शिवानी सिरिफ 17 बछर के हवय, फेर ओला अइसे लगथे जनो-मानो ओखर जिनगी ह उरकत जावत हे.

चार साल ले त अपन परिवार ला समझा-बुझा के रिस्ता झन खोजे कहिके रोक डालिस, फेर वोला लगथे कि अब अऊ शायदे समझा पाए. वो ह कहिथे - "मैं नई जानव ओमन ला कब तक रोक पाहूं. एक न एक दिन तो होइच्च जाही."

बिहार के समस्तीपुर जिला के ओखर गांव गंगसरा मं, नोनी मन 10 वीं कच्छा घलो पढ़े नई पाय के उंकर मन के बिहाव कर दे जाथे. कतको पईंत ओखरो ले पहिली, 17-18 बछर के होइन नहीं के रिस्ता कर देय जाथे.

फेर शिवानी , ( कहिनी मं ओखर नांव बदल दे गे हवय) अपन बिहाव ला टाले मं कामयाब होगे, अऊ अब बी. कॉम सेकंड इयर मं हवय. ओखर हमेसा ले साध रिहिस के वहू कॉलेज पढ़य, फेर सोचे नई रिहिस कि अत्तेक पान अक्केल्ला हो जाही. एक दिन मंझनिया के बेर मं अपन परोसी घर वो ह गोठियात रिहिस, ओला अपन घर मं तो खुल के बोलत नई बनय, काहत रिहिस - गांव के सब्बो सहेली मन के बिहाव होगे. जेखर मन संग खेल-कूद के बाढ़ेंव अऊ स्कूल जावंव, सबके साथ ह अब छूट गे. ये बात ल कहे मं वो ह परोसी घर मं घला झझकत रिहिस. परोसी के बारी के छेरी-कोठा मं हमन ला लान के वो ह ये बात ल कहिस - कोरोना के बेरा मं कॉलेज के मोर बचे एकेच सहेली के घला बिहाव हो गे.

वो हा बताथे के ओकर समाज के नोनी मन ला सायदे कभू कॉलेज जाय के मऊका मिलथे. शिवानी, रविदास समाज (चमार जात के उप-जमात ) ले हवय, जऊन हा महादलित के बरग मं आथे. ये ह बिहार सरकार ड हर ले 2007 मं सूचीबद्ध अनुसूचित जाति के 21 गंभीर रूप ले वंचित समाज मन सेती एके आखर आय.

ये अकेलापन के संगे संग वो ला कुंवारी होय के सेती समाज डहर ले ताना सुने ला परथे अऊ घर परिवार के लोगन मन, परोसी मन अऊ जान पहिचान मन के डहर ले सरलग दबाव घलो झेले ला परथे. वो ह बताथे, “मोर ददा कहिथे के मंय बनेच पढ़ ले हवंव. फेर मंय पुलिस अफसर बने ला चाहत हवंव. ओकर सोच आय के मोला अतक जियादा पाय के सोचे ला नई चाही. वो ह कहिथें के गर मंय पढ़त रहिहूं, त मोर ले कऊन बिहाव करही? इहाँ तक के हमर समाज मं लइका मन के घलो कम उमर मं बिहाव हो जाथे. कभू-कभू मंय सोचथों के का मोला हार मान लेय ला चाही, फेर मंय अतक सहे के बाद इहाँ तक ले पहुंचे हवंव अऊ अब अपना सपना ला पूरा करे ला चाहथों.”

Shivani Kumari (left, with her mother, Meena Devi), says: 'Sometimes I wonder if I should give up...'
PHOTO • Amruta Byatnal
Shivani Kumari (left, with her mother, Meena Devi), says: 'Sometimes I wonder if I should give up...'
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शिवानी कुमारी (डेरी, अपन दाई ,मीना देवी के संग), कहिथें: ‘कभू-कभू मंय सोचथों के का मोला हार मान लेय ला चाही...’

