अकास साफ अऊ उज्जर बगरे हवय. 39 बछर के सुनीता रानी करीबन 30 झिन माइलोगन मन के मंडली ले गोठियावत हवंय अऊ वो मं ला अपन हक सेती अब्बड़ अकन संख्या मं घर ले बहिर निकल के बेमियादी हड़ताल मं बइठे सेती प्रेरित करत हवंय. सुनीता अवाज देथें. “काम पक्का, नऊकरी कच्ची.” बाकी माइलोगन मन एके सुर मं कहिथें, नहीं चलेगी नहीं चलेगी!.”

सोनीपत सहर मं, दिल्ली-हरियाणा हाईवे ले सटे सिविल अस्पताल के बहिर एक मइदान मं, लाल कपड़ा पहिरे (हरियाणा मं इही कपड़ा वो मन के ड्रेस आय) ये माईलोगन मन धुर्री ऊपर बइठे हवंय अऊ सुनीता ला सुनत हवंय, जऊन ह वो मन ला तऊन दिक्कत मन ला सुनावत रहिन जउन ला वो मन अच्छा तरीका ले जानथें.

ये सब्बो आशा कार्यकर्ता आंय, यानी मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता, जेन ह राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) के पइदल लड़ाका आंय अऊ भारत के गाँव देहात के अबादी ला देश के सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली ले जोरे के महत्तम कड़ी आंय. देश भर मं 10 लाख ले जियादा आशा कार्यकर्ता हवंय, अऊ अक्सर कऊनो इलाज के जरूरत अऊ अपात बखत मं खड़े रहेइय्या पहिली स्वास्थ्य सेवा कार्यकर्ता होथें.

वो मन ला 8 कम एक कोरी माई बूता हवंय अऊ 3 कोरी ले जियादा दीगर छोटे-बड़े बूता करे ला परथे, जऊन मं पोषण, साफ सफाई अऊ छूतहा रोग राई के बारे मं जानकारी देय ले लेके, टीबी के मरीज मं के इलाज ऊपर नजर रखे अऊ स्वास्थ्य सूचकांक के रिकार्ड रखे सामिल हवय.

वो मं ये सब्बो अऊ येकरे संग अऊ घलो बनेच अकन करथें. फेर, सुनीता कहिथें, "ये सब्बो के पाछू ऊही जिनिस छूट जाथे जेकर बर हमन ला ट्रेनिंग देय गे हवय, यानि महतारी-लइका मन के सेहत के आंकड़ा मं सुधार.” सुनीता सोनीपत जिला के नाथूपुर गाँव मं काम करथें, अऊ गाँव के तीन आशा कार्यकर्ता मं ले एक झिन आय जऊन मन के ऊपर 2,953 लोगन मन के धियान रखे के जिम्मेवारी हवय.

ASHA workers from Sonipat district on an indefinite strike in March; they demanded job security, better pay and a lighter workload
PHOTO • Pallavi Prasad

सोनीपत ज़िला के आशा कार्यकर्ता मार्च महिना मं बेमियादी हड़ताल मं; वो मन नऊकरी के सुरक्षा, बढ़िया तनखा, अऊ काम के बोझ हल्का करे के मांग करिन

जचकि के पहिले अऊ जचकी के बाद के देखभाल करे ला छोर के, आशा कार्यकर्ता सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता आंय, जऊन मन सरकार के परिवार नियोजन नीति,गरभ निरोधक अऊ गरभ धरे के मंझा के अंतर ला रखे के जरूरत के बारे मं जागरूक घलो करथें. साल 2006 मं जब आशा कार्यक्रम के सुरुवात होइस रहिस, तब ले वो मन शिशु मृत्यु दर ला कम करे मं महत्तम भुमका निभाय हवंय अऊ येला 2006 मं जनम लेवेइय्या हजार पाछू लइका मन के मऊत 57 ले घटा के 2017 मं 33 मं ला के राख दीन. साल 2005-06 ले 2015-16 के मंझा, जचकी ले पहिली देखभाल सेती घर मं ले जाय ह चार धन ओकर ले जियादा पईंत जाय ह 37 फीसदी ले बढ़के 51 फीसदी हो गे, अऊ अस्पताल मं जचकी 39 फीसदी ले बढ़ के 79 फीसदी हो गेय रहिस.

