शेरिंग दोरजी भूटिया, जिनकी उम्र 83 साल से ज़्यादा हो चुकी है, पांच दशकों से हाथ से धनुष बना रहे हैं. पेशे से बढ़ई रहे दोरजी ने अपना जीवनयापन फ़र्नीचरों की मरम्मत करके किया, लेकिन उन्हें प्रेरणा तीरंदाज़ी से मिली. तीरंदाज़ी उनके राज्य सिक्किम की संस्कृति में बहुत गहराई तक शामिल रही है.
स्थानीय लोगों का कहना है कि सिक्किम के पाकयोंग ज़िले के कार्थोक गांव में पहले धनुष बनाने वाले और भी लोग थे, लेकिन अब शेरिंग इकलौते धनुष-निर्माता बचे हैं. वह बांस का इस्तेमाल करके धनुष बनाते हैं, और लोसांग के बौद्ध त्योहार में उन्हें बेचा जाता है.
शेरिंग भूटिया के बारे में विस्तार से जानने के लिए इस लिंक पर जाएं: शेरिंग: पाकयोंग में धनुष व तीर बनाने वाला शिल्पकार
अनुवाद: अमित कुमार झा