“कैमरा त एगो छेद वाला बेजान धातु हवे. फोटो राउर दिल में उतर जाला. राउर प्रयोजन ही राउर कहानी के आकार देवेला.”
पी. साईनाथ
झुके, संभले, बनावे, उठावे, जोर लगावे, झाड़ू लगावे, परिवार के संभारे, जनावर के चरावे, किताब पढ़े, लिखे, बीने, सुर तइयार करे, नाचे, गाए आउर जश्न मनावे… सभे तरह के फोटो शब्द संगे जुड़ के भारत के गांव के लोग के जिनगी आ काम-धंधा के बहुत नजदीक से, गहिराई से जाने आउर समझे के मौका देवेला.
पारी के फोटो सामूहिक स्मृति के खास तरीका से दर्ज करे के एगो प्रयास बा. हमनी के बखत के ई कवनो उदासीन दस्तावेज नइखे, बलुक एगो दरवाजा बा जे हमनी के आपन आउर आस-पड़ोस के दुनिया से जोड़ेला. पारी के तस्वीरन के अपार संग्रह में अइसन लोग के कहानी दर्ज बा, जेकरा मुख्य धारा के मीडिया भुला देले बा- अंतिम पायदान पर ठाड़ लोग, इलाका, जमीन, रोजी-रोटी आउर मिहनत के कहानी.
फोटो में कैद हंसी, सुंदरता, प्रसन्नता, दुख, उदासी, शोक, बिस्मय आउर ह्रदयविदारक सच्चाई, आम इंसान के कमजोरी आउर अतिसंवेदनशीलता के जाहिर करेला. कहानी के किरदार खाली फोटो खींचे खातिर ना होखेला. फोटो में देखाई दे रहल आदमी के पहचान सहानुभूति पैदा करेला. आउर एगो अकेला कहानी बहुत बड़-बड़ सांच के उजागर कर सकेला.
बाकिर ई तबे संभव बा जब फोटो खींचे वाला आउर फोटो खिंचवावे वाला के बीच सहयोग के भावना होखे. का बहुते भारी नुकसान आउर दुख झेल रहल आदमी के फोटो लेवे खातिर हमनी सहमति लेले बानी? अंतिम पायदान पर ठाड़ आदमी के फोटो गरिमा संगे कइसे खींचल जा सकेला? कवन तरह के स्थिति में कवनो आदमी चाहे, लोग के फोटो खींचात बा? आम आदमी के रोज के जिनगी के कहानी कहे वाला फोटो के सीरीज बनावे के पीछे का इरादा बा?
अइसन कुछ जरूरी सवाल बा जेकर सामना हमनी के फोटोग्राफर लोग करेला. अब चाहे ऊ लोग कुछ दिन, चाहे कुछ साल में कवनो कहानी तइयार करत होखे, चाहे कवनो चोटी के कलाकार, आदिवासी त्योहार, किसान आंदोलन वगैरह के तस्वीर उतारत होखे.
विश्व फोटोग्राफी दिवस के मौका पर हमनी रउआ लोग खातिर पारी के फोटो आउर ओकरा पाछू के कहानी लेके आइल बानी. ई सभ फोटो पारी खातिर कहानी, रिपोर्टिंग करे घरिया खींचाइल रहे. इहंवा ऊ लोग बतइले बा कि फोटो खींचे घरिया ओह लोग के मन में का चलत रहे. फोटो के पीछे के कहानी जाने से हमनी के ओह लोग के फोटो के समझे के गहिर नजरिया मिली. फोटो सभ अंगरेजी के वर्णमाला के क्रम से सजावल गइल बा:
आकांक्षा, मुंबई, महाराष्ट्र
हमार फोटो कलाकारी देखावे से पेट ना भरे , कहानी से लेहल गइल बा. ई कहानी मुंबई के लोकल ट्रेन में सारंगी के सुर सजावे वाला किशन जोगी के बारे में बा. फोटो में संगे-संगे उनकर छव साल के लइकी भारती भी देखाई देत बाड़ी.
उनकरा लोग के कहानी में अइसन बहुते कलाकार लोग के कहानी देखाई देवेला, जेकरा हम बचपन से रस्ता में आवत-जात देखले बानी. ओह लोग के देखल गइल बा, सुनल गइल बा, बाकिर कबो कलाकार के मान नइखे देवल गइल. आउर एहि से हमरा खातिर ई कहानी कहल जरूरी रहे.
