छाया उबाले ला अपन दाई के पथरा के जांता चलावत गाये गीत सुरता हवय – जांता के गाना अऊ लोकगीत जेन ह घर परिवार के नाता-गोता-रिस्ता के मया-पीरा ला समेटे हवय

महाराष्ट्र के पुणे के शिरुर तालुका मं जब हमन ओकर ले भेंट करेन त छाया उबाले ह पारी ला बताइस, “मोर दाई ह बनेच अकन गीत गाये हवय, फेर मोला वोला सुरता करे मुस्किल आय.” ग्रिंडमिल सॉन्ग्स प्रोजेक्ट (जीएसपी) मं गीत गवेइय्या मन ला एक पईंत अऊ खोजे बर, हमन अक्टूबर 2017 मं सविंदने गांव मं पवार परिवार करा जाय रहेन. घर मं बेटा, बेटी अऊ लइका मन सब्बो रहिन.

फेर हमन गायिका गीता पवार ले मिले नइ सकेन, जेन ह चार बछर पहिली ये दुनिया ले बिदा ले ले रहिस. ओकर बेटी छाया उबाले ह हमन ला अपन दाई के गाये गीत ला सुरता कराय ला कहिस. 43 बछर के ये महतारी ह अपन दाई के चांदी के जोड़े (बिछिया) ला दिखाइस, जेन ला वो ह भारी मया ले संभाल के रखे रहिस अऊ फ्रेम वाले फोटू तीर रखे रहिस.

अपन दाई ले सुने ओवी ला सुरता करे के कोसिस के बाद, छाया ह चार ठन ग्रिंडमिल गीत गाईस, जेन ला वो हा दू ठन छोटे लोकगीत के बीच मं गाइस, एक दुख-पीरा के अऊ दूसर मया के. वो ह दू पांत के कहिनी ले सुरु करिस, जऊन मं भद्रा के पुन्यवान राजा अश्वपति के बेटी, पुरान के सावित्री के गुन सुनाय रहिस. ये दोहा एक आम चलन आय, जेन ह आगू अवेइय्या गीत मन बर धुन बनाय सेती गाला (राग) रहिस.

PHOTO • Samyukta Shastri
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डेरी : छाया उबाले अपन महतारी गीताबाई हरिभाऊ पवार के फोटू धरे,जेन ह साल 2013 मं गुजर गे रहिस. जउनि : गीताबाई के फोटू अऊ ओकर चांदी के बिछिया दिखा वत

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गायिका गीताबाई पवार के परिवार: ( डेरी ले जउनि ) बेटा बहू नम्रता , बेटा शाहजी , पोता योगेश उबाले , बेटी छाया उबाले , भतीजा अभिषेक मालवे अऊ छोटे बेटा नारायण पवार

पहिली लोकगीत मं, वो ह महाभारत मं अपन सौ चचेरा भाई, कौरव मन के संग लड़ई मं पांचों पांडव के हालत ला, एक ठन बड़े अकन कुनबा मं रोज के बूता काम करेइय्या अकेल्ला माइलोगन के अपन हालत ले तोलत हवय. वो ह पंढरपुर के मंदिर के विट्ठल-रुक्मिणी उपर भक्ति भाव ला जगाथे अऊ देंवता मन ला अपन दाई-ददा ले तोलत हवय. छाया के अवाज अपन दाई-ददा के जिकर करतेच भर जाथे अऊ अपन गाल मं बोहावत आंसू ला रोके नइ सकय. जइसने के आरो करत अचानक ले बदल फट जाथे अऊ घर के टीना के छानी मं बरसत भारी जोर ले अवाज करथे.

आगू के छंद मं, वो ह अपन भाई ला अपन चार जेठ अऊ जेठानी मन के फरमाइस ला पूरा करे मं होवेइय्या दिक्कत मन ला बतावत वो ह गाथे.