समस्तीपुर के जऊन केएसआर कॉलेज मं शिवानी पढ़त हवय वो ह ओकर गाँव ले 2 कोस दूरिहा हवय. उहाँ जाय बर वो ह पहिली रेंगत जाथे, फेर बस मं बइठथे, अऊ आखिर मं कुछु दूरिहा आटो रिक्सा ले जाथे. कभू-कभू, ओकर गाँव के कालेज के टूरा मन वो ला अपन फटफटी मं बइठा के ले जाय ला कहिथें फेर वो ह हमेसा मना कर  देथे, काबर वो ह कऊनो टूरा संग देखे जाय ले ओकर नतीजा ले डेराथे. वो ह कहिथे, “गांव के लोगन मन अफवाह ला लेके भारी निरदयी हवंय. मोर सबले बढ़िया सहेली के बिहाव येकरे सेती कर देय गीस, काबर वोला इस्कूल के एक झिन टूरा के संग देख लेय रहिन मंय नई चाहंव के ये बात मोर कालेज के डिग्री हासिल करे अऊ एक पुलिसवाला बने के रद्दा मं बाधा झन बने.”

शिवानी के दाई-ददा खेत मजूर आंय, जऊन मन महिना मं 10,000 रूपिया कमाथें. ओकर 42 बछर के दाई मीना देवी अपन पांच लइका – 13 अऊ 17 बछर के दू बेटा अऊ तीन बेटी (उमर 10 बछर, 15 बछर अऊ 19 बछर शिवानी) ला लेके संसो करत रहिथे. मीना देवी कहिथें, “मोला सरा दिन अपन लइका मन के चिंता रहिथे. मोला अपन बेटी मन के दहेज के बेवस्था करे ला हवय.” वो ह एक ठन बड़े अकन घर घलो बनाय ला चाहथें – ऐस्बेस्टस वाले ईंटा ले बने ओकर घर मं सुते के सिरिफ एकेच खोली हवय अऊ परिवार ला तीन परोसी मन के संग शौचालय बऊरे ला परथे. वो ह कहिथें, “मोला ये तय करे ला हवय के मोर घर अवेइय्या नोनी मन ला [बहु मन ला] अराम मिलय अऊ वो मन इहाँ खुस घलो रहेंव.” ये चिंता के बीच पढ़ई ला पहिली नई रखे गे रतिस, गर शिवानी ह कालेज जाय बर अड़ नई गे रतिस.

खुदेच कभू इस्कूल नई गेय मीना देवी, परिवार के एकेच झिन आय जऊन ह शिवानी के करे के ला समर्थन करथें. वो ह कहिथें, “वो ह दीगर महिला पुलिसवाली मन ला देखथे अऊ ओकरे मन कस बने ला चाहथे. मंय वोला कइसने रोके सकत हवंव? एक दाई ला अइसने मं गरब होही गर वो ह पुलिस बन जाथे. फेर हरेक ओकर मजाक उड़ाथें, अऊ मोला घलो बनेच खराब लागथे.”

गांव के कुछेक नोनी अऊ माईलोगन सेती ये सब्बो सिरिफ ताना मारे तक ले नई आय.

17 बछर के नेहा कुमारी के बिहाव के विरोध करे के मतलब पिटाई के नेवता देय बरोबर आय. अपन भाई बहिनी मन के संग एक नानकन खोली मं रहत बात करत वो ह कहिथे, “जभू घलो मोर बिहाव के कऊनो नवा रिस्ता आथे त मंय मना कर देथों, त मोर ददा ह रिस के मरे मोर दाई ला पीटे ला धरथे.” मोला पता हवय मोर दाई मोर सेती कतको पीरा सहत हवय. ये जगा तऊन खोली ले दूरिहा हवय जिहां मंझनिया बखत ओकर ददा सुस्तावत रहिस. वो हा मुचमुचावत बताथे के खोली के एक कोंटा ह ओकर पढ़े बर तय हवय अऊ कऊनो दीगर ला ओकर कापी-किताब ला छुये के मनाही हवय.

ओकर दाई नैना देवी कहिथें के मार खाय ह मामूली दाम चुकाय जइसने हवय. वो ह नेहा के कालेज के पढ़ ई सेती अपन जेवर बेंचे के घलो मन बना ले हवंय. वो ह कहिथें, “गर वोला पढ़े ले मना कर देबो अऊ बिहाव सेती मजबूर करबो, त वो ह कहिथे के वो हा जहर खाके मर जाही. मंय अइसने होवत कइसे देखे सकहूं?” 2017 बछर मं होय अलहन मं अपन घरवाला के एक ठन गोड़ कटे के बाद अऊ खेत मजूरी के बूता बंद होय के बाद ले, 39 बछर के नैना देवी अपन घर के एकेच कमेइय्या आंय. ये परिवार भूइयां समाज ले हवय अऊ ये समाज घलो महादलित के रूप मं सूचीबद्ध हवय. खेत मजूरी ले महिना मं नैना ला महिना मं करीबन 5,000 रूपिया मिल जाथे, फेर वो ह बताथे के ये कमई ह घर चलाय मं नई पूरय, अऊ वो ला रिस्तेदार मन ले कुछु मदद मिल जाथे.

