“लइका मन ला इस्कूल तक ले लाय ह घलो कम बड़े चुनौती नई ये.”

हेडमास्टर शिवजी सिंह यादव के ये बात ह ओकर 34 बछर के अनुभव के सार दिखथे. यादव धन ‘मास्टरजी’ जइसने के ओकर छात्र मन कहिथें डबली चापोरी के एकेच इस्कूल ला चलाथें. असम के माजुली जिला के ब्रम्हपुत्र नदी के टापू मं बासिंदा मन के तीन कोरी तीन परिवार के बनेच अकन लइका मन इहीच इस्कूल मं पढ़थें.

धोनेखाना लोअर प्राइमरी इस्कूल के अपन एकेच कच्छा मं अपन कुरसी मं बइठे सिवजी मुचमुचावत एक नजर अपन तीर के लइका ला देखथें. 41 लइका मन के दमकत चेहरा – सबके सब कच्छा 1 ले कच्छा 5 मं पढ़ेइय्या अऊ 6 ले लेके 12 बछर के उमर के लइका मन घलो, वो मन जुवाब मं अपन गुरूजी डहर देखथें. वो ह कहिथे, “नान-नान लइका मन ला पढ़ाय-लिखाय सिखाय ह असल चुनोती आय, काबर वो मन पढ़े ला नई चाहेंय अऊ भाग जाथें!”

भारत के सिच्छा बेवस्था ऊपर फोर के कहे ले पहिली वो ह कुछु टेम बर रुक जाथे, फेर वो थोकन जियादा उमर के लइका मन ला बलाथें. वो ह लइका मन ला कहिनी मन के एक ठन असमिया किताब अऊ अंगरेजी भाखा के किताब मन के पाकेट ला खोले बर कहिथे. ये किताब ला राज सरकार के सिच्छा विभाग ह भेजे हवय. वो ह बने करके जानत हवय के ये किताब ला पाय के उछाह वो मन ला बांध के राखही, पढ़े ला धरहीं, अऊ ये बीच मं हमर ले गोठ-बात के भरपूर समे मिल जाहि.

प्राथमिक सिच्छा के महत्तम ला बतावत वो अपन तर्क देथे, “सरकार ला कालेज के प्रोफेसर मन ला जतक तनखा देथे, ओतके प्राथमिक इस्कूल के गुरूजी मन ला मिले ला चाही. नेंव के ईंटा हमन धरथन.” फेर ओकर मुताबिक, लइका मन के दाई-ददा मन प्राथमिक सिच्छा ला हल्का मं लेके बने करके धियान नई देवंय. वो मन ला लागथे के हाईस्कूल के पढ़ई असल पढ़ई आय. लोगन के ये धारना ला बदले सेती वो ह अतक बछर ले भारी मिहनत करत हवय.

Siwjee Singh Yadav taking a lesson in the only classroom of Dhane Khana Mazdur Lower Primary School on Dabli Chapori.
PHOTO • Riya Behl
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डेरी: सिवजी सिंह यादव डबली चापोरी के धोनेखाना लोवर प्रायमरी इस्कूल के एकेच कच्छा मं लइका मन ला पढ़ावत. जउनि: सिच्छा विभाग डहर ले पठोय कहिनी मन के किताब के संग इस्कूल के लइका मन

Siwjee (seated on the chair) with his students Gita Devi, Srirekha Yadav and Rajeev Yadav (left to right) on the school premises
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इस्कूल के परछी मं सिवजी (कुरसी मं बइठे) अपन पढ़ेइय्या लइका गीता देवी, श्रीरेखा यादव अऊ राजीव यादव (डेरी ले जउनि) के संग

सिवजी के अनुमान के मुताबिक, डबली चपोरी (एनसी), करीबन 400 वर्ग किलोमीटर के इलाका मं बगरे बालू के टापू आय जिहां करीबन 350 लोगन मन रहिथें. चपोरी ह गैर मर्जुआ इलाका के रूप मं बांटे गे हवय. ये वो भूईंया आय जेकर अभू तक ले सर्वेक्षण नई होय हवय. साल 2016 मं उत्तरी जोरहाट ले काट के माजुली ला नवा जिला बनाय जाय ले पहिली ये ह जोरहाट जिला मं रहिस.