ठसाठस भरल एगो ट्रेन. एगो डिब्बा से दोसर डिब्बा में ओह लोग के अनाई-जनाई, आउर यात्रा के बहुते तेज लय-ताल के बीच ई फोटो लेहल गइल रहे.
ओह लोग के अइसन भागम-भाग के बीच सांस फूलला के बावजूद, हमरा देखे के पड़त रहे कि अपना के कहंवा रखीं. किशन भइया त सारंगी बजावत ट्रेन के एगो डिब्बा से दोसरका में जास, आउर बहुते सहज भाव से सारंगी बजावे लागस. ट्रेने उनकर मंच बन गइल रहे. एह भागदौड़ के बीच उनकर सुर में तनिको फरक ना आवत रहे.
कैमरा लेले उनकरा पाछू घूमत सुरु-सुरु में हमरा दिमाग में त इहे आइल रहे कि फोटो खींचम त ऊ तनी झिझकिहन, कैमरा देखे के ऊ तनी घबरइहन. बाकिर हम गलत रहीं- कलाकार त आपन कला में आकंठ डूबल रहस.
उनकर कला के जादू सभे पर चल जात रहे, हारल-थाकल घरे लउटे वाला यात्री लोग के बीच ऊ पूरा ऊर्जा में मौजूद रहस. एह फोटो में हम उहे द्वंद्व के सामने लावे के कोसिस कइनी ह.
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बिनाइफर भरूचा, वेस्ट कमेंग, अरुणाचल प्रदेश
एह फोटो के अरुणाचल में चिरई के बसेरा पर संकट, धरती पर संकट बा , कहानी से लेहल गइल बा.
आइती थापा (फोटो में) के पाछू, ऊपर आ नीचे हरियाली से भरल, सांप जइसन रस्ता पर दउड़त, फिसले वाला माटी पर गोड़ जमावत, इहे सोचीं आउर डेराईं कहीं जोंक हमरा गोड़ में चिपक ना जाए. चिरई के आवाज सन्नाटा के चीरत रहे. हमनी जलवायु परिवर्तन से जुड़ल एगो कहानी करे खातिर अरुणाचल प्रदेश के ईगलनेस्ट अभयारण्य पहुंचल रहीं.
साल 2021 से, आइती थापा इहंवा चिरई सभ के प्रजाति पर शोध करे वाला एगो टीम के हिस्सा बाड़ी. जंगल में टीम के लगावल मिस्ट जाल में चिरई सभ फंस जात रहे. ओह लोग के बहुते एहतियात से, धीरे-धीरे निकाले के पड़त रहे. ई काम बहुते कठिन रहे, बाकिर आइती बड़ा फुरती आउर सावधानी से ई काम कर लेत रहस.
आइती जेतना दुलार से रूफस-कैप्ड बैबलर के निहारत रहस, हमार दिल धड़क गइल. हम तुरंत ओह पल के कैमरा में कैद कर लेनी. कुदरत के बीचों-बीच मौजूद इंसान आउर चिरई के बीच नाजुक रिस्ता आउर आपसी भरोसा के ई दुर्लभ दृश्य रहे. चिरई सभ के बचावे के काम करे वाला खास मरद लोग के टीम में मौजूद दू गो मेहरारू में से ऊ एगो रहस.
बहुते उत्साही आउर नरम दिल के आइती चुपचाप लैंगिक बाधा के तोड़त नजर आवत बाड़ी. एहि से ई फोटो कहानी खातिर बहुते जरूरी बन गइल.
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दीप्ति अस्थाना, रामनाथपुरम, तमिलनाडु
धनुषकोड़ी, तमिलनाडु के एगो तीर्थस्थल रामेश्वरम से सिरिफ 20 किमी दूर बसल बा. एक तरफ बंगाल के खाड़ी आउर दोसरा ओरी हिंद महासागर. बीच में जमीन के एगो छोट बाकिर शानदार टुकड़ा जे दरिया से बाहिर ओरी निकलल बा! इहंवा के लोग बंगाल के खाड़ी में गरमी के छव महीना मछरी पकड़ेला, आउर जब हवा के रुख बदले लागेला, ऊ लोग हिंद महासागर ओरी चल पड़ेला.
हम इहंवा जब आपने माटी में उपेक्षित धनुषकोड़ी लोग , कहानी करे पहुंचनी, त कुछे दिन में बुझा गइल कि इलाका में पानी पर आफत बा.
