नबो कुमार मायती के कारखाना मं बदख के पांख बगरे हवंय. साफ पांख, गंदा पांख, छंटाय पांख, कतको अकार के पांख अऊ धौंरा रंग के कतको रंग मं हवंय. खुल्ला झरोखा ले अवेइय्या  हवा ले पांख उड़ियाय लगथे. हवा मं किन्दरत भूईंय्या मं गिर जाथे.

हमन उलुबेरिया मं नबो कुमार के तीन मंजिला घर के तरी के तल्ला मं हवन. कारखाना के भीतरी ह कैंची ले कटे अऊ लोहा कतरे के अवाज ले भरे हवय. इहींचे भारत के बैडमिंटन चिड़िया (शटलकॉक) बनाय जाथे.”सफेद बदख के पांख, सिंथेटिक धन लकरी के आधा गोला अकार के कॉर्क बेस, सूती धागा अऊ गोंद के संग मिले नायलोन ले एक ठन चिड़िया बनथे,” वो ह भेजे सेती रखाय खोखा ले एक ठन ला धरत बताथें.

अगस्त 2023 के आखिरी सोमवार के घाम अऊ उमस ले भरे बिहनिया के 8 बजे हवय. हमन ला अब तक ले नई पता, फेर पांच हफ्ता बाद भारत के खिलाड़ी मन दक्षिण कोरिया के खिलाड़ी मन ला 21-18, 21-16 ले हरा के देश के पहिली एशियाई स्वर्ण पदक हासिल कर लिहीं.

इहां उलुबेरिया मं, कारीगर मन के चप्पल अऊ सइकिल कारखाना के मुहटा मं पहिलीच ले धार मं रखाय हवंय. अस्तरी करे मेरून कमीज अऊ पैंट पहिरे नबो कुमार घलो बूता करे आ गे हवंय.

पांख ला अकार देय के उदिम मं काम सुरु करेइय्या 61 बछर के नबो कुमार कहिथें, “जब मंय 12 बछर के रहेंव तब मंय अपन गांव बनिबन के एक ठन कारखाना मं हंस-एर पालक [बदख के पांख] ले बैडमिंटन के गेंद बनाय ला सुरु कर देय रहेंव.” वो ह लोहा के कैंची ले तीन इंच लाम पांख ला अकार देवत रहिस. कारीगर मन शटलकॉक ला ‘गेंद’ कहिथें.

वो ह बतावत जाथे, “[बंगाल मं] पहिली कारखाना जे. बोस एंड कंपनी रहिस जेन ह 1920 के दसक मं पीरपुर गाँव मं खोले गे रहिस. धीरे-धीरे जे. बोस के काम करेइय्या मन तीर-तखार के गांव मन मं अपन कारखाना खोल लीन. मंय अइसने एक ठन कारखाना मं ये हुनर ला सिखेंव.”

Naba Kumar has a workshop for making shuttlecocks in Jadurberia neighbourhood of Howrah district. He shows how feathers are trimmed using iron shears bolted at a distance of 3 inches . Shuttles are handcrafted with white duck feathers, a synthetic or wooden hemispherical cork base, nylon mixed with cotton thread and glue
PHOTO • Shruti Sharma
Naba Kumar has a workshop for making shuttlecocks in Jadurberia neighbourhood of Howrah district. He shows how feathers are trimmed using iron shears bolted at a distance of 3 inches . Shuttles are handcrafted with white duck feathers, a synthetic or wooden hemispherical cork base, nylon mixed with cotton thread and glue
PHOTO • Shruti Sharma

नबो कुमार के हावड़ा जिला के जदुरबेरिया इलाका मं चिड़िया (शटलकॉक) बनाय के कारखाना हवय. वो ह दिखाथे के 3 इंच लाम मं, लोहा के कैंची ले पांख ला कइसने काटे जाथे. चिड़िया ला सफेद बदख के पांख, सिंथेटिक धन लकरी के आधा गोल अकार के कॉर्क बेस, सूती धागा अऊ गोंद के संग नायलोन ला मिला के हाथ ले बनाय जाथे

साल 1986 मं, नबो कुमार ह उलुबेरिया के बनिबन गांव के हाटताला मं अपन कारखाना सुरु करिस अऊ 1997 मं, जदुरबेरिया के बगल मं अब के कारखाना-घर ला बनाइस. इहाँ वो ह समान बनाय, बनाय सेती समान के परबंध  अऊ बेंचे के काम ला देखथें. वो ह पांख ला निमारे के बूता घलो करथें.

