“उगादी उत्सव वइसन कहूं आउर ना मनावल जाए, जइसन हमनी के मेडापुरम में मनाइले,” पासल कोंडन्ना कहले. एह त्योहार के बारे में 82 बरिस के किसान पासल बहुते गर्व आउर श्रद्धा भाव से बात करत बाड़न. उगादी से नया तेलुगु बरिस के सुरुआत मानल जाला. एकरा आंध्र प्रदेस में उनकर गांव के लोग मनावेला.
श्री सत्यसाई जिला के मेडापुरम गांव. इहंवा एह उत्सव के पूरा दारोमदार अनुसूचित जाति के लोग के कान्हा पर रहेला.
उगादी उत्सव एक रात पहिले देवता के मूरित संगे निकले वाला जुलूस से सुरु होखेला. एगो गुफा से मंदिर तक निकले वाला एह यात्रा में भक्त लोग के अगाध श्रद्धा आउर बिस्वास बा. मंदिर के आठ गो संरक्षक परिवार अनुसूचित जाति से आवेला. अइसे, एह आयोजन में प्रमुख भूमिका निभावे वाला मडिगा समुदाय, मेडापुरम में अल्पसंख्यक बा. ओह लोग के आबादी बस 6,641 (2011 के जनगणना) बा.
उत्सव के दिन रंग-बिंरगा तरीका से सजल गाड़ी से गांव में रौनक आ जाला. ई गाड़ी (ट्रैक्टर) उत्सव के प्रतीक के तौर पर मंदिर के चारों ओरी घुमावल जाला. भक्त लोग प्रसाद बांटेला. प्रसाद के सामुदायिक भाईचारा आउर आवे वाला साल खातिर शुभकामना के रूप में देखल जाला. गाड़ी आउर ओकरा पाछू भक्त लोग के जुलूस जइसहीं पूरा होखेला, दुपहरिया में पंजु सेवा के रीत सुरु हो जाला. एह सेवा में भक्त लोग ओह रस्ता के शुद्ध करेला, जहंवा से एक रात पहिले जुलूस निकलल रहे.
मूरति के गांव में लावे के कहानी दोहराइल जाला. उल्लास आउर भक्ति भाव के प्रतीक ई त्योहार मडिगा समुदाय के संघर्ष के इयाद दिलावेला.
अनुवाद: स्वर्ण कांता