दुनो ओरी महासागर से घिरल होखे के चलते इहंवा के लोग खातिर ताजा पानी हासिल कइल रोज के चुनौती बा. अक्सरहा, मेहरारू लोग रोज के काम खातिर एक जगह आपन हाथ से गड्ढ़ा खोदेला आउर उहे पानी के आपन बरतन में भरेली.
रोज के इहे कहानी बा, काहे कि पानी जल्दिए खारा हो जाला.
एह फोटो में पाछू विशाल मैदान आउर सोझे मेहरारू लोग के टोली के दृश्य लाजवाब बनल बा. फोटो देखके इहो पता चलत बा कि इंहवा के लोग के आपन बुनियादी जरूरत पूरा करे खातिर भी केतना संघर्ष करे के पड़त बा.
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इंद्रजीत खांबे, सिंधुदुर्ग, महाराष्ट्र
ओमप्रकाश चव्हाण पछिला 35 बरिस से दशावतार थिएटर के मंच पर मेहरारू बनत आइल बाड़न. एह नाट्य कला के ऊ सबले नामी कलाकार लोग में से बाड़न, जे 8,000 से भी जादे नाटक कर चुकल बानी. आपन दर्शक लोग खातिर ऊ अबले दशावतार के चमक-धमक जिंदा रखले बाड़न. रउआ लोग हमार कहानी, दशावतार नाटक से सजल एक ठो रात में देख सकत बानी.
हम उनकरा बारे में एक दशक से जादे समय से जानकारी जुटावे के काम में लागल बानी. कहानी करे घरिया हम उनकर एगो अइसन फोटो लेवे के चाहत रहीं, जेकरा देखते उनकरा बारे में सब हाल पता चल जाए. आउर हमरा ऊ मौका मिल गइल. ओमप्रकाश कुछ बरिस पहिले सतारदा में प्रस्तुति देवत रहस. इहंवा (ऊपर) उनकरा नाटक में एगो मेहरारू के किरदार में तइयार होखत देखल जा सकत बा.
फोटो में, ओमप्रकाश के उनकर दुनो अवतार में देखल जा सकेला. ई अकेला फोटो मेहरारू के किरदार निभावत एगो मरद के रूप में उनकर विरासत के बारे में बता रहल बा.
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जॉयदीप मित्र, रायगढ़, छत्तीसगढ़
भारत में दशकन से हिंदू दक्षिणपंथी लोग के बनावल राम के उलटा ब्याख्या तेजी से लोकप्रिय होखत जात रहे. ठीक एहि घरिया हमरा रामदास लैंब के ‘रैप्ट इन द नेम’ किताब पढ़े के मौका भेंटाइल.
एहि से हम बहुसंख्यकन के रचल एह झूठ के तोड़ खोजे निकल गइनी. हमार ई बेचैनी हमरा के रामनामी लोग तक पहुंचइलक. हम ओह लोग के लगे से जाने-समझे खातिर बहुते बरिस ले हम ओह लोग के हिस्सा बन के रहनी.
राम के नाम से लेहल गइल ई फोटो वंचित-शोषित लोग के प्रतीक हवे. ई लोग जदि सशक्त रहित, त भारत मौजूदा पतन से बच सकत रहे.
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मुजमिल भट, श्रीनगर, जम्मू आ कश्मीर
जिगर देद के फोटो हमार कहानी, जिगर देद के दुख दरद के अटूट हिस्सा हवे. ई फोटो उनकर जिनगी के बारे में बहुत कुछ कह देवेला.
हमरा जिगर देद के बारे में स्थानीय अखबार से पता चलल. अखबार में कोविड-19 महामारी घरिया उनकर संघर्ष के बारे में छपल रहे. उनकरा से भेंट करे आउर उनकर कहानी जाने के हमरा बहुते उत्सुकता रहे.
हम जवन घरिया डल झील के उनकर हाउसबोट पहुंचनी, ऊ कवनो सोच में गहिरा डूबल रहली. अगिला 8 से 10 दिन ले हम उनकरा से मिले रोज उहंवा जात रहनी. ऊ हमरा के बतइली कइसे ऊ पछिला 30 बरिस से अकेले संघर्ष कर रहल बाड़ी.
