फोटोग्राफी समाज के अंतिम पायदान पर रहे वाला समुदाय खातिर हरमेसा से पहुंच के बाहिर के चीज रहल हवे. खाली एह से ना कि कैमरा खरीदे के ऊ लोग के औकात नइखे. कैमरा आउर एह समुदाय के बीच के एह खाई के हम पाटे के चाहत रहीं. चाहत रहीं कि हाशिया पर रहे वाला समुदाय- खास करके दलित, मछुआरा, ट्रांस, अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय आउर कइएक पीढ़ी से उत्पीड़न झेल रहल दोसर वर्ग के युवा पीढ़ी तक कैमरा पहुंचे.

हम चाहत रहीं हमार विद्यार्थी लोग आपन कहानी खुदे कहे, छोट-छोट कहानी जे ऊ लोग दोसरा के सामने लावे के चाहत बा. वर्कशॉप में ऊ लोग आपन रोज के जिनगी के जरूरी हिस्सा के फोटो खेंच रहल बा. इहंवा आवे वाला सभे के आपन कहानी बा, जे ओह लोग के दिल के बहुते करीब बा. कैमरा आउर शूटिंग में ऊ लोग के खूब मजा आइल. आउर हम इहे चाहत रहीं. फ्रेम आ कोण जइसन फोटो लेवे के तरीका, त बादो में सिखल जा सकत बा.

ऊ लोग आपन जिनगी के जे फोटो खींचलक, ऊ कुछ खास बा.

ऊ लोग जब हमरा फोटो देखावे आवेला, त हम फोटो के पीछे के राजनीति, फोटो के पीछे के कहानी, स्थिति ई सभ के बारे में भी ऊ लोग संगे बतियाइला. एह वर्कशॉप में अइला के बाद ऊ लोग सामाजिक-राजनीतिक रूप से पहिले से जादे सचेत हो गइल बा.

Left: Maga akka showing the photos she took to a fishermen at Nagapattinam beach.
PHOTO • M. Palani Kumar
Right: Hairu Nisha taking pictures in Kosasthalaiyar river near Chennai.
PHOTO • M. Palani Kumar

बावां: मगा अक्का नागपट्टिनम समुद्र तट पर मछुआरा लोग के लेवल फोटो देखावत बाड़ी. दहिना: हायरु निशा चेन्नई लगे के कोसस्तलैयार नदी में फोटो लेवत बाड़ी

M. Palani Kumar taking a photography class with students of Dr. Ambedkar Pagutharivu Padasalai in Vyasarpadi, Chennai.
PHOTO • Nandha Kumar

एम.पलानी कुमार चेन्नई के व्यासरपाड़ी में डॉ. आंबेडकर पगतरिवु पाडसालई के छात्र लोग के फोटोग्राफी सिखावत बाड़न

जादे करके सभ क्लोजअप फोटो बा. एकरा एतना नजदीक से लेवल एहि से संभव भइल कि ई सभे के ऊ लोग परिवार आउर घर मानेला. आमतौर पर बाहिर से आवे वाला कोई दोसर आदमी अनजान होखेला आउर ओकरा से कुछ दूरी बना के रहे के होला. बाकिर ऊ लोग के साथे अइसन नइखे, काहेकि ऊ लोग उहंवा के लोग संगे एगो अपनापन आउर भरोसा के संबंध बना लेले बा.

अपना जइसन सोचे वाला लोग के मदद से हम ट्रेनी लोग खातिर कैमरा खरीद के लइनी- डीएसएलआर कैमरा. पहिला अनुभव एकरा संगे लेवे से ऊ लोग के पेशेवर तरीका से फोटो खींचे के सीखे में मदद मिली.

कुछ फोटो, ‘रीफ्रेम्ड- युवा निवासी के नजर में उत्तरी चेन्नई’ थीम के तहत खींचल गइल बा. ई फोटो सभ एगो चेतावनी बा, बाहरी लोग के नजर में औद्योगिक केंद्र के रूप में उत्तरी चेन्नई के रूढ़िवादी छवि के तोड़े आउर फेरु से बनावे के.

मदुरई, मंजमेडु के रहे वाला सफाई कर्मचारी लोग के बाहर गो नया उमिर के लरिकन (16 से 22 बरिस) हमरा संगे 10 दिन के वर्कशॉप में हिस्सा लेवे आइल. हाशिया पर रहे वाला कवनो समुदाय खातिर ई पहिल वर्कशॉप रहे. वर्कशॉप में, लरिका लोग आपन माई-बाबूजी के काम करे के स्थिति के पहिल बेर देखलक, महसूस कइलक. एकरा बाद दुनिया से आपन कहानी बतावे खातिर ऊ लोग बेचैन हो गइल.