बैडमिंटन चिड़िया तऊन तीन माई जिनिस मं ले हवंय जेन ह जनगणना 2011 के मुताबिक बनिबन जगदीशपुर, बृंदाबनपुर, उत्तर पीरपुर अऊ उलुबेरिया नगर पालिका अऊ हावड़ा जिला के बहिर के इलाका मन मं बनथें.

नबो कुमार कहिथें, “2000 के दसक के सुरु मं उलुबेरिया मं करीबन 100 ठन कारखाना रहिस, फेर आज 50 ले घलो कम बांचे हवय. वो मेर ले 10 ठन मोर कारखाना जइसने आंय, जेन मं 10-12 झिन कारीगर हवंय.”

*****

नबो कुमार के कारखाना के आगू एक ठन सीमेंटेड अहाता हवय ; जिंहां एक ठन बोरिंग, यूनान (माटी-ईंटा ले बने खुल्ला चूल्हा) अऊ दू ठन बरतन रखाय हवय. वो ह कहिथे, “ये जगा ला पांख मन ला धोय सेती बनाय गे हे, जेन ह चिड़िया बनाय के पहली जरूरत आय.”

इहाँ बूता करेइय्या कारीगर रंजीत मंडल 10, 000 बदख पांख के बंडल ला बनावट हवंय. 32 बछर के रंजीत बताथें, “पांख भेजेइय्या मन उत्तरी बंगाल के कूच बिहार, मुर्शिदाबाद अऊ मालदा अऊ मध्य बंगाल के बीरभूम मं हवंय. कुछेक लोकल बेपारी मं घलो हवंय, फेर वो मन के दाम बहुते जियादा हवय.” वो ह ये कारखाना मं 15 बछर ले काम करत हवंय अऊ प्रोडक्शन सुपरवाइज़र आंय.

पांख 1,000 के गड्डी मं बेंचे जाथे अऊ ओकर दाम ओकर किसम के मुताबिक बदलत रहिथे. “आज सबले बढ़िया पांख के दाम 1,200 रूपिया मतलब 1 रूपिया 20 पइसा नग पाछू,” रंजीत कहिथे, जब वो ह एक ठन बरतन मं तात पानी मं भिंगोय बर मुट्ठा भर पांख ला धोय बर निकारथे.

Ranjit Mandal is washing white duck feathers, the first step in shuttlecock making
PHOTO • Shruti Sharma

रंजीत मंडल सफेद बदख के पांख ला धोवत हवंय जऊन ह चिड़िया बनाय के पहली बूता आय

Ranjit scrubs the feathers batch by batch in warm soapy water. 'The feathers on a shuttle have to be spotless white,' he says. On the terrace, the craftsman lays out a black square tarpaulin sheet and spreads the washed feathers evenly. Once they are dry, they will be ready to be crafted into shuttlecocks.
PHOTO • Shruti Sharma
Ranjit scrubs the feathers batch by batch in warm soapy water. 'The feathers on a shuttle have to be spotless white,' he says. On the terrace, the craftsman lays out a black square tarpaulin sheet and spreads the washed feathers evenly. Once they are dry, they will be ready to be crafted into shuttlecocks.
PHOTO • Shruti Sharma

