अंगरेजन से आजादी के लड़ाई में अइसनो घड़ी आइल, जब कुछुओ साफ ना लउकत रहे. हमनी के कहल जाए, तू लोग फिरंगियन से पार ना पइब, तोहर लोग के लड़ाई दुनिया के सबले बरियार साम्राज्य के खिलाफ बा... बाकिर हमनी कबो एह तरह के चेतवला, चाहे धमकवला पर कान ना देनी आउर लड़त गइनी. एहि से आज हमनी आजाद बानी

आर. नल्लाकन्नु

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“पियर बक्सा खातिर भोट करीं!” नारा गूंजे लागल. “शुभ मंजाल पेटी चुनीं!”

अंगरेजन के राज में सन् 1937 में हर प्रांत में चुनाव भइल. ई नजारा मद्रास प्रेसीडेंसी के बा.

ढोलक बजावत नयका उमिर के लइकन सभ के टोली नारा लगावत रहे. एह में से जादे लइका लोग मतदान करे के कानूनी उमिर से छोट रहे. अइसे, त जदि ओह लोग के उमिर जादे होखबो करित, त ऊ लोग भोट ना डाल सकत रहे. ओह घरिया सभे बालिग लोग के भोटिंग के अधिकार ना रहे.

भोट देवे के अधिकार पर पाबंदी से जमीन आ जायदाद के मालिक, आउर गांव-देहात के धनी किसान लोग के फायदा भइल.

भोट देवे के अधिकार ना रखे वाला नौजवान लोग के जोर-शोर से प्रचार करत देखल कवनो नया बात ना रहे.

जुलाई 1935 के सुरु में, जस्टिस- अखबार आ जस्टिस पार्टी के एगो हिस्सा- बहुते कड़ुआ, आ खरा-खरा लिखलस:

कवनो गांव चल जाईं, इहंवा ले कि एकदम भीतरी इलाको में रउआ खद्दर के वरदी आउर गान्ही (गांधी) टोपी पहिनले, तिरंगा झंडा उठवले कांग्रेस के चुलबुल छौंड़न (किशोर युवा) सभ के टोली जरूर मिल जाई. एह में मोटा-मोटी अस्सी प्रतिशत कार्यकर्ता आ स्वयंसेवक, शहरी आ ग्रामीण क्षेत्र से आवे वाला मताधिकार, संपत्ति आउर रोजगार के अधिकार से वंचित लइका लोग देखाई दीही.

सन् 1937 में, नौजवान के ओह टोली में आर. नल्लाकन्नु भी रहस. ओह घरिया ऊ मात्र 12 बरिस के रहस. अब सन् 2022 में 97 के हो चुकल बाड़न आउर हमनी के ओह दौर के बारे में बता रहल बाड़न. संगही ऊ एह बात पर हंसतो बाड़न कि ओह ‘चुलबुल छौंड़न’ में उहो एगो रहस. ऊ इयाद करत बाड़न, “ओह घरिया जेकरा लगे जमीन होखत रहे आउर जे दस रुपइया, चाहे ओकरा से अधिक कर चुकावत रहे, सिरिफ उहे भोट दे सकत रहे.” सन् 1937 के चुनाव में भोट देवे के अधिकार (मताधिकार) में तनी-मनी इजाफा भइल. ऊ कहेलन, बाकिर “अइसन कबो ना भइल कि 15-20 प्रतिशत से जादे बालिग लोग के भोट देवे के हक मिल गइल होखे. कवनो निर्वाचन क्षेत्र में, जादे से जादे एक हजार, चाहे बहुत भइल, त दू हजार लोग भोट देले होई.”

R. Nallakannu's initiation into struggles for justice and freedom began in early childhood when he joined demonstrations of solidarity with the mill workers' strike in Thoothukudi
PHOTO • M. Palani Kumar

आर. नल्लाकन्नु त न्याय आउर आजादी खातिर लरिकाइए में लड़े के सुरु कर देलन, जब ऊ तूतुकुड़ी में भइल कारखाना मजूर हड़ताल में एकजुटता देखावे खातिर शामिल हो गइलन

नल्लाकन्नु के जनम श्रीबैकुंठम में भइल. एकरा बाद ऊ तिरुनेलवेली रहे लगलन. आज श्रीबैकुंठम के नाता तमिलनाडु के तूतुकुड़ी जिला से बा (जेकरा 1997 ले तूतीकोरन पुकारल जात रहे).

अइसे, नल्लाकन्नु लरिकाइए में आंदोलन में सक्रिय हो गइल रहस.

“हम लइका रहीं, तबे से. हमार शहर लगे तूतुकुड़ी में मिल मजूर लोग हड़ताल कर देले रहे. ऊ मिल हार्वे मिल समूह के हिस्सा रहे. बाद में एह हड़ताल के पंचलई (कॉटन मिल) मजूर के हड़ताल के नाम से जानल गइल.”

“ओह घरिया एह मजूर लोग के मदद खातिर हमनी शहर में घरे-घरे चाउर इकट्ठा करे जाईं आउर एकरा बक्सा में डालके तूतुकुड़ी में हड़ताल पर बइठल परिवार ले पहुंचाईं. हमनी जइसन छौंड़ा लोग भाग-भाग के चाउर जमा करे.” तवन घरिया गरीबी अपना चरम पर रहे, “बाकिर तबो लोग आपन सामर्थ्य के हिसाब से कुछ ना कुछ सहजोग कइलक. हम मात्र 5 चाहे 6 बरिस के होखम. मजूरन के संघर्ष संगे लोग के एह तरह के जुड़ाव आउर एकजुटता हमरा पर गहिर असर डललक. एहि चलते कमे उमिर में राजनीतिक कार्रवाई सभ से हमार जुड़ाव हो गइल.”

