एक-पालतू-जानवर-एक-भुला-दी-गई-बेगम-और-बुलडोज़र

Bengaluru, Karnataka

Jun 29, 2022

एक पालतू जानवर, एक भुला दी गई बेगम, और बुलडोज़र

'हर उस दिल को जिसे जानवर ने तोड़ दिया था, वहां एक नया दिल, एक नया फूल, एक नई ज़िंदगी, एक नई दुनिया उग आई थी': देश भर में चुनिंदा ढंग से घरों और इमारतों के गिराए जाने की शृंखलाबद्ध घटनाओं से उपजी एक कविता

Poem and Text

Gokul G.K.

Illustration

Labani Jangi

Translator

Devesh

Want to republish this article? Please write to zahra@ruralindiaonline.org with a cc to namita@ruralindiaonline.org

Poem and Text

Gokul G.K.

गोकुल जीके, केरल के तिरुवनंतपुरम के एक स्वतंत्र पत्रकार हैं.

Illustration

Labani Jangi

लाबनी जंगी साल 2020 की पारी फ़ेलो हैं. वह पश्चिम बंगाल के नदिया ज़िले की एक कुशल पेंटर हैं, और उन्होंने इसकी कोई औपचारिक शिक्षा नहीं हासिल की है. लाबनी, कोलकाता के 'सेंटर फ़ॉर स्टडीज़ इन सोशल साइंसेज़' से मज़दूरों के पलायन के मुद्दे पर पीएचडी लिख रही हैं.

Editor

Pratishtha Pandya

प्रतिष्ठा पांड्या, पारी में बतौर वरिष्ठ संपादक कार्यरत हैं, और पारी के रचनात्मक लेखन अनुभाग का नेतृत्व करती हैं. वह पारी’भाषा टीम की सदस्य हैं और गुजराती में कहानियों का अनुवाद व संपादन करती हैं. प्रतिष्ठा गुजराती और अंग्रेज़ी भाषा की कवि भी हैं.

Translator

Devesh

देवेश एक कवि, पत्रकार, फ़िल्ममेकर, और अनुवादक हैं. वह पीपल्स आर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया के हिन्दी एडिटर हैं और बतौर ‘ट्रांसलेशंस एडिटर: हिन्दी’ भी काम करते हैं.