रंजीत पांख के बंडल मन ला तात साबुन पानी मं रमजथें. वो ह कहिथें, ‘चिड़िया के पांख जख उज्जर होय ला चाही.’ छत मं ये कारीगर ह एक ठन करिया चकोन तिरपाल ला बिछाथे अऊ धोय पांख ला समान ढंग ले बगरा देथे. जब वो हा सूखा जाही त चिड़िया बनाय के लइक हो जाही

वो ह मंझोला अकार के देगची (गंजी) मं पानी के संग सर्फ़ एक्सेल डिटर्जेंट पाउडर ला मिलाथे अऊ लकरी के चूल्हा मं गरम करे बर राख देथें. वो ह कहिथें, “चिड़िया के पांख जख उज्जर होय ला चाही. वोला तात साबुन पानी मं धोय ले सब्बो गंदगी निकर जाथे,” वो ह कहत जाथे, “येला बने जियादा बखत तक ले नई रखे सकन, नई त वो ह सरे ला धरही.”

पंखा ला रमज के धोय साबुन पानी ला निकारे सेती वो ह बांस के झउन्हा मं हरेक बंडल ला बढ़िया ढंग ले राखथे, जेकर ले वो ह एक बेर अऊ धोये अंगना मं रखाय गंजी मं भिगो सकय. 10,000 पांख ले भरे झउन्हा ला घाम मं सुखाय सेती छत मं ले जावत रंजीत कहिथे “धोय के काम मं दू घंटा लाग जाथे.”

वो ह बतावत जाथे, “अधिकतर पांख तऊन बदख के होथे, फार्म वाले मन जेकर मांस निकारे रइथें. गांव के कतको लोगन मन अपन पाले बदख के गिरे जुन्ना पांख ला घलो संकेल के राखथें अऊ वो ला बेपारी मन ला बेंच देथें.”

छत ऊपर रंजीत ह एक ठन चकोन करिया तिरपाल ला बिछाथें अऊ वो ला उड़े ले बचाय सेती ओकर किनारा मं ईंटा राख देथे. पांख मन ला तिरपाल मं समान ढंग ले बगरावत वो ह अंदाजा लगाथें, “आज घाम भारी तेज हवय, घंटा भर मं सूखा जाही. ओकर बाद वो ह बैडमिंटन के चिड़िया बनाय सेती तियार हो जाही.”

पांख सूखाय के बाद वो ला एक-एक करके जांचे परखे जाथे. रंजीत कहिथे, “हमन वोला बदख के डेरी धन जउनि डेना अऊ पांख के हिस्सा के मुताबिक जिहां ले वो ह जइसने आय रहिस, वो ला ग्रेड एक ले छै तक छांटथन. हरेक डेना ले सिरिफ पांच धन छे पांख ह हमर काम के लइक निकरथे.”

नबो कुमार के मुताबिक़, “एक ठन चिड़िया 16 पांख ले बनथे, जऊन मं सब्बो एकेच डेना के होय ला चाही अऊ शाफ़्ट के ताक़त, ओकर दूनो डहर के पांख के मोटाई अऊ गोलाई समान होय ला चाही, नई त ये ह हवा मं डोलत रहि जाही.”

वो ह कहिथे, “आम लोगन मन ला सब्बो पांख एके जइसने दिखथे, फेर हमन सिरिफ छू के फेरफार ला बता सकथन.”

Left: Shankar Bera is sorting feathers into grades one to six. A shuttle is made of 16 feathers, all of which should be from the same wing-side of ducks, have similar shaft strength, thickness of vanes, and curvature.
PHOTO • Shruti Sharma
Right: Sanjib Bodak is holding two shuttles. The one in his left hand is made of feathers from the left wing of ducks and the one in his right hand is made of feathers from the right wing of ducks
PHOTO • Shruti Sharma

