हरेश्वर दास कहिथें, “जब पुर चढ़े ला धरथे त हमर पोटा कांपे ला लगथे,” असम के बगरीबारी के ये बासिंदा के मुताबिक बरसात के महिना मं गांववाला मन ला चेत धरे रहे ला परथे काबर के तीर के पुठिमारी नदिया मं पुर आय ले ओकर मन के घर अऊ फसल बरबाद होय के खतरा बने रइथे.

ओकर घरवाली साबित्री दास बताथें, “हमन ला अपन कपड़ा लत्ता भर के रखे ला परथे अऊ पुर बर तियार रहे ला परथे, बीते बखत के पुर ले ओकर दूनों कच्चा मकान (माटी के कुरिया) भसक गे रहिस, बांस अऊ माटी ले भिथि ला छाबे ला परिस.”

नीरदा दास कहिथें, “मंय [खराब परे] टीबी ला बोरा मं भर के पठेरा मं राख देंव,” येकर पहिली के टीबी घलो बीते पुर मं बरबाद होगे रहिस.

बीते 16 जून 2023 के रतिहा सरलग झड़ी लगे रहिस. लोगन मन पार के एक हिस्सा ला बांधे बालू के बोरी डारे रहिस, जऊन ह पाछू बरस भसक गे रहिस. दू दिन तक ले झड़ी चलत रहय. बगरीबारी अऊ ओकर लकठा के गांव धेपारगांव, मादोइकटा, नीज़ काउरबाहा, खंडिकर, बिहापारा अऊ लाहापारा के लोगन मन डेर्राय रहिन के कहूँ पार के सबले कमजोर हिस्सा झन भसक जाय.

किस्मत साथ दे दिस के चार दिन के झड़ी कमती परिस अऊ पानी घलो उतर गे.

इहाँ के गुरूजी हरेश्वर दास बताथें, “जब पार ह भसक जाथे, त लागथे के जइसने पानी के बम गिरत होय. वो ह रद्दा के जम्मो जिनिस ला बरबाद कर देथे.” 85 बछर के रिटायर गुरूजी हरेश्वर के.बी. देउलकुची हायर सेकेंडरी स्कूल मं असमिया पढ़ावत रहिन.

ओकर मानना आय के 1965 मं बांधे गे पार ह असल मं नफा के जगा नुकसानेच करिस अऊ “फसल लगे जमीन बांचे के जगा बूड़ गें.”

Retired school-teacher Hareswar Das, 85, (left) has witnessed 12 floods. 'When the embankment breaks it seems like a water bomb. It ravages everything in its way instead of rejuvenating croplands,' he says .
PHOTO • Pankaj Das
His wife Sabitri (right) adds,  'The previous flood [2022] took away the two kutchha houses of ours. You see these clay walls, they are newly built; this month’s [June] incessant rain has damaged the chilly plants, spiny gourds and all other plants from our kitchen garden'
PHOTO • Pankaj Das

रिटायर हो चुके 85 बछर के गुरूजी हरेश्वर दास (डेरी) ह 12 बेर पुर देखे हवय. वो ह कहिथें, 'जब पार ह भसक जाथे, त लागथे के जइसने पानी के बम गिरत होय. वो ह रद्दा के जम्मो जिनिस ला बरबाद कर देथे.' ओकर घरवाली साबित्री (जउनि) येकर आगू कहिथें, बीते पुर [2022]  ह हमर दू ठन कच्चा मकान (माटी के कुरिया) भसक गे. माटी के ये भिथि देखव, ये नव बने हवय. ये महिना [जून] के झड़ी ह हमर बारी-बखरी के मिर्चा, लौकी अऊ दीगर सब्बो रुख ला नुकसान करे हवय

Left: Sabitri and family store things in high places to avoid damage. She has to keep everything ready and packed in case it rains.
PHOTO • Pankaj Das
Right: Although it is time to sow seeds, not a single farmer in Bagribari has been able to do it because it is impossible to farm land covered in sand
PHOTO • Pankaj Das

डेरी: साबित्री अऊ ओकर परिवार नुकसान ले बचाय सेती जिनिस मन ला ऊंच जगा मं राखथें. बरसात मं वो मन ला सब्बो कुछु भरके रखे ला परथे. जउनि: वइसे, ये ह बोय के बखत आय, फेर बगरीबारी के एके घलो किसान बोय नई सकिन काबर के बालू पटाय खेत मं खेती नई होय सकय