उनकर कहानी लिखे में हमरा एगो बहुते बड़ चुनौती पेश आइल. उऩकरा डिमेंशिया (भुलाए के बेमारी) रहे. हमरा लगातार सभे कुछ बेर-बेर दोहराए के पड़त रहे. उनका कुछो इयाद ना रहत रहे. कबो-कबो त ऊ हमरो भुला जास.
ई हमार मनपसंद फोटो हवे काहेकि एह में उनकर चेहरा पर झुर्री देखाई देत बा. हमरा खातिर हर झुर्री एगो कहानी कहेला.
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पलानी कुमार, तिरुवल्लूर. तमिलनाडु
गोविंदम्मा पर रिपोर्टिंग एगो लमहर प्रोजेक्ट रहे. हम उनकरा से 2-3 बरिस ले बात कइनी, लॉकडाउन से पहिले आउर एकरा बादो. गोविंदम्मा, उनकर महतारी, लइका आउर पोती. हम उनकर परिवार के तीन ठो पीढ़ी के फोटो लेनी.
हमार कहानी, सगरे जिनगी पानी में गुजारे वाली गोविंदम्मा जब छपल त लो एकरा खूब पसंद कइलक आउर खूब शेयर कइलक. काहेकि कहानी उत्तरी चेन्नई के पर्यावरण के मुद्दा के बारे में रहे.
कहानी के असर रहे कि तिरुवल्लूर के कलेक्टर पट्टा (जमीन के मलिकाना हक के कागज) सौंपलन, आउर लोग के पेंशन बांटल गइल. एकरा संगे ओह लोग खातिर नयका घरो बनल. एहि से आपन कहानी के ई फोटो हमरा बहुते पसंद बा. फोटो के ही ताकत रहे कि ई मामला आपन अंजाम तक पहुंचल.
ई फोटो हमरा खातिर जिनगी बदल देवे वाला फोटो बा.
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पुरुषोत्तम ठाकुर, रायगड़ा, ओडिशा
हम ई छोट लइकी से तब मिलल रहीं, जब आपन कहानी नियमगिरी में एगो बियाह खातिर एगो बियाह के रिपोर्टिंग कर रहल रहीं. उहो बियाह में नेवतल रहस. जब हम फोटो लेनी त ऊ आपन बाऊजी संगे आपन माटी के घर के दुअरा पर ठाड़ रहस.
ओह घरिया ई लइकी गुड़ाखू (तंबाकू आउर सड़ल गुड़ से बनल पेस्ट) से आपन दांत मांजत रहे. हमरा नीमन लागल कि फोटो खिंचवावे में ऊ लइकी के कवनो संकोच ना भइल.
फोटो आदिवासी लोग के जिनगी के सिद्धांत इयाद दिलावेला. एकरा से ना सिरिफ उनकर आपन जमीन आउर नियमगिरी पहाड़ी, बलुक उनकर आसपास के सगरे जैव विविधता के बचावे के उनकर संघर्ष के पता चलेला. एकरे पर ऊ लोग सामाजिक, सांस्कृतिक आउर आर्थिक रूप से निर्भर बा.
ओह लोग के सिद्धांत सगरे दुनिया खातिर बहुमूल्य संदेश बा कि मानव सभ्यता खातिर कुदरती संसाधन के बचावल केतना जरूरी बा.
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राहुल एम, पूर्वी गोदावरी, आंध्र प्रदेश
हम साल 2019 में एगो कहानी, ‘ऊ घर त अब दरिया में डूब गइल’ , करे घरिया ई फोटो लेले रहीं. उप्पडा गांव में मछुआरा लोग के बस्ती एक बखत कइसन रहे, हम ई बात इयाद रखे के चाहत रहीं.
जलवायु परिवर्तन से जुड़ल कहानी खोजे घरिया, महसूस भइल कि दरिया के पानी के स्तर बढ़े से केतना गांव पर असर भइल बा. फोटो में बावां ओरी ठाड़ जर्जर भवन हमार ध्यान खींच लेलक. आउर धीरे-धीरे हमार फोटो आउर कहानी के केंद्र बन गइल.
ई भवन कबो खूब गुलजार रहत रहे. इहंवा पचास बरिस पहिले आके बसे वाला परिवार अब लगे के गली में एने-ओने छितरा गइल बा. उप्पडा में जे भी पुरान आउर भव्य रहे, दरिया सभ के लील गइल.