लोकगीत के बाद आगू के चार ओवी मं छाया ह कका-काकी ले लइका मन ला मिलत मया-दुलार अऊ     मिले भेंट के बारे मं गाये हवय. लाल कुरता अऊ पागा (टोपी) जेन ह लइका के ममा डहर ले भेंट मं मिले हवय.जब लइका रोये लगथे, हो सकत हे वो ह भूखाय होय, त गायिका ह लइका ला दही-भात खवाय ला कहिथे.

आंसू पोंछत अऊ दुख ला बिसोरत जल्दीच छाया ह हँसी ले भरे एक ठन लोकगीत गाइस: एक झिन बहुरिया ला हलाकान करेइय्या अपन सास ला खुस करे कतक मुस्किल आय, जऊन ह जइसने करेला कस होय. येला जइसने घलो रांध लेव, करूच लगही; येला गुरतुर बनाय नइ जाय सकय. ये आखिरी गीत मं हमन छाया के संग अपन हाँसी ला रोके नइ सकेन.

वीडियो देखव: करेला कइसने बने गुरतुर भाजी

ये गीत ला सुनव: गिरिजा रोवय

लोकगीत:

गिरीजा आसू गाळिते

भद्र देशाचा अश्वपती राजा पुण्यवान किती
पोटी सावित्री कन्या सती केली जगामध्ये किर्ती

एकशेएक कौरव आणि पाची पांडव
साळीका डाळीका गिरीजा कांडण कांडती
गिरीजा कांडण कांडती, गिरीजा हलक्यानं पुसती
तुमी कोण्या देशीचं? तुमी कोण्या घरचं?
आमी पंढरपूर देशाचं, काय विठ्ठलं घरचं
विठ्ठल माझा पिता, रुक्मिनी माझी माता
एवढा निरोप काय, सांगावा त्या दोघा
पंचमी सणाला काय ये बंधवा न्यायाला

ए बंधवा, ए बंधवा, तुझं पाऊल धुईते
गिरीजा पाऊल धुईते, गिरीजा आसू जी गाळिते
तुला कुणी बाई नि भुलीलं, तुला कुणी बाई गांजिलं
मला कुणी नाही भुलीलं, मला कुणी नाही गांजिलं
मला चौघे जण दीर, चौघे जण जावा
एवढा तरास मी कसा काढू रे बंधवा

गिरिजा रोवय

कतक किस्मत वाला भद्रा के राजा अश्वपति
ओकर बेटी, सावित्री के जग मं बगरे हे कीर्ति

एक सौ एक कौरव अऊ पांचों पांडव
चऊर धन दार, गिरिजा वोला हवय पीसत
पूछय गिरिजा धीरे ले पिसे बखत
तंय कोन देस के? काय हवय घराना?
हमन पंढरपुर देस के, विट्ठल आय घराना
विट्ठल आय मोर ददा, दाई मोर आय रुक्मिणी
मोर संदेसा दे देबे, वो दूनो झिन ला
पंचमी तिहार मं भाई ला पठोहू लेय ला मोला
ओ भाई, मोर भाई, धोवत हवं तोर पाँव
गिरिजा धोवत हे पाँव, गिरिजा के आंसू हे बोहावत
कोन तोला बिसोर दीस, कोन करिस हलाकान
मोला कोनो बिसोरे नइ ये, कोनो नइ दिन पीरा ये परान\
फेर मोर चार झिन जेठ अऊ चार झिन जेठानी
मंय ये झमेला ले कइसे निपटों, रे भाई

ओवी (जांता गीत):

अंगण-टोपडं सीता घालिती बाळाला
कोणाची लागी दृष्ट, काळं लाविती गालाला

अंगण-टोपडं  हे बाळ कुणी नटविलं
माझ्या गं बाळाच्या मामानं पाठविलं
माझ्या गं योगेशच्या मामानं पाठविलं

