झारखंड के परहिया, माल पहाड़िया और सबर आदिवासी वाचिक परंपराओं से लिखित शब्दों की ओर बढ़ रहे हैं और संकटों से घिरी अपनी भाषा को बचाने के लिए वर्णमाला व व्याकरण की किताबें तैयार कर रहे हैं. पेश है विश्व आदिवासी दिवस पर पारी की ‘लुप्तप्राय भाषा परियोजना’ के तहत स्टोरी
देवेश एक कवि, पत्रकार, फ़िल्ममेकर, और अनुवादक हैं. वह पीपल्स आर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया के हिन्दी एडिटर हैं और बतौर ‘ट्रांसलेशंस एडिटर: हिन्दी’ भी काम करते हैं.
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Ritu Sharma
ऋतु शर्मा, पारी की लुप्तप्राय भाषाओं की संपादक हैं. उन्होंने भाषा विज्ञान में परास्नातक की पढ़ाई है, और भारत में बोली जाने वाली भाषाओं को संरक्षित और पुनर्जीवित करने की दिशा में कार्यरत हैं.