हमनी 1937 के चुनावन के बात छेड़नी. पूछनी: मंजाल पेटी, चाहे पियर बक्सा खातिर भोट करे के का माने रहे?

ऊ बतइलन, “तवन घरिया मद्रास में दुइए गो पार्टी रहे, कांग्रेस आउर जस्टिस पार्टी. चुनाव चिह्न के बजाय मतदान पेटी के रंग से पार्टी पहचानल जात रहे. कांग्रेस, जेकरा खातिर हमनी ओह घरिया प्रचार कइनी, ओकरा पियर बक्सा देवल गइल रहे. जस्टिस पार्टी के हरियर पच्चई पेटी देवल गइल रहे. एकरा से भोट देवे वाला आम जनता के पार्टी के पहिचाने में आसानी होखत रहे.”

आउर हां, उहो घरिया चुनाव खूब रंग-बिरंगा होखत रहे, आउर ड्रामा भी भरपूर होखत रहे. द हिंदू लिखत बा, “देवदासी प्रचारक तंजवुर कमुकन्नल... सभे मतदाता के ‘सुंघनी के डिब्बा’ पर आपन भोट देवे खातिर कहिहन!” ओह घरिया सुंघनी (तंबाकू) के डिब्बा चमकीला, चाहे पियर होखत रहे. ‘द हिंदू’ भी पाठक लोग खातिर ‘पियर बक्सा भरीं’ शीर्षक से खबर चलइले रहे.

“आउर कवनो शक ना रहे कि हम ओह घरिया सिरिफ 12 बरिस क रहीं, एहि से भोट ना दे सकत रहीं. बाकिर हम चुनाव प्रचार में जम के हिस्सा लेनी,” नल्लाकन्नु कहलन. तीन बरिस बाद, ऊ चुनाव के अलावे राजनीतिक अभियान सभ में भी हिस्सा लेवे लगलन. ‘पराई’ (एक तरहा के ढोल) बजावे आउर नारा लगावे लगलन.

Nallakannu with T. K. Rangarajan, G. Ramakrishnan and P. Sampath of the CPI(M). Known as ‘Comrade RNK’, he emerged as a top leader of the Communist movement in Tamil Nadu at quite a young age
PHOTO • PARI: Speical arrangement

नल्लाकन्नु सीपीआई (एम) के टी.के. रंगराजन, जी. रामकृष्णन आउर पी. संपत संगे. ‘कॉमरेड आरएनके’ के रूप में मसहूर, ऊ बहुते काचे उमिर में तमिलनाडु के कम्युनिस्ट आंदोलन में जबर नेता के रूप में उभरलन

बाकिर अब ऊ कांग्रेस समर्थक ना रह गइल रहस. आपन संगतियन लोग के ‘कॉमरेड आरएनके’ माने नल्लाकन्नु कहेलन, “हम पंद्रह बरिस के उमिर से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) से जुड़ गइल रहीं.” उनका बालिग होखे तक पार्टी के औपचारिक सदस्यता मिले के इंतजारी ताके पड़ल. बाकिर आरएनके अगिला कुछ दशकन में तमिलनाडु में कम्युनिस्ट आंदोलन के सबले प्रभावी चेहरा में से एगो बनके उभरलन. अब ऊ लोग से सेंगोडी (लाल झंडा) संगे आवे के कहस, न कि मंजाल पेटी (पियर बक्सा) खातिर. आउर ऊ एह में अक्सरहा सफलो रहस.

*****

“तिरुनेलवेली में जवन ओरी हमनी रहत रहीं, उहंवा खाली एगो स्कूल रहे. लोग ओकरा बस ‘स्कूले’ कहत रहे. ओकर इहे नाम रहे.”

नल्लाकन्नु, चेन्नई में आपन घर में बनल एगो छोट दफ्तर में बइठके हमनी से बतियावत बाड़न. उनका बगल में, टेबुल पर कइएक छोट-छोट मूरति आउर प्रतिमा राखल बा. ठीक बगल में लेनिन, मार्क्स आउर पेरियार के मूरति बा. उनका पाछू, आंबेडकर के चमकीला रंग के एगो छोट प्रतिमा बा. ई तमिल क्रांतिकारी कवि सुब्रमण्यम भारती के एगो बड़ स्केच (रेखाचित्र) के सोझे रखल बा. एह स्केच में भगत सिंह, राजगुरु आ सुखदेव लोग संगे बा. आउर एह सबले आगू एगो कैलेंडर टांगल बा, ओह पर लिखल बा ‘पानी कम खरचीं’.

नल्लाकन्नु के साइडबोर्ड पर राखल छोट प्रतिमा, मूरति आउर स्केच एक नजर में हमनी के उनकर बौद्धिक इतिहास बता रहल बा. हमनी तेसर बेर उनकर इंटरव्यू लेत रहीं. आज 25 जून, 2022 बा. एकरा पहिले 2019 में उनकर इंटरव्यू लेवल गइल रहे.

नल्लाकन्नु कहेलन, “भरतियार रस्ता देखावे वाला सबले बड़ कवि बुझालन. बाकिर उनकर कविता आउर गीत सभ पर अक्सरहा पाबंदी लगा देवल जात रहे.” ऊ उनकर एगो कास गीत ‘सुतंतिरा पल्लु (स्वतंत्रता गीत)’ के कुछ पंक्ति के जिकिर करत बाड़न. ऊ कहत बाड़न, “जहंवा ले हमरा इयाद बा, ऊ करा 1909 में लिखले रहस. आउर एह तरह ऊ 1947 से 38 बरिस पहिलहीं आजादी मिले के जश्न मनावत रहस!”

