बामोन या ‘पवित्र रसोइया’ (जिसे इस फिल्म में दिखाया गया है) मणिपुर के वैष्णवों की किसी भी सार्वजनिक दावत का अभिन्न हिस्सा होता है। वैष्णव संप्रदाय, जैसा कि मणिपुर में प्रचलित है, बंगाल की पारंपरिक प्राकृतिक मान्यताओं और प्रभावों का एक अनूठा मिश्रण है। मणिपुर के सबसे बड़े जातीय समूह, मेइतेइ ने बहुत पहले वैष्णव संप्रदाय को अपनाया था।
ब्राह्मण पुजारी जहां एक ओर विवाह, जन्म या मृत्यु के दौरान अनुष्ठान करते हैं, वहीं इन समारोहों या दावतों के दौरान भोजन और प्रसाद बांटने का काम ब्राह्मण रसोइये करते हैं, जो समारोह में आमंत्रित किए गए सभी लोगों के लिए खाना बनाते हैं और उन्हें भोजन परोसते हैं।
मणिपुर के इंफाल पूर्वी जिले के इंफाल शहर में स्थित, मुख्य रूप से ब्राह्मणों का इलाका, बामोन लेइकाई अपने ब्राह्मण रसोइयों के लिए प्रसिद्ध है। उन्हें शुभ दिनों के दौरान रसोई की अध्यक्षता करने के लिए कहा जाता है, और खाना पकाने के दौरान अनुष्ठान किया जाता है। व्यंजनों की संख्या — अतीत में 108 हुआ करती थी — में कमी आई है। अधिकांश समारोहों में अभी भी खाने के 30-50 आइटम, शाकाहारी और मछली के व्यंजन होते हैं। यह संख्या आमतौर पर घर की आर्थिक स्थिति पर निर्भर करती है। समय के साथ, यह भी एक प्रकार के उद्यम में बदल गया है, और ज़्यादा मांग के कारण चकशांग में वृद्धि हुई है — यह एक प्रकार की रसोई है, जो ब्राह्मणों द्वारा चलाई जाती है जो महत्वपूर्ण समारोहों में भोजन पहुंचाते हैं।
हिंदी अनुवाद: मोहम्मद क़मर तबरेज़