दीवानखाना
ला सजाय सेती पेंटिंग नई बनाय जाय.ये हा बैइरी के खिलाफ आक्रामक अऊ अपन बचाव के
हथियार आय.
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पब्लो पिकासो
मराठी भासा का एक ठन हाना हवय, "बामना घरी लिहनं, कुणब्या घरी दानां आणि-महारा घरी गाणं।" यानि बाम्हन के घर मं अक्षर होथे, कुनबी के घर मं अनाज होथे अऊ मांग-महार के घर मं गीत-संगीत होथे. परम्परा ले चलत गाँव मं, मांग समाज हल्गी बजावत रहिस, गोंधली संबल बजावत रहिस, धनगर ढोल के उस्ताद रहिस अऊ महार एकतारी बजावत रहिस. ग्यान, खेती, कला अऊ संगीत के संस्कृति ला जात के अधार ले अलग करे गे रहिस. येला छोड़ 'अछूत' माने जात कतको जात मन बर गाना अऊ बजाना रोजी रोटी के महत्तम साधन रहिस. सैकड़ों बछर ले अतियाचार अऊ भेदभाव ला झेलत, दलित मन अपन इतिहास, बहादुरी, पीरा, उछाह अऊ दर्शन ला जत्यावरची ओवी (जतरी गीत धन कविता), मुंह कहिनी मन मं, गीत मन मं अऊ लोकसंगीत के रूप मं संभाल के रखे हंवय. डॉ. अम्बेडकर के रास्ट्रीय स्तर मं उभरे ले पहिली महार मन कबीर के दोहा संग एकतारी बजावें, विट्ठल भगवान के भक्ति गीत अऊ भजन गावत रहिन.
1920 के सिरोत जेन बखत डॉ. अम्बेडकर दलित राजनीति के अकास मं उभरिस, ये अलग-अलग किसिम के कलाकार मन ओकर सुरु करे गे ज्ञानोदय आंदोलन ला बगराय मं महत्तम भूमिका निभाईन. वो मन डॉ. अम्बेडकर के आंदोलन, रोजमर्रा के घटना मन ला अऊ डॉ. अम्बेडकर के भूमिका, ओकर संदेस, जिनगी अऊ लड़ई ले समाज मं होय बदलाव ला अपन भासा मं बताईन जेन ला अनपढ़ अऊ एकर ले बेखबर मन समझ सकंय.एक पईत जेन बखत डॉ. अम्बेडकर ह भीमराव कार्डक अऊ ओकर मंडली ला बम्बई के नायगांव इलाका के वेलफेयर ग्राउंड के जलसा (गीत मन ले सांस्कृतिक विरोध) करत देखिस त वो ह कहिस, “मोर दस भेंटघाट अऊ सभा ह कार्डक अऊ ओकर मंडली के एक जलसा बरोबर आय. "
एक कार्यक्रम मं डॉ. अम्बेडकर के मऊजुदगी मं शाहीर भेगडे कहे रहिस:
मोर
जवान महार बेटा (अम्बेडकर) बहुत हुसियार रहिस
सच्ची
मं बहुतेच हुसियार
सरी
दुनिया मं अइसने नई होही
वो
ह हमन ला अंधेला ले बहिर निकले के रद्दा देखाइस
वो
हा बेगुनाह मन ला जगाईस
डॉ. अम्बेडकर के आंदोलन ह दलित मन मं चेतना के लहर ला दिस. जलसा ह ये आंदोलन के साधन रहिस, अऊ शाहीरी (प्रदर्सन कविता) के हजारों जाने पहिचाने अऊ अजनान कलाकार मन रहिन.
जइसे-जइसे अम्बेडकरवादी आंदोलन गाँव मन मं पहुंचिस, दलित बस्ती मन मं जेन मं घर के आधा टीना चद्दर त आधा खपरा छवाय रहिस गजब नजारा दिखय. बस्ती के मंझा जगा मं मंच रहय,जिहां नीला झंडा फहराय जाय. अऊ झंडा तरी लइका, माइलोगन मन, मरद अऊ सियान मन संकलावेंव. सभा होय अऊ ये सभा मं भीम गीत गाये जाय. चैत्यभूमि (मुंबई मं), दीक्षाभूमि (नागपुर मं) अऊ दीगर बड़े सहर मं छोटे बड़े कवि मन के गीत के किताब लाय गीस. फेर दलित बस्ती के माइलोगन अऊ मरद मं अनपढ़ रहिन, वो मन इस्कूल पढ़ेइय्या लइका मन ला पढ़े ला कहंय अऊ वो गीत मन ला सुरता कर लेवंय. धन वो मन कोनो शाहिर के गाय गीत ला रट लेवंय. अपन बस्ती मं वोकर परदर्सन करेंय. कुछेक खेत मं बूता करेइय्या माई लोगन मन दिन भर के थके मांदे घर लहूँटय, ये गाय ला सुरु कर देंव, “भीम राजा की जय! बुद्ध भगवान की जय!" वो मन के ये गीत हा बस्ती मं खुसी, उछाह अऊ आसा बगरा देवय. ये गीत ह गांव मन मं दलित मन के एकेच विश्वविद्यालय रहिस. इहाँ ले अवैय्या पीढ़ी ला बुद्ध अऊ अम्बेडकर के जानकारी होईस. जवान पीढ़ी ह अपन मन मं बुद्ध, फुले अऊ अम्बेडकर के बारे में ये गवैय्या मन अऊ शाहिर मन के कड़ा भासा मं तियार गीत ला आत्मा मं बसा के रख लीन जेन ला भुलाना असंभव रहिस.शाहिर मन एक पूरा पीढ़ी के सामाजिक अऊ सांस्कृतिक चेतना ला गढ़ीन. आत्माराम साल्वे एक अइसन शाहिर रहिस, जेन ह मराठवाड़ा के सामाजिक-सांस्कृतिक जागरण ला ढाले मं महत्तम भूमिका निभाय रहिस.
