पहाड़-जंगल-और-झरने-हमारे-देवता-हैं

Kalahandi, Odisha

May 26, 2022

‘पहाड़, जंगल और झरने हमारे देवता हैं’

हालांकि ओडिशा के नियामगिरि की पहाड़ियों के आदिवासियों ने 2013 में उत्खनन के ख़िलाफ़ अपनी लड़ाई जीत ली थी, लेकिन उनकी पैतृक ज़मीन पर ख़तरा अभी भी बना हुआ है. आंदोलनकारी और कवि राजकिशोर सुनानी ने हाल-फ़िलहाल आयोजित हुए नियामगिरि उत्सव में इस संकट के बारे में गाकर लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया

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Author

Purusottam Thakur

पुरुषोत्तम ठाकुर, साल 2015 के पारी फ़ेलो रह चुके हैं. वह एक पत्रकार व डॉक्यूमेंट्री फ़िल्ममेकर हैं और फ़िलहाल अज़ीम प्रेमजी फ़ाउंडेशन के लिए काम करते हैं और सामाजिक बदलावों से जुड़ी स्टोरी लिखते हैं.

Translator

Prabhat Milind

प्रभात मिलिंद, शिक्षा: दिल्ली विश्विद्यालय से एम.ए. (इतिहास) की अधूरी पढाई, स्वतंत्र लेखक, अनुवादक और स्तंभकार, विभिन्न विधाओं पर अनुवाद की आठ पुस्तकें प्रकाशित और एक कविता संग्रह प्रकाशनाधीन.