गर ये टापू मं कऊनो इस्कूल नई होतिस, त इहाँ के 6 ले 12 बछर के उमर के लइका मन ला नदी के वो पार के इलाका – शिवसागर सहर के तीर मं बसे दिसंगमुख तक जाय मं घंटों बरबाद करे ला परतिस. वो मन ला द्वीप ले फेरी तक पहुंचे बर सइकिल ले जाय मं 20 मिनट लाग जातिस, फेर ऊहाँ ले डोंगा मं नदी पार करे मं करीबन घंटा भर अऊ लगतिस.

ये टापू के जम्मो घर इस्कूल ले एक कोस के भीतरी मं आथें. साल 2020-21 मं कोविड-19 महामारी के बखत लगे लाकडाउन के समे ये बात ह सब्बो सेती सुभीता के बन गेय. सिवजी के इस्कूल के लइका मन के पढ़ई चलत रहिस, काबर वो ह हरेक लइका के घर जावय, अऊ ओकर मन ले भेंट होय के पढ़ई-लिखई के जाँच करत रहिस. इस्कूल के दूसर गुरूजी मन वो बखत टेम मं इस्कूल नई आय सकत रहिन, काबर वो मन नदी के वो पार करीबन 10 कोस दूरिहा शिवसागर जिला के गौरी सागर मं रहिथें. शिवजी बताथें, “मंय हफ्ता मं कम से कम दू पईंत हरेक लइका मन ले मिलत रहेंव, ओकर पढ़ई ऊपर नजर रखोंव अऊ वो मन ला होमवर्क देवत रहेंव.”

येकर बाद घलो वो ला लागथे के लॉकडाउन के बखत मं लइका मन के पढ़ई-लिखई के  बनेच नुकसान होइस. वो ह लइका मन के वास्तविक गियान ला जांचे बिना पास करके ओमन ला आगू के कच्छा मं भेजे के सरकारी फइसला ले घलो असहमत रहिस. ये ला लेके वो ह सिच्छा विभाग के अफसर मन करा चिट्ठी घलो लिखे रहिस. “मंय वो मन ला बिनती करे रहेंव के ये बछर ला बिसोर दव. गर लइका अपन कच्छा मं रख देय जाही त येकर ले उहिच मन के नफा होही.”

*****

असम राज के एक ठन रंगीन नक्सा धोनेखाना लोअर प्राइमरी इस्कूल के बहिर के दीवार मं टंगे रहिस. वो नक्सा के एक ठन जगा मं अपन ऊंगली रखके हेडमास्टर सिवजी हमर धियान ब्रह्मपुत्र नदी के टापू के तरफ दिखाय ला लगथे. वो ह ऊंगली ले दिखावत हंसत कहिथे, “देखव, हमर चपोरी (बालू के टापू) ये नक्सा मं कहां हवय, फेर वास्तव मं ये ला ये जगा मं दिखाय जाना रहिस. ये दूनो जगा मं कऊनो रिस्ता नई ये!”

नक्सा के ये फेरफार सिवजी ला येकर सेती घलो भारी अखरथे, काबर के वो ह भूगोल मं बी ए के डिग्री हासिल करे रहिस.

काबर के सिवजी के जनम अऊ ओकर पले-बढ़े ह ब्रह्मपुत्र के ये बालू के टापू के चपोरी अऊ चार मन ले होय हवय, येकरे सेती वो ह ये इलका के जिनगी अऊ ये इलाका के दीगर जिनिस के बारे मं दूसर ले बनेच जानथे. बदलत ये नक्सा सेती इहाँ के बासिंदा मन के पता बदले घलो ह आम बात आय.

A boat from the mainland preparing to set off for Dabli Chapori.
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Headmaster Siwjee pointing out where the sandbank island is marked on the map of Assam
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डेरी: माई इलाका ले डबली चापोरी के पार जाय के तियारी मं एक ठन डोंगा. जउनि: असम के भूगोल के नक्सा मं बालू के टापू ला देखावत हेडमास्टर सिवजी

The Brahmaputra riverine system, one of the largest in the world, has a catchment area of 194,413 square kilometres in India
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करीबन 194,413 वर्ग किलोमीटर के पानीभरे के इलाका (कैचमेंट एरिया) मं फइले ब्रह्मपुत्र नदी प्रणाली दुनिया के सबले बड़े जलप्रणाली (रिवेराइन सिस्टम) मन ले एक आय

हरेक बछर पुर के समस्या ला बतावत सिवजी ह कहिथे, “जब बहुते जियादा बरसात होते त हमन जान जाथन के भारी तेज लहर वाला पुर आय सकत हवय. लोगन मन अपन समान अऊ मवेशी मन ला धरके टापू के ऊँच जगा मं चले जाथें जिहां पुर के पानी हबरे नई सकय. वो ह येकर आगू कहिथे, अइसने मं जब पानी कमती होय ला सुरु नई होही, इस्कूल खोले के बात सोचे घलो नई जाय सकय.”

