हक़ के बदले में आशा कार्यकर्ताओं को फिर मिला सिर्फ़ ‘आश्वासन’
महाराष्ट्र के 36 ज़िलों से आईं हज़ारों आशा कार्यकर्ता बेहतर वेतन, समय पर भुगतान और इस आशय के आधिकारिक आदेश की मांग के समर्थन में एकजुट हुई हैं. महानगर के आज़ाद मैदान में आयोजित उनका हालिया विरोध प्रदर्शन 21 दिनों तक चलता रहा, और राज्य सरकार द्वारा दिए गए एक और आश्वासन के बाद समाप्त किया गया. पिछले छह महीनों में उन्हें मिला यह तीसरा सरकारी आश्वासन है, लेकिन सारे वादे फ़िलहाल हवा-हवाई हैं. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौक़े पर, औरतों की एकजुटता और उनके हक़ की लड़ाई की एक कहानी पेश करती रपट
ऋतु शर्मा, पारी की लुप्तप्राय भाषाओं की संपादक हैं. उन्होंने भाषा विज्ञान में परास्नातक की पढ़ाई है, और भारत में बोली जाने वाली भाषाओं को संरक्षित और पुनर्जीवित करने की दिशा में कार्यरत हैं.
Author
Swadesha Sharma
स्वदेशा शर्मा, पीपल्स आर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया में रिसर्चर और कॉन्टेंट एडिटर के रूप में कार्यरत हैं. वह स्वयंसेवकों के साथ मिलकर पारी लाइब्रेरी पर प्रकाशन के लिए संसाधनों का चयन करती हैं.
Editor
P. Sainath
पी. साईनाथ, पीपल्स ऑर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया के संस्थापक संपादक हैं. वह दशकों से ग्रामीण भारत की समस्याओं की रिपोर्टिंग करते रहे हैं और उन्होंने ‘एवरीबडी लव्स अ गुड ड्रॉट’ तथा 'द लास्ट हीरोज़: फ़ुट सोल्ज़र्स ऑफ़ इंडियन फ़्रीडम' नामक किताबें भी लिखी हैं.
Translator
Prabhat Milind
प्रभात मिलिंद, शिक्षा: दिल्ली विश्विद्यालय से एम.ए. (इतिहास) की अधूरी पढाई, स्वतंत्र लेखक, अनुवादक और स्तंभकार, विभिन्न विधाओं पर अनुवाद की आठ पुस्तकें प्रकाशित और एक कविता संग्रह प्रकाशनाधीन.