हमनी त नाचम, हमनी त गायम
काहेकि हमनी के आजादी के खुसी मिलल बा
ऊ जुग जमाना बीत गइल जब बामन के सर बोलात रहे,
ऊ जुग जमाना बीत गइल जब फिरंगियन के मालिक बोलात रहे,
ऊ जुग जमाना बीत गइल जब लूटे वाला के सलाम ठोके पड़त रहे,
ऊ जुग जमाना बीत गइल जब हंसी उड़ावे वाला के सेवा करे के पड़त रहे.
अब त कोना-कोना में चाह उठल बा आजादी के...

The busts, statuettes and sketches on Nallakanu’s sideboard tell us this freedom fighter’s intellectual history at a glance
PHOTO • P. Sainath

नल्लाकन्नु के साइडबोर्ड पर राखल छोट प्रतिमा, मूरति आउर स्केच एक नजर में उनकर बौद्धिक इतिहास के झलक दे देवेला

नल्लाकन्नु के जनम से चार बरिस पहिले, साल 1921 में भारती गुजर गइलन. उनकर ई गीत त ओकरो से बहुत पहिले लिखल गइल रहे. बाकिर एह गीत आउर उनकर दोसर कविता सभ से नल्लाकन्नु के आपन संघर्ष के दिन में प्रेरणा मिलल. आरएनके बारहो बरिस के ना भइल रहस, बाकिर भारती के कइएक गो गीत आ कविता सभ उनका कंठस्थ हो गइल रहे. उनका आजो कुछ छंद आ गीत के बोल हूबहू इयाद बा. उ कहेलन, “हम त कुछ कविता आउर गीत स्कूल में हिंदी के पंडित पल्लवेसम चेट्टियार से सिखले रहीं.” आउर हां, ओह में से कवनो कविता स्कूल के सिलेबस में ना रहे.

“एस. सत्यमूरति जब स्कूल अइलन, त उहो हमरा भरतियार के लिखल एगो किताब भेंट कइलन. इ उनकर कविता संग्रह तेसिया गीतम रहे.” सत्यमूरति स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ आउर कला के संरक्षक रहस. भारती, रूस में 1917 में भइल अक्टूबर क्रांति के समर्थन देवे वाला सुरुआती लोग में से रहस. ऊ एकर प्रशंसा में एगो गीतो लिखले रहस.

भारती के प्रति नल्लाकन्नु के प्यार आउर आठ दशक ले कृषि आ मजूर वर्ग खातिर उनकर संघर्ष से नल्लाकन्नु के समझल आसान बुझाला.

ना त ‘कॉमरेड आरएनके’ के कहानी बता पावल सांचो मुस्किल बा. हम अबले जेतना भी लोग से भेंट कइनी, ओकरा में ऊ सबले जादे सीधा आउर लजपोकर बाड़न. ऊ जेतना आसानी से ऐतिहासिक घटना, आंदोलन आउर संघर्ष सभ के बारे में बतावेलन, ओतने सिधाई (शालीनता) से अपना के एह सभ के श्रेय देवे से मना कर देवेलन. अइसे, त एह में से कइएक घटना आउर आंदोलन में उनकर महत्वपूर्ण आ केंद्रीय भूमिका रहल बा. बाकिर ऊ कबो एह सभ के बारे में बतियावे घरिया आपन पीठ ना थपथपावस.

जे. रामकृष्णन कहले, “कॉमरेड आरएनके हमनी के राज्य में किसान आंदोलन सुरु करे वाला नेता लोग में से बाड़न.” ‘जीआर’ (जे.रामकृष्णन), सीपीआई (एम) के राज्य कार्यकारिणी के सदस्य बाड़न. एह 97 बरिस के सीपीआई नेता के भूमिका आउर समाज में उनकर योगदान सराहनीय बा. जवानी से अबले, दशकन से ऊ श्रीनिवास राव संगे मिलके पूरा राज्य में किसान सभा के गठन कइले बाड़न. ई सभा सभ आजो वामपंथ के मजबूत बुनियाद बनल बा. पूरा तमिलनाडु में एकरा ठाड़ करे खातिर नल्लाकन्नु कमरतुड़ मिहनत कइलन आउर सउंसे तमिलनाडु में हर तरह के अभियान आ आंदोलन कइलन.

किसानन के संघर्ष के उपनिवेश-विरोधी आंदोलन से जोड़े खातिर नल्लाकन्नु बहुते मिहनत कइलन. इहे ना, ऊ एह आंदोलन के ओह घरिया के तमिलनाडु के सबले जरूरी लड़ाई में से एगो, सामंतवाद-विरोधी लड़ाई संगे जोड़लन. सन् 1947 के बादो सामंतवाद समस्या बनल रहल. ऊ तबो ओकरा खिलाफ लड़लन, आउर आजो लड़ रहल बाड़न. आउर हर तरह के आजादी खातिर प्रयासरत बाड़न. सिरिफ फिरंगियन से आजादी लेवल उनकर एकमात्र मकसद ना रहे.