हमरा लागल कि अब ई भवन के बारी बा, आउर बहुते लोग इहे कहत भी रहे. एहि से हम ई भवन के देखे रोज जाईं, रोज एकर फोटो खिंची आउर एकरा बारे में उहंवा के लोग से बात करीं. आखिर में एक दिन दरिया के लहर, हमार अनुमान से जादे तेजी से आइल आउर 2020 में ई ओकर पानी में विसर्जित हो गइल.
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रितायन मुखर्जी, दक्षिण 24 परगना, पश्चिम बंगाल
हमार कहानी, सुंदरबन: बाघ के आतंक के साया में एगो बियाह में नित्यानंद सरकार के हुनर से बियाह में आवे वाला मेहमान लोग बहुते खुस भइल. हम आपन फोटो से इहे देखावे के चाहत रहीं.
रजत जुबिली गांव में एगो परिवार आपन लइकी के बियाह करत रहे. बियाह में दुल्हिन के बाऊजी, अर्जुन मंडल के बहुते इयाद कइल जात रहे. अर्जुन गंगा के डेल्टा वाला इलाका में, 2019 में एगो बाघ के हमला में चल बसल रहस. उनकरा जाए से उनकर परिवार पर दुख के पहाड़ टूट पड़ल.
एगो किसान आउर कलाकार, नित्यानंद इहंवा झुमुर गीत, मां बनबीबी नाटक आउर पाल गान जइसन तरह-तरह के लोककला के प्रदर्शन कर रहल बाड़न. एगो 53 बरिस के किसान आउर अनुभवी पाल गान कलाकार 25 बरिस से जादे समय से एह कला के साधना कर रहल बाड़न. ऊ अलग-अलग शो खातिर एगो से जादे टीम संगे काम करेलन.
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रिया बहल, मुंबई, महाराष्ट्र
साल 2021 के जनवरी के 24 तारीख. दसियो हजार किसान लोग पूरा महाराष्ट्र से दक्षिणी मुंबई के आजाद मैदान में जुटल रहे. उहंवा संयुक्त शेतकारी कामगार मोर्चा के दू दिन के धरना रहे. हम एकरा बारे में आपन कहानी, ‘मुंबई मोर्चा: किसान विरोधी कानून वापिस ल’ में जिकिर कइले बानी
हम ओह दिनवा भोर में धरना स्थल पर जल्दिए पहुंच गइल रहीं. किसानन के जत्था आवे के सुरु हो गइल रहे. हमनी पत्रकार लोग एह बात के बाट जोहत रहीं कि ई बड़का टुकड़ी सांझ में कबले पहुंची, कि हमनी के कुछ शानदार शॉट्स लेवे के मौका भेंटाए. फोटोग्राफर लोग उहंवा डिवाइडर, दोसर गाड़ी आउर जहंवा जहंवा संभव हो सके, नीमन शॉट्स लेवे खातिर मोर्चा लेले रहे. जेकरा लगे जइसन लेंस रहे, ऊ ओहि हिसाब से पोजीशन ले लेलक. सभे केहू बाट जोहत रहे कि कब किसानन के सैलाब रस्ता पर आवत देखाई दीही आउर मैदान में घुसी.
हम पारी खातिर पहिल बेर स्टोरी करत रहीं. हमरा अच्छा से पता रहे कहानी में छापे लेल अच्छा चाहे खास फोटो लेवे खातिर पांच मिनिट से भी कम बखत मिली. हमरो सही जगह, सही दिशा में पोजीशन लेवल जरूरी रहे. हमार एह काम में, लागत रहे शहर खुदे मदद करत बा. काहे कि ठीक हमनी के सोझे छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, ऐतिहासिक रेलवे टर्मिनस रहे. पूरा तरीका से पियर, बुल्लू आउर हरियर रोसनी में नहाइल. हमरा समझ में आ गइल रहे कि इहे हमार फोटो के बैकड्रॉप बने वाला बा.
अचानक उहंवा रस्ता पर पैदल किसान लोग के हुजूम उमड़ पड़ल आउर हमरा लगे से तेजी से गुजरे लागल. एह में के जादे करके लोग एआईकेएसएस के लाल टोपी पहिनले रहे. ई हमार मनपसंद फोटो हवे जे में दु गो जवान मेहरारू लोग के बीच पल ठहर गइल बा. सायद ओह लोग खातिर ई शहर के पहिल यात्रा रहे आउर कुछ निहारे के इरादा से रुक गइल रहे. भारी झोला, खाना कंधा पर उठवले ऊ लोग के इहंवा आवे में पूरा दिन लाग गइल रहे. ऊ लोग तनी सुस्ताए लागल त ओह लोग के रुके से किसानन के बड़ टोली के गति धीमा हो गइल. ऊ लोग सायद चलत-चलत थाक गइल रहे आउर जल्दी से मैदान में बइठे खातिर कवनो जगह खोजत रहे. मेहरारू लोग जइसहीं सुस्ताए लागल, हमार भाग नीमन रहे हम ओह पल के गवाह बन गइनी.