अइसे मं कऊनो नक्सा मं बालू के टापू मन के ओकर सबो दिन के चिन्हारी देय ह संभव नई ये. ये टापू हरेक बछर भारत मं ब्रह्मपुत्र घाटी के 194,413 वर्ग किलोमीटर के इलाका मं नवा-नवा अकार अऊ नवा अकार लेवत बनत-बिगरत रहिथे.

दुनिया के सबले बड़े जलप्रणाली मन ले एक ब्रह्मपुत्र नदी के हमेसा के पुर ले बांचे सेती डबली के जम्मो घर लकरी के पट्टा ऊपर बने हवंय. पुर खासकरके धूपकल्ला अऊ बरिसकल्ला मं आथे. संजोग ले हिमालय के बरफ पिघले के बखत घलो इही समे रहिथे, जेकर ले सूखाय नदिया मन घलो पानी ले भर जाथें. माजुली के तीर-तखार के इलाका मं मं हर बछर अऊसत 1,870 सेंटीमीटर के दर ले बरसात होते. ये बरसात जून अऊ सितबर के के मंझा मं होय दक्षिण-पश्चिम मानसून के करीबन 64 फीसदी हवय.

ये चापोरी मं बसे परिवार मन के नाता रिस्ता उत्तरप्रदेश के यादव जाति ले हवय. ये मन मूल रूप ले गाजीपुर जिला के आंय. वो मन के पुरखा 1932 मं गाजीपुर ले ब्रह्मपुत्र के ये टापू मं आके बस गे रहिन. वो मन  धनहा फेर गैर मालिकाना हक के जमीन ला खोजत रहिन, जऊन ह आखिर मं वो मन ला अपन पुरखा के जमीन ले हजारों कोस दुरिहा उदती मं ब्रह्मपुत्र के ये बलूवाला टापू मं मिलिस. सिवजी कहिथें, “पुरखौती ले हमन पशुपालक हवन अऊ हमर पुरखा मन इहाँ हरियर कांदी के खेत ला खोजत आय रहिन.”

सिवजी कहिथें, “हमर पुरखा सबले पहिली 15-20 परिवार के संग इहाँ लाखी चपोरी आय रहिन.” ओकर जनम धनु खाना चापोरी मं होय रहिस, इहाँ यादव मं के परिवार 1960 मं आके बसे रहिन. “वो जगा आज घलो वइसने हवय, फेर अब धनु खाना मं कऊनो नई रहय.” वो ह सुरता करत बताथें के कइसने ओकर घर-फेरका अऊ जिनिस मन पुर के पानी मं बुड़ जावत रहिस.

Siwjee outside his home in Dabli Chapori.
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Almost everyone on the sandbank island earns their livelihood rearing cattle and growing vegetables
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डेरी: सिवजी डबली चपोरी के अपन घर के बहिर. जउनि: ये टापू मं करीबन हर परिवार के जीविका मवेशी पाले अऊ साग-भाजी के उपज हवय

Dabli Chapori, seen in the distance, is one of many river islands – called chapori or char – on the Brahmaputra
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दुरिहा ले दिखत डबली चापोरी, ब्रह्म पुत्र नदी के कतको टापू मं ले एक ठन आय. टापू मन ला इहाँ के भाखा मं चापोरी धन चार कहिथें

करीबन 90 बछर पहिली असम मं आय के बाद ले यादव मन के परिवार ब्रह्मपुत्र के चार टापू मं बसत अऊ उजरत रहे हवंय. वो मन के बीते बसे ह 1988 मं होईस, जब वो मन डबली चपोरी मं आके बसे रहिन.वो चारों बालू के टापू जिहाँ यादव मन के परिवार रहिस, एक दूसर ले जियादा ले जियादा 1 कोस दुरिहा मं बसे हवंय. ओकर हाल फ़िलहाल के घर जऊन डबली टापू मं बसे हवय, ओकर नांव के जनम इहाँ के बोली मं ‘डबल’ मतलब अकार दुगुना आखर ले होय मने जाथे.