Left: Nallakannu with P. Sainath at his home on December 12, 2022 after the release of The Last Heroes where this story was first featured .
PHOTO • Kavitha Muralidharan
Right: Nallakannu with his daughter Dr. Andal
PHOTO • P. Sainath

बावां: बारह दिसंबर, 2022 के ‘द लास्ट हीरोज’, जेमें ई कहानी पहिल बरे आइल रहे, के छपला के बाद पी. साईनाथ संगे नल्लाकन्नु. दहिना: नल्लाकन्नु आपन लइकी डॉ. अंडाल संगे

“हमनी ओह लोग से रात में लड़ीं, पत्थर फेंकी. इहे हमनी के हथियार रहे. एकरे से ओह लोग के खदेड़ देत रहीं. कबो-कबो त खूब मारपीट मच जात रहे. 1940 के दसक में होखे वाला विरोध प्रदर्शन के दौरान अइसन कइएक बेर बइल. हम ओह घरिया जवान रहीं, आउर हम ओह लोग से लड़नी. हमनी दिन-रात आपन हथियारन संगे उनका से लड़ाई कइनी!”

केकरा से लड़नी? आउर केकरा, कहंवा से भगइनी?

“हमार सहर लगे उप्पलम (नीमक के खेत) से. नीमक के सभे खेत पर अंगरेजन के कब्जा रहे. उहंवा के मजूर सभ के हालत देखे लायक ना रहे, एकदम मिल मजूर जेका. उहंवा दसकन पहिले लड़ाई सुरु हो चुकल रहे. विरोध प्रदर्शन होखत रहत रहे. उनका जनता के बहुते सहानुभूति आउर साथ हासिल रहे.”

“बाकिर पुलिस एह सबके बीच, नीमक के खेत मालिक के दलाली कइलक. एक बेरा झड़प में एगो सब-इंस्पेक्टर मारल गइल. इहंवा ले कि लोग उहंवा के थाना पर भी हमला बोल देलक. एकरा बाद, गश्त लगावे वाला पुलिस टुकड़ी बनावल गइल. ऊ लोग दिन में नीमक के खेत ओरी जाए आउर रात में हमनी के गांवन लगे डेरा डाले. आउर एहि सभ के बीच हमनी से ओह लोग के भिड़ंत हो जाए.”

अइसन विरोध प्रदर्शन आउर झड़प कुछेक साल, चाहे कहीं एकरो से जादे समय ले चलत रहल. “बाकिर सन् 1942 के आसपास आउर भारत छोड़ो आंदोलन के सुरु होखते, एकरा में तेजी आ गइल.”

Despite being one of the founders of the farmer's movement in Tamil Nadu who led agrarian and working class struggles for eight long decades, 97-year-old Nallakannu remains the most self-effacing leader
PHOTO • PARI: Speical arrangement
Despite being one of the founders of the farmer's movement in Tamil Nadu who led agrarian and working class struggles for eight long decades, 97-year-old Nallakannu remains the most self-effacing leader
PHOTO • M. Palani Kumar

अस्सी बरिस ले किसान आ मजूर के संघर्ष के अगुआई करे वाला, आउर तमिलनाडु में किसान आंदोलन सुरु करे वाला में से एगो होखला के बादो, 97 बरिस के नल्लाकन्नु बहुते सूधा नेता बानी

किसोर उमिर में नल्लाकन्नु के आंदोलन सभ में भाग लेवल उनकर बाऊजी रामासामी तेवर के ना सुहात रहे. तेवर लगे 4-5 एकड़ जमीन रहे. उनकर छव ठो बच्चा रहे. जवान आरएनके के घर पर अक्सरहा दंड मिलत रहे. कबो कबो त उनकर बाऊजी उनकर स्कूल के फीस भरे से मना कर देवस.

“लोगवा कहे- तोहार लइका पढ़ाई ना करे? ऊ हरमेसा बाहरे रहेला आउर चिचियात रहेला.”

“जइसे-जइसे फीस भरे के समय आवे लागे, बाऊजी के कवनो ना कवनो हित-कुटुंब उनका मना लेवे. उनका भरोसा देवे कि अब हम सुध जाएम आउर अइसन काम ना करम. तब जाके ऊ हमार फीस भरस.”

अइसे, “ऊ हमार रहन-सहन आउर तरीका के जेतना बिरोध कइलन, उनका संगे हमार मतभेद गहिर होखत चल गइल. हम मदुरई के द हिंदू कॉलेज से तमिल में इंटरमीडिएट कइनी. ई कॉलेज ठीक तिरुनेलवेली जंक्शन लगे पड़त रहे. बाकिर एकरा हिंदू कॉलेज कहल जात रहे. हम उहंवा दू बरिस ले पढ़नी आउर फेरु पढ़ाई छोड़ देनी.”

काहेकि उनकर समय सभ विरोध प्रदर्शन में बीते लागल. वइसे त ऊ एकर श्रेय ना लेवे के चाहत बाड़न. बाकिर कहल गलत ना होई कि ऊ अइसन विरोध प्रदर्शन के अगुआई सुरु कर देले रहस. आरएनके तेजी से एगो युवा नेता के रूप में उभरत रहस. बाकिर ऊ अपने से कबो कवनो ऊंच पद ना मांगलन, जहंवा ले हो सकल एकरा से बचलन.

The spirit of this freedom fighter was shaped by the lives and writings of Lenin, Marx, Periyar, Ambedkar, Bhagat Singh and others. Even today Nallakannu recalls lines from songs and poems by the revolutionary Tamil poet Subramania Bharti, which were often banned
PHOTO • PARI: Speical arrangement
The spirit of this freedom fighter was shaped by the lives and writings of Lenin, Marx, Periyar, Ambedkar, Bhagat Singh and others. Even today Nallakannu recalls lines from songs and poems by the revolutionary Tamil poet Subramania Bharti, which were often banned
PHOTO • PARI: Speical arrangement

लेनिन, मार्क्स, पेरियार, आंबेडकर, भगत सिंह जइसन लोग के जिनगी आउर लेखन आजादी के एह सिपाही के भावना के आकार देलक. नल्लाकन्नु के आजो क्रांतिकारी तमिल कवि सुब्रमण्यम भारती के गीत आ कविता के पंक्ति हूबहू इयाद बा, जेकरा पर अक्सरहा रोक लगा देवल जात रहे

ऊ जवनो घटना आ आंदोलन में शामिल रहले, ओह सभ पर कालक्रम के हिसाब से नजर डालल मुस्किल बा. एकर सबले बड़ कारण ई बा कि ऊ एतना जादे मोरचा आउर अलग-अलग आंदोलन सभ में हिस्सा लेलन कि ओकर गिनती मुस्किल बा.