9 जून, 1953 मं बीड जिला के मजलगांव ब्लाक के भटवडगांव गांव मं जन्मे शाहीर साल्वे 1970 के दशक मं एक पढ़ेइय्या लइका के रूप मं औरंगाबाद पहुंचिस.
मराठवाड़ा निज़ाम शासन (1948 ले पहिली) के अधीन रहिस, अऊ ये इलाका के विकास ला सिच्छा समेत कतको जगा मन मं नुकसान उठाय ला परिस. ये हालत के खिलाफ, डॉ. अम्बेडकर ह 1942 मं पीपुल्स एजुकेशन सोसाइटी के तत्वावधान मं औरंगाबाद के नागसेनवन इलाका मं मिलिंद महाविद्यालय के शुरवात करिस. नागसेनवन इलाका ह दलित छात्र मन बर उच्च अध्ययन केंद्र के रूप मं विकसित होवत रहिस. मिलिंद कॉलेज के पहिली पूरा मराठवाड़ा मं एकेच सरकारी कॉलेज रहिस - औरंगाबाद मं – वो घलो सिरिफ इंटर तक ले! (इंटर इंटरमीडिएट डिग्री, एक प्री-डिग्री कोर्स आय) मिलिंद मराठवाड़ा मं स्नातक शिक्षा बर पहिला कॉलेज रहिस. ये नवा कॉलेज ह इलाका मं पढ़े-लिखे के माहौल बनाय मं महत्तम भूमिका निभाईस. संगे संग ये हा इहाँ के राजनीतिक, सामाजिक अऊ सांस्कृतिक माहौल ला घलो बदल दिस. ये हा एक ठन मरत समाज ला जिनगी दे दिस, अपन पहिचान अऊ अपन कीमत चिन्हे के भावना ला जगा दिस. महाराष्ट्र के कोंटा कोंटा तको ले नई कर्नाटक, आंध्र प्रदेश अऊ गुजरात डहर ले लइका मन पढ़े ला मिलिंद आय ला धरिन. येहिच बखत आत्माराम साल्वे ह पढ़े बर मिलिंद आइस. मराठवाड़ा विश्वविद्यालय (औरंगाबाद मं) के नांव बदले के आंदोलन, जेन ह इहाँ के परिसर ले शुरू होय रहिस, दू दसक तक ले ओकर कविता ले उभरे रहिस. एक तरीका ले वो ह नमनतर ('नांव बदलना') अऊ दलित पैंथर आंदोलन मन के सांस्कृतिक सक्रियता बर पूरा तरह ले जिम्मेवार रहिस.
1970 के दसक ह एक ठन अशांत दसक रहिस, ये हा आजाद भारत के पहिली पीढ़ी के जवान टूरा अऊ टुरी मन के जगा रहिस. बनेच अकन जवान लइका मन डिग्री ले के रहिन. फेर अजादी (1947) के बाद के हालत ले वो मन के मोहभंग हो गे रहिस. वो मन के ऊपर कतको घटना मन के प्रभाव परे रहिस, आपातकाल, पश्चिम बंगाल मं नक्सलबाड़ी, तेलंगाना राज्य आंदोलन; बिहार मं जयप्रकाश नारायण के नवनिर्माण आंदोलन, गुजरात अऊ बिहारमं ओबीसी आरक्षण बर आंदोलन; हालेच मं संयुक्ता महाराष्ट्र आंदोलन; मुंबई मं मिल मजदूर मन के लड़ई; शाहदा आंदोलन; हरित क्रांति; मराठवाड़ा मुक्ति आंदोलन; अऊ मराठवाड़ा मं सुक्खा. जवान लईका अऊ देश मं उथल-पुथल मचे रहिस, विकास अऊ पहिचान बर लड़ई तेज हो गे रहिस.
डॉ. मच्छिंद्र मोहोल के नेतृत्व मं मराठवाड़ा रिपब्लिकन स्टूडेंट्स फेडरेशन के झंडा उठाय नागसेनवन परिसरमं पहुंचे के बाद जागरूक पढ़ेइय्या लइका मन 26 जून 1974 मं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ला चिट्ठी लिखके दू विश्वविद्यालय मन ले एक मराठवाड़ा ला डॉ. अम्बेडकर के नांव करे के मांग करिन. फेर भारतीय दलित पैंथर्स के शामिल होय ले नाम बदले (नमंतर) के ये मांग ह एक संगठित रूप ले लिस. नामदेव ढसाल अऊ राजा ढाले मं लड़ई के सेती ढालेह दलित पैंथर्स ला खतम करे के घोषणा करे रहिस. फेर प्रो. अरुण कांबले, रामदास आठवले, गंगाधर गाड़े अऊ एस.एम. प्रधान, महाराष्ट्र मं दलित पैंथर्स के काम ला आगू करत रहीं.
आत्माराम साल्वे ह नवगठित भारतीय दलित पैंथर्स मन बर लिखिस:
मंय
एक झिन पैंथर सिपाही आंव
कांबले
अरुण सरदार
हमन
सब्बो जय भीम वाले
नियाव
बर लड़े
सैनिक
नई डेरावन
हमन
कऊनो ले नई डेरावन
हमन
अनियाव ला खतम करबो
अऊ आगू
बढ़व
दलित, किसान, कार्यकर्ता, उठव
आवव,
मिलजुर के एके हवव अऊ अपन मुट्ठी ला उठावव
ये गीत ले साल्वे ह नवा पैंथर्स के स्वागत करिस अऊ वो ह 'मराठवाड़ा उपाध्यक्ष' के जिम्मेवारी ला संभालिस. 7 जुलाई 1977 मं नवगठित भारतीय दलित पैंथर्स के महासचिव गंगाधर गाड़े ह मराठवाड़ा विश्वविद्यालय के नांव ला डॉ. अम्बेडकर के नांव मं रखे जाय के पहिली सार्वजनिक मांग उठाईस.