सुनीता अऊ आगे कहिथें, “हमन जऊन बने काम कर सकत रहेन, वो ला नज़रअंदाज़ करके हमन ला सर्वे ऊपर करे मं जोत देय गीस.”

जखौली गांव के एक झिन 42 बछर के आशा कार्यकर्ता, नीतू (असल नांव नई) कहिथें, हमन ला हर दिन नवा रिपोर्ट जमा करे ला होथे. एक दिन एएनएम [सहायक नर्स दाई, जेकर आगू आशा कार्यकर्ता हाजिरी देथें] हमन ला तऊन सब्बो माईलोगन मन के सर्वेक्षण करे ला कहिथे ज ऊ न मन ला जचकी के पहली देखभाल के जरूरत हवय, अऊ ओकर दूसर दिन हमन ला अस्पताल मं जचकी के संख्या के जानकारी जुटाय ला कहिथे, ओकर अगला दिन हमन ला [कैंसर, सक्कर, अऊ हृदय रोग नियंत्रण के राष्ट्रीय कार्यक्रम के हिस्सा के रूप मं] हरेक के ब्लड प्रेशर के रिकार्ड दर्ज करे ला परथे. ओकर बाद वाले दिन, हमन ला चुनाव आयोग सेती बूथ स्तर के अधिकारी के सर्वेक्षण करे ला कहे जाथे. ये चक्कर कभू नई सिरोय.”

नीतू के अनुमान आय के साल 2006 मं जब वो ह भरती होय रहिस, तब ले वो ह 700 हफ्ता काम करे होही, अऊ छुट्टी सिरिफ बीमार परे धन तिहर मं मिलिस. ओकर चेहरा ले थकान साफ झलकत रहय, फेर 8,259 के अबादी वाले ओकर गाँव मं नौ आशा कार्यकर्ता हवंय. वो ह हड़ताल मं घंटा भर बाद पहुंचे रहिन, एनीमिया जागरूकता अभियान सिरे के बाद, घर-घर जा के करे बूता मन के लंबा सूची हवय, जऊन ला करे बर आशा कार्यकर्ता मं ला कतको बखत कहे जाथे, जइसने के गाँव मं कुल कतका घर पक्का हवंय, ओकर गिनती करे, कऊन समाज के गाय-भईंस के गिनती अऊ घलो कतको.

39 बछर के आशा कार्यकर्ता, छवि कश्यप के कहना आय, “2017 मं मोर आशा कार्यकर्ता बने के सिरिफ तीन बछर के भीतर, मोर काम तीन गुना बढ़ गे हवय, अऊ ये मन मं करीबन सब्बो काम काग़जी हवंय," छवि सिविल अस्पताल ले अढई कोस दुरिहा अपन गाँव बहलगढ़ ले ये हड़ताल मं सामिल होय आय हवंय. वो ह कहिथें, “जब सरकार डहर ले हमर ऊपर थोपे गेय हरेक नवा सर्वेक्षण पूरा हो जाथे, तभे हमन अपन असली काम शुरू करथन.”

'We don’t even have time to sit on a hartal,' says Sunita Rani; at meetings, she notes down (right) the problems faced by co-workers
PHOTO • Pallavi Prasad
'We don’t even have time to sit on a hartal,' says Sunita Rani; at meetings, she notes down (right) the problems faced by co-workers
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सुनीता रानी कहिथें ‘हमर करा त हड़ताल मं बइठे के टइम घलो नई ये'; बइठका मं, वो सह-कार्यकर्ता मन ला आवत दिक्कत मन ला (तरी) दरज करत हवय

बिहाव के 15 बछर बीते तक ले, छवि अपन घर ले बहिर अकेल्ला कभू नई निकरे रहिस, अस्पताल घलो नई. 2016 मं जब आशा ले जुरे एक झिन माई लोगन ह ओकर गाँव आइस अऊ आशा कार्यकर्ता डहर ले करे जाय काम मन के ऊपर कार्यशाला होईस, त छवि घलो अपन नांव दरज करे के मंशा जाहिर करिस. ये कार्यशाला के बाद, प्रशिक्षक ह 18 ले 45 बछर के उमर के अइसने तीन बिहाये माइलोगन मं के नांव के सूची बनाथें, जऊन ह कम से कम कच्छा 8 वीं तक ले पढ़े होय अऊ जऊन ह  सामुदायिक स्वास्थ्य स्वयंसेवक के रूप मं काम करे मं रुचि रखत होय.