स्वतंत्रता संग्राम के दौर के सबले महत्वपूर्ण घड़ी के बारे में ऊ अपने बतावत बानी: ‘भारत छोड़ो आंदोलन के लड़ाई.’ ओह घरिया ऊ 17 बरिस के भी ना रहस. बाकिर विरोध प्रदर्शन में अगाड़ी रहत रहस. मोटा-मोटी 12 से 15 बरिस के बीच के समय उनका खातिर कांग्रेसी से कम्युनिस्ट बने के समय रहे.

रउआ कवना तरह के प्रतिरोध सभा के हिस्सा बननी, ओकरा आयोजित करे में मदद कइऩी?

सुरु सुरु में, “हमनी लगे टीन से बनल भोंपू रहत रहे. कवनो गांव, चाहे कस्बा में कहूं भी टेबुल-कुरसी लगा देवल जाए आउर गीत-नाद होखे लागे. टेबुल पर हमनी स्पीकर के ठाड़ कर दीहीं आउर लोग के संबोधित करीं. आउर एतना बता दीहीं, लोग के भीड़ जुट जात रहे.” एक बार फेरो, नल्लाकन्नु लोग के संगठित करे में आपन अहम भूमिका के बारे में जादे ना बतइलन. अइसे, उनका जइसन पैदल सैनिक चलते ही ई सभ हो पावत रहे.

“बाद में जीवनंदम जइसन वक्ता लोग ओह टेबुल पर ठाड़ होखे आउर उहंवा बड़ तादाद में जमल भीड़ के संबोधित करे. एकरा खातिर ओह लोग के माइको के जरूरत ना पड़त रहे.”

“बाद में हमनी के नीमन माइक आ लाउडस्पीकरो मिले लागल. ओह में एगो माइक हमरा बहुते नीमन लागत रहे. ओकरा लोग ‘शिकागो माइक’, चाहे ‘शिकागो रेडियो सिस्टम’ कहे. बाकिर हमनी ओकर खरचा ना उठा पावत रहीं.”

RNK has been a low-key foot soldier. Even after playing a huge role as a leader in many of the important battles of farmers and labourers from 1940s to 1960s and beyond, he refrains from drawing attention to his own contributions
PHOTO • M. Palani Kumar
RNK has been a low-key foot soldier. Even after playing a huge role as a leader in many of the important battles of farmers and labourers from 1940s to 1960s and beyond, he refrains from drawing attention to his own contributions
PHOTO • M. Palani Kumar

आरएनके बहुते शांत आ सूधा स्वभाव वाला पैदल सिपाही रहस. 1940 से 1960 के दसक आउर एकरा बाद के किसान आ मजूर से जुड़ल कइएक लडाई में एगो नेता के रूप में अगाड़ी भूमिका निभवला के बादो ऊ अपना योगदान गिनावे से बचेलन

ब्रितानी हुकूमत जब आंदोलन दबावे खातिर कठोर कार्रवाई करे, तब का होखत रहे? ऊ लोग आम जनता से संवाद कइसे करत रहे?

“अइसन केतना बेरा भइल. जइसे रॉयल इंडियन नेवी (आरआईए) विद्रोह (1946) के बाद. कम्युनिस्ट लोग पर पूरा तरह से नकेल कस देवल गइल रहे. बाकिर पहिलहूं छापामारी होखत रहत रहे. कबो-कबो त फिरंगी सभ गांवन में पार्टी के एक-एक कार्यालय के तलाशी लेवे. आजादी के बादो अइसन भइल, जब पार्टी पर प्रतिबंध लगा देवल गइल रहे. हमनी पत्रिका आउर अखबार निकालत रहत रहीं. जइसे जनशक्ति. बाकिर हमनी लगे आपन बात एक-दोसरा तक पहुंचावे के कइएक गो दोसर साधन आ तरीका रहे. आउर ओह में से कुछ त सदियन पुरान रहे.”

‘कट्टबोम्मन (अठारहवां शताब्दी के महान ब्रितानी विरोधी सेनानी) घरिया लोग घर में घुसे वाला दरवाजा पर नीम के टहनी टांग देत रहे. एकर मतलब इहंवा केकरो चेचक, चाहे दोसर बेमारी भइल बा. संगही, ई गुप्त संकेत होखत रहे कि इहंवा कवनो बैठक चल रहल बा.’

“जदि घर के भीतर से कवनो बच्चा के रोवे के आवाज आवत बा, त एकर मतलब बइठकी अबहियो चल रहल बा. जदि दरवाजा पर गील गोबर पड़ल बा, त मतलब बइठकी अबही खतम नइखे भइल. गोबर सूखल बा, त मतलब आसपास खतरा बा आउर इहंवा से दूर भाग जा. चाहे ई कि बैठक अब खतम हो गइल बा.”

आरएनके खातिर, स्वतंत्रता संग्राम में सबले बड़ प्रेरणास्रोत का रहे?

“कम्युनिस्ट पार्टी सबले बड़ रास्ता देखावे वाला रहे.”