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पी.साईनाथ, रायगड़ा, ओडिशा
सउंसे भारत के फोटो.
खेत के मालिक बहुते गर्व से फोटो खिंचवइलन. उनकर खेत में नौ गो मेहरारू लोग रोपाई करत रहे. झुकके काम कर रहल मेहरारू लोग के सामने ऊ तन के ठाड़ रहस. मालिक मेहरारू लोग के दिहाड़ी मजूरी में से 60 गो रुपइयो काट लेत रहस.
साल 2001 के जनगणना हाले में पूरा भइल रहे. भारत के आबादी पहिल बेर नौ-अंक में आइल. आउर इहंवा हमनी भारत के अनगिनत कठोर सच्चाई के झलक देखत रहीं.
जमींदार (मरद) सीना तान के ठाड़ बा, मेहरारू लोग खेत में झुकल बाड़ी. आबादी के दस प्रतिशत वाला हिस्सा तन के, पूरा आत्मबिस्वास से ठाड़ बा आउर आबादी के नब्बे प्रतिशत वाला हिस्सा झुक गइल बा.
कैमरा के नजर से देखल जाव, त अइसन लागी कि ‘1’ पर 9 गो शून्य धरल बा. ई 1 अरब भइल न, सउंसे भारत.
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संकेत जैन, कोल्हापुर, महाराष्ट्र
ई फोटो हमार कहानी, कोल्हापुर: बाढ़ आ कोविड संगे कुश्ती से लेहल गइल बा.
कवनो कुश्ती चाहे ट्रेनिंग में पहलवान लोग चित्त लगाके खेलेला. ऊ लोग आपन प्रतिद्वंद्वी के हर चाल पर नजर रखेला आउर एक क्षण में फैसला ले लेवेला कइसे बचे के बा, कइसे हमला करे के बा.
अइसे त, एह फोटो में पहलवान सचिन सालुंखे चिंतित आउर ध्यानमग्न देखाई देत बाड़न. बेर-बेर के बाढ़ आउर कोविड से गांव-देहात के पहलवानन के जिनगी तबाह हो गइल बा. मजबूरी में ऊ लोग के खेत में मजूरी करे चाहे कवनो छोट-मोट नौकरी खोजे के पड़त बा. एकर असर एतना गहिर बा कि कुश्ती में लउटे के बादो सचिन आपन ध्यान नइखन लगा पावत.
उनकर अइसने मन:स्थिति के बीच ई फोटो खींचल गइल. बढ़त जलवायु आपदा चलते परिस्थिति आउर गंभीर भइल जात बा.
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एस. सेंतलिर, हावेरी, कर्नाटक
पहिल बेर जब हम हावेरी जिला के कोनंतले गांव में रत्नव्वा इहंवा पहुंचनी, फसल कटाई के बखत रहे. रत्नव्वा टमाटर छांटत रहस. बीज निकाले खातिर टमाटर के थूर देहल गइल रहे. इहे बीज के सुखाके जिला मुख्यालय के बड़ बीज उत्पादक कंपनी भेजल जाला.
हाथ से परागण के काम देखे खातिर हमरा ओह मौसम में तीन महीना आउर इंतजारी करे के पड़ल. मेहरारू लोग फूल के परागित करे भोरे-भोरे काम सुरु कर देवत रहस.
हम रत्नव्वा संगे खेत पर जाईं. खेत के क्यारी के बीच में उनकरा संगे घंटों चलीं आउर उनकर काम के आपन कहानी, हावेरी: मुसीबत के खेत में आस के बीज बोवत रत्नव्वा , में दर्ज करत रहीं.
आपन कहानी करे खातिर उनकर भरोसा जीतल जरूरी रहे. एह खातिर हम छव महीना से जादे, रोज रत्नव्वा के घर जात रहनी.