हम उड़ीसा के गंजम इलाके में सात गो मछुआरिन आउर तमिलनाडु के नागपट्टिनम के आठ गो मछुआरिन लोग खातिर तीन महीना के वर्कशॉप भी आयोजित कइनी. गंजम इलाका समुद्री कटाव से बहुत बड़ पैमाना पर प्रभावित होखे वाला इलाका बा. नागपट्टिनम एगो तटीय इलाका बा जहंवा बहुते प्रवासी मजूर आउर मछुआरा लोग रहेला. ओह लोग के श्रीलंकाई नौसैनिक बल के हमला के अक्सर सामना करे के पड़ेला.

वर्कशॉप से जेतना फोटो सभ सामने आइल ओकरा से आस-पास के चुनौती के बारे में जाने आउर समझे के मिलल.

Fisherwomen in Nagapattinam (left) and Ganjam (right) during a photography class with Palani
PHOTO • Ny Shajan
Fisherwomen in Nagapattinam (left) and Ganjam (right) during a photography class with Palani.
PHOTO • Satya Sainath

पलानी संगे फोटोग्राफी सीखत नागपट्टिनम (बावां) आउर गंजम (दहिना) के मछुआरिन लोग

चौ. प्रतिमा, 22
दक्षिण फाउंडेशन के फील्ड स्टाफ
पोडामपेट्टा, गंजम, उड़ीसा

फोटो लेवे से आपन समुदाय के काम-धंधा के प्रति मन में सम्मान बढ़ल, हम आपन आस-पास के नजदीक अइऩी.

एगो फोटो हमार मनपसंद फोटो बा. फोटो में लइका लोग खेल-खेल में मुहाना में नाव के पलट रहल बा. कवनो पल कइसे रुक जाला, ई हमरा फोटो खींचला पर पता चलल, आउर एकर ताकत के एहसास भी भइल.

एगो फोटो में हमार मछुआरा समुदाय के लोग समुद्री कटाव से तहस-नहस भइल आपन घर से बचल-खुचल सामान निकालत बा.

एह फोटो में देखाई देत बा कि जलवायु बदलाव चलते हाशिया पर रहे के मजबूर लोग कवना तरह के चुनौती के सामना करत बा. हम ई फोटो लेके बहुते खुस बानी.

हम जब पहिल बेर कैमरा धइनी, त उम्मीद ना रहे कि एकरा संभार पाएम. लागत रहे कवनो बहुते भारी भरकम मशीन उठवले बानी. एकदम नया अनुभव रहे. पहिले त जब मन करे, आपन मोबाइल से फोटो खींच लेवत रहीं. बाकिर वर्कशॉप में अइनी, त समझ में आइल कि फोटो से कइसे केकरो कहानी बतावल जा सकेला, कइसे संबंध स्थापित कइल जा सकेला. सुरु सुरु में फोटो खींचे के नियम-कायदा हमरा समझ में ना आवत रहे. बाकिर कैमरा संगे वर्कशॉप करे आउर बाहर निकलला पर अनुभव भइला के बाद, सब कुछ साफ होखत चल गइल. एकरा बाद कक्षा में जे भी नियम बतावल गइल ओकरा हम असल में लागू कर सकत रहीं.

Fishermen in Podampeta cleaning their nets at the landing center.
PHOTO • Ch. Pratima

पोडामपेट्टा में मछुआरा लोग मछरी पकड़े के जाल साफ करत बा

Fishermen getting ready to use the nets to fish in Ganjam district, Odisha.
PHOTO • Ch. Pratima

ओडिशा के गंजम जिला में मछुआरा लोग मछरी पकड़े खातिर जाल तइयार करत बा

At an auction of the mackeral fish at the Arjipally fish harbour in Odisha
PHOTO • Ch. Pratima

ओडिशा के अर्जीपल्ली मछरी बंदरगाह में मैकेरल मछरी के नीलामी

In Podampeta, a house damaged due to sea erosion is no longer livable.
PHOTO • Ch. Pratima

