एगो कवि आपन दुविधा पंचमहाली भीली में जाहिर करत बाड़न. कवि सोचत बाड़न जवन शहर पलायन करे के मजबूर कइलक, ओकर हाशिया पर रह के घुटन में जियत रहे के चाहीं कि आपन गांव लउट जाए के चाहीं?
गुजरात के दाहोद में रहे वाला कवि वजेसिंह पारगी गुजराती आउर पंचमहाली भीली में लिखेनी. “जाकल ना मोती” आ “अगियानुन अजवालुन” नाम के उनकर दु गो कविता संग्रह प्रकाशित भइल बा. उहां के एक दशक से जादे से ‘नवजीवन प्रेस’ खातिर प्रूफ-रीडर के काम कर रहल बानी.
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Labani Jangi
लाबनी जंगी पश्चिम बंगाल के नदिया जिला के रहे वाली बारी, आ 2020 से पारी के फेलो हई. ऊ एगो नीमन पेंटरो बारी, एह खातिर लाबनी कवनो औपचारिक पढ़ाई नइखी कइले. उहां के कोलकाता के ‘सेंटर फॉर स्टडीज इन सोशल साइंसेज’ में मजदूरन के पलायन पर पीएचडी लिख रहल बानी.