Nallakannu remained at the forefront of many battles, including the freedom movement, social reform movements and the anti-feudal struggles. Being felicitated (right) by comrades and friends in Chennai
PHOTO • PARI: Speical arrangement
Nallakannu remained at the forefront of many battles, including the freedom movement, social reform movements and the anti-feudal struggles. Being felicitated (right) by comrades and friends in Chennai
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नल्लाकन्नु आजादी, सामाजिक सुधार आउर सामंतवाद बिरोधी आंदोलन सहित कइएक लड़ाई में सबले आगू रहलन. चेन्नई में संगतिया आउर कॉमरेड लोग के हाथन सम्मानित (दहिना) हो रहल बाड़न

*****

“गिरफ्तार कइल गइल, त हम आपन मोंछ (मूंछ) काहे मुड़वा लेनी?” आरएनके हंसे लगलन. “हम कबो अइसन ना कइनी. आउर ना ही कबो चेहरा लुकावे खातिर मोंछ उगइनी. जदि एकरा से चेहरा लुकावे के होखित, त हम उगइबे काहे करतीं?”

“पुलिस एकरा सिगरेट से जरा देले रहे. मद्रास के एगो इंस्पेकटर रहे, कृष्णमूरति. ऊ यातना देवे के क्रम में हमार मूंछ जरा देलक. रात के 2 बाजल रहे. ऊ हमार हाथ बांध देलक आउर फेरो अगिला दिन भोरे 10 बजे खोललक. फेरु ऊ हमरा गोजी (डंडा) से खूब पिटलक.”

एक बार फेरु, आजादी के दोसर सिपाही लोग जेका, ऊ एह घटना के कवनो तरह के निजी द्वेष के बिना इयाद कइलन. ओह इंस्पेक्टर के प्रति उनकर मन में कवनो खटास ना रहे. आरएनके कबो ओह दिन के बदला लेवे के ना सोचलन.

ऊ इयाद करत कहत बाड़न, “असल में ई घटना भारत के आजादी मिले के बाद, 1948 के रहे. मद्रास संगे कइएक प्रांत में हमनी के पार्टी पर रोक लगा देवल गइल रहे. सन् 1951 ले अइसने चलल.”

Nallakannu remains calm and sanguine about the scary state of politics in the country – 'we've seen worse,' he tells us
PHOTO • M. Palani Kumar

देस में राजनीति के डेरावना स्थिति के लेके नल्लाकन्नु में कवनो तरह के बेचैनी, चाहे निरासा नइखे लउकत. ऊ बतइलन, हमनी एकरो से बदतर स्थिति देखले बानी

“बाकिर अइसन समझीं कि सामंतवाद-विरोधी लड़ाई अबही खतम ना भइल रहे. ओकर कीमत हमनी के चुकावे पड़ल. सामंतवाद बिरोधी लड़ाई 1947 से बहुत पहिले सुरु हो गइल रहे आउर आजादी के बादो चलत रहल.”

“आजादी के आंदोलन, समाज सुधार, सामंतवाद-विरोधी आंदोलन- हमनी एह तीनों खातिर आंदोलन करत रहीं.”

हमनी अच्छा आउर समान बेतन खातिर लड़ाई कइनी. हमनी छुआछूत खतम करे खातिर लड़नी. मंदिर में घुसे खातिर होखे वाला आंदोलन में गहिर भूमिका निभइनी.

तमिलनाडु में जमींदारी प्रथा खतम करे के अभियान एगो प्रमुख आंदोलन रहे. राज्य में कइएक बड़का आ जरूरी जमींदारी सभ रहे. हमनी मिरासदारी (दादा-परदादा लोग से वसीयत में मिलल जमीन) आउर ईनामदारी (शासक ओरी से लोग, चाहे संस्थान के मुफत में मिलल जमीन) प्रणाली के खिलाफ लड़ाई लड़नी. कम्युनिस्टे एह सभ संघर्ष में सबले आगू रहे. हमनी सामने बड़-बड़ जमींदार लोग रहे आउर ओह लोग संगे ओह लोग के हथियारबंद गुंडा आउर ठग लोग भी रहत रहे.

“पुन्नियूर सांबशिव अय्यर, नेडुमनप सामियप्पा मुतलियार, पूंडि वांडियार जइसन जमींदार लोग रहे. ओह लोग लगे हजारन एकड़ के उपजाऊ जमीन रहे.”

हमनी इतिहास के एगो लुभावे वाला कक्षा में बइठल रहीं. आउर एगो अइसन आदमी से बतियावत रहीं जेकर ओह इतिहास के बनावे में बड़ भूमिका रहे.

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'आजादी, समाज सुधार, सामंतवाद-विरोधी आंदोलन - हमनी एह तीनों खातिर संघर्ष कइनी. नीमन आउर समान बेतन खातिर लड़नी. छुआछूत के बिरोध में आवाज उठइनी. मंदिर में घुसे खातिर होखे वाला आंदोलन में गहिर भूमिका निभइनी'

“संगही, समाज में ब्रह्मतेयम आउर देवतानम जइसन सदियन पुरान प्रथा सभ भी चलत रहे.”

“ब्रह्मतेयम में, शासक ओरी से ब्राह्मण लोग के मुफत में जमीन देवे के चलन रहे. ऊ लोग शासन कइलक आउर जमीन से लाभ उठइलक. ऊ लोग अपने खेती ना करत रहे, बाकिर मुनाफा उहे लोग के मिले. देवतानम प्रथा में मंदिर के जमीन भेंट कइल जात रहे. कबो-कबो त मंदिर के समूचा गांवे भेंट में दे देवल जात रहे. छोट किराएदार, चाहे मजूर लोग ओह लोग के दया पर जियत रहे. जे खिलाफत करे, ओकरा बेदखल कर देवल जाए.”