पोडामपेट्टा में समुद्री कटाव चलते ढहल घर अब रहे लायक नइखे बचल

A student from Podampeta village walks home from school. The route has been damaged due to years of relentless erosion by the sea; the entire village has also migrated due to this.
PHOTO • Ch. Pratima

पोडामपेट्टा गांव के एगो लइकी स्कूल से घर जा रहल बिया. बहुते बरिस से लगातार समुद्री कटाव होखे से रस्ता खराब हो गइल बा. एहि चलते इलाका के पूरा गांव के इहंवा से पलायन करे के पड़ल

Constant erosion by the sea has damaged the houses
PHOTO • Ch. Pratima

लगातार समुद्री कटाव से मकान सभ के नुकसान पहुंचल बा

Ongoing erosion in Arjipally village of Odisha's Ganjam district.
PHOTO • Ch. Pratima

ओडिशा के गंजम जिला के अर्जीपल्ली गांव में कटाव अबहियो जारी बा

Auti looks at the remains of a home in Podampeta village
PHOTO • Ch. Pratima

अवती पोडामपेट्टा गांव में मलबा में बदल चुकल एगो घर के ताकत बाड़ी

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पी. इंदिरा, 22
डॉ. आंबेडकर इवनिंग एजुकेशन सेंटर, बीएससी फिजिक्स के छात्रा
आरपालयम, मदुरई, तमिलनाडु

“आपन, आस-पास के दोसर लोग के, आपन काम में लागल लोग के फोटो खींची.”

पलानी भइया हमनी के हाथ में कैमरा धरत इहे कहले रहस. इहंवा आके त हम बहुते खुस बानी. पहिले त बाऊजी वर्कशॉप में आवे से हमरा के मना कर देले रहस. पहिले त हम उनकरा के मनवनी, आउर बाद में धीरे-धीरे उनकर फोटो खींचे लगनी.

हम सफाई मजूर लोग के बीच में रहिले. हमार बाऊजी जइसन, ऊ लोग भी समाज के दमनकारी जाति ब्यवस्था चलते बाप-दादा के समय से चलल आ रहल इहे काम करे के मजबूर बा. वर्कशॉप में आवे से पहिले, हमरा ओह लोग के काम आउर कठिनाई के जादे अंदाजा ना रहे, जबकि हमार बाऊजी भी इहे काम करेलन. स्कूल में हमनी के मास्टर बस इहे कहस, खूब मन लगा के पढ़ आउर सरकारी नौकरी कर, आउर कबो हमनी जइसन सफाई के काम मत करिह.

आखिर में हमरा बाऊजी के काम के तकलीफ आउर चिंता समझ में आइल. हम उनकरा संगे काम पर दू-तीन दिन गइनी आउर उहंवा सभे कुछ के फोटो खींचनी. देखनी कि सफाई मजूर लोग के केतना खराब परिस्थिति में काम करे के पड़त बा. बिना दस्ताना, बिना जूता के घर से निकलल कचरा, जहरीला कचरा संभारे के पड़त बा. ऊ लोग के भोर में आवे के टाइम छव बजे तय बा. जदि केहू एको मिनट खातिर लेट हो जाला, ठेकेदार आउर साहेब लोग ओकरा संगे बहुते गंदा तरीका से ब्यवहार करेला.

कैमरा उठवला के बाद समझ में आइल कि जिनगी में अइसन केतना सच्चाई बा, जेकरा हम पहिले ना देख पइनी. कहल जाव, त जइसे तेसर आंख खुल गइल होखे. हम जब आपन बाऊजी के फोटो लेवे लगनी, ऊ हमरा से आपन रोज के परेशानी बतावे लगलन. ऊ इहो बतइलन कि कइसे छोटे उमिर से उनकरा ई काम करे के पड़ल. एक-दोसरा से मन बांटे से संबंध पहिले से मजबूत भइल, हमनी आउर नजदीक अइनी.

हमनी सभे के जिनगी में एह वर्कशॉप से बहुते बड़ा बदलाव आइल.

