊपर मढ़े जातिस?

सुनव प्रतिष्ठा पंड्या के अवाज मं अंगरेजी मं कविता

PHOTO • Labani Jangi

दरार

ये ह एके दिन मं नई होय रहिस.
महीन चुन्दी कस बनेच अकन दरार मन
लुकाय रहिन,
जइसने मुड़ मं पाके पहिली चुन्दी
धन आंखी तरी परत झुर्री जइसने.
गांव अऊ पहाड़, जंगल, नंदिया
के मंझा मं नान-नान दरक
न जाने कब ले रहिन
आंखी मं नजर नई आवत.
जब धीरे-धीरे, सरलग
दरके ह थोकन बड़े होय लगिस, वो ह सोचिस
वो ह अब ले घलो वोला सुधार सकत हवय
छोट कन दीवार देके,
कुछु पलस्तर करके,
ठऊका वइसनेच जइसने लइका जन्माय जाथे
परिवार ला बचाय सेती.

फेर आखिर बड़े बड़े भरका मन आगू निकर गीन,
दरपन जइसने दीवार ले
ओकर मुंह ला घूरत,
निरलज, जिद्दी, बगियाय
नरसिंह भगवान जइसने आंखी ले.

वो ह ओकर अकार, ओकर दिग मन ला जनत रहिस –
तिरछा, ठाढ़, पांव बढ़ावत,
तऊन खास जगा मं जिहां वो ह गेय रहिस –
ईंटा मं भरे मसाला मं,
पलस्तर अऊ जोड़ मं.
नींव के पथरा मं, अऊ जल्देच
सिरिफ जोशीमठ तक ले नई रहिस.
वो ह वोला महामारी कस बगरत देखिस,
पहाड़ के पार, देश मं, सड़क मं
ओकर गोड़ तरी के भूईंय्या भीतरी
मार ले जखम भरे ओकर देह
ओकर आत्मा मं.

अब बनेच बेर हो गे रहिस
अऊ कहूं जाय संभव नई रहिस
देंवता उठके चले गे रहिन.

सुमिरन करे के बखत नई रहिस
बनेच बेरा हो गे रहिस, पुरान सुने के बखत नई रहिस
कुछु घलो बचाय बनेच बेरा होगे रहिस.
वो भरका मन मं घाम भरे बेकार रहिस.
झांझ मं पिघले शालीग्राम जइसने,
बढ़त जावत रहय अंधियार
बगियावत, रिसावत
सब्बो ला लीलत जावत रहिस.

कऊन फेंके रहिस
शराप परे बीजहा ला
घर के पाछू घाटी मं?
वो ह सुरता करे लगीस.
कीरा लाग गे रहिन ये नार मन मं
अऊ येकर जरी बगर गे रहिस अकास मं ?
जहर ले भरे ये नार के ऊपर काकर महल सिरजे सकतिस?
गर वो ह तऊन राछस ले भेंट होय रतिस त चिन्हे सके रतिस?
काय ओकर बाहां मं ताकत बांचे रतिस
टंगिया चलाय के?
अब मुक्ति कहां मिलही?
थक-हार के, वो ह एक बेर अऊ सुते के उदिम करिस,
दूनो आंखी खुल्ला परे
चढ़त-उतरत रहंय
कऊनो सपना जइसने समाधि मं,
अऊ बिजहा के जादूई नार मन
जुन्ना दीवार मन मं जामत जावत रहिन.

अनुवाद: निर्मल कुमार साहू

Pratishtha Pandya

پرتشٹھا پانڈیہ، پاری میں بطور سینئر ایڈیٹر کام کرتی ہیں، اور پاری کے تخلیقی تحریر والے شعبہ کی سربراہ ہیں۔ وہ پاری بھاشا ٹیم کی رکن ہیں اور گجراتی میں اسٹوریز کا ترجمہ اور ایڈیٹنگ کرتی ہیں۔ پرتشٹھا گجراتی اور انگریزی زبان کی شاعرہ بھی ہیں۔

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Illustration : Labani Jangi

لابنی جنگی مغربی بنگال کے ندیا ضلع سے ہیں اور سال ۲۰۲۰ سے پاری کی فیلو ہیں۔ وہ ایک ماہر پینٹر بھی ہیں، اور انہوں نے اس کی کوئی باقاعدہ تربیت نہیں حاصل کی ہے۔ وہ ’سنٹر فار اسٹڈیز اِن سوشل سائنسز‘، کولکاتا سے مزدوروں کی ہجرت کے ایشو پر پی ایچ ڈی لکھ رہی ہیں۔

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Translator : Nirmal Kumar Sahu

Nirmal Kumar Sahu has been associated with journalism for 26 years. He has been a part of the leading and prestigious newspapers of Raipur, Chhattisgarh as an editor. He also has experience of writing-translation in Hindi and Chhattisgarhi, and was the editor of OTV's Hindi digital portal Desh TV for 2 years. He has done his MA in Hindi linguistics, M. Phil, PhD and PG diploma in translation. Currently, Nirmal Kumar Sahu is the Editor-in-Chief of DeshDigital News portal Contact: [email protected]

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