डबली मं बसे सब्बो परिवार करा अपन ज़मीन हवंय, जेन मं वो मन धान, गहूँ अऊ साग भाजी कमाथें. संगे संग अपन पुरखा के परम्परा ला मानत मवेशी पाले के काम घलो करत हवंय. इहाँ हरेक मइनखे असमिया मं बात करे ला जानथे, फेर अपन गोठ बात वो मन हिंदी मं करथें. सिवजी कहिथें, “हमर खाय पिये के आदत घलो नई बदले हवय , फेर उत्तरप्रदेश मं बसे हमर नाता-रिस्ता मन के तुलना मं हमन भात जियादा खाथन.”

नवा किताब मन ला उलट पुलट के देखत सिवजी के छात्र मन घलो अपन आप मं मगन हवंय. एगारा बछर के राजीव यादव हमन ले कहिथे, “मोला असमिया किताब भारी सोहांथे.” ओकर दाई-ददा खेती के संगे संग मवेशी घलो पोसे हवंय. दूनो सातवीं कच्छा तक ले पढ़े के बाद इस्कूल छोड़ देय रहिन. “मंय वो दूनो ले जियादा पढ़हूँ,” वो अइसने कहिथे अऊ महान असमिया गायक भूपेन हजारिका के बनाय धुन मं बने एक गीत गाय ला धरथे, ‘आसोम आमार रुपही देस’. ओकर अवाज धीरे-धीरे बढ़त जाथे अऊ ओकर गुरूजी वोला गरब ले देखे ला लागथे.

*****

हरेक बछर एक नदिया के पुर के मंझा अपन जगा बदलेइय्या टापू मं रहे कम चुनौती ले भरे काम नई ये. सब्बो परिवार मन आपस मं पइसा जोड़ के अपन आय जाय बर हाथ ले चलाय चप्पू वाला डोंगा बिसोय हवंय. टापू मं दू ठन मोटरबोट घलो हवंय फेर वोला सिरिफ अपात हालत मं चलाय जाथे. टापू के बासिंदा मन के सेती रोज के बऊरे के पानी तीर के बस्ती मं लगे बोरिंग ले आथे. पुर के बखत पिये के पानी के बेवस्था ज़िला आपदा प्रबंधन विभाग अऊ स्वयंसेवी संस्था डहर ले करे जाथे. बिजली सेती राज सरकार ह सब्बो के घर मं सोलर बिजली बाती लगाय हवय. माजुली टापू के तीर-तखार के इलाका मं रासन बांटे के अकेल्ला दूकान गजेरा गाँव मं हवय. येकर बर डोंगा ले पहिले माजुली के दिसंगमुख फेरी तक जाय ला परथे, अऊ ओकर बाद माई इलाका मं बनेच दुरिहा जाय के गजेरा गाँव पहुंचे जाथे.

सबले तीर के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र घलो (पीएचसी) 3-4 घंटा दुरिहा माजुली टापू के रतनपुर मिरी गाँव मं हवय. सिवजी कहिथें, “इलाज बर अपूर सुविधा के सेती हमन ला अब्बड़ दिक्कत उठाय ला परथे. गर कऊनो बीमार पर जाथे, त हमन वोला मोटरबोट ले अस्पताल पहुंचा सकथन, फेर बरसात के महिना मं नदी पर करे ह मुस्किल काम आय.” डबली मं एंबुलेस डोंगा के सुविधा नई ये अऊ कतको बेर बीमारहा ला कम पानी वाले जगा ला ट्रेक्टर ले नदी पार कराय ला परथे.

Ranjeet Yadav and his family, outside their home: wife Chinta (right), son Manish, and sister-in-law Parvati (behind).
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Parvati Yadav with her son Rajeev
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डेरी:रंजीत यादव अऊ ओकर परिवार अपन घर के बहिर मं. ओकर घरवाली चिंता (जउनि), बेटा मनीष अऊ भाभी पार्वती (पाछू मं). जउनि: पार्वती यादव अपन बेटा राजीव के संग

Ramvachan Yadav and his daughter, Puja, inside their house.
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Puja and her brother, Dipanjay (left)
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डेरी: रामचरन यादव अऊ ओकर बेटी पूजा संग घर के भीतरी मं. जउनि: पूजा अऊ ओकर भाई दीपंजय (डेरी)

सिवजी कहिथें, “हमन ला इहाँ सातवीं कच्छा तक के पढ़ाई वाले एक ठन अपर प्राइमरी इस्कूल के जरूरत हवय, काबर लइका मन ला ये इस्कूल ले निकरे का बाद दिसंगमुख मं आगू के पढ़ई सेती नदी ला पार करे ला परथे. सोझ दिन मं त कऊनो दिक्कत नई ये, फेर पुर के बखत वो मन के इस्कूल जाय सम्भव [जुलाई ले सितम्बर]  नई होय. ओकर काम करत कतको गुरूजी मन के नियुक्ति अऊ तबादला इह होय चुके हवय. ये इस्कूल मं नियुक्त कतको शिक्षक मन इहाँ रहे ला नई चाहंय. वो मन बनेच कमती दिन बर आथें अऊ दुबारा लहूँट के नई आंय. ये सेती घलो हमर लइका मन के उचित विकास नई होय पावत हवय.

