महिलाओं के ख़िलाफ़ होने वाले अपराध कई रूपों में सामने आते हैं, यौन और जेंडर आधारित हिंसा (एसजीबीवी) पर केंद्रित ये कहानियां हमें यही बताती हैं. इनमें सेक्स वर्क, पलायन, जेंडर पुष्टिकरण सर्जरी और एक महिला पुलिसकर्मी की अपने ही वरिष्ठ अधिकारियों के ख़िलाफ़ न्याय की लड़ाई जैसे विषय शामिल हैं. इन सभी मसलों के पीछे पितृसत्तात्मक सोच छिपी है, जो यह तय करना चाहती है कि महिलाएं कैसे रहें और जिएं. इन कहानियों में, महिलाओं के ख़िलाफ़ होने वाली हिंसा के सामान्यीकरण और ‘प्यार’ में फंसाकर युवा लड़कियों की तस्करी जैसे मामले भी सामने आते हैं. इन मामलों में क़ानून क्या कहता है और उसके पालन में कितना समय लगता है, इन सभी मुद्दों का भी जेंडर आधारित अपराध के संदर्भ में उल्लेख किया गया है. मेडेसिन्स सैन्स फ्रंटियर्स (एमएसएफ़)/डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स, इंडिया के साथ पारी की एक छोटी शृंखला