Residents at home Komas palayam, Madurai
PHOTO • P. Indra

मदुरई, कोमास पालयम घर में रहे वाला लोग

Pandi, P. Indra's father was forced to take up sanitation work at 13 years as his parents couldn't afford to educate him – they were sanitation workers too. Workers like him suffer from skin diseases and other health issues due to the lack of proper gloves and boots
PHOTO • P. Indra

इंद्र के बाऊजी, पांडी, पी. के मजबूरी में 13 बरिस के उमिर में सफाई के काम करे के पड़ल. माई-बाबूजी के उनकरा पढ़ावे के हैसियत ना रहे. ऊ लोग भी सफाई कर्मचारी रहे. अइसन कामगार के अच्छा दस्ताना आउर जूता ना मिले से चमड़ी के रोग आउर सेहत से जुड़ल दोसर समस्या से जूझे के पड़ेला

Pandi cleaning public toilets without safety gear. His earning ensure that his children get an education; today they pursuing their Bachelors.
PHOTO • P. Indra

पांडी बिना कवनो सुरक्षा इंतजाम के सार्वजनिक शौचालय के सफाई कर रहल बाड़न. उनकर कमाई से लरिका लोग के पढ़ाई के खरचा चलेला. अभी ऊ लोग स्नातक पढ़ रहल बा

Kaleshwari is a daughter and wife of a sanitation worker. She says that education is the only means to release her children from this vicious cycle
PHOTO • P. Indra

कालेश्वरी के बाऊजी आउर घरवाला दुनो लोग सफाई मजूर बा. ऊ कहेली कि बस पढ़ाई से ही बच्चा लोग के एह चक्रव्यूह से बचावल जा सकेला

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सुगंति मानिकवेल, 27
मछुआरिन
नागपट्टिनम, तमिलनाडु

कैमरा हमार सोचे-समझे के तरीका बदल देलक. कैमरा पकड़नी त आत्मविश्वास आइल, अपना के आजाद महसूस भइल. एकरा चलते तरह-तरह के लोग से भेंट भइल, एक-दोसरा के जाने समझे के मौका मिलल. अइसे त हमार कुल जिनगी नागपट्टिनम में बीत गइल, बाकिर कैमरा चलते पहिले बेर बंदरगाह आवे के मौका भेंटाइल.

हम आपन बाऊजी, 60 बरिस के मानिकवेल के फोटो खींचनी. बाऊजी पांचे बरिस के उमिर से मछरी पकड़त बाड़न. दरिया के नमकीन पानी में काम करत-करत उनकर गोड़ के अंगुरी सभ सुन्न पड़ गइल बा, ओह में खून के बहाव बहुते कम हो गइल बा. बाकिर तबो ऊ हमनी के पेट भरे खातिर रोज मछरी पकड़े जालन.

पूपति अम्मा, 56 बरिस, वेल्लापल्लम से बाड़ी. साल 2002 में, उनकर घरवाला श्रीलंकाई नौसैनिक बल के हाथों मारल गइलन. ओकरा बाद जिंदा रहे आउर पेट भरे खातिर ऊ मछरी खरीदे आउर बेचे के धंधा में लग गइली. हम एगो तंगाम्मल नाम के दोसर मछुआरिन के फोटो खींचनी. उनकर घरवाला के गठिया बा आउर  लइका लोग स्कूल जाएला. एहि से ऊ नागपट्टिनम में गली-गली जाके मछरी बेचेली. पलंगल्लीमेडु के मेहरारू लोग झींगा मछरी पकड़े वाला जाल के मदद से समुद्र से मछरी पकड़ेला. हम रोजी-रोटी कमात, दुनो लोग के फोटो खींचनी.

मछुआरा लोग के गांव में जन्म भइला के बावजूद, एगो निश्चित उमिर के बाद शायदे कबो समंदर किनारे गइल होखम. जब हम फोटो खींचे के सुरु कर देनी, त हमरा आपन समुदाय आउर हमनी के रोजमर्रा के संघर्ष समझ में आवे लागल.

एह वर्कशॉप के हम आपन जिनगी के एगो बहुते बड़ मौका मानिले.

In Velappam, Nagapattinam, Sakthivel and Vijay pull the nets that were placed to trap prawns.
PHOTO • Suganthi Manickavel

नागपट्टिनम के वेल्लपम में, शक्तिवेल आउर विजय झींगा फंसावे खातिर लगावल जाल के खींचत बाड़न

Kodiselvi relaxes on the shore in Vanavanmahadevi after collecting prawns from her nets.
PHOTO • Suganthi Manickavel

कोडिसेल्वी आपन जाल से झींगा निकाल के इकट्ठा कइला के बाद वनवनमहादवी तट पर सुस्तात बाड़ी

Arumugam and Kuppamal thoroughly check the net for prawns at Vanavanmahadevi in Nagapattinam.
PHOTO • Suganthi Manickavel