हमार मनपसंद फोटो में से ई एगो बा, एह में ऊ काम करत देखाई देत बाड़ी. उनकरा देख के अंदाजा लगावल जा सकेला कि संकर बीज तइयार करे में केतना मिहनत लागेला आउर मेहरारू लोग के एतना मिहनत के काम के कइसे साधे के पड़ेला. उनकरा एह काम में रोज तीन से चार घंटा लाग जात रहे. फूल सभ के हाथ से परागित करे खातिर उनकरा झुक के काम करे के पड़ेला, बीज तइयार करे खातिर ई सबले जरूरी काम बा.
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श्रीरंग स्वर्गे, मुंबई, महाराष्ट्र
पारी के कहानी, लॉन्ग मार्च: गोड़ में छाला, आउर गहिर आस्था , खातिर लेहल गइल ई फोटो हमार मनपसंद बा. फोटो में प्रतिरोध मार्च के जोश आउर जुनून कैद हो गइल बा.
नेता लोग जब किसानन के संबोधित करत रहे, हमार नजर ट्रक पर बइठल एगो किसान पर गइल. ऊ हाथ में झंडा उठइले एकरा लहरावत रहस. हम तुरंते उहंवा गइनी. उहंवा सभा में किसानन एतना बड़ गिनती में मौजूद रहे कि लागे मैदान में लोग के समंदर लहरात बा. एह नजारा सभ के फ्रेम में लावे खातिर हम मेन रोड पर पहुंचनी. पता रहे जादे देर होई त ई फ्रेम हाथ से निकल जाई.
फोटो पैदल मार्च के जनभावना के दर्शावत बा, पार्थ के लिखल कहानी कहत बा. एह में प्रदर्शनकारी किसान के अटूट भावना के झलक बा. अइसन भव्य फोटो के बहुते लोग शेयर कइलक आउर एकरा खूब छापल गइल.
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शुभ्रा दीक्षित, करगिल, जम्मू आ कश्मीर
ताईसुरु के भाषा पुरगी में इहंवा के स्कूल में पढ़ाई-लिखाई ना होखे. उहंवा त अंग्रेजी आउर ऊर्दू चलेला. लरिकन सभ के ई दुनो भाषा कठिन आउर बिदेसी बुझाला. स्कूली किताब सभ अंग्रेजी में बा, जे आउर कठिन लागेला. खाली भाषे ना बलुक कहानी, रोजमर्रा के बात-घटना भी एह इलाका में रहे वाला लोग के अनुभव से बहुते दूर हो गइल बा.
हमार कहानी, सुरु घाटी में माह-ए-मुहर्रम हाजिरा आ बतूल दु गो लइकी हई. आपन स्कूली किताब में कवनो खास दिलचस्पी ना रखे वाला दुनो लइकी लोग सौरमंडल के बारे में पढ़त बा. दुनो प्राणी में आपन किताब के मदद से ग्रह, चांद आ सूरज के बारे में जाने के ललक बा.
फोटो मुहर्रम घरिया लेहल गइल रहे. एहि से लइकी लोग करियर कपड़ा पहिनले बा. पढ़ला के बाद ऊ लोग एक संगे इमामबाड़ा जाए वाला रहे.
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स्मिता तुमुलुरु, तिरुवल्लूर, तमिलनाडु
कृष्णन एगो खूब रस वाला फल खइलन आउर ठिठियाए (जोर से हंसे) लगले. उनकर ठोर (होंठ) आउर जीभ चटक लाल-गुलाबी रंग के हो गइल. उनका देख के दोसरो लरिकन सभ के झुंड फल देखे खातिर दउड़ल. ऊ लोग मुट्ठी भर फल, जेकर नाम नढेल्ली पड़म बा, इकट्ठा कर लेलक. ई फल हाट में देखे के ना मिले. ऊ लोग एकरा ‘लिप्स्टिक फल’ पुकारे लागल. हमनियो के कुछ फल खइनी आउर आपन गुलाबी ठोर संगे सेल्फी खींचनी.
फोटो हमार कहानी, ‘बंगलामेडु में कवनो खजाना दबल बा’ से लेहल गइल बा. इरुला मरद आउर लरिकन सभ आपन गांव लगे झाड़ी वाला जंगल में फल खोजे आइल बा. फोटो में उहंई के हल्का-फुल्का पल कैद बा.
हमरा खातिर त पाछू में कैक्टस आ लमहर घास के बीच फल खोज रहल एगो लइकी के बिना ई फोटो अधूरा रहित. इरुला समुदाय के बच्चा लोग काचे उमिर में आपन आस-पास के जंगल के गहिराई से समझ जाला. ई कहानी उहे बारे में बा.