छवि के ये मं रूचि रहिस अऊ वो ह काबिल घलो रहिस, फेर ओकर घरवाला ह कहिस नई, वो ह बहलगढ़ मं इंदिरा कॉलोनी के एक ठन निजी अस्पताल के नर्सिंग स्टाफ़ आंय, अऊ हफ्ता मं दू रात के पारी मं काम करथें. छवि बताथें, “हमर दू झिन बेटा हवंय. मोर घरवाला ला ये बात के संसो रहिस के घर हमन दुनो काम मं बहिर चले जाबो, त येमन के देख भाल कऊन करही.” कुछेक महिना बीते जब पइसा के तंगी होय ला धरिस, त वो ह अपन घरवाली ला नऊकरी करे ला कहिस. वो ह अगला भरती अभियान बखत अरजी दिस अऊ गाँव के ग्रामसभा डहर ले जल्देच ओकर भरती बहलगढ़ के के 4,196 बासिंदा सेती पांच आशा कार्यकर्ता मन ले एक के रूप मं कर लेय गीस.

छवि कहिथे, “एक जोड़ा बरोबर, हमर एक नियम हवय. गर वो ह रात के ड्यूटी मं हवय, अऊ मोर करा फोन आते के कऊनो माईलोगन ला जचकी के दरद होवत हवय अऊ वोला अस्पताल ले जाय के जरूरत हवय, त मंय लइका मन ला छोर के नई जा सकंव, मंय एम्बुलेंस ला फोन करथों धन दीगर आशा कार्यकर्ता ला ये काम करे ला कहिथों.”

महतारी ला जचकी सेती अस्पताल पहुंचाय ह तऊन काम मं ले एक आय जऊन ला आशा कार्यकर्ता मं ला हर हफ्ता करे ला परथे. सोनीपत के राय तसिल के बढ़ खालसा गाँव के एक आशा कार्यकर्ता शीतल (असल नांव नई) बताथे,” बीते हफ्ता, मोला गरभ के महिना पूरा कर चुके अक झिन माइलोगन के फोन आय रहिस के वोला जचकी के पीरा होवत हवय अऊ वो ह चाहत रहिस के मंय ओकर संग अस्पताल जावंव. फेर मंय नई जाय सकत रहेंव. उही हफ्ता, मोला आयुष्मान शिविर बले ला कहे गे रहिस.”  इहाँ 32 बछर के शीतल, आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना डहर आरो करत हवय. सिविर मं सरकार के स्वास्थ्य योजना के काबिल अपन गाँव के सब्बो मईलोगन मन के फ़ॉर्म अऊ रिकॉर्ड  के संग अटके परे हवय, वो हा जऊन एएनएम के आगू हाजिर होथे ओकर तरफ ले आदेस मिले रहिस के वोला बाकी सब्बो काम ला छोरके, आयुष्मान योजना के काम ला पहिली करना हवय.

शीतल कहिथे, मंय ये [गर्भवती] मईलोगन ला बेस्वास मं ले के तबले भारी मिहनत करे रहेंव, जब वो ह दू बछर पहिली बिहाव होके ये गाँव आय रहिस. मंय हरेक मऊका ओकर तीर रहत रहेंव; ओकर सास ला मनाय ले लेके के वो ह परिवार नियोजन के बारे मं वो ला समझाय के इजाजत देवय, वोला अऊ ओकर घरवाला ला ये समझाय ला के वो ह लइका सेती दू बछर अगोरंय, अऊ फिर ओकर गरभ पूरा होय के बखत तक ले मंय ओकर ले भेंट-घाट करत रहेंय. मोला ये बखत ओकर तीर रहे ला रहिस.

एकर बदले, वो ह फोन मं आधा घंटा तक ले संसो करत वो परिवार ला समझाय के कोसिस करिस जऊन ह ओकर बिना डाक्टर करा जाय ला तियार नई रहिस. आखिर मं, वो मन वो एम्बुलेंस मं गीन जेकर बेवस्था वो ह कर देय रहिस. सुनीता रानी कहिथे, “हमन भरोसा के जऊन कड़ी बनाथन तऊन ह टूट जाथे.”

'In just three years, since I became an ASHA in 2017, my work has increased three-fold', says Chhavi Kashyap
PHOTO • Pallavi Prasad

छवि कश्यप बताथें ‘2017 मं मोर आशा कार्यकर्ता बने के सिरिफ तीन बछर के भीतर, मोर बूता तीन गुना बढ़ गे हवंय’

आखिर जब आशा कार्यकर्ता अपन काम मं निकरथें, त अक्सर वो मन के हाथ बंधे रहिथे, दवा किट नई रहय, न दीगर जरूरी जिनिस मन, जइसने के गरभ धरे महतारी सेती पैरासिटामॉल टैबलेट, आयरन अऊ कैल्शियम के गोली, ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्ट (ओआरएस), कंडोम, गर्भनिरोधक गोली, अऊ प्रेग्नेंसी किट. सुनीता कहिथें, “हमन ला कुछु घलो नई देय जाय, मुड़ पीरा के दवई तक ले नई. हमन हरेक घर के जरूरत के मुताबिक सूची बनाथन, जइसने गर्भनिरोध सेती कऊन का तरीका अपनावत हवय, अऊ ओकर बाद एएनएम ले चिरोरी करथन के वो हमर बर येकर बेवस्था कर देंय.” ऑनलाइन सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक सोनीपत ज़िला मं 1,045 आशा कार्यकर्ता सेती सिरिफ 485 ड्रग किट जारी करे गे रहिस.

आशा कार्यकर्ता, अपन समाज के लोगन मन के तीर अक्सर जुच्छा हाथ जाथें. छवि बताथे, “कभू–कभू वो मन सिरिफ आयरन के गोली दे देथें, फेर कैल्शियम के नई, फेर गरभ धरे महतारी ला ये दूनो गोली एके संग खाय के रथे.कभू-कभू वो मन हरेक गरभ धरे महतारी के हिसाब ले सिरिफ 10 ठन गोली देथें , जऊन ह 10 दिन मं सिरा जाथे. माइलोगन मन हमर तीर आथें, त वो मन ला देय बर हमर करा कुछु घलो नई रहय.”

कभू-कभू त वो मन ला खराब किसिम के दवई देय जाथे. सुनीता कहिथे, महिना-महिना तक ले नई देय के बाद, हमन ला माला-एन (गर्भनिरोधक गोली) ले भरे खोखा, ओकर सिरोय तारीख ले एक महिना पहिली ये आदेश के संग मिलथे के ये ला जतक जल्दी हो सके बांट देना हे. माला-एन खवेइय्या माईलोगन के बात कोती सायदे कभू धियान देय जाथे, जऊन ला आशा कार्यकर्ता मन भारी मिहनत ले लिख के तियार करथें.

हड़ताल के दिन मझंनिया तक ले, विरोध प्रदर्सन करे सेती 50 आशा कार्यकर्ता संकलाय रहिन. अस्पताल के ओपीडी के बाजू के दुकान ले चाहा मंगे गेय रहिस.जब कऊनो पूछथे के येकर पइसा कऊन देवत हवय, त नीतू मजाक मं कहिथे के वो नई देवत हवय काबर के वोला छे महिना ले तनखा नई मिले हवय. एनआरएचएम के 2005 के नीति मुताबिक आशा कार्यकर्ता ‘स्वयंसेवक’ आंय, अऊ ओकर पइसा ओकर पूरा करे गेय काम के संख्या ऊपर बनथे. आशा कार्यकर्ता मन ला सौंपे गेय कतको काम मन ले सिरिफ पांच ठन ला ‘नियमित अऊ आवर्ती’ के रूप मं बांटे गे हवय. ये काम सेती, केंद्र सरकार ह अक्टूबर 2018 मं महिना मं 2,000 रुपिया देय ला सहमत होय रहिस, फेर येला घलो तय मं नई नई देय जाय.

ये ला छोर, आशा कार्यकर्ता मन ला हरेक काम पूरा होय के बाद ओकर चुकारा करे जाथे. वो मन ला अधिकतम 5,000 रुपिया, टीबी मरीज मन ला छे ले नो महिना तक ले दवई खवाय, धन ओआरएस के एक पैकेटबांटे मं सिरिफ एक रुपिया पे सकत हवंय. परिवार नियोजन के मामला मं पइसा तभे मिलथे जब माईलोगन मन के नसबंदी करवाय जाय, वो मन ला दू लइका के मंझा मं अंतर रखे ला कहे जाय, माइलोगन मन के नसबंदी धन मरद मन के नसबंदी करवाय सेती आशा कार्यकर्ता मन ला प्रोत्साहन बतौर 200-300 रुपिया मिलथे, फेर कंडोम, खाय के गर्भनिरोधक गोली अऊ आपातकालीन गर्भनिरोधक गोली के हरेक पेकेट बांटे सेती वो मं ला सिरिफ 1 रुपिया मिलथे. परिवार नियोजन के सुझाव देय सेती वो मन  ला पइसा नई मिलय, फेर ये ला करे ह जरूरी, मिहनत अऊ लंबा बखत लेवेइय्या बूता आय.

Sunita Rani (centre) with other ASHA facilitators.'The government should recognise us officially as employees', she says
PHOTO • Pallavi Prasad

सुनीता रानी (मंझा मं) दीगर आशा कार्यकर्ता मन के संग. वो ह कहिथे, ‘सरकार ला हमन ला आधिकारिक रूप ले कर्मचारी मान लेना चाही'

देशभर मं अऊ राज मं कतको हड़ताल के बाद, अलग अलग राज मं अपन आशा कार्यकर्ता मं ला महिना मं तय तनखा घलो दे ला सुरु कर देय हवंय. फेर देश के अलग-अलग जगा मं ये मन के तनखा अलग अलग हवय. कर्नाटक मं जिहां वो मन ला 4,000 रुपिया देय जाथे, उहिंचे आंध्र प्रदेश मं 10,000 रुपिया मिलथे, हरियाणा मं, जनवरी 2018 ले हरेक आशा कार्यकर्ता ला राज सरकार डहर ले 4,000 रुपिया तनखा मिलथे.

बइठका के सुरुवात करत सुनीता ह जोर के अवाज मं कहिथे, “एनआरएचएम के नीति के मुताबिक, आशा कार्यकर्ता ले हरेक दिन तीन ले चार घंटा, हफ्ता मं चार ले पांच दिन काम करे के आस करे जाथे. फेर, इहां कऊनो ला ये घलो सुरता नई ये के वो आखिरी बेर कब छुट्टी लेय रहिस. अऊ हमन ला पइसा के मदद कइसने मिलत हवय?” कतको माईलोगन मन बोले ला धरथें. कतको माईलोगन मन ला राज सरकार डहर ले सितंबर 2019 ले वो मन के महिना के तनखा नई देय गेय हवय, दीगर मन ला वो मं के काम करेके चुकारा बीते आठ महिना ले नई करे गे हवय.

फेर, बनेच अकन ला ये घलो सुरता नई ये के ओकर कतक मेहनताना बांहचे हवय. “पइसा अलग अलग बखत मं, दू अलग-अलग जगा – राज सरकार अऊ केंद्र सरकार – ले थोर-थोर आथे. येकरे सेती ये सुरता नई रहय के कऊन चुकारा कब के बांचे वाला आय.” बांहचे तनखा ला देर ले क़िस्त मं मिले ले निजी नुकसान होथे. कतको ला घर के लोगन मं के ताना सुने ला परथे के काम त समे-बेसमे अऊ बनेच बेरा तक ले करे ला परथे, फेर ओकर हिसाब ले पइसा मिलत नई ये; कुछेक मन त घर के दुवाब मं आके ये ला करे ला छोर दे हवंय.

येकर अलावा, आशा कार्यकर्ता मं ला अपन खुद के साधन ले आय-जाय मं रोजके 100-250 रुपिया खरच करे ला पर सकथे, चाहे वो हा आंकड़ा जमा करे सेती अलगे-अलगे उपकेन्द्र ला जाय ला होवय धन मरीज मन ला अस्पताल लेके जाय ला होवय. शीतल कहिथे, “हमन जब परिवार नियोजन ले जुरे बइठका करे गाँव मन मं जाथन, त धूपकल्ला मं भारी तेज घाम रहिथे अऊ माईलोगन मन के आस रथे के हमन वो मन बर खाय अऊ ठंडा के इंतजाम करबो, येकरे सेती अपन आपस मं बरार करके पइसा जमा करके, वो मन बर ये बेवस्था करे 400-500 रुपिया खरच करथन, गर हमन अइसने नई करबो त माई लोगन मन नई आवेंय.”

हड़ताल मं बइठे दू ढाई घंटा हो गे हवय, अऊ वो मं के मांग साफ हवय: आशा कार्यकर्ता अऊ ओकर परिवार सेती अइसने हेल्थ कार्ड बनाय जाय जेकर ले वो ह सरकारी सूची मं सामिल निजी अस्पताल मं इलाज करवाय सकेंय, वो मन के पेंसन तय करे जाय; वो मं ला नान-नान कलम वाले दू पेज के कागज देय के जगा अपन काम सेती अलग-अलग प्रोफ़ॉर्मा देय जाय अऊ उप-केंद्र मं आलमारी देय जाय, जेकर ले वो मन कंडोम अऊ सैनिटरी नैपकिन अपन घर मं रखे बर मजबूर झन होवंय. होली ले तीन दिन पहिली, नीतू के बेटा ह अपन अलमारी मं रखाय फुग्गा के बारे मं पूछे रहिस, जऊन ह ओकर रखाय कंडोम रहिस.

अऊ सबले बड़े बात, आशा कार्यकर्ता के मानना आय के वो मन के काम ला मान-सम्मान अऊ मान्यता मिलय.

Many ASHAs have lost track of how much they are owed. Anita (second from left), from Kakroi village, is still waiting for her dues
PHOTO • Pallavi Prasad

कतको आशा कार्यकर्ता मन ला त ये घलो सुरता नई ये के ओकर कतका मेहनताना बांहचे हवय. ककरोई गांव के अनीता (डेरी ले दूसर), अब तक ले अपन बांहचे मेहनताना ला अगोरत हवय

छवि बताथें, “जिला के कतको अस्पताल के जचकी वार्ड मं, तुमन ला एक ठन जगा दिखहि, जऊन मं लिखाय होही ‘आशा के लिए प्रवेश वर्जित’, हमन माइलोगन ला जचकी सेती आधा रात के ओकर संग आथन, अऊ वो मन हमन ला रुके ला कहिथें, काबर वो मन उहाँ पूरा भरोसा नई पायेंव अऊ हमन ऊपर भरोसा करथें. फेर, हमन ला भीतर जाय के इजाजत नई ये. अस्पताल के कर्मचारी कहिथें, ‘चलो अब निकलो यहां से'. कर्मचारी मन हमन ले अइसने बेवहार करथें जइसने हम वो मन ले कमतर हवन.” कतको आशा कार्यकर्ता वो जोड़ा धन ओकर परिवार के संग रत भर रुके रहिथें, फेर कतको प्राथमिक अऊ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मं अगोरे के कऊनो खोली नई होय.

प्रदर्शन के जगा मं, मंझनिया के करीबन 3 बज चुके हवय, अऊ मईलोगन मन अकबकाये ला धरे हवंय. वो मन ला काम मं लहूँटे ला परही. सुनीता येला खतम करे आगू आथे,  “सरकार ला हमन ला आधिकारिक रूप ले कर्मचारी मान लेय ला चाही, स्वयंसेवक नई. वोला हमर ऊपर ले सर्वेक्षण के बोझ हटा लेय ला चाही, जेकर ले हमन अपन काम करे सकन. हमर जऊन मेहनताना बांहचे हवय ओकर चुकारा करे ला चाही.”

कतको आशा कार्यकर्ता जाय ला धरथें. सुनीता आखिरी पईंत नारा लगाथे, “काम पक्का, नऊकरी कच्ची.” पहिली के बनिस्बद जियादा तेज अवाज मं बाकी माइलोगन मन कहिथें, “नहीं चलेगी, नहीं चलेगी." शीतल अपन दुपट्टा ले मुड़ी ला तोपत हंसत कहिथे, “हमर करा त अपन हक सेती हड़ताल मं बइठे के समे नई ये, हमन ला हड़ताल सेती सिविर अऊ अपन सर्वेक्षण के बीच ले समे निकारे ला परथे!” वो अब घर-घर के अपन रोज के आय-जाय सेती फिर ले तियार हवय.

पारी अऊ काउंटरमीडिया ट्रस्ट के तरफ ले भारत के गाँव देहात के किशोरी अऊ जवान माइलोगन मन ला धियान रखके करे  ये रिपोर्टिंग ह राष्ट्रव्यापी प्रोजेक्ट ' पापुलेशन फ़ाउंडेशन ऑफ़ इंडिया ' डहर ले समर्थित पहल के हिस्सा आय जेकर ले आम मइनखे के बात अऊ ओकर अनुभव ले ये महत्तम फेर कोंटा मं राख देय गेय समाज का हालत के पता लग सकय.

ये लेख ला फिर ले प्रकाशित करे ला चाहत हवव? त किरिपा करके [email protected] मं एक cc के संग [email protected] ला लिखव

अनुवाद: निर्मल कुमार साहू

அனுபா போன்ஸ்லே, 2015 ல் பாரியின் நல்கையை பெற்றவர். சுதந்திர பத்திரிகையாளர் மற்றும் ICFJ Knight நல்கையை பெற்றவர். இவருடைய Mother, where's my country? என்கிற புத்தகம் மணிப்பூரின் சிக்கலான வரலாறு, ஆயுதப் படைகளின் சிறப்பு அதிகார சட்டம் , அதன் தாக்கம் போன்றவற்றை பேசும் புத்தகம்.

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Pallavi Prasad

பல்லவி பிரசாத் மும்பையை சேர்ந்த சுயாதீன பத்திரிகையாளர். யங் இந்தியாவின் மானியப் பணியாளர். லேடி ஸ்ரீராம் கல்லூரியின் ஆங்கில இலக்கிய பட்டதாரி. பாலினம், பண்பாடு மற்றும் மருத்துவம் குறித்து எழுதி வருகிறார்.

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Illustration : Priyanka Borar

ப்ரியங்கா போரர், தொழில்நுட்பத்தில் பல விதமான முயற்சிகள் செய்வதன் மூலம் புதிய அர்த்தங்களையும் வெளிப்பாடுகளையும் கண்டடையும் நவீன ஊடக கலைஞர். கற்றுக் கொள்ளும் நோக்கிலும் விளையாட்டாகவும் அவர் அனுபவங்களை வடிவங்களாக்குகிறார், அதே நேரம் பாரம்பரியமான தாள்களிலும் பேனாவிலும் அவரால் எளிதாக செயல்பட முடியும்.

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Editor : Hutokshi Doctor
Series Editor : Sharmila Joshi

ஷர்மிளா ஜோஷி, PARI-ன் முன்னாள் நிர்வாக ஆசிரியர் மற்றும் எழுத்தாளர். அவ்வப்போது கற்பிக்கும் பணியும் செய்கிறார்.

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Translator : Nirmal Kumar Sahu

Nirmal Kumar Sahu has been associated with journalism for 26 years. He has been a part of the leading and prestigious newspapers of Raipur, Chhattisgarh as an editor. He also has experience of writing-translation in Hindi and Chhattisgarhi, and was the editor of OTV's Hindi digital portal Desh TV for 2 years. He has done his MA in Hindi linguistics, M. Phil, PhD and PG diploma in translation. Currently, Nirmal Kumar Sahu is the Editor-in-Chief of DeshDigital News portal Contact: [email protected]

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