डेरी : शंकर बेरा पांख ला ग्रेड एक ले छे तक के धार मं लगावत हवंय, जेन मं सब्बो बदख के एकेच डहर के डेना के होय ला चाही. शाफ़्ट के ताक़त,पांख के मोटाई अऊ गोलाई एकेसमान होय ला चाही. जउनि: संजीब बोदक के हाथ मं दू ठन चिड़िया हवय. डेरी हाथ वाले चिड़िया बदख के डेरी डेना के पांख ले बने हवय अऊ जउनि हाथ के ह जउनि डेना के पांख ले बने हवय

इहाँ बने अधिकतर चिड़िया कोलकाता के बैडमिंटन क्लब अऊ पश्चिम बंगाल, मिज़ोरम, नागालैंड अऊ पॉन्डिचेरी के थोक बेपारी मं ला बेंचे जाथे. नबो कुमार कहिथें, “बड़े स्तर के मैच सेती हंस के पांख बऊरेइय्या जपानी कंपनी योनेक्स ह जम्मो बजार मं कब्जा कर ले हवय. हमन ओकर ले मुकाबला नई करे सकन. हमर चिड़िया छोटे स्तर अऊ सीखेइय्या मन के खेले के काम मं आथे.”

भारत चीन, हांगकांग, जापान, सिंगापुर, ताइवान अऊ यूके ले घलो चिड़िया मंगाथे. भारत सरकार के वाणिज्‍यिक जानकारी अऊ सांख्‍यिकी महानिदेशालय के एक ठन रिपोर्ट के मुताबिक़ अप्रैल 2019 ले मार्च 2021 के मंझा मं 122 करोड़ कीमत के चिड़िया मंगाय गे रहिस. नबो कुमार कहिथें, जड़कल्ला मं मांग बढ़ जाथे, काबर के खेल अधिकतर भीतरी (इंडोर) खेले जाथे.” ओकर कारखाना मं बछर भर बनत रइथे, फेर सितंबर ले बनेच बढ़ जाथे.

*****

दू खोली मं भूईंय्या मं बिछे सरकी मं पालथी मारके बइठे कारीगर मन काम मं लगे हवंय अऊ चिड़िया बनाय के काम ले जुरे अलग-अलग बूता ला करत हवंय. ओकर मन के माहिर ऊँगली अऊ नजर सिरिफ तभेच थिरकथें, जब तीर ले जावत हवा पांख मन ला छितरा देथे जऊन ह चिड़िया बनाय सेती अलग-अलग बूता बर रखे गे हवंय.

हरेक बिहनिया नबो कुमार के 51 बछर के घरवाली कृष्णा मायती पूजा करत सिढ़ी ले तरी कारखाना मं आथे. मने मन सुमिरन करत वो ह दूनो खोली मं किंदरत अलग-अलग जगा मं बरत अगरबत्ती ला दिखाथें, जेकर ले बिहनिया के हवा ह फूल के महक ले भर जाथे.

खोली मं बूता सुरु होथे 63 बछर के शंकर बेरा डहर ले, जऊन ह बछर भर ले ये कारखाना मं बूता करत हवंय. वो ह एक बेर मं एक ठन पांख ला धरथें अऊ वोला तीन इंच दूरिहा मं लगे लोहा के कैंची के बीच मं राख देथें. वो ह कहिथें, “करीबन छै ले दस इंच के पांख ला एक समान लंबा काटे जाथे.”

Left: Karigars performing highly specialised tasks.
PHOTO • Shruti Sharma
Right: 'The feathers which are approximately six to ten inches long are cut to uniform length,' says Shankar Bera
PHOTO • Shruti Sharma

डेरी: कारीगर मन भारी खास काम ला करत हवंय. जउनि: शंकर बेरा बताथें, ‘करीबन छै ले दस इंच के पांख ला एक समान लंबा काटे जाथे’

“पांख के शाफ़्ट के बीच के भाग सबले मजबूत होथे अऊ येला तरासे जाथे अऊ अइसने 16 ठन ला मिलाके एक ठन चिड़िया बनथे.” शंकर बताथें के वो ह वोला काट के नान-नान प्लास्टिक के टुकना मं संकेल के रखथे, जेकर बाद मं येकर बाद के काम सेती चार झिन कारीगर मन ला देय जाथे.