नागपट्टिनम में वनवनमहादेवी में आरुमुगम आउर कुप्पमाल झींगा खातिर जाल के नीमन से जांच कर रहल बाड़न

Indira Gandhi (in focus) ready to pull the prawn nets.
PHOTO • Suganthi Manickavel

इंदिरा गांधी (फोकस में) झींगा वाला जाल खींचे के तइयार बाड़ी

In Avarikadu, Kesavan prepares to throw the nets in the canal.
PHOTO • Suganthi Manickavel

अवरिकाडु में, केसवन नहर में जाल फेंके के तइयारी में

When sardines are in season, many fishermen are required for a successful catch
PHOTO • Suganthi Manickavel

जब सार्डिन के मौसम होखेला, मछरी के बड़ा खेप पकड़े खातिर बहुते मछुआरा लोग के जरूरत पड़ेला

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लक्ष्मी एम. 42
मछुआरिन
तिरुमुल्लैवासल, नागपट्टिनम, तमिलनाडु

फोटोग्राफर पलानी जब मछुआरा लोग के गांव, तिरुमुल्लेवासल अइले, हमनी घबरा गइनी. हमनी के पहिले त समझ में ना आइल कथी के फोटो खींचेम आउर ई सभ कइसे करम. बाकिर जइसहीं हाथ में कैमरा आइल, सभे चिंता फिकिर दूर हो गइल. बहुते आत्मविश्वास आ गइल. अपना पर भरोसा होखे लागल.

समंदर किनारे आसमान, तट आउर आस पास के दोसर चीज के फोटो लेवे पहुंचनी, त पहिलके दिन हमनी के मुसीबत हो गइल. गांव के प्रधान हमनी के टोकलन कि हमनी का करत बानी. हमनी के कवनो बात सुने से इंकार कर देलन आउर फोटो लेवे से रोके के चहलन. फेरु हमनी दोसर गांव, चिन्नकुट्टी गइनी. उहंवा फोटो लेवे से पहिले ग्राम अध्यक्ष से एकर अनुमति लेवल गइल.

पलानी धुंधला फोटो के फेरु से लेवे पर हरमेसा जोर देवस ताकि हमनी के आपन गलती समझे आउर एकरा सुधारे में मदद मिले. हम त इहे सीखनी कि फोटो लेवे में कवनो हड़बड़ी ना करे के चाहीं. हमनी खातिर ई बहुते सुखद अनुभव रहे.

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नूर निशा के, 17
बी. वोक डिजिटल जर्नलिज्म, लोयला कॉलेज
तिरुवोत्रियोर, उत्तरी चेन्नई, तमिलनाडु

हमरा हाथ में जब पहिले बेर कैमरा आइल, त ना जानत रहीं एकरा से केतना कुछ बदलल जा सकेला. आज कह सकिला कि हमार जिनगी के दू हिस्सा बा- फोटोग्राफी के पहिले आउर फोटोग्राफी के बाद.

कैमरा के मदद से पलानी भइया जवन दुनिया देखइलन ऊ हमनी के दुनिया से एकदम अलग आउर नया रहे. हमरा महसूस भइल कि जवन फोटो हमनी खिंचेनी ऊ खाली फोटो ना, बलुक दस्तावेज बा जेकरा जरिए हमनी अन्याय के खिलाफ आवाज उठा सकिले.

ऊ अक्सरहा एके गो बात कहेलन: “फोटोग्राफी पर भरोसा रख, ई तोहार जरूरत पूरा करी.” हम ई बात सांच पइनी. अब देखीं, हम आपन माई के मदद कर सकिले जे काम पर ना जा सकेली.

Industrial pollutants at the Ennore port near Chennai makes it unfit for human lives. Despite these conditions, children are training to become sportspersons.
PHOTO • Noor Nisha K.

चेन्नई लगे एन्नोर बंदरगाह पर औद्योगिक इमारत चलते पैदा हो रहल प्रदूषण आदमी खातिर जहर बा. एकरा बावजूद, बच्चा लोग इहंवा खिलाड़ी बने के अभ्यास आउर प्रशिक्षण ले रहल बा

Young sportspersons from the community must train close to the industrial plants spewing toxic gases everyday.
PHOTO • Noor Nisha K.