पुठिमारी नदिया के पार बसे बगरीबारी ब्रह्मपुत्र नदिया ले 17 कोस (50 किमी) दूरिहा हवय,जऊन मं हरेक बछर पुर आथे. बरसात के महिना मं पानी चढ़े के डर ले गाँव वाला मन के रतिहा मं सूते नई सकंय. इहाँ बक्सा जिला के लोगन मन जून, जुलाई अऊ अगस्त के बखत जम्मो रतिहा जाग के पार के पानी ऊपर नजर रखथें. हरेश्वर बतावत जाथें, “हमन हरेक बछर पांच महिना पुर ले लड़े धन पुर आय के डर के संग जिनगी गुजारथन.”

ये गांव के बासिंदा योगमाया दास बताथें, “दसों साल ले करीबन हरेक दूसर बरसात मं पर ह एकेच जागा ले भसक जावत हवय.”

सायेद एकरी सेती अतुल दास के बेटा हीरकज्योति हालेच मं असम पुलिस के सिपाही बने हवय. पार बनाय अऊ मरम्मत ले ओकर भरोसा टूट गे हवय.

वो ह कहिथें, “पार ह सोणर कणी परा हांह [सोन के अंडा देवेइय्या बदख] जइसने आय. हरेक बेर ओकर भसक जाय ले पार्टी अऊ संगठन ले लोगन मन आथें. ठेकदार पार ला बाँधथे फेर पुर मं वो ह फिर ले बोहा जाथे.” 53 बछर के ये सियान के मुताबिक, जब इलाका के लोगन मन बढ़िया करके मरम्मत करे बर कइथें, “त पुलिस ह वो मन ला धमकाथे अऊ मुंह बंद रखे ला मजबूर करथे.”

बगरीबारी के खेत, सड़क अऊ घर लोगन मन के तकलीफ ला बताथे. अइसने नई लगय के जल्दीच वो मं ला येकर ले निजात मिल जाही. पुठिमारी नदी के हाइड्रोग्राफ़िक सर्वेक्षण ऊपर भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण के 2015 के एक ठन रिपोर्ट के सार बात आय के “लागथे के पार बनाय अऊ मरम्मत करे सब्बो दिन का मामला आय.”

Left: Workmen from Bagribari placing sandbags below the embankment on the Puthimari river .
PHOTO • Pankaj Das
Right: The State Water Resource Department uses geobags to resist erosion.
PHOTO • Pankaj Das

डेरी: बगरीबारी के मजूर पुठिमारी नदिया पार तरी मं बालू के बोरी रखत हवंय. जउनि: राज के जल संसाधन विभाग कटाव ला रोके सेती जियोबैग लगवाथे

Left: 'I t seems that the embankment is a golden duck,' says Atul Das pointing out the waste of money and resources .
PHOTO • Pankaj Mehta
Right: Sandbags used to uphold the weaker parts of the embankment where it broke and villages were flooded in 2021.
PHOTO • Pankaj Das

डेरी: अतुल दास पइसा अऊ संसाधन के बरबादी डहर आरो करत कहिथें, ‘लागथे के पार ह सोन के अंडा देवेइय्या बदख आय’. जउनि: बालू के बोरी ले पार के कमजोर हिस्सा ला बरकस करे सेती रखे जाथे जिहां 2021 मं पार के भसके ले गांव मन मं पुर आ गे रहिस

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साल 2022 मं योगमाया दास अऊ ओकर घरवाला शंभुराम ला अपन घर मं पानी भर जाय सेती आठ घंटा ले जियादा बखत तक ले अपन जाय के जगा ले जिला तक ले अंधियार मं रहे ला परिस. तऊन रतिहा जब पानी ह ओकर मुड़ तक ले हबर गे, ये दूनों कच्चा मकान (माटी के कुरिया) ले बगल मं बने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बने अपन नवा घर मं चले गीन. ये पक्का घर मं घलो पानी भर गे फेर ये ह वो मन के रहे के आखिरी आसरा रहिस.

योगमाया कहिथें, “ये ह भयंकर खराब सपना रहिस.” वो अंधियार रतिहा के असर अभू तक ले ओकर चेहरा मं दिख जाथे.

पुर ले बरबाद अपन घर के मुहटा करा ठाढ़े 40 बछर के योगमाया 16 जून 2022 के रतिहा भुगते बाद ला बताथें, वो ह कहिथें, “मोर घरवाला मोला घेरी-बेरी दिलासा देवत रहय के पानी उतर जाही, पार नई भसके. मंय डेर्राय रहेंव फेर सुत गेंय. अचानक ले मंय एक ठन कीरा के चाबे ले हकबका गेंय, देखेंय त सुपेती उफलत रहय.”