‘लिप्स्टिक फल’ खाए वाला ई घड़ी इरुला लोग से जुड़ल हमार अनुभव के एगो यादगार हिस्सा रही.
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श्वेता डागा, उदयपुर, राजस्थान
हम अबहियो सीखिए रहल बानी, नीमन फोटो कइसे लेवल जाला. आपन कहानी, राजस्थान के बिया बचावे वाला मेहरारू लोग करे घरिया हम कइएक फोटो लेनी.
आज जब हम पलट के देखिला, त लागेला कि फोटो सभ तनी आउर नीमन लेहल जा सकत रहे. बाकिर ई त एगो अइसन लुर बा, जेकरा बिना गलती कइले सिखल ना जा सके.
कहानी के पहिल फोटो में चमनी मीणा मुस्कात बाड़ी, जे बड़ा लुभावन बा. भाग नीमन रहे कि हम उनकर ई मुस्की के फोटो खींच पइनी!
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उमेश सोलंकी, दहेज, गुजरात
साल 2023 में अप्रिल के सुरुआती दिन रहे. हम गुजरात के दाहोद जिला के खरसाणा गांव पहुंचल रहीं. एक हफ्ता पहिले इहंवा पांच गो युवा आदिवासी लइकन संगे एगो दुर्घटना भइल, जे में तीन गो के मौत हो गइल. सीवर चेंबर साफ करे घरिया जहरीला गैस चलते ओह लोग के दम घुट गइल. हमरा आपन कहानी, गुजरात: गटर कबले गरीबन के जान लेत रही , खातिर मरे वाला के परिवार आउर बचल मजूर लोग से भेंट करे के रहे.
बीस बरिस के भावेश ‘भाग वाला’ रहस कि बच गइलन. हमरा उनकरे परिवार संगे रहे के रहे. उनकरा आंख के सामने तीन गो लोग मर गइल, एह में उनकर 24 बरिस के बड़ भाई परेश भी रहस. परिवार के मरद लोग संगे तनी देर बतियवला के बाद जब हम घर ओरी चलनी, त देखनी परेश कटारा के माई सपना बेन माटी के घर के आपन ओसारा में लेटल बाड़ी. हमरा देख के ऊ उठ गइली आउर देवाल से पीठ टेका के बइठ गइली. हम पूछनी का उनकर फोटो ले सकत बानी. ऊ धीरे से मुंडी हिला देली.
कैमरा में सोझे ताक रहल उनकर आंख में केतना दरद, खीस आउर डर देखाई देत रहे. पाछू में झरल पियर रंग के घर के देवाल, लागत रहे उनकरे उदास मन के टोह लगावत बा. ई फोटो हमार खींचल दोसर सभ फोटो में से सबले बेचैन कर देवे, दिल दहला देवे वाला बा. अइसन लागत रहे फोटो ऊ दर्दनाक घटना बयान करत बा. चारों परिवार के दुख एगो फ्रेम में सिमट गइल रहे.
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जीशान ए लतीफ, नंदुरबार, महाराष्ट्र
पल्लवी (नाम बदलल बा) आपन बच्चादानी खिसकला से भयानक कष्ट में रहस, इलाज भी ना नसीब होखत रहे. उनकरा एतना दरद होखे जेकर कल्पना कवनो मरद ना कर सके. चट्टान पर बनल दू गो फूस के घर वाला बस्ती में हम आपन झोंपड़ी लगे ठाड़ उनकर फोटो लेवे लगनी. फोटो लेवे घरिया हमरा उनकरा भीतर मौजूद अपार सहनशक्ति महसूस भइल. आमतौर पर, त इहंवा लगे के सरकारी क्लिनिक पहुंचे में भी दू घंटा लाग जाला. उहंवा उनकर इलाज हो सकत रहे. बाकिर ऊहो इलाज टिके वाला ना रहे. फोटो बच्चादानी खिसकला से जिनगी बिलटत बा से लेहल गइल बा.
भयानक कमजोरी के बादो ऊ फोटो में सीधा ठाड़ देखाइत देत बाड़ी. एकदम एगो आदिवासी भील मेहरारू जइसन, जे बेमार पड़लो पर आपन घर आउर कुटुंब के ध्यान रखेला.
कवर डिजाइन: संविति अय्यर
अनुवाद: स्वर्ण कांता