समुदाय के नया उमिर के खिलाड़ी लोग के रोज जहरीला गैस उगले वाला औद्योगिक कल कारखान लगे प्रशिक्षण लेवे के पड़ेला

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एस. नंदिनी, 17
एम.ओ.पी में पत्रकारिता छात्र. वैष्णव कॉलेज फॉर वूमन
व्यासरपाड़ी, उत्तरी चेन्नई, तमिलनाडु

हम सबले पहिले आपन घर लगे खेलत लरिकन सभ के फोटो लेनी. खेले घरिया ओह लोग के खुसी से दमकत चेहरा हमार फोटो में कैद हो गइल. कैमरा से दुनिया के कइसे देखल जाव, सिखनी. समझ में आइल कि फोटो अइसन भाषा है जेकरा आसानी से समझल जा सकेला.

कबो-कबो, फोटो खींचे निकलीं त रउआ अचके कुछ अइसनो मिल जाला जे उम्मीद से जादे होखेला. आउर ओह नजारा से दूर होखे के मन ना करे. फोटोग्राफी हमरा उहे खुसी देलक. हमरा एकरा में परिवार के बीच रहे से महसूस होखे वाला गरमी मिलेला.

डॉ. आंबेडकर पगतरिवु पाडसालई में जब पढ़त रहीं, एक दिन हमनी के डॉ. आंबेडकर स्मारक यात्रा पर ले जाइल गइल. ओह दिन रस्ता भर फोटो हमरा से बात करत रहल. पलानी भइया मैला ढोवे वाला एगो मजूर के मरे से शोक संतप्त परिवार के फोटो लेवत रहस. परिवार के लोग के फोटो में जे विरह, तकलीफ आउर दुख जाहिर होखत रहे ओकरा शब्द में ब्यक्त ना कइल जा सके. हमनी उहंवा जब उनकरा से भेंट कइनी, ऊ हमनी के इहे कहत उत्साह बढ़इलन कि हमनियो अइसन फोटो खींचे में सक्षम बानी.

पलानी भइया के जब कक्षा सुरु भइल, स्कूल के दौरा पर रहे चलते हम ना आ सकनी. एकरा बावजूद, लउटला पर ऊ हमरा के अलग से सिखइलन, फोटो लेवे खातिर हमार हौसला बढ़इलन. कैमरा कइसे चलावल जाला, एकरा बारे में हमरा पहिले से कुछुओ पता ना रहे. बाकिर पलानी भइया हमरा सभे कुछ सिखइलन. ऊ हमनी के आपन फोटोग्राफी के बारे में पूछे, खोजबीन करे के अनुमति देके हमनी के राह देखइलन. एह यात्रा में हमनी के बहुते नीमन अनुभव आउर नया तरीका से सोचे-समझे के मिलल.

फोटोग्राफी के अनुभव हमरा के पत्रकार बने के प्रेरित कइलक.

An aerial view of Vyasarpadi, a neighbourhood in north Chennai
PHOTO • S. Nandhini

उत्तरी चेन्नई के पड़ोस में, व्यासरपाड़ी के हवाई नजारा

A portrait of Babasaheb Ambedkar at Nandhini’s home
PHOTO • S. Nandhini

नंदिनी के घर पर बाबासाहेब आंबेडकर के फोटो

Students of Dr. Ambedkar Pagutharivu Padasalai in Chennai
PHOTO • S. Nandhini

चेन्नई में डॉ. आंबेडकर पगतरिव पाडसालई के छात्र लोग

At the Dr. Ambedkar Pagutharivu Padasalai, enthusiastic students receive mentorship from dedicated community coaches
PHOTO • S. Nandhini

डॉ. आंबेडकर पगतरिव पाडसालई में, समुदाय के समर्पित प्रशिक्षक लोग उत्साही छात्र लोग के मार्गदर्शन करेला

Children playing kabaddi
PHOTO • S. Nandhini

बच्चा लोग कबड्डी खेल रहल बा

The winning team after a football match
PHOTO • S. Nandhini

फुटबॉल मैच के बाद विजेता टीम

These birds often remind me of how my entire community was caged by society. I believe that teachings of our leaders and our ideology will break us free from these cages,' says Nandhini (photographer).
PHOTO • S. Nandhini

‘एह चिरई के देख के महसूस होखेला, समाज हमनी के समूचा समुदाय के कइसे एगो पिंजरा में कैद कइले बा. हमरा लागेला नेता के सीख आउर आपन सोच ही हमनी के एह पिंजरा से मुक्त कर सकेला,’ नंदिनी (फोटोग्राफर) कहली