गांव के अधिकतर दीगर बासिंदा मन के जइसने कोच राजवंशी समाज के ये जोड़ा ह ब्रह्मपुत्र के सहायक नदी पुठिमारी के भंडार दिग के माई पार ले करीबन 200 मीटर दूरिहा मं रहिथे.

योगमाया अपन उपर गुजरे बात ला बतावत कहिथें, “मंय अंधियार मं कुछु नई देखे सकेंव. हमन कइसने करके झरोखा तीर हबरेन. पहिली घलो पुर आय रहिस, फेर मंय अपन जिनगी मं कभू अतक पानी नई देखे रहेंव. मोला अपन तीर मं कीड़ा-मकोड़ा अऊ सांप के डर लगत रहय. मंय अपन घरवाला ला देखत रहंय अऊ जतक होय सकिस झरोखा के लकरी ला कस के धर ले रहेंव.” बचाव दल के आय के बाद वो मन ला बिहनिया 11 बजे जाके तऊन बिपदा ले निजत मिलिस जऊन ह आधा रतिहा पौने तीन बजे ले सुरु होय रहिस.

'पुठिमारी नदिया पार ह दसों साल ले करीबन हरेक दूसर बरसात मं पर ह एकेच जागा ले भसक जावत हवय'

वीडियो देखव : ‘पुर ह हमन ला बरबाद कर दे हवय’

हरेक बछर घर बनाय के खरचा करत थके गांव के लोगन मन पुर अऊ फेर ये बछर के झड़ी सेती बरबाद अपन घर के मरम्मत करे तियार नई यें. कतको परिवार पुर मं अपन घर भसके धन डर के मारे पार मं तंबू तान के डेरा डारे हवंय.

42 बछर के माधवी दास अऊ ओकर 53 बछर के घरवाला दंडेश्वर दास अपन घर के मरम्मत करे सके रहिन, जेन ह बीते पुर मं टूट फूट गे रहिस. फेर वो मन इहाँ अचिंता ले नई रहे सकत रहिन. माधवी कहिथें, “जब पानी चढ़े ला धरिस त हमन पार मं आगेन. मंय ये बखत कऊनो खतरा मोला लेगे नई चाहत रहेंव.”

पार मं रहेइय्या मन बर पिये के पानी भारी समस्या आय. माधवी के मुताबिक पुर के बाद कतको बोरिंग बालू मं पटा गे हवंय. वो ह हमन ला प्लास्टिक के खाली बोतल ला भरे बाल्टी ला दिखावत कहिथें, “पानी मं बनेच अकन आयरन हवय. हमन बोरिंग ले   पानी लान थन अऊ फिल्टर करके बोतल मन मं भरके पार तक ले के आ जाथन.”

अतुल के घरवाली नीरदा दास कहिथें, “”इहाँ खेती करे धन घर बनाय के कऊनो मतलब नई ये. पुर घेरी बेरी आथे अऊ सब्बो कुछु बोहा ला जाथे. हमन दू बेर टीवी बिसोयेन, दूनों पुर मं खराब होगे,” अपन परछी मं बांस के खंभा के ओधा मं ठाढ़े वो ह बतावत रहय.

जनगणना 2011 के मुताबिक, 739 के अबादी वाले बगरीबारी के बासिंदा मन के जीविका खेती रहिस.फेर पुर आया अऊ पानी उतरे के बाद खेत मं बालू पटाय सेती अब खेती करे मुस्किल होगे हवय.

Left: Madhabi Das descends from the embankment to fetch water from a sand filter at her house. Since June 2023, she has had to make this journey to get drinking water.
PHOTO • Pankaj Mehta
Right: 'When the water rose, we came up to the embankment. I don't want to take a risk this time,’ says Dandeswar (purple t-shirt), who works as farmer and a mason in between the cropping seasons. Standing behind him is Dwijen Das
PHOTO • Pankaj Das

डेरी: माधवी दास घर मं पझरे पानी ला लाय सेती पर के तरी मं उतरत हवंय. जून 2023 ला वो मन ला पिये के पानी सेती भरी घूमे ला परथे. जउनि: फसल के सीजन मं किसानी अऊ बाकि बखत राजमिस्त्री के बूता करेइय्या दंडेश्वर (बैंगनी टीशर्ट) कहिथें, जब पानी चढ़े ला धरिस, त हमन पार मं आ गेन. मंय ये बखत कऊनो खतरा मोला लेगे नई चाहत रहेंव.’ ओकर पाछू ठाढें हवंय  द्विजेन दास