40 बछर के रामवचन यादव के तीन लइका हवंय, 4 बछर ले 11 बछर उमर के. वो ह कहिथें, “मंय अपन लइका मन ला पढ़ाय बर नदी पार पठोहूँ. वो मन ला तभेच काम मिलही जब वो मन पढ़-लिख जाहीं.” रामवचन एक एकड़ ले कुछ जियादा जमीन मं खेती करथें, जिहां बेंचे सेती लऊकी,मुरई, भंटा, मिर्चा अऊ पदिना लगाथें. ओकर करा एक कोरी गाय घलो हवय अ ऊ वो हा येकर गोरस बेचथें. ओकर घरवाली35 बछर के कुसुम घलो टापू मं पले बढ़े हवंय. कच्छा 4 तक पढ़े के बाद वो ला अपन पढ़ ई छोरे ला परिस, काबर ज इ सने के वो ह बताथे वो बखत मं एक झिन नान कन टुरी ला आगू के पढ़ ई सेती  टापू ले बहिर पठोय के बात सोचे घलो नई जय सकत रहिस.

रंजीत यादव अपन छे बछर के बेटा ला एक ठन निजी इस्कूल मं पढ़ाथें, येकर बर वोला रोजके दू बेर नदी पार करे ला परथे. वो हा बताथें, “मंय अपन बेटा ला फटफटी ले जाथों अऊ ले के आथों. कभू-कभू मोर छोटे भाई लाथे, ले जाथे, जऊन ह शिवसागर के कालेज मं पढ़थे.”

ओकर भाई के घरवाली पार्वती यादव, जऊन ह कभू इस्कूल नई गीस, ला ये बात के खुसी हवय के ओकर 16 बछर के बेटी चिंतामणि दिसंगमुख के एक हाईस्कूल मं पढ़थे, वोला इस्कूल जाय मं दू घंटा लाग जाथे, अऊ रोज के नदी पार करे ह ओकर रोज के जरूरी हिस्सा आय. पार्वती संसो करत कहिथे, “मोला डर घलो लागथे के ओकर आमना-सामना हाथी ले झन हो जाय.” ओकर दू अऊ लइका 12 बछर के सुमन अऊ 11 बछर के राजीव घलो चपोरी मं अपन पढ़ ई पूरा करे के बाद आगू के पढ़ई सेती नदी के ओ पार के कऊनो  इस्कूल मं दाखिला लिहीं.

Students lined up in front of the school at the end of day and singing the national anthem.
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Walking out of the school, towards home
PHOTO • Priti David

डेरी: इस्कूल मं छुट्टी होय के बाद कतार मं खड़े होके रास्ट्रीय गान गावत लइका मन . जउनि: इस्कूल ले निकर के अपन अपन घर जावत लइका मन

अतक सारा दिक्कत होय के बाद घलो जब बीते दिन जिला उपायुक्त ह डबली चपोरी के लोगन मन ला शिवसागर सहर मं बसे के बारे मं पूछिस, तब कऊनो मइनखे ला ये हा नई भाइस. सिवजी कहिथें, ये हमर घर दुवार आय, हमन येला तियागे नई सकन.

हेडमास्टर अऊ ओकर घरवाली फूलमती ला अपन लइका मन के पढ़ई-लिखई ऊपर गरब हवय. ओकर बड़े बेटा सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) मं नऊकरी करथे. 26 बछर के बेटी रीता ग्रेजुएट अऊ 25 बछर के गीता पोस्ट ग्रेजुएट आय. सबले छोटे 23 बछर के राजेश भारतीय प्राद्योगिकी संस्थान (बीएचयू-आईआईटी) वाराणसी मं पढ़त हवय.