अंगण-टोपडं गं बाळ दिसं लालं-लालं
माझ्या गं बाळाची मावशी आली कालं

रडतया बाळ त्याला रडू नको देऊ
वाटीत दहीभात त्याला खायला देऊ

सीता अपन लइका ला पहिराइस कुरता अऊ पागा
नजर लगे ले बचाय बर गाल मं करिया टीका

कुरता अऊ पागा मं, ये लइका ला कोन सजाइस
लइका बर ओकर ममा हवय पठोय
मोर योगेस के ममा हवय पठोय

कुरता अऊ पागा, लइका पहिरे कपड़ा लाली
मोर लइका के मामी आय रहिस कालि

लइका रोवत हवय, झन रोवावव वोला
जाव, कटोरी मं दही-भात खवाव धरके कोरा

लोकगीत:

सासू खट्याळ लई माझी

सासू खट्याळ लई माझी सदा तिची नाराजी
गोड करू कशी बाई कडू कारल्याची भाजी (२)

शेजारच्या गंगीनं लावली सासूला चुगली
गंगीच्या सांगण्यानं सासूही फुगली
पोरं करी आजी-आजी, नाही बोलायला ती राजी

गोड करू कशी बाई कडू कारल्याची भाजी
सासू खट्याळ लई माझी  सदा तिची नाराजी

हलाकान करेइय्या मोर सास

सासू भारी खटावत रहिथे मोला, नित रहे रिसाय/ बगियाय
मंय ये करेला साग ला कइसने बनावंव गुरतुर लाली भाजी (2)

परोसिन गंगी मोर करे कतको चारी-चुगली
सुनके सास मोर रहय मुंह फूलाय
पोता कहय मोर मयारू दादी,फेर फूटे नइ ओकर मुंह ले बोली
मंय अइसने करेला साग ला कइसने बनावंव गुरतुर लाली भाजी
सासू भारी खटावत रहिथे मोला, नित रहे रिसाय/ बगियाय

कलाकार/गायिका : छाया उबाले

गांव : सविंदाने

तालुका : शिरुर

जिला : पुणे

तारीख : ये गाना अक्टूबर 2017 मं रिकॉर्ड करे अऊ फोटू लेय गीस

पोस्टर: सिंचिता पर्वत

हेमा रायकर अऊ गाय पोइतेविन के बनाय मूल ग्रिंडमिल सॉन्ग्स प्रोजेक्ट के बारे मं पढ़व .

अनुवाद: निर्मल कुमार साहू

நமீதா வாய்கர் எழுத்தாளர், மொழிபெயர்ப்பாளர். PARI-யின் நிர்வாக ஆசிரியர். அவர் வேதியியல் தரவு மையமொன்றில் பங்குதாரர். இதற்கு முன்னால் உயிரிவேதியியல் வல்லுனராக, மென்பொருள் திட்டப்பணி மேலாளராக பணியாற்றினார்.

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பாரியின் திருகை பாடல் குழு: ஆஷா ஓகலே (மொழிபெயர்ப்பு); பெர்னார்ட் பெல் (கணினிமயமாக்கள், தரவு வடிவமைப்பு வளர்ச்சி மற்றும் பராமரிப்பு) ஜித்தேந்திர மெயிட் (மொழியாக்கம் மற்றும் மொழிபெயர்ப்பு உதவி), நமீதா வைகர் (தட்டத்தலைவர், தொகுப்பாசிரியர்); ரஜனி கலேத்கர் (தகவல் உள்ளீடு)

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Translator : Nirmal Kumar Sahu

Nirmal Kumar Sahu has been associated with journalism for 26 years. He has been a part of the leading and prestigious newspapers of Raipur, Chhattisgarh as an editor. He also has experience of writing-translation in Hindi and Chhattisgarhi, and was the editor of OTV's Hindi digital portal Desh TV for 2 years. He has done his MA in Hindi linguistics, M. Phil, PhD and PG diploma in translation. Currently, Nirmal Kumar Sahu is the Editor-in-Chief of DeshDigital News portal Contact: [email protected]

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