In Neha Kumari and Naina Devi's family, resistance to marriage brings a beating
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नेहा कुमारी अऊ नैना देवी के परिवार मं, बिहाव ले मना करे के मतलब आय पिटाई ला नेवता

दाई नैना देवी कहिथें के मार खाय ह मामूली दाम चुकाय जइसने हवय. वो ह नेहा के कालेज के पढ़ई सेती अपन जेवर बेंचे के घलो मन बना ले हवंय. वो ह कहिथें, गर वोला पढ़े ले मना कर देबो अऊ बिहाव सेती मजबूर करबो, त वो ह कहिथे के वो हा जहर खाके मर जाही. मंय अइसने होवत कइसे देखे सकहूं?

नेहा कच्छा 12 वीं मं पढ़थे, अऊ ओकर सपना हवय के वो ह पटना के कऊनो ऑफिस मं काम करे. वो ह कहिथे, “मोर परिवार मं कऊनो घलो कऊनो ऑफिस मं काम करे नई ये – मंय अइसने करेइय्या पहिली मनखे बने ला चाहत हवंव.” ओकर दीदी के बिहाव 17 बछर के उमर मं होगे रहिस अऊ 22 बछर के उमर मं तीन लइका के महतारी होगे. ओकर दू झिन भाई 19 बछर अऊ 15 बछर के हवंय. नेहा कहिथे, “मंय अपन दीदी ले मया करथों, फेर मंय ओकर जइसने जिनगी गुजरे ला नई चाहंव.”

नेहा, सरायरंजन तसिल के गंगसरा गांव – जिहां के अबादी 6,868 हवय (जनगणना 2011) – के जऊन सरकारी इस्कूल मं पढ़थे, उहाँ 12 वीं तक ले पढ़ई होथे. वो ह बताथे के ओकर कच्छा मं सिरिफ छे नोनी अऊ 12 टूरा दर्ज हवंय. नेहा के गुरूजी अनिल कुमार कहिथे, “कच्छा 8 के बाद इस्कूल मं नोनी मन के संख्या धीरे-धीरे कमतीयावत धरथे, कभू-कभू ये हा येकरे सेती होथे,काबर वो मन ला बूता करे पठोय जाथे, कभू-कभू ओकर मन के बिहाव कर देय जाथे.”

बिहार मं 42.5 फीसदी नोनी मन के बिहाव 18 बछर के उमर ले पहिली कर दे जाथे, यानि देश मं बिहाव के कानून उमर ( बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के अनुसार) ले पहिली. ये आंकड़ा राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण ( एनएफ़एचएस-4, 2015-16 ) के मुताबिक, अखिल भारतीय आंकड़ा 26.8 फीसदी ले जियादा हवय. समस्तीपुर मं ये आंकड़ा अऊ घलो जियादा 52.3 फीसदी हवय.

नेहा अऊ शिवानी जइसने नोनी मन के सिच्छा ऊपर असर करे ला छोड़, येकर अऊ घलो कतको नतीजा देखे गे हवय. नई दिल्ली के अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान के वरिष्ठ रिसर्च फ़ेलो, पूर्णिमा मेनन कहिथें, “भलेच हमन देखे सकथन के बिहार मं जनम करे ह कमती होय हवय {2005-06 के 4 ले घटके 2015-16 मं 3.4 अऊ एनएफएचएस 2019-20 मं 3], फेर हमन ये घला जनत हवन के जऊन नोनी मन के बिहाव नान अकन उमर मं हो जाथे ओकर भारी गरीबी अऊ कुपोसन के मार परे के सम्भावना जियदा होथे अऊ वो मन ला स्वास्थ्य सेवा नई मिल सकय.” पूर्णिमा ह सिच्छा, कम उमर मं बिहाव अऊ माईलोगन अऊ नोनी मन के मंझा मं सेहत के संबंध के अध्ययन करे हवय.