Left: 'We bought a TV twice. Both were damaged by the floods. I have put the [second damaged] TV in a sack and put it on the roof,' says Nirada.
PHOTO • Pankaj Das
Right: The sowing season has not started as the land is covered in sand
PHOTO • Pankaj Das

डेरी: नीरदा कहिथें , ‘हमन दू बेर टीवी बिसोयेन, दूनों पुर मं खराब होगे. मंय [दूसर खराब] टीवी ला बोरा मं भरके पठेरा मं राख दे हवं’. जउनि: बोवाई के सीजन सुरु नई होय सकिस काबर के खेत मं बालू पटाय हवय

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हरेश्वर बताथें, “हमर ददा ला ये आस ले के आय रहिस के इहाँ का जमीन जियादा धनहा हवय.” जब वो ह नान कन रहिस, तब अपन दाई ददा के संग कामरूप जिला के गुइया गांव ले आय रहिस. परिवार ह बगरीबारी मं  नदिया के उपर तीर मं बस गे. वो ह बताथें, “ये हरियर इलाका मं बनेच कम अबादी रहिस. वो मन (घर के बड़े लोगन मन) झाड़ झंखाड़, जमीन ला साफ करिन अऊ जतक जमीन मं खेती करे ला चाहत रहिन वो ह वो मन ला मिला गे. फेर अब जमीन होय के बाद घलो हमन ये जमीन मं खेती नई करे सकन.”

पाछू बछर (2022 मं) हरेश्वर ह धान के थरहा लगे रहिस अऊ रोपा लगेइय्या रहिस के पुर आ गे. ओकर आठ बीघा (करीबन 2.6 एकड़) खेत पानी मं बूड़ गे अऊ थरहा पानी मं सर गे.

दुखी होवत हरेश्वर कहिथे, “ये बेर घलो मंय थरहा सेती बीजा डारे रहेंव, फेर पानी ह सब्बो ला बरबाद कर दीस. मंय अब खेती नई करंव.”  ये बछर जून मं झड़ी ह ओकर बारी-बखरी ला भारी नुकसान करिस, जेकर ले मिरचा, लौकी अऊ दीगर रुख मन मर गीन.

जऊन परिवार मं ला खेती छोड़े ला परिस वो मं समींद्र दास के परिवार घली आय. करीबन 53 बछर के समींद्र कहिथें, “हमर करा 10 बीघा [3.3 एकड़] खेत रहिस. आज ओकर नामोनिशान तक नई ये. वो ह बालू ला पटा गे हवय.” वो ह बतावत जाथे, ये बेर भारी बरसात सेती, हमर घर के ठीक पाछू पार ले पानी रिसत रहिस. जइसनेच नदिया मं पानी चढ़े ला धरिस, हमन तंबू [ बांस अऊ तिरपाल ले बने रहे के ठीहा] मं लहूंट आयेन.”

Left: ' We had 10 bigha land, now there is no trace of it;  it has turned into a hillock of sand,' says Samindar Nath Das.
PHOTO • Pankaj Das
Right: A traditional sand-charcoal filter in front of his flood-ravaged house. Because of the high iron level, you cannot drink unfiltered water here
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डेरी : समींद्र नाथ दास कहिथें ‘हमर करा 10 बीघा [3.3 एकड़] खेत रहिस. आज ओकर नामोनिशान तक नई ये. वो ह बालू ला पटा गे हवय.’ जउनि: पुर ले बरबाद ओकर घर के आगू पारंपरिक बालू अऊ कोयला ला बने फ़िल्टर. आयरन के मात्रा जियादा होय सेती बिना फ़िल्टर के पानी नई पिये जाय सकाय

Left: 'Al l I have seen since I came here after getting married to Sambhuram in 2001 is flood,' says Jogamaya.
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Right: When the 2022 flood buried their paddy fields in sand, Jogamaya and her husband Shambhuram Das had to move to daily wage work
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डेरी: योगमाया कहिथें, ‘2001 मं शंभुराम ले बिहाव के बाद जबले मंय इहाँ आय हवंव, मंय सिरिफ पुर देखे हवंव.’  जउनि: जब 2022 के पुर ह ओकर धान के खेत ला बालू ले पाट दिस, त योगमाया अऊ ओकर घरवाला शंभुराम दास ला मजूरी करे ला परिस