35 बछर के प्रह्लाद पाल, 42 बछर के मोंटू पार्थो, 50 बछर के भबानी अधिकारी अऊ 60 बछर के लिखन माझी तीन इंच ले पांख ला अकार देय के दूसर हिस्सा के काम ला सुरु करथें, वो मन पंखा ला लकरी के बने ट्रे मं रखथें, जेन ह ओकर मन के कोरा मं रखाय हवंय.

“शाफ़्ट के खाल्हे के हिस्सा ला पूरा साफ कर दे गे हवय अऊ उपर के हिस्सा शाफ़्ट के एक डहर घुमावदार किनारा के संग अऊ दूसर डहर ले सीधा काटे गे हे.” प्रह्लाद ला हाथ मं धरे लोहा के कैंची ले एक ठन पांख ला बनाय करीबन 6 सेकंड लागथे. पांख काटे अऊ अकार देवेइय्या कारीगर हरेक 1,000 पांख मं 155 रूपिया कमाथें, जऊन ह 2.45 रूपिया चिड़िया पाछू ले होथे.

नबो कुमार कहिथें, “पांख मं वजन नई होय, फेर ओकर शाफ़्ट कड़ा अऊ मजबूत होथे. हरेक 10-15 दिन मं हमन ला कैची ला धार कराय लोहरा करा भेजे ला परथे.”

Left : Trimmed feathers are passed on to workers who will shape it.
PHOTO • Shruti Sharma
Right: Prahlad Pal shapes the feathers with pair of handheld iron scissors
PHOTO • Shruti Sharma

डेरी: कटाय पांख तउन कारीगर मन ला देय जाथे जेन मन येला अकार दिहीं. जउनि: प्रह्लाद पाल हाथ मं धरे लोहा के कैंची ले पांख कतरथें

Montu Partha (left) along with Bhabani Adhikari and Likhan Majhi (right) shape the trimmed feathers
PHOTO • Shruti Sharma
Montu Partha (left) along with Bhabani Adhikari and Likhan Majhi (right) shape the trimmed feathers
PHOTO • Shruti Sharma

मोंटू पार्थो (डेरी) भबानी अधिकारी अऊ लिखन माझी (जउनि) के संग छंटाय पांख ला अकार देवत हवंय

यती 47 बछर के संजीब बोदक बनाय के जम्मो काम मं बऊरेइय्या एके ठन हाथ के मसीन ले बने बनाय अध गोल अकार के कॉर्क बेस मं छेदा करत हवंय.अपन हाथ ला थिर रखे अऊ नजर गड़ा के वो ह हरेक बेस मं 16 समान दूरिहा मं छेदा करथें. वो ह हरेक छेदा करे कर्क मं 3.20 रूपिया कमाथें.

संजीब कइथे, “कॉर्क बेस दू किसिम के होथे. हमन ला सिंथेटिक वाले मेरठ अऊ जालंधर ले मिलथे अऊ प्राकृतिक वाले चीन ले मिलथे.” वो ह येकर आगू बताथे, प्राकृतिक कॉर्क ला बढ़िया किसिम के पांख मं बऊरे जाथे. किसम मं फेरफार ओकर दाम ले साफ हो जाथे. संजीब के मुताबिक, सिंथेटिक कॉर्क करीबन एक रुप्पिया मं आ जाथे, फेर प्राकृतिक कॉर्क के दाम करीबन पांच रूपिया परथे.”

एक बेर कॉर्क बेस मं छेदा करे के बाद अकार देय गेय पांख के संग वोला 52 बछर के सियान बांधे के हुनरवाले तापस पंडित अऊ 60 बछर के श्यामसुंदर घोरोई ला दे देय जाथे. वो मन ये पांख ला कॉर्क के छेदा मं डारे के सबले महत्तम काम करथें.