मेनन कहिथें के उमर के हिसाब ले जिनगी मं समे मं भरपूर अंतर रखे जरूरी होथे, जइसने के इस्कूल अऊ बिहाव मं अंतर, गरभ धरे के समे मं अंतर. वो ह कहिथें, “हमन ला नोनी मन के जिनगी मं माई बदलाव सेती समे के अंतर ला बढ़ाय ला होही. अऊ जरूरत ये बात के हवय के हमन येकर सुरुवात नोनी जनम होय के बखत ले करन.” मेनन के मानना आय के नगदी मिले के कार्यक्रम अऊ परिवार नियोजन प्रोत्साहन जइसन मदद मिले ले समे के अंतर मं जनम करे अऊ नोनी मन ला अपन लक्ष्य ला हासिल करे मं मदद मिल सकथे.

समस्तीपुर के सरायरंजन तसिल मं काम करेइय्या गैर सरकारी संगठन, जवाहर ज्योति बाल विकास केंद्र के कार्यक्रम प्रबंधक, किरण कुमारी कहिथें, “हमर मानना हवय के गर नोनी मन के बिहाव बखत मं होथे, त वो मन बढ़िया तरीका के सिच्छा के संगे संग तन्दुरुस्त भरे जिनगी गुजार सकथें.”  कुमारी ह कतको बाल बिहाव ला रोके के संगे संग, परिवार के लोगन मन ला ये समझाय घलो सुफल रहे हवंय के गर नोनी चाहथे त ओकर बिहाव मं ढेरियाय घलो नई चाही. वो ह कहिथें, “हमर काम बाल बिहाव ला रोकेच के कोसिस मं नई सिरायेव. हमर लक्ष्य नोनी मन ला पढ़े लिखे अऊ अपन पसंद के मुताबिक जिनगी गुजारे ला प्रेरित करे ला हवय.”

Every time, Gauri had succeeded in convincing her parents to wait. But in May 2020, she wasn’t so lucky
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Every time, Gauri had succeeded in convincing her parents to wait. But in May 2020, she wasn’t so lucky
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कतको पईंत, गौरी अपन ददा-दाई ला अगोरा करे सेती मनाय लेवय. फेर मई 2020 मं किस्मत ह ओकर साथ नई दीस

कुमारी कहिथें के मार्च 2020 मं महामारी के सेती लॉक डाउन के सुरु होय के बाद ले, दाई-ददा ला समझाय मुस्किल होगे. दाई-ददा हमन ले कहिन : हम अपन कमई सिरोय जावत हवन [अऊ आगू कमई सेती अचिंता नई हवन], येकरे सेती कम से कम नोनी मन के बिहाव करके अपन जिम्मेंवारी ला पूरा करे ला चाहत हवन. हमन वो मन ला समझाय के कोसिस करथन अऊ कहिथन के नोनी मन बोझा नों हें, वो मन तुम्हर मदद करहीं.

कुछु बखत तक ले गौरी कुमारी बिहाव टारे मं सफल रहिस. 9 ले 24 बछर के उमर के अपन सात भाई बहिनी मन ले सबले बड़े होय के सेती ओकर दाई-ददा – ये परिवार घला भूईंया जात ले हवय – कतको बेर ओकर बिहाव करे के कोसिस करिन. हरेक बेर, वो ह वो मन ला अगोरा करे सेती समझाय लेवय. फेर मई 2020 मं किस्मत ह ओकर साथ नई दीस

समस्तीपुर के अपन गांव महुली दामोदर के बहिर, बस टेसन के तीर भीड़-भाड़ वाले बजार मं बिहनिया गोठियावत, गौरी ह तऊन घटना ला सुरता करथे जेकर बाद ओकर बिहाव होय रहिस: वो ह कहिथे, “मोर दाई चाहत रहिस के मंय बेगूसराय के एक झिन अनपढ़ ले बिहाव कर लेवंव, फर मंय अपन जइसने पढ़े लिखे ले बिहाव करे ला चाहत रहेंव. मंय जब आत्महत्या करे के धमकी देंय, अऊ जवाहर ज्योति ले सर अऊ मैडम मन ला बलायेंव, तब जाके वो मन मोर पीछा छोड़ दीन.”

फेर गौरी के मनाही अऊ पुलिस ला फोन करे के धमकी जियादा बखत तक ले ओकर काम नई आइस. बीते बछर मई मं ओकर घर के मन ला कालेज मं पढ़ेइय्या बाबू के रिस्ता मिलगे अऊ ओकर संग गौरी के बिहान कुछेक लोगन मन के आगू कर दे गीस. इहाँ तक ले के ओकर ददा, जऊन ह मुम्बई के थोक बजार मं रोजी मजूर आय, लॉकडाउन सेती बिहाव मं नई आय सकिस.