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वी.विनोदिनी, 19
बैचलर्स ऑफ कंप्यूटर एप्लिकेशन के छात्र
व्यासरपाड़ी, उत्तरी चेन्नई, तमिलनाडु

आपन पड़ोस के हम बरिसन से जानिले, बाकिर जब एकरा आपन कैमरा से देखनी, त एगो नया नजारा देखे के मिलल. पलानी भइया कहेले, “फोटो में राउर जिनगी कैद होखे के चाहीं.” ऊ जब आपन अनुभव बतावेलन, उनकर बात में फोटोग्राफी, कहानी आउर लोग खातिर उनकर प्यार देखल जा सकेला. उनकरा बारे में, आपन मछुआरिन माई के एगो साधारण फोन से फोटो खींचल हमरा सबले जादे इयाद बा.

दिवाली के मौका पर आपन पड़ोसी लोग के लेवल परिवार के फोटो, हमार पहिल फोटो रहे. फोटो बहुते नीमन आइल रहे. एकरा बाद, हम आपन शहर में जवन लोग के जानत रहीं, उनकर आउर उनकर खास मौका के फोटो लेवे लगनी.

फोटोग्राफी के बिना, हमरा अपना बारे में जाने के मौका ना मिलित.

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पी. पूंकोडी
मछुआरिन
सेरुतुर, नागपट्टिनम, तमिलनाडु

हमार बियाह भइल 14 बरिस हो गइल. तबे से हम आपन बाप-दादा के गांव में समंदर किनारे ना गइल रहीं. बाकिर कैमरा हाथ पकड़नी त समंदर पहुंच गइनी. उहंवा देखनी, नाव सभ कइसे समंदर में भेजल जाला, मछरी कइसे पकड़ल जाला, एह समुदाय में मेहरारू लोग के का योगदान बा. आउर हम ई सभ मौका के फोटो खींचनी.

फोटो खींचे के सिखावल आसान बा, बाकिर फोटो से कवनो कहानी कहे के सिखावल छोट बात नइखे. ऊ ट्रेनिंग में समझइलन कि केहू के फोटो खींचे से पहिले हमनी के ओह आदमी संगे कइसे एगो तालमेल बिठावे के चाहीं. अब हमनी पूरा आत्मविश्वास से फोटो खींचिला.

हम मछुआरा लोग के अलग-अलग तरह के काम- जइसे मछरी बेचे, साफ करे, नीलामी करे के फोटो खींचनी. एह मौका मिले से समुदाय के मछरी बेचे वाली मेहरारू लोग के जिनगी के समझे, देखे के मौका मिलल. देखनी कि ऊ लोग आपन माथा पर मछरी से भरल भारी-भारी टोकरा कइसे संभार के चले के पड़ेला.

कुप्पसामी पर फोटो स्टोरी कइनी त उनकर जिनगी के बारे में पता चलल. पता चलल कि कइसे श्रीलंकाई नौसेना उनका समुद्र में गोली मार देले रहे. एकरा बाद उनकरा लकवा मार देलक, आवाजो चल गइल.

हम उनकरा से मिले गइनी, त ऊ रोज के आपन काम- कपड़ा फींचे (धोवे), पेड़-पौधा देखे आउर साफ-सफाई में लागल रहस. हमरा देख के समझ आइल कि उनकरा ई सभ काम में केतना मुस्किल होखत होई. ऊ बतइलन कि उनकरा ई सभ काम करे में बहुते खुसी मिलेला. उनकरा आपन देह से लाचार होखे के बात के जादे चिंता ना रहे. बाकिर कबो-कबो एगो खालीपन जरूर महसूस होखेला. आउर एकरा बाद उनकरा जिंदा रहे के मन ना करे.

सार्डिन पकड़त मछुआरा लोग के हम एगो फोटो सीरिज कइले रहीं. आमतौर पर सार्डिन एक बेरा में सैंकड़न के गिनती में पकड़ाला आउर ओह सभ के संभालल बहुते बड़ चुनौती हो जाला. हम एह बात के भी कैमरा में कैद कइनी कि कइसे मरद आउर मेहरारू लोग मिल के मछरी के जाल से निकालेला आउर बरफ के बक्सा में संभार के बंद करेला.

एगो मेहरारू के रूप में फोटोग्राफी कइल, एके समुदाय के होखे के बावजूद चुनौती बा. लोग पूछेला, ‘रउआ ओह लोग के फोटो काहे खींचत बानी? मेहरारू लोग के फोटो खींचे के चाहीं?’

