santhals-in-the-promised-land-of-purnia-hi

Purnia, Bihar

Oct 30, 2025

बिहार: आज़ादी के इतने साल बाद भी ज़मीन के हक़ से वंचित संताल आदिवासी

संताल आदिवासी आज भी बिहार में भूमि-अधिकारों के लिए वही लड़ाई लड़ रहे हैं जो उनके पूर्वजों ने सदियों पहले लड़ी थी. विडंबना है कि यह वही राज्य है जिसने स्वतंत्रता के बाद सबसे पहले भूमि सुधार क़ानून लागू किया था

Want to republish this article? Please write to [email protected] with a cc to [email protected]

Author

Umesh Kumar Ray

उमेश कुमार राय पहले व्यक्ति हैं जिन्हें तक्षशिला-पारी सीनियर फ़ेलोशिप (2025) के लिए चुना गया है. वह बिहार के स्वतंत्र पत्रकार हैं और हाशिए के समुदायों से जुड़े मुद्दों पर लिखते हैं. उमेश साल 2022 में पारी फ़ेलो भी रह चुके हैं.

Editor

Pratishtha Pandya

प्रतिष्ठा पांड्या, पारी में बतौर वरिष्ठ संपादक कार्यरत हैं, और पारी के रचनात्मक लेखन अनुभाग का नेतृत्व करती हैं. वह पारी’भाषा टीम की सदस्य हैं और गुजराती में कहानियों का अनुवाद व संपादन करती हैं. प्रतिष्ठा गुजराती और अंग्रेज़ी भाषा की कवि भी हैं.

Photo Editor

Binaifer Bharucha

बिनाइफ़र भरूचा, मुंबई की फ़्रीलांस फ़ोटोग्राफ़र हैं, और पीपल्स आर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया में बतौर फ़ोटो एडिटर काम करती हैं.

Translator

Prabhat Milind

प्रभात मिलिंद, शिक्षा: दिल्ली विश्विद्यालय से एम.ए. (इतिहास) की अधूरी पढाई, स्वतंत्र लेखक, अनुवादक और स्तंभकार, विभिन्न विधाओं पर अनुवाद की आठ पुस्तकें प्रकाशित और एक कविता संग्रह प्रकाशनाधीन.