वो ह कहिथे, “मोला ये हालत मं फंसे के पछतावा हवय. मंय वास्तव मं इहीच सोचे रहेंव के मंय पढ़हूं अऊ क ऊनो महतम पद हासिल करिहूं. फेर अभू घलो मंय हार माने ला नई चाहंव. मंय एक दिन जरुर टीचर बनहूं, जेकर ले जवान नोनी मन ला सिखा सकंव के वो मन के जिनगी अपनेच हाथ मं हवय.”

पारी अऊ काउंटरमीडिया ट्रस्ट के तरफ ले भारत के गाँव देहात के किशोरी अऊ जवान माइलोगन मन ला धियान रखके करे ये रिपोर्टिंग ह राष्ट्रव्यापी प्रोजेक्ट 'पापुलेशन फ़ाउंडेशन ऑफ़ इंडिया' डहर ले समर्थित पहल के हिस्सा आय जेकर ले आम मइनखे के बात अऊ ओकर अनुभव ले ये महत्तम फेर कोंटा मं राख देय गेय समाज का हालत के पता लग सकय.

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अनुवाद: निर्मल कुमार साहू

Amruta Byatnal

ਅਮੂਰਤਾ ਬਯਾਤਨਲ ਨਵੀਂ ਦਿੱਲੀ ਅਧਾਰਤ ਸੁਤੰਤਰ ਪੱਤਰਕਾਰ ਹਨ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਕੰਮ ਸਿਹਤ, ਲਿੰਗ ਅਤੇ ਨਾਗਰਿਕਤਾ ਦੇ ਮਸਲਿਆਂ 'ਕੇਂਦਰਤ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ।

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Illustration : Antara Raman

ਅੰਤਰਾ ਰਮਨ ਚਿਤਰਕ ਹਨ ਅਤੇ ਉਹ ਸਮਾਜਿਕ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆਵਾਂ ਦੇ ਹਿੱਤਾਂ ਅਤੇ ਮਿਥਿਆਸ ਦੀ ਕਲਪਨਾ ਨਾਲ਼ ਜੁੜੀ ਹੋਈ ਵੈੱਬਸਾਈਟ ਡਿਜਾਈਨਰ ਹਨ। ਉਹ ਸ਼੍ਰਿਸ਼ਟੀ ਇੰਸਟੀਚਿਊਟ ਆਫ਼ ਆਰਟ, ਡਿਜਾਇਨ ਐਂਡ ਟਕਨਾਲੋਜੀ, ਬੰਗਲੁਰੂ ਤੋਂ ਗ੍ਰੈਜੁਏਟ ਹਨ, ਉਹ ਮੰਨਦੀ ਹਨ ਕਿ ਕਹਾਣੀ-ਕਹਿਣ ਅਤੇ ਚਿਤਰਣ ਦੇ ਇਹ ਸੰਸਾਰ ਪ੍ਰਤੀਕਾਤਮਕ ਹਨ।

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Editor and Series Editor : Sharmila Joshi

ਸ਼ਰਮਿਲਾ ਜੋਸ਼ੀ ਪੀਪਲਸ ਆਰਕਾਈਵ ਆਫ਼ ਰੂਰਲ ਇੰਡੀਆ ਦੀ ਸਾਬਕਾ ਸੰਪਾਦਕ ਹਨ ਅਤੇ ਕਦੇ ਕਦਾਈਂ ਲੇਖਣੀ ਅਤੇ ਪੜ੍ਹਾਉਣ ਦਾ ਕੰਮ ਵੀ ਕਰਦੀ ਹਨ।

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Translator : Nirmal Kumar Sahu

Nirmal Kumar Sahu has been associated with journalism for 26 years. He has been a part of the leading and prestigious newspapers of Raipur, Chhattisgarh as an editor. He also has experience of writing-translation in Hindi and Chhattisgarhi, and was the editor of OTV's Hindi digital portal Desh TV for 2 years. He has done his MA in Hindi linguistics, M. Phil, PhD and PG diploma in translation. Currently, Nirmal Kumar Sahu is the Editor-in-Chief of DeshDigital News portal Contact: [email protected]

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