“जान लीहीं, एह संस्था (मठ, चाहे मॉनेस्ट्री) लगे छव लाख एकड़ जमीन होखत रहे. सायद अबहियो बा. बाकिर लोग के निडर संघर्ष चलते ओह लोग के ताकत बहुत हद तक कम हो गइल.”

“तमिलनाडु जमींदारी उन्मूलन अधिनियम सन् 1948 में लागू भइल. बाकिर जमींदार आउर बड़ भूस्वामी लोग के मुआवजा देवल गइल. ओह लोग के जमीन पर खटे वाला के कुछुओ ना मिलल. मुआवजा भी खाली संपन्न किसाने के मिलल. खेत पर काम करे वाला गरीब-गुरबा के हाथ कुछुआ ना लागल. सन् 1947-49 के बीच, मंदिर के उपहार में मिलल जमीन से बड़ संख्या में लोग के बेदखल कर देवल गइल. एकरा खिलाफ हमनी घोर बिरोध प्रदर्शन कइनी. हमनी के नारा रहे: ‘किसान लगे जमीन होई, त घर में खुसहाली आई’.”

“ई सभ हमनी के लड़ाई रहे. सन् 1948 से 1960 ले आपन हक खातिर लड़ाई चलत रहल. सीं. राजगोपालाचारी (राजाजी) मुख्यमंत्री के रूप में जमींदार आउर मठ के साथ देलन. हमनी कहनी ‘जमीन ओकरा जोते वाला के मिले के चाहीं’. राजाजी कहलन जमीन ओकर बा जेकरा लगे कागज बा. बाकिर हमनी आपन संघर्ष से एह मंदिर आउर मठ के पर कतर देनी. हमनी ओह लोग के फसल काटे के नियम आउर कायदा के उल्लंघन कइनी.”

“आउर हां, एह सभ लड़ाई के समाज के लड़ाई से अलग करके ना देखल जा सकत रहे.”

“इयाद बा, एक रात मंदिर में विरोध प्रदर्शन भइल. मंदिर में रथ उत्सव होखत रहे. किसाने रस्सी से रथ के खींचत रहे. हमनी कहनी, जदि मंदिर में आवे के हक नइखे, त ऊ लोग रथो खींचे ना आई. संगही, हमनी बुआई खातिर कुछ अनाज वापस लेवे के आपन हको मंगनी.”

R. Nallakannu accepted the government of Tamil Nadu's prestigious Thagaisal Thamizhar Award on August 15, 2022, but immediately donated the cash prize of Rs. 10 lakhs to the Chief Minister’s Relief Fund, adding another 5,000 rupees to it
PHOTO • M. Palani Kumar
R. Nallakannu accepted the government of Tamil Nadu's prestigious Thagaisal Thamizhar Award on August 15, 2022, but immediately donated the cash prize of Rs. 10 lakhs to the Chief Minister’s Relief Fund, adding another 5,000 rupees to it
PHOTO • P. Sainath

आर. नल्लाकन्नु के 15 अगस्त, 2022 के तमिलनाडु सरकार ओरी से प्रतिष्ठित थगैसल तमिलझर अवार्ड से नवाजल गइल. बाकिर ऊ तुरंते एकरा में मिलल 10 लाख रुपइया के नकद राशि आउर एह में आपन जेबी से 5,000 रुपइया जोड़ के सभे मुख्यमंत्री राहत कोष के दान कर देलन

अब ऊ आपन कहानी में आजादी से पहिले आउर बाद के समय में आवाजाही करे लागल रहस. एकरा से भरम हो सकेला. बाकिर ई ओह दौर के जटिलता भी बतावेला. जइसे कि बहुते चीज से आजादी के दरकार रहे. जइसे एह में से कुछ आंदोलन कब सुरु भइल केहू नइखे जानत, आउर एकर अंत कब होई इहो नइखे पता. आउर आरएनके जइसन सेनानी सभे मोरचा पर आजादी के खोज में लड़त रहलन.

“हमनी ओह जमाना में मजूर संगे होखे वाला मारपीट आउर यातना के खिलाफो लड़त रहीं.”

“सन् 1943 में भी दलित मजूर लोग के कोड़ा मारल जात रहे. आउर फेरु घाव पर पानी में मिलावल गोबर छिड़कल जात रहे. ओह लोग के भोर में मुरगा के बांग संगे उठके 4 चाहे 5 बजे काम पर जाए पड़त रहे. गाय-गोरू के स्नान करावे, गोबर जुटावे आउर खेतन में पानी देवे खातिर मिरासदार लोग के जमीन पर जाए पड़त रहे. ओह घरिया तंजवुर जिला में तिरुतुरईपूंडी लगे एगो गांव में हमनी ओह लोग  खातिर बिरोध प्रदर्शन कइनी.”

“श्रीनिवासन राव के अध्यक्षता में किसान सभा बिसाल बिरोध प्रदर्शन आयोजित कइले रहे. भाव कुछ अइसन रहे, ‘जदि ऊ लोग तोहरा लाल झंडा उठावे पर मारत बा, त तुहूं पलट के वार कर.’ आखिर में तिरुतुरईपूंडी के मिरासदार आ मुदलियार लोग समझौता पर हस्ताक्षर कइलक. ऊ लोग राजी भइल कि अब कोड़ा मारल, घाव पर गोबर वाला पानी डालल आउर दोसर केहू तरह के बर्बर यातना बंद कर दीही.”