योगमाया अऊ शंभुराम के परिवार करा तीन बीघा (करीबन एक एकड़) जमीन रहिस, जेन मं वो ह खास करके धान अऊ कभू-कभू सरसों के खेती करत रहिस. योगमाया सुरता करथे के 22 बछर पहिली ओकर बिहाव के बखत गुवाहाटी ले 17 कोस (50 किमी) दूरिहा ये गांव फसल ले हरियर रहत रहिस. अब इहाँ सिरिफ बालू के ढेरी हवय.

खेत के खराब होय सेती शंभुराम ला किसानी छोड़ के दुसर बूता करे ला परिस. बगरीबारी के दीगर लोगन मन के जइसने वो ह घलो रोजी मजूरी करे ला लगिस. अब वो ह लकठा के गाँव मं छोट-मोठ बूता करके रोजी मं 350 रूपिया कमा लेथें. योगमाया कहिथें, “वोला खेती करे भारी भावत रहिस.”

फेर बूता सब्बो बखत नई मिलय. योगमाया घर के बूता करेइय्या आंय अऊ रोजी मं करीबन 100-150 रूपिया कमा लेथें. एक बखत वो ह खेत मं रोपा लगावत रहिस. कभू-कभू उपरहा आमदनी सेती दीगर के खेत मं घलो बूता कर लेवत रहिस. योगमाया खेती के संगे संग बुनाई मं घलो माहिर हवंय. ओकर करा अपन खुद के करघा हवय, जेकर ले वो ह गामोचा (हाथ ले बने फरिया) अऊ चादर (असमी माइलोगन मन के ओढ़नी) बुनत रहिस, जेन ह ओकर आमदनी के जरिया घलो रहिस.

काबर के अब खेती कमई के जरिया नई रहि गे, वो ह करघा के भरोसा मं जियादा रहि गे रहिस. फेर नदिया ह जम्मो खेल बिगाड़ दीस. योगमाया कहिथे, “मंय बीते बछर तक ले अधिया [समान के आधा हिस्सा मालिक ला देय] मं बुनाई करत रहेंव, फेर हथकरघा के सिरिफ ढांचा बांचे हवय बाकि जम्मो चरखा, बाबिन ला पुर ह बोहा के ले गीस.”

योगमाया कहिथें, काम बूता के कमी अऊ थिर आमदनी नई होय के सेती ओकर बड़े बेटा के पढ़ई के खरचा उठाय मुस्किल होगे हवय. 15 बछर के राजिब काउरबाहा नवमिलन हाईस्कूल मं 10 वीं मं पढ़थे. बीते बछर ये घटना के ठीक पहिली ओकर दाई-ददा वोला पर तीर के एक झिन रिस्तेदार के घट भेज दे रहिस. ये जोड़ा के दू झिन नोनी धृतिमणि अऊ नितुमणि घलो हवंय. दूनों के बिहाव होगे हवय अऊ काटानिपारा अऊ केंदुकोना मं रइथें.

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Left: Atul Das and his wife Nirada have been fighting floods all their life.
PHOTO • Pankaj Das
Right: Atul shows us his banana grove which was ravaged by the overflowing river during the third week of June, 2023. He had cultivated lemon along with other vegetables which were also damaged by the floods
PHOTO • Pankaj Das

डेरी: अतुल दास अऊ ओकर घरवाली नीरदा जिनगी भर पुर ले लड़त रहे हवंय. जउनि: अतुल हमन ला अपन केरा के बारी ला दिखाथें, जेन ह जून 2023 के तीसर हफ्ता मं नदिया मं पुर के तेज बोहाव ले बरबाद होगे रहिस. वो ह दीगर साग-सब्जी के संग लिंबू घलो लगाय रहिन जेन ह पुर मं खराब होगे

पुठिमारी नदिया मं घेरी-बेरी आय पुर अऊ परलय ह अतुल दास के परिवार के जिनगी ला छितिर-भीथिर कर दे हवय. अतुल कहिथें, “मंय 3.5 बीघा [1.1 एकड़] खेत मं केरा अऊ एक बीघा [0.33 एकड़] मं लिंबू लगे रहेंव. एक बीघा मं कुम्हड़ा अऊ लौकी लगाय रहेंव. ये बखत जब नदिया मं पानी चढ़