हरेक पांख ला ओकर कलम ले धरके ओकर तरी के हिस्सा मं प्राकृतिक गोंद लगाथें अऊ ओकर बाद वोला एके एक करके छेदा मं डारथें. नबो कुमार बताथें, “पांख उपर हरेक काम वैज्ञानिक ढंग ले होथे. गर कऊनो घलो स्तर मं कुछु घलो बिगड़ गीस, त चिड़िया के उड़े, घूमे अऊ दिशा बदल जाही.”

“पांख ला एक खास कोना मं एक के उपर एक रखे अऊ एक समान करे ला होही. येला करे सेती शोन्ना (चिमटी) बऊरे जाथे,” करीबन 30 बछर मं हासिल करे गे ये हुनर ला दिखावत तापस ह ये बात बताइस. ओकर अऊ श्यामसुंदर के तनख ओकर मन के भरे गे चिड़िया के खोखा मुताबिक तय होथे. एक खोखा मं 10 चिड़िया होथे, वो हरेक खोखा 15 रूपिया कमाथे.

Left: The drilling machine is the only hand -operated machine in the entire process. Sanjib uses it to make 16 holes into the readymade cork bases.
PHOTO • Shruti Sharma
Right: The white cork bases are synthetic, and the slightly brown ones are natural.
PHOTO • Shruti Sharma

डेरी: जम्मो काम मं ड्रिलिंग मशीन हाथ ले चलेइय्या एकेच मसीन होथे. संजीब येकर ले बने बनाय कॉर्क बेस मं 16 ठन छेदा करथे. जउनि: उज्जर कॉर्क बेस सिंथेटिक आय अऊ भुरुवा रंग के ह प्राकृतिक आय

Holding each feather by the quill, grafting expert Tapas Pandit dabs the bottom with a bit of natural glue. Using a shonna (tweezer), he fixes each feather into the drilled holes one by one, making them overlap.
PHOTO • Shruti Sharma
Holding each feather by the quill, grafting expert Tapas Pandit dabs the bottom with a bit of natural glue. Using a shonna (tweezer), he fixes each feather into the drilled holes one by one, making them overlap.
PHOTO • Shruti Sharma

हरेक पांख ला ओकर कलम ले धरके ग्राफ्टिंग मं माहिर तापस पंडित तरी डहर थोकन प्राकृतिक गोंद लगाथें. एक ठन शोन्ना (चिमटा) ले वो ह हरेक पांख ला करे गे छेदा मं एक एक करके लगाथे, जेकर ले वो ह आपस मं बगर जाथे

पांख ला कॉर्क मं लगाय के बाद अब चिड़िया अपन सुरु के अकार मं आथे, फेर चिड़िया ला धागा ले बांधे के पहिली परत सेती 42 बछर के तारोख कोयाल ले देय जाथे. तारोख बताथे, “ ये धागा इहाँ के बजार ले बिसोय जाथे. सूती के संग मिले नायलोन सेती वो ह भारी मजबूत होथे.” तरोख ह, एक हाथ मं दस इंच लंबा धागा जेकर मुड़ी बंधाय हवय अऊ दूसर हाथ मं मिलाय कॉर्क अऊ पांख धरे हवय.

वोला 16 ठन पांख ला एके संग बांधे मं सिरिफ 35 सेकंड लागथे. तारोख बताथें, “धागा ला हरेक पांख के शाफ़्ट ला एक गांठ मं धरे सेती बनाय जाथे, जेकर बाद शाफ़्ट के मंझा मं वोला कसके दू बेर मोड़े जाथे.”

ओकर हाथ ह अतक तेजी ले चलथे के वो ला नजर मं धरे नई सकाय. ये 16 गांठ अऊ 32 मोड़ सिरफ़ तभेच दिखथे, जब तरोख मं आखिरी गांठ लगावत होथे अऊ कैंची ले उपरहा धागा ला काटथे.10 ठन बंधे जवेइय्या चिड़िया सेती वो ला 11 रूपिया मिलथे.