इस्कूल मं छुट्टी के घंटी बज गेय हवय, अऊ लइका मन कतार मं खड़े होके रास्ट्रीय गान गाये ला लागथें. येकर बाद यादव ह इस्कूल के फेरका ले खोल देथें. लइका मन एक एक करके निकरथें अऊ बहिर निकले सात अपन घर भागे ला धरथें. इस्कूल के समे खतम हो चुके हवय. बस अब हेड मास्टर ला थोर बहुत सफ्फा करना हवय अऊ ताला लगाना हवय. कहिनी मन के नवा किताब मन ला जमावत वो ह कहिथे, “हो सकत हवय के दूसर लोगन मन जियादा कमावत होहीं अऊ पढ़ाय के एवज मं मोला बहुते कम पइसा मिलथे. फेर मंय अपन परिवार के गुजरा करे मं सक्षम हवंव अऊ येकर ले घलो महत्तम बात ये आय के मोला अपन ये काम पसंद हवय... मोला अपन गाँव धन जिला के सेवा करके तरक्की मं संगवारी बनके बढ़िया लागथे. हमन सब्बो असम के विकास चाहत हवन.”

लेखक ये रिपोर्ट तियार करे मं अयांग ट्रस्ट के बिपिन धाने अऊ कृष्ण कांत पेगो के सहयोग के अभारी हवंय.

अनुवाद: निर्मल कुमार साहू

Priti David

ਪ੍ਰੀਤੀ ਡੇਵਿਡ ਪੀਪਲਜ਼ ਆਰਕਾਈਵ ਆਫ਼ ਇੰਡੀਆ ਦੇ ਇਕ ਪੱਤਰਕਾਰ ਅਤੇ ਪਾਰੀ ਵਿਖੇ ਐਜੁਕੇਸ਼ਨ ਦੇ ਸੰਪਾਦਕ ਹਨ। ਉਹ ਪੇਂਡੂ ਮੁੱਦਿਆਂ ਨੂੰ ਕਲਾਸਰੂਮ ਅਤੇ ਪਾਠਕ੍ਰਮ ਵਿੱਚ ਲਿਆਉਣ ਲਈ ਸਿੱਖਿਅਕਾਂ ਨਾਲ ਅਤੇ ਸਮਕਾਲੀ ਮੁੱਦਿਆਂ ਨੂੰ ਦਸਤਾਵੇਜਾ ਦੇ ਰੂਪ ’ਚ ਦਰਸਾਉਣ ਲਈ ਨੌਜਵਾਨਾਂ ਨਾਲ ਕੰਮ ਕਰਦੀ ਹਨ ।

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Photographs : Riya Behl

ਰੀਆ ਬਹਿਲ ਲਿੰਗ ਅਤੇ ਸਿੱਖਿਆ ਦੇ ਮੁੱਦਿਆਂ 'ਤੇ ਲਿਖਣ ਵਾਲ਼ੀ ਮਲਟੀਮੀਡੀਆ ਪੱਤਰਕਾਰ ਹਨ। ਪੀਪਲਜ਼ ਆਰਕਾਈਵ ਆਫ਼ ਰੂਰਲ ਇੰਡੀਆ (PARI) ਦੀ ਸਾਬਕਾ ਸੀਨੀਅਰ ਸਹਾਇਕ ਸੰਪਾਦਕ, ਰੀਆ ਨੇ ਵੀ PARI ਨੂੰ ਕਲਾਸਰੂਮ ਵਿੱਚ ਲਿਆਉਣ ਲਈ ਵਿਦਿਆਰਥੀਆਂ ਅਤੇ ਸਿੱਖਿਅਕਾਂ ਨਾਲ ਮਿਲ਼ ਕੇ ਕੰਮ ਕੀਤਾ।

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Editor : Vinutha Mallya

ਵਿਨੂਤਾ ਮਾਲਿਆ ਪੱਤਰਕਾਰ ਤੇ ਸੰਪਾਦਕ ਹਨ। ਉਹ ਪੀਪਲਜ਼ ਆਰਕਾਈਵ ਆਫ਼ ਰੂਰਲ ਇੰਡੀਆ ਵਿਖੇ ਸੰਪਾਦਕੀ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਸਨ।

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Translator : Nirmal Kumar Sahu

Nirmal Kumar Sahu has been associated with journalism for 26 years. He has been a part of the leading and prestigious newspapers of Raipur, Chhattisgarh as an editor. He also has experience of writing-translation in Hindi and Chhattisgarhi, and was the editor of OTV's Hindi digital portal Desh TV for 2 years. He has done his MA in Hindi linguistics, M. Phil, PhD and PG diploma in translation. Currently, Nirmal Kumar Sahu is the Editor-in-Chief of DeshDigital News portal Contact: [email protected]

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