पलानी भइया के साहस बढ़ावे के बदौलत ई मछुआरिन अपना के एगो फोटोग्राफर बना पइली.

V. Kuppusamy, 67, was shot by the Sri Lankan Navy while he was out fishing on his kattumaram.
PHOTO • P. Poonkodi

वी.कुप्पसामी, 67 बरिस, के श्रीलंकाई नौसेना ओह घरिया गोली मारले रहे जब ऊ आपन कट्टुमरम पर मछरी पकड़त रहस

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Taken on Palani Studio's opening day, the three pillars of Palani's life in photography: Kavitha Muralitharan, Ezhil anna and P. Sainath. The studio aims to train young people from socially and economically backward communities.
PHOTO • Mohamed Mubharakh A

पलानी स्टूडियो के उद्घाटन के दिन के फोटो, पलानी के फोटोग्राफी जिनगी के तीन गो खंभा बा: कविता मुरलीधरन, येड़िल आना आउर पी साईनाथ. स्टूडियो के मकसद सामाजाकि आ आर्थिक रूप से पिछड़ल समुदाय के युवा लोग के सिखावे, कुशल बनावे के बा

Palani's friends at his studio's opening day. The studio has produced 3 journalism students and 30 photographers all over Tamil Nadu.
PHOTO • Mohamed Mubharakh A

स्टूडियो के उद्घाटन के दिन पलानी के दोस्त लोग. स्टूडियो से अबले पूरा तमिलननाडु से 3 गो पत्रकार छात्र आउर 30 गो फोटोग्राफर लोग तइयार होके निकल चुकल बा

पलानी स्टूडियो हर बरिस 10 गो प्रतिभागी लोग संगे फोटोग्राफी के दू गो वर्कशॉप आयोजित करेला. वर्कशॉप के बाद, एह में हिस्सा लेवे वाला के छह महीना लेल आपन कहानी पर काम करे खातिर अनुदान मिलेला. अनुभवी पत्रकार आउर फोटोग्राफर के उहंवा वर्कशॉप करे आउर ओह लोग के काम के परखे खातिर न्योतल जाला, जेकरा बाद में प्रदर्शनी में लगावल जाला

अनुवाद: स्वर्ण कांता

M. Palani Kumar

ଏମ୍‌. ପାଲାନି କୁମାର ‘ପିପୁଲ୍‌ସ ଆର୍କାଇଭ୍‌ ଅଫ୍‌ ରୁରାଲ ଇଣ୍ଡିଆ’ର ଷ୍ଟାଫ୍‌ ଫଟୋଗ୍ରାଫର । ସେ ଅବହେଳିତ ଓ ଦରିଦ୍ର କର୍ମଜୀବୀ ମହିଳାଙ୍କ ଜୀବନୀକୁ ନେଇ ଆଲେଖ୍ୟ ପ୍ରସ୍ତୁତ କରିବାରେ ରୁଚି ରଖନ୍ତି। ପାଲାନି ୨୦୨୧ରେ ଆମ୍ପ୍ଲିଫାଇ ଗ୍ରାଣ୍ଟ ଏବଂ ୨୦୨୦ରେ ସମ୍ୟକ ଦୃଷ୍ଟି ଓ ଫଟୋ ସାଉଥ ଏସିଆ ଗ୍ରାଣ୍ଟ ପ୍ରାପ୍ତ କରିଥିଲେ। ସେ ପ୍ରଥମ ଦୟାନିତା ସିଂ - ପରୀ ଡକ୍ୟୁମେଣ୍ଟାରୀ ଫଟୋଗ୍ରାଫୀ ପୁରସ୍କାର ୨୦୨୨ ପାଇଥିଲେ। ପାଲାନୀ ହେଉଛନ୍ତି ‘କାକୁସ୍‌’(ଶୌଚାଳୟ), ତାମିଲ୍ ଭାଷାର ଏକ ପ୍ରାମାଣିକ ଚଳଚ୍ଚିତ୍ରର ସିନେମାଟୋଗ୍ରାଫର, ଯାହାକି ତାମିଲ୍‌ନାଡ଼ୁରେ ହାତରେ ମଇଳା ସଫା କରାଯିବାର ପ୍ରଥାକୁ ଲୋକଲୋଚନକୁ ଆଣିଥିଲା।

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Translator : Swarn Kanta

Swarn Kanta is a journalist, editor, tech blogger, content writer, translator, linguist and activist.

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