50 बछर के प्रोबाश शाशमल पांख के एक सिद्ध मं होय अऊ धागा के जगा के जाँच करे सेती हरेक चिड़िया के आखिरी बेर जाँच करथे. वो ला सुधार करे के बाद वप ह चिड़िया के संग खोखा मं भरत जाथे अऊ वोला फिर ले संजीब करा भेज देथे, जेन ह चिड़िया के मजबूती बढ़ाय सेती साफ शाफ़्ट अऊ धागा ऊपर सिंथेटिक राल अऊ हार्डनर ला मेंझार के लगाथे.

Left: After the feathers are grafted onto the cork bases, it takes the preliminary shape of a shuttle. Tarakh Koyal then knots each overlapping feather with a thread interspersed with double twists between shafts to bind it .
PHOTO • Shruti Sharma
Right: Prabash Shyashmal checks each shuttlecock for feather alignment and thread placement.
PHOTO • Shruti Sharma

डेरी: पांख ला कॉर्क मं लगाय के बाद अब चिड़िया अपन सुरु के अकार मं आथे. तारोख कोयाल ओकर बाद एक के उपर रखे पांख ला धागा के गांठ डारथे अऊ वोला बांधे सेती शाफ़्ट के बीच मं दू बेर घूमाथे. जउनि: प्रोबाश शाशमल पांख ला एक सिद्ध मं रखे अऊ धागा के जगा सेती हरेक चिड़िया के जाँच परख करथे

Sanjib sticks the brand name on the rim of the cork of each shuttle
PHOTO • Shruti Sharma

संजीब हरेक चिड़िया के रिम ऊपर ब्रांड के नांव ला चिपकाथे

एक बेर सूखे के बाद चिड़िया ब्रांडिंग सेती तियार हो जाथे, जऊन ह आखिरी के काम आय. संजीब कहिथे, “हमन कॉर्क के किनारा ऊपर ब्रांड के नांव के संग ढाई इंच लंबा नीला पट्टी चिपकाथन अऊ शाफ़्ट के आधार उपर गोल स्टिकर लगाथन. ओकर बाद हरेक चिड़िया ला एक जइसने तोले अऊ खोखा मं रखे जाथे.”

*****

नबो कुमार ह अगस्त 2023 मं पारी ले गोठबात मं कहे रहिस, “हमन ला साइना नेहवाल अऊ पी.वी. सिंधु ले तीन ओलंपिक पदक मिले हवय. बैडमिंटन बनेच लोकप्रिय होवत हवय, फेर उलुबेरिया मं भलेच जवान लइका मन  पांख के संग उड़े ला सीख जावंय, येकर कऊनो गारंटी नई ये के ओकर भविष्य घलो खिलाड़ी मन के जइसनेच सुरच्छित रइही.”

उलुबेरिया नगर पालिका ला पश्चिम बंगाल सरकार के सूक्ष्म, लघु अऊ मध्यम उद्यम निदेशालय ह चिड़िया (शटलकॉक) बनेइय्या  समूह के  रूप मं श्रेणीबद्ध करे हवय. फेर नबो कुमार कहिथें, “इलाका ला समूह मं रखे के बाद घलो कुछु बदले नई ये. ये सिरफ़ दिखाय के आय. हम सब्बो अपनेच दम खम मं करत हवन.”

जनवरी 2020 मं पांख चिड़िया उदिम ला भारी नुकसान झेले ला परे रहिस. अंतर्राष्ट्रीय शासी निकाय, बैडमिंटन वर्ल्ड फ़ेडरेशन ह खेल मं स्थिरता,  आर्थिक अऊ पर्यावरणीय फ़ायदा  अऊ लंबा बखत तक ले ठहरे के हवाला देवत खेल के सब्बो स्तर मं सिंथेटिक पांख वाले चिड़िया बऊरे ला मंजूरी दे देय रहिस. येकर बाद ये ह  क्लॉज़ 2.1 मं बैडमिंटन के नियम के सरकारी हिस्सा बन गे, जऊन मं कहे गे हवय के  शटल प्राकृतिक अऊ /धन सिंथेटिक जिनिस ले बने होही.”

