लॉकडाउन ने भारत में पुराने ज़माने से होती आ रही प्रवासी मज़दूरों के अधिकारों की क्रूर अवहेलना को उजागर किया है – इन लाखों लोगों को हमारी दिखावटी चिंता की नहीं, बल्कि संपूर्ण न्याय की ज़रूरत है, यही बता रहा है इंडिया टुडे में प्रकाशित हो चुका यह लेख
पी. साईनाथ, पीपल्स ऑर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया के संस्थापक संपादक हैं. वह दशकों से ग्रामीण भारत की समस्याओं की रिपोर्टिंग करते रहे हैं और उन्होंने ‘एवरीबडी लव्स अ गुड ड्रॉट’ तथा 'द लास्ट हीरोज़: फ़ुट सोल्ज़र्स ऑफ़ इंडियन फ़्रीडम' नामक किताबें भी लिखी हैं.
See more stories
Translator
Qamar Siddique
क़मर सिद्दीक़ी, पीपुल्स आर्काइव ऑफ़ रुरल इंडिया के ट्रांसलेशन्स एडिटर, उर्दू, हैं। वह दिल्ली स्थित एक पत्रकार हैं।