आरएनके सन् 1940 से 1960 के दसक ले, आउर ओकरा बादो एह महान आंदोलन सभ में आपन महती भूमिका निभइलन. ऊ तमिलनाडु में अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) के प्रमुख के रूप में श्रीनिवास राव के जगह लेलन. सन् 1947 के बाद के दसकन में, ई पैदल सैनिक किसान-मजूर आंदोलन के एगो बरियार सेनापति के रूप में उभर कर सामने आइल.

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दुनो लोग बहुते उत्साहित आउर भावुक बा. हमनी आपन साक्षात्कार लेवे खातिर, माकपा नेता आउर स्वतंत्रता सेनानी एन. शंकरैया के घरे आइल बानी. यानी हमनी एन. शंकरैया आ नल्लाकन्नु दुनो लोग से साथे बतियावत रहीं. अस्सी बरिस के संघर्ष के संगतिया रह चुकल दुनो कॉमरेड लोग एक-दोसरा से एतना उत्साह आउर प्रेम से मिलल, कमरा में मौजूद बाकी लोग भाव-विह्वल हो उठल.

PHOTO • M. Palani Kumar
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अस्सी बरिस के संघर्ष के संगतिया रह चुकल 97 बरिस के नल्लाकन्नु आ 101 बरिस के कॉमरेड शंकरैया के रस्ता, 60 बरिस पहिले भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के दू हिस्सा में बंटे से भलही अलग हो गइल होखे, बाकिर ऊ लोग आजो स्वतंत्रता आउर न्याय खातिर एकजुट होके लड़ रहल बा

60 बरिस पहिले भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी दू भाग में बंट गइल आउर दुनो आदमी अपना-अपना रस्ते चल पड़ल. का ओह घरिया दुनो बेकत के मन एक-दोसरा प्रति कवनो तरह के कड़ुआहट, चाहे कवनो शिकायत त ना पैदा भइल? आखिर ई बंटवारा कवनो सुखद मोड़ पर त भइल ना रहे.

नल्लाकन्नु कहेलन, “हमनी ओकरा बादो कइएक मुद्दा आउर आंदोलन खातिर संगे काम कइनी. पहिलहीं जेका. एक दोसरा प्रति हमनी के बात-ब्यवहार ना बदलल.”

शंकरैया कहेलन, “अबो जब भेंटानी, त हमनी एके पार्टी बानी.”

हमनी पूछनी कि वर्तमान में देस में बढ़ रहल सांप्रदायिक हिंसा आउर नफरत के बारे में ऊ लोग का सोचेला? का ओह लोग के देस के वजूद पर संकट मंडरात नइखे लउकत? आखिर बात ओह देस के बा, जेकरा आजाद करावे में ऊ लोग बराबर के हिस्सेदारी निभइलक.

नल्लाकन्नु कहले, “स्वतंत्रता संग्रामो में अइसन घड़ी आवत रहे, जब कुछ साफ ना लउकत रहे. हमनी से कहल जाए कि तू लोग फिरंगियन से ना जीत सक. तू लोग दुनिया के सबले बड़ साम्राज्य के खिलाफ लड़ रहल बानी. हमनी में से कुछ के परिवारो हमनी के एह लड़ाई से दूर रहे के कहे. बाकिर हमनी कवनो चेतावनी, चाहे धमकी से ना डरनी. लड़त रहनी. आउर आज हमनी इहंवा बानी.”

दुनो लोग के कहनाम बा देस में एकता बना के रखल जरूरी बा. ताकि अतीत जेका लोग एक-दोसरा के हाथ थाम सके आउर दोसरा से सीखे सके. आरएनके कहेलन, “जहंवा ले हमरा इयाद बा, ईएमएस (नंबूदिरीपाद) के कमरो में गान्ही जी के फोटो लागल रहत रहे.”

देस के मौजूदा हालत देखला के बादो ऊ लोग एतना शांत आउर उम्मीद से भरल कइसे बा, जबकि हमनी जइसन लाखों-करोड़ लोग डेराइल बानी? नल्लाकन्नु कंधा उचकावत कहले, “हमनी एकरो से बदतर स्थिति देखले बानी.”

आखिर में कुछ शब्द:

आज सन् 2022 के स्वतंत्रता दिवस के मौका पर जब द लास्ट हीरोज : फुट सोल्जर्स ऑफ इंडियन फ्रीडम ‘पहिलहीं प्रेस में जा चुकल बा, तमिलनाडु सरकार आरएनके के थगैसल तमिलझर पुरस्कार से सम्मानित कइले बा. ई तमिलनाडु के शीर्ष पुरस्कार बा. एकरा सन् 2021 में राज्य आउर तमिल समुदाय खातिर बड़ पैमाना पर योगदान करे वाला प्रतिष्ठित ब्यक्ति खातिर सुरु कइल गइल रहे. एकरा में 10 लाख रुपइया के नकद राशि भेंटाला. फोर्ट सेंट जॉर्ज के प्राचीर पर मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ओरी से एकरा आरएनके के नवाजल गइल रहे.

अनुवाद : स्वर्ण कांता

பி. சாய்நாத், பாரியின் நிறுவனர் ஆவார். பல்லாண்டுகளாக கிராமப்புற செய்தியாளராக இருக்கும் அவர், ’Everybody Loves a Good Drought' மற்றும் 'The Last Heroes: Foot Soldiers of Indian Freedom' ஆகிய புத்தகங்களை எழுதியிருக்கிறார்.

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Translator : Swarn Kanta

Swarn Kanta is a journalist, editor, tech blogger, content writer, translator, linguist and activist.

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