Left: Ranjit and Sanjib paste brand name covers on shuttle barrels.
PHOTO • Shruti Sharma
After weighing the shuttles, Ranjit fills each barrel with 10 pieces.
PHOTO • Shruti Sharma

डेरी: रंजीत अऊ संजीब चिड़िया खोखा मं ब्रांड के नाव के जिल्द चिपकाथें. जउनि : शटल के वज़न करे के बाद रंजीत हरेक खोखा ला 10 ठन चिड़िया ले भरथें

नबो कुमार पूछथें, “काय प्लास्टिक धन नायलोन ले पांख ले बने चिड़िया के मुकाबला करे सकत हन ? मोला नई पता के खेल के काय  होही, फेर गर ये फइसला विश्व स्तर मं लेय गे हवय, त काय लगथे के हमन कब तक ले गुजारा करे सकबो? हमर करा सिंथेटिक चिड़िया बनाय के तकनीक धन हुनर नई ये.”

वो ह कहिथें, “आज अधिकतर कारीगर अधेड़ उमर के धन 30 धन ओकर ले जियादा बछर के सियान मनखे आंय. अवेइय्या पीढ़ी अब येला जीविका के साधन के रूप मं नई मानय.” भारी कम तनखा अऊ पांख के ये खास हुनर ला हासिल करे मं लगेइय्या लंबा बखत ह नव लोगन मन बर अड़ंगा जइसने लागथे.

नबो कुमार कहिथें, “गर सरकार बने किसिम के पांख के पूर्ति करे ला असान बनाय के काम नई करही, पांख के दाम ऊपर रोक नई लगाही अऊ नवा तकनीक के मसीन नई देवाही, त ये उदिम के नंदा जाय मं जियादा बखत नई लगय.”

रिपोर्टर ये कहिनी मं कीमती मदद सेती अदृश मायती के आभार जतावत हवय.

ये कहिनी मृणालिनी मुखर्जी फ़ाउंडेशन (एमएमएफ़) ले मिले फ़ेलोशिप के तहत लिखे गे हवय.

अनुवाद: निर्मल कुमार साहू

Shruti Sharma

ஷ்ருதி ஷர்மா MMF- பாரி உதவித்தொகை (2022-23) பெறுகிறார். இவர் கல்கத்தா சமூக அறிவியல் ஆய்வு மையத்தில், விளையாட்டுப் பொருட்களில் இந்திய உற்பத்தி எனும் சமூக வரலாற்றுப் பிரிவில் முனைவர் பட்டம் பெற பணியாற்றி வருகிறார்.

Other stories by Shruti Sharma
Editor : Sarbajaya Bhattacharya

சர்பாஜயா பட்டாச்சார்யா பாரியின் மூத்த உதவி ஆசிரியர் ஆவார். அனுபவம் வாய்ந்த வங்க மொழிபெயர்ப்பாளர். கொல்கத்தாவை சேர்ந்த அவர், அந்த நகரத்தின் வரலாற்றிலும் பயண இலக்கியத்திலும் ஆர்வம் கொண்டவர்.

Other stories by Sarbajaya Bhattacharya
Translator : Nirmal Kumar Sahu

Nirmal Kumar Sahu has been associated with journalism for 26 years. He has been a part of the leading and prestigious newspapers of Raipur, Chhattisgarh as an editor. He also has experience of writing-translation in Hindi and Chhattisgarhi, and was the editor of OTV's Hindi digital portal Desh TV for 2 years. He has done his MA in Hindi linguistics, M. Phil, PhD and PG diploma in translation. Currently, Nirmal Kumar Sahu is the Editor-in-Chief of DeshDigital News portal Contact: [email protected]

Other stories by Nirmal Kumar Sahu