18 जुलाई 1977 मं, सब्बो कॉलेज बंद कर देय गिस अऊ ऑल-पार्टी स्टूडेंट एक्शन कमेटी ह मराठवाड़ा विश्वविद्यालय के नमनतर के मांग करत एक ठन बड़े जुलुस निकालिस. फिर 21 जुलाई 1977 मं औरंगाबाद के सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज, सरस्वती भुवन कॉलेज, देवगिरी कॉलेज अऊ विवेकानंद कॉलेज के सवर्ण (जाति हिंदू) छात्र मन नांव बदले के मांग के खिलाफ पहिली विरोध प्रदर्शन करिन. नमनतर के पक्ष अऊ विपक्ष मं विरोध, हड़ताल अऊ रैली के बाढ़ आगे. अवैय्या दू दसक बर, मराठवाड़ा दलित मन अऊ गैर-दलित मन के बीच कलह के कुरुक्षेत्र बन गे. ये लड़ई मं आत्माराम साल्वे ह अपन शाहिरी के हथियार ले, अपन अवाज अऊ अपन शब्द के इस्तेमाल करिस, "दलित मन ऊपर मढ़ा देय गेय जात युद्ध के खिलाफ."
आत्माराम साल्वे अइसने बखत मं उभरिस जब अंबेडकर के आंदोलन ला देखे अऊ गम पाय वाले शाहिर - जइसे शाहिर अन्नाभाऊ साठे, भीमराव कार्डक, शाहीर घेगड़े, भाऊ फक्कड़, राजानंद गडपयाले अऊ वामन कार्डक – अब ये सामाजिक-सांस्कृतिक परिवेश मं मौऊजूद नहीं रहिन.
आंबेडकर के बाद के बखत मं विलास घोगरे, दलितानंद मोहनजी हाटकर और विजयानंद जाधव जइसे शाहिर मन डॉ. अम्बेडकर के आंदोलन धन धर्म परिवर्तन के समे ला नई देखे रहिन. एक मायना मं, वो मं बिन लिखाय स्लेट रहिन. दिहात के ये शाहिर मन ला बाबासाहेब (डॉ. अम्बेडकर) अऊ ओकर आंदोलन ला किताब मन के जरिया के बताय गिस.त वो मन के शाहिरी देखे मं भयंकर आय, अऊ आत्माराम साल्वे के गाना त ओकर ले घलो जियादा हवय.
नमनतर के मामला सिरिफ नांव बदले के नई रहिस. ये हा पहिचान बर जागरूकता अऊ मइनखे होय के चेतना बर घलो रिहिस.
जेन बखत मुख्यमंत्री वसंतदादा पाटिल ह नमनतर आंदोलन ला समर्थन देय बर पाछू हट गे, आत्माराम साल्वे ह लिखिस:
वसंतदादा, हमन ले लड़ई झन करव
तुमन
अपन सिरिफ कुरसी गँवा देहू
सत्ता
मं काबिज होहीं ये दलित
तुमन
धुर्रा भरे कोंटा मं रही जाहू
तुमन
सत्ता के नसा मं हवव
येती
देखव, छोड़व अपन तानाशाही
तुम्हर
निरंकुश शासन नहीं चल सकय
पुलिस ह अक्सर सामाजिक भवना बिगारे के आरोप मं ओकर कार्यक्रम मन ला बंद कर देवय फेर आत्माराम ह कभू प्रदर्शन बंद नई करिस
आत्माराम साल्वे ह सिरिफ गीतेच नई लिखिस, जेन बखत वसंतदादा पाटिल ह नांदेड़ के दउरा करिस तेन समे हजारों लोगन मन के आगू एकर प्रदर्सन करिस. ओकरे खिलाफ मामला दरज करे गिस. वोकर बाकी जिनगी तक ले राजनीतिक 'अपराध' मन के सिलसिला बे रहिस. 1978 ले 1991 तक, साल्वे के गुजरे बखत तक ले पूरा महाराष्ट्र के पुलिस थाना मं मामला दरज करे गे रहिस, जे मं लड़ई, सरकारी काम मं बाधा डाले, दंगा करे अऊ समाज के भावना ला बिगारे जइसन दोस सामिल रहिस.अऊ ओकर परान लेय बर कतको हमला होईस. साल्वे के मितान अऊ संगवारी चंद्रकांत ठाणेकर सुरता करथे, “1980 मं, देगलुर ब्लॉक (नांदेड़ जिला) के मरखेल गांव मं ओकर ऊपर हमला होईस.साल्वे ऊपर डॉ. नवल के हत्या करे के कोसिस के आरोप लगाय गे रहिस. जब वो हा डॉक्टर ले पूछताछ करिस, जेकर ऊपर बेन्नाल गांव मं एक दलित मजदूर काले के हत्या के मामला मं झूठा मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करे के आरोप रहिस. एकर बर, वोला, रमा खड़गे अऊ मोला दू बछर के कठोर जेल के सजा अऊ 500 रुपिया के डांड भरे ला सुनाय गे रहिस. बाद मं उच्च न्यायालय ह हमन ला बरी कर दिस.”
उहिच मरखेल गाँव मं, 70 बछर के माईलोगन नागरबाई सोपान वजारकर ह मोला आत्माराम साल्वे के हाथ के लिखे एक ठन कापी दिस. वोहर वोला एक ठन माटी के हांड़ी ले निकलिस जेन ला वो 40 बछर तक ले संभाल के रखे रहिस. ये उहिच नागरबाई रहिस जेन ह मरखेल मं हमला होय ले आत्माराम के परान बचाय रहिस. एक दीगर घटना मं, मजलगांव के बेपारी मन पैंथर्स के करे बंद बर आत्माराम साल्वे ला निकाले के मांग करत एक विरोध रैली निकालिन. ओकर बाद वोला बीड जिला मं जाय ले रोक लगा देय गिस. मुखेड के तेजाराव भद्रे, जेन ह आत्माराम के प्रदर्सन बखत हारमोनियम बजावे, कहिथे, “आत्माराम अपन भासन मं मयारू अऊ अपन गीत मन मं उत्तेजना ले भरे रहिस. दलित मला ओकर गोठ बात सुहाय, फेर सवर्ण मन ला एला खराब लागिस. अक्सर वो मन पथरा फेंकेव. आत्माराम ह गाईस त आगू बइठे लोगन मन मंच डहर सिक्का फेंकेय, फेर ओकर ले नाराज लोगन मन पथरा फेंकेय. एक शहरीर के रूप मं, वोला एके बखत मं मया अऊ नफरत दूनो मिले रहिस – अऊ ये ह रोजके जइसन रहिस. फेर पथराव ह आत्माराम ला गाय ले कभू रोक नई सकिस. वो ह अपन जम्मो गुस्सा अपन गीत मं डार देय अऊ लोगन मन ले अपन गौरव अऊ सम्मान बर लड़े के अपील करय. वो हा चाहय के वो मन अनियाव के खिलाफ लड़यं.”
पुलिस अक्सर सामाज के भवना बिगारे के आरोप मं ओकर कार्यक्रम मन ला बंद कर देवेव, फेर आत्माराम ह कभू प्रदर्सन बंद नई करिस. फुले पिंपलगांव के शाहीर भीमसेन साल्वे, जेन ह प्रदर्शन के बखत आत्माराम के संग रहिस, सुरता करथे, “आत्माराम साल्वे ला बीड जिला मं जाय बर रोक लगा देय गे रहिस, लेकिन एक रात, वोला जिला के सरहद के भीतर अपन शाहीरी प्रदर्सन करना रहिस. कऊनो एकर खबर पुलिस ला दे दिस. पुलिस ह आके आत्माराम ला रुके ला कहिस. तब आत्माराम ह गाँव ले गुजरे नदी के ओ पार चल दिस. वो हिस्सा ह जिला के सरहद ले बहिर रहिस अऊ आत्माराम ह उन्हीचे ले गाय ला सुरु कर दिस. ये पार रात के अंधियार मं लोगन मन वोला गावत सुनत रहिन. गवेईय्या ह जिला ले बहिर रहिस अऊ देखेय्या मं जिला के सरहद के भीतरी मं. पुलिस लचार रहिगे! ये हालत हा मजा देवेय्या रहिस." आत्माराम हा अइसने कतको हालत ले गुजरे रहिस, फेर वो हा गाय ला नई छोड़ीस. गाना हा ओकर जिनगी के ताकत रहिस.
दू दसक तक आत्माराम साल्वे के अंजोर बगरावत कविता ले मराठवाड़ा विश्वविद्यालय के नांव बदले के आंदोलन ले हड़कंप मचगे
मानवी हक्का अभियान (बीड मं) के संस्थापक अध्यक्ष एडवोकेट एकनाथ अवध ह आत्माराम साल्वे ले जुरे एक ठन घटना ला अपन आत्मकथा जग बादल ग़लुनी ग़व (स्ट्राइक ए ब्लो टू चेंज द वर्ल्ड, अनुवाद जेरी पिंटो) मं लिखे हवय, “आत्माराम ला प्रत्यर्पित करे गे रहिस.बीड मं समाज मं झगरा कराय, अपन शाहिरी ले लोगन मन ला भड़काय के आरोप हवय टेकरी सेती वो हा नांदेड़ मं रहिस. हमन पैंथर्स के एक जिला साखा सुरु करेन अऊ ओकर जलसा के आयोजन करेन. आत्माराम के बीड मं आय बर रोक लगा दे गे रहिस. एकर सेती पुलिस के भरी निगरानी रहिस. एक पीएसआई कदम आत्माराम ला गिरफ्तार करे बर पूरा तरीका ले तियार रहिस. हमन जाके ओकर ले भेंट करें. हमन कहेन, 'प्रदर्सन के बाद वोला गिरफ्तार करव,' वो ह मान गे. आत्माराम ह अपन पूरा ताकत लगा के परदरसन करिस. वो हा अपन गीत मं नमनतर के मांग ला दोहरईस. पीएसआई कदम ह गीत ला सुन मगन होगे. वो ह 'बहुतेच कट्टरपंथी शाहिर' होय के सेती ओकर प्रशंसा करिस. फेर तारीफ करे के बाद घलो वोला गिरफ्तार करे बर तियार रहिस. आत्माराम ला सुध आइस त वो हा मंच मं अपन जगा दीगर ला बईठा दिस अऊ उहाँ ले भाग गे. आत्माराम ला गिरफ्तार करे बर पीएसआई कदम मंच मं पहूँचीस फेर वो हा कउनो डहर नई मिलिस''
27 जुलाई 1978 मं जइसने महाराष्ट्र विधानसभा मं मराठवाड़ा विश्वविद्यालय के नांव बदले के प्रस्ताव पारित होइस, पूरा मराठवाड़ा इलाका दलित मन बर परलय मं बदल गे. एके दिन मं आया जाय के सब्बो साधन ला बंद कर दे गिस अऊ हजारों दलित मन के घर मं ला जला दे गिस. कतको जगा त कुरिया मन मं आगि लगा दे गिस जेकर ले भीतर रहे मईलोगन अऊ छोटे लइका मन ला जियंत जरा दे गिस. नांदेड़ जिला के सुगांव गांव के जनार्दन मेवाडे अऊ तेम्भुरनी गांव के उप सरपंच पोचिराम कांबले के हत्या कर देय गिस. परभणी जिला के धामनगांव गांव के दलित पुलिस अधिकारी संभाजी सोमाजी अऊ गोविंद भूरेवार के घलो हत्या कर देय गिस. हजारों दलित मन घायल होइन. लाखों के संपत्ति लूट ले गिस. खेत मं खड़े फसल अऊ खेत बरबाद होगे. कतको गाँव मन मं दलित मन के बहिस्कार करे गिस अऊ खाय पिये ला नई दे गिस.हजारों लोगन मन भाग के गाँव ले सहर आ गिन. करीब 1.5 करोड़ के सार्वजनिक अऊ निजी सम्पत्ति के नुकसान होय रहिस. कतको जगा डॉ. अम्बेडकर के मूर्ति ला तोड़े गिस. मराठवाड़ा ह जाति युद्ध के मइदान मं बदलगे रहिस.
आत्माराम ह मराठवाड़ा मं होय भयानक जातीय हिंसा ला लेके एकठन गीत लिखीस, जेन मं ओकर क्रूरता ला उजागर करे गे रहिस:
गाँव-गाँव
मं लगिस आगि
नलगीर
मं एक झिन नानचिक नोनी ला जरा दे गिस
अपन
जिनगी ला धर के, जंगल डहर भागत
दलित
गिरत-परत, भाग गिन
जातिवादी
मन ओमन ऊपर अतियाचार अऊ अतियाचार करिन
दलित
मन करा कऊनो काम नहीं रहिस, चूल्हा परे हवय ठंडा
लोगन
मन उठव, उठव,
जरत
घर के आगि ला बुझावव, क्या तुमन नई बुझावव?
कोनो
फर्क नई परे के खून के नदी बोहावत हवय
मोला
ये खून मं नहाय ला दो
ये
आखिरी लड़ई मोर संग लड़व, का नई लड़हू
क्रांति
के ये बीज ला बोवो ना
दलित विरोधी ये माहौल ह एकेच दिन मं नई बनिस. निजाम के राज मं अइसने रहिस. निजाम मं के खिलाफ लड़ई मं स्वामी रामानंद तीर्थ सबले आगू रहिस. वो हा आर्य समाज ले रहिस. हालाकि आर्य समाज के गठन ह बाम्हनवादी अतियाचार के विरोध करे बर करे गे रहिस फेर एकर चलाय के मुखिया मं अब तक कतको बाम्हनवादी रहिन. अऊ रजाकार मन के खिलाफ लड़ई के बखत ये मुखिया ह दलित मन के खिलाफ कतको पूर्वाग्रह पइदा करे रहिन. 'दलित मन निजाम के समर्थन करथें', 'दलित पड़ोसी आसरा रजाकार' जइसने दुष्प्रचार ह अंबेडकर विरोधी सवर्ण लोगन मन नराज कर दिस अऊ वो हा वो मन के दिमाग मं भर गे रहिस.एकरे सेती राजकर मन उपर पुलिस कार्रवाई के बखत कतको दलित मन उपर अतियाचार होगे. दलित मन के खिलाफ ये अतियाचार ला लेके एक ठन रिपोर्ट मराठवाड़ा अनुसूचित जाति संघ के तत्कालीन अध्यक्ष भाऊसाहेब मोरे ह तियार करे रहिस, जेन ह येला डॉ अम्बेडकर अऊ भारत सरकार ला पठोय रहिस.
डा. अम्बेडकर के बाद दादा साहब गायकवाड़ के मुखियाई मं भूमि अधिकार के लड़ई ओकर नारा 'कसेल तैची जमीन, नसेल त्याचे के' के संग लड़े ग रहिस. (‘जोतने वाला ला जमीन, फेर भूमिहीन मन के का?’) ये लड़ई मं मराठवाड़ा के दलित मन सबले आगू रहिन अऊ एकर बर लाखों माईलोगन अऊ मरद मन जेल गिन. दलित मन अपन गुजारा बर लाखों हेक्टेयर जमीन मं कब्जा कर लिन. सवर्ण मन दलित मन संग मिले साझा चरागाह ले बहुत खुस नई रहिन. वो गुस्सा वो मन के मन मं बने रही गे. वसंतदादा पाटिल अऊ शरद पवार के लड़ई घलो ये मं भूमिका निभाईस. गांव-गांव मं सवर्ण मन के गुस्सा नफरत अऊ हिंसा के रूप मं आगू आवत रहिस. नमनतर आंदोलन के बखत अफवाह फैलिस, जइसे "विश्वविद्यालय ला नीला रंग ले रंगे जाही"; "डिग्री प्रमाण पत्र मं डॉ. अम्बेडकर के फोटो होही"; "डॉ अंबेडकर अंतरजातीय बिहाव ला बढ़ावा देथे, एकर ले ये पढ़े-लिखे जवान दलित हमार बेटी मन ला छीन लिहीं.
"मराठवाड़ा विश्वविद्यालय के नामंतर के मुद्दा नव बौद्ध आंदोलन के उद्देस्य मं सामिल हवय. ये हा साफ तऊर ले एक ठन अलगाववादी आंदोलन आय जेन ह स्वतंत्र दलित अस्तित्व के मांग करत हवय अ ऊ एकर बर बौद्ध राष्ट्र मन ले मदद मांगत हवय. वो मन भारतीय नागरिकता ला छोड़े के हालत बर घलो तियार हवंय. एकरे सेती हमन ला जल्दी ले जल्दी साफ अऊ कड़ा रास्ता अपने के जरूरत हवय." लातूर मं होय अपन बइठका मं नमनतर विरोधी कृति समिति हा ये प्रस्ताव पारित करिस अऊ दलित मन ला ओकर मातृभूमि ले अलग करे के कोसिस करिन. नमंतर आंदोलन ला हिंदू अऊ बौद्ध मन के लड़ई के रूप मं चित्रित करे गे रहिस अऊ ये तरह के बात पहिली ले मन मं आम हो गे रहिस. अऊ एकरे सेती मराठवाड़ा तब तक ले बरत रहिस जब तक के नमंतर आंदोलन सुरू नई होईस, अऊ एकर बाद घलो सरलग उथल-पुथल मचे रहय.नमनतर आंदोलन के समे मं सत्ताईस दलित शहीद होय रहिन.
आंदोलन ह सिरिफ अस्तित्व अऊ पहिचान के मुद्दा भर मन बर नई रिहिस, ये मं समाजिक अऊ सांस्कृतिक संबंध घलो आके मिल गे रहिस. एकर असर जनम, बिहाव अऊ मउत के रसम मं देखे ला मिलिस. बिहाव अऊ अंतिम संस्कार के बखत, लोगन मन 'डॉ अम्बेडकरांचा विजय एसो' ('डॉ. अम्बेडकर के जीत'), अऊ 'मराठवाड़ा विद्यापीठचे ममंतर झलेच पाहिजे' ('मराठवाड़ा विश्वविद्यालय के नांव बदले जाय') जइसने नारा लगे ला लगिस. शाहीर आत्माराम साल्वे ह लोगन मन ला नमंतर के बारे मं जागरूक करे अऊ सामाजिक-सांस्कृतिक चेतना ला अकार देय मं महत्तम भूमिका निभाईस.
आत्माराम साल्वे के जिनगी अम्बेडकर अऊ नमंतर बर बनगे. वो ह कहत रहय, "जब विश्वविद्यालय के नांव आधिकारिक रूप ले बदल देय जाही, त मंय अपन घर अऊ खेत बेंच दिहों, अऊ मिले पइसा ले विश्वविद्यालय के मुंहटा मं सोन के आखर मं अम्बेडकर के नांव लिखाहूँ. वो ह अपन अवाज, शब्द अऊ शायरी ले अतियाचार के खिलाफ ग्यान के मशाल ला आगू बढ़ाइस. नमंतर के मकसद ला हासिल करे बर घोर मेहनत करत, वो ह दू दसक तक ले बिना कऊनो साधन के महाराष्ट्र के गांव मन मं पईदल घूमत रहिस. वो ला सुरता करत औरंगाबाद के डॉ. अशोक गायकवाड़ कहिथे, ''नांदेड़ जिला के मोर गांव बोंदगावां मं अब तक ले जाय के रस्ता नई ये अऊ न त कउनो मोटरगाड़ी उहाँ तक पहुंचथे. आत्माराम 1979 मं हमर गांव आय रहिस अऊ शाही जलसा करिस. वो हा अपन शहिरी ले हमर जिनगी मं उजास लईस अऊ ओकर गीत मन दलित मन ला मजबूत करिस. वो ह जातिवादी मं ला खुलेआम चुनोती दिस. जइसने वो ह अपन दमखम भरे आवाज मं गाय ला सुरु करिस, लोगन मन मंदरस माछी के गुडा कस ओकर तिर झूम परिन. ओकर गीत मन कान मं परके जिनगी दे देय अऊ ओकर शब्द मन मरे मन ला फेर ले जियां देंव जेकर ले वो ह उठ सकय अऊ घिरना ले लड़ सकय."
किनवट (नांदेड़ जिला मं) के दादाराव कयापक ला साल्वे के सुरता बने हवय. “1978 मं, गोकुल गोंडेगांव मं दलित मन ला बहिष्कृत करे जात रहिस. एकर विरोध मं एस.एम. प्रधान, सुरेश गायकवाड़, मनोहर भगत, एडवोकेट मिलिंद सरपे अऊ मंय रैली निकालेन. पुलिस ह कऊनो सभा बर रोक लगात धारा 144 [सीआरपीसी] लगाय रहिस. आत्माराम साल्वे के एक ठन जलसा आयोजित करे गे रहिस अऊ हालत तनावपूर्ण रहिस. सवर्ण लोगन मन के मांग रहिस के शाहीर साल्वे अऊ पैंथर के कार्यकर्ता मन ला गिरफ्तार करे जाए। वो मन पुलिस अधीक्षक शृंगरवेल अऊ उपाधीक्षक एसपी खान के घेराव करिन अऊ पुलिस गेस्ट हाउस के परिसर के दीवार मं आगि धरा दिन. माहौल गरम हो गे अऊ पुलिस ह फायरिंग कर दिस. ये मं कांग्रेस सांसद उत्तमराव राठौड़ के करीबी साथी अऊ दलित संरक्षण कार्यकर्ता जे. नागोराव के जिनगी चले गिस.
शाहिर आत्माराम साल्वे के गीत मानवता, समानता, स्वतंत्रता, बंधुत्व अऊ नियाव के विचार मं ले भरे पूरे हवंय. लड़ाई (लड़ई), थिंगी (चिंगारी), क्रांति (क्रांति), आग (आगि), रण (युद्ध के मइदान), शास्त्र (हथियार), तोफ (तोप), युद्ध (युद्ध), नव इतिहास (नवा इतिहास) जइसे शब्द वोकर गीत ला सुंदराथें. वोकर शब्द ह वास्विक जिनगी ला बताथे. ओकर हरेक गीत युद्ध के पीरा रहिस.
तोप लाईस, छलांग लगाईस
मनु के संतान ला दफनाय बर
आवव एक नवा इतिहास रचबो
क्रांति के पौधा ला लगावव
बंदूख ले निकले गोली आज, जलाए जाही होली
मनु के किला ला गिराय बर
आत्माराम साल्वे ह मनोरंजन,पईसा, प्रसिद्धि धन नांव बर प्रदर्शन नई करिस. ओकर मानना रहिस के कला ह तटस्थ नई ये, फेर परिवर्तन के लड़ई मं एक ठन महत्तम हथियार आय
एक कलाकार अऊ शाहिर के रूप मं आत्माराम तटस्थ नई रहिस. न तो वो ह प्रांतीय धन सांकर सोच वाला रहिस. 1977 मं बिहार के बेलछी मं दलित मन के नरसंहार होय रहिस. वो हा बेलछी गिस अऊ उहाँ एक ठन आंदोलन शुरू करिस. एकर बर वोला 10 दिन के जेल के सजा मिले रहिस. वो हा नरसंहार के बारे में लिखिस:
ये हिन्दू
देश के बेलछी मं
मोर
भाई जर गे, मंय येला देखेंव
दाई, बहिनी अऊ लईका मन घलो
जिनगी
के सेती दऊड़ीन, मंय येला देखेंव
उही गीत मं वो ह दलित नेता मन के पोंडा अऊ सुवारथ के राजनीति ऊपर मार करिस:
कुछेक
बनगे कांग्रेस के कठपुतरी
कुछेक
मन अपन तन अऊ मन जनता (दल) ला निछावर कर दिन
महत्तम
बेरा मं, ढोंगी गवई जइसने
मंय
वो मं ला बैईरी संग हाथ मिलावत देखेंव
1981 मं, पढ़ेईय्या लइका होय के दिखावा करत आरक्षण विरोधी गोहड़ी मन के एक ठन गोहड़ी ह स्नातकोत्तर शिक्षा मं अनुसूचित जाति अऊ अनुसूचित जनजाति के पढ़ेईय्या मन बर सीट मन के आरक्षण के खिलाफ गुजरात मं हंगामा करिस. आगजनी, लूटपाट, चाकू ले हमला, आंसू गैस के गोला मन दागे गिस अऊ गोलीबारी होईस. जियादा करके हमला मन मं दलित मन ला निशाना बनाके करे गे रहिस. अहमदाबाद मं दलित मजूर मन के बस्ती मं आगि लगा दे गिस. सौराष्ट्र अऊ उत्तरी गुजरात के ग्रामीण इलाका मन मं ऊँचा जात के मन दलित बस्ती ऊपर हमला करिन.
एकर बारे मं आत्माराम साल्वे ह लिखे हवय:
आज
आरक्षण सीट बर
कमजोर
मन ला काबर सतावत हवव
तुमन
लोकतंत्र के लाभ लेवेइय्या हवव
तुमन
काबर अइसने घिन बेवहार करत हवव?
आज
गुजरात बरत हवय
काली
जम्मो देस
ये
हा धधकत, प्रचंड आगि आय
ये
मं काबर जरत हवव
आत्माराम साल्वे ह मनोरंजन, पईसा, प्रसिद्धि धन नांव बर प्रदर्शन नई करिस. ओकर मानना रहिस के कला ह तटस्थ नई ये, फेर सामाजिक, सांस्कृतिक अऊ परिवर्तन के लड़ई मं एक ठन महत्तम अऊजार आय. वो ह 300 ले जियादा गीत लिखीस. ये मं आज हमर करा 200 लिखित रूप मं हवय.
भोकर मं लक्ष्मण हायर, मरखेल मं नागरबाई वजारकर, मुखेड मं तेजाराव भद्रे (सब्बो नांदेड़ जिला मं), अऊ फुले पिंपलगांव (बीड जिला) के शाहिर महेंद्र साल्वे करा वोकर गीत मन के संग्रह हवय. कतको अधूरा गीत लोगन मन ला सुरता हवय. ये गीत कऊन लिखे हवय? कोनो नई जानय, फेर लोगन मं वोला गुनगुनावत रहिथें.
हम
सब जय भीमवाले
हमर
मुखिया राजा ढाले आंय
ये ह 'दलित पैंथर के परमुख गीत' आय जेन ह वो बखत पैंथर के हरेक सदस्य के मुंह ले सुने ला मिलय, एला साल्वे हा लिखे रहिस. ये हा अभू तक ले मराठवाड़ा के लोगन मन के दिल-दिमाग मं बस गे हवय.
क्रांति
के ये चिंगारी लो बोवो
ये
आगि ला बरत रहन देवव
हमन
कब तक ले उपेक्षा सहे ला सकबो
दिल
मं आगी लगे हवय
लइका
ह लात मारिस दाई ला
गरभ
के भीतरी ले
अवैय्या
बखत ला देखत
भीमबा
के वीर सिपाही
तंय
जाग जा
ऊपर लिखाय गीत आत्माराम के लोकप्रिय गीत आय. मराठवाड़ा नमंतर पोवाड़ा घलो लिखिस. ये ह ओकर पांडुलिपि के नांव दरज मं लिखाय हवय, फेर हमर करा एकर लिखित प्रति नई ये. हालांकि, पुणे के रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के नेता रोहिदास गायकवाड़ अऊ अम्बेडकरवादी आंदोलन के एक झिन अनुभवी, मिशनरी नेता वसंत साल्वे ह मोर बर कुछेक पद गाईस. इंदापुर तालुका (गाँव के उच्च जात के लोगन मन) के बावड़ा गांव मं दलित मन के बहिष्कार के बखत, आत्माराम साल्वे पुणे आय रहिस अऊ कतको झुग्गी बस्ती मं प्रदर्सन करे रहिस. ओकर गीत सामूहिक भावना अऊ संवेदनशीलता के विषय मन के आजू-बाजू किंदरत रहिस. जब भी आत्माराम प्रदर्सन करय, तो वो जगा अऊ तीर-तखार के गाँव के दलित मन, जुआर पिसान के बने रोटी धरके, कतको कोस दूरिहा ले चल के कार्यक्रम मं शामिल होय बर आवत रहिन. वोकर प्रदर्सन होय के बाद पैंथर के कार्यकर्ता मन देखेइय्या मन ला संबोधित करंय. ये ह पैंथर्स अऊ नमंतर लड़ई बर 'भीड़ खींचने वाला' बन गे रहिस. जइसने नामदेव ढसाल ह दलित पैंथर युग के प्रतिनिधि कवि आय, वइसनेच आत्माराम साल्वे भी घलो पैंथर युग के प्रतिनिधि गाथागीत गवैइय्या आय. जइसने नामदेव अपन कविता मन मं कुछ 'पथ तोड़ने वाला' करते हैं, वइसनेच आत्माराम आंबेडकर के बाद के आंदोलन बर शाहीरी करथे. जइसने नामदेव के कविता ह पैंथर जुग के टीका करथे, तइसने आत्माराम के शाहीरी काल ला फोर के कहिथे. अऊ जइसने नामदेव के कविता एके संग जात अऊ वर्ग के सामना करथे, आत्माराम के शाहीरी एकेच बखत मं जात, वर्ग अऊ लिंग अतियाचार के सामना करथे. पैंथर्स वोला प्रभावित करथे, अऊ वो हा पैंथर्स अऊ लोगन मन ला प्रभावित करथे. एहीच प्रभाव मन वो ह अपन सब्बो कुछू – उच्च शिक्षा, नऊकरी, घर, सब्बो ला छोड़ दिस अऊ बिना डरे बिना सुवारथ के अपन अपनाय रद्दा मं चलिस.
जइसने नामदेव ढसाल ह दलित पैंथर युग के प्रतिनिधि कवि आय, वइसनेच आत्माराम साल्वे भी घलो पैंथर युग के प्रतिनिधि गाथागीत गवैइय्या आय
वसई के पूर्व विधायक विवेक पंडित, आत्माराम साल्वे के दो दसक से जियादा बखत ले मितान रहिस. वो हा कहिथे, "डर अऊ सुवारथ – ये दू ठन शब्द आत्माराम के शब्दकोष मं कभू नई रहिस." साल्वे ला अपन अवाज अऊ शब्द मन ऊपर बहुतेच महारत हासिल रहिस. वो ह जऊन कुछु ला जानत रहिस ओकर ऊपर मजबूत पकड़ रहिस. मराठी के छोड़ वो ह हिंदी, उर्दू अऊ अंगरेजी मं पारंगत रहिस. वो ह हिंदी अऊ उर्दू मं कुछेक गीत लिखे हवय. वो ह हिंदी मं कुछेक कव्वाली घलो लिखिस अऊ प्रस्तुत करिन. फेर वो ह कभू अपन कला ला कारोबार नई बनाईस, एला कभू बजार मं लेके नई गिस. जात-वर्ग-लिंग अतियाचार के खिलाफ लड़ेइय्या एक ठन सैनिक कस आगू आईस अऊ मरते दम तक ले अकेल्ला लड़त रहिस.
परिवार, आंदोलन अऊ कारोबार एक कार्यकर्ता के मानसिक समर्थन के मूल आय. वोला एके जगा लाय बर, एक जन आंदोलन ला एक वैकल्पिक जगा बनाय के जरूरत हवय जिहां कार्यकर्ता अऊ कलाकार जी संकय अऊ खुद के पहिचान बना के राख सकंय - जिहां वो मन ककरो ले अलग – थलग अऊ अकेल्ला नई रहंय.
अम्बेडकरवादी आंदोलन मं कलाकार मन ला मानसिक अवसाद डहर जाय ले धन निरास होय ले बचाय सेती ओकर मदद करे बर कऊनो रचनात्मक अऊ संगठनात्मक कदम नई उठाय गिस, अइसे मं त आत्माराम साल्वे जइसने कलाकार के संग जइसने होइस, उहिच होइस.
बाद में जिनगी मं वो हा तीनों स्तर मं निराश रहिस. आंदोलन के सेती ओकर परिवार टूट गे. मंद पिये के लत ह अतका बढ़गे के होस हवास नई रहय. कोनो कहय त कोनो करा सड़क के मंझा मं, सहर के चऊक मं कलाकार जइसने खड़े हो के गाय ला सुरु कर देवे. नमनतर बर लड़ेइय्या ये शायर ह अपन लत के संग 1991 मं विश्वविद्यालय के नवां नांव सोन आखर मं लिखे बिना सहीद हो गे.
ये कहिनी मुंदल मं मराठी मं लिखे गे रहिस
पोवाड़ा (गाथागीत) के अनुवाद: नमिता वाइकर
लेखक ह भोकर के लक्ष्मण हिरे, नांदेड़ के राहुल प्रधान अऊ पुणे के दयानंद कनकदांडे ला ये कहिनी के लिखे मं मदद बर अभार जतावत हवय.
ये मल्टीमीडिया कहिनी 'इंफ्लुएंशियल शाहिर, नैरेटिव्स फ्रॉम मराठवाड़ा' नांव के संग्रह के हिस्सा आय, जेन ह इंडिया फाउंडेशन फॉर द आर्ट्स द्वारा ओकर अभिलेखागार अऊ संग्रहालय कार्यक्रम के तहत पीपुल्स आर्काइव ऑफ रूरल इंडिया के सहयोग ले लागू परियोजना आय. ये हा गोएथे-इंस्टीट्यूट/मैक्समूलर भवन, नई दिल्ली के आंशिक सहयोग ले पूरा हो सकिस.
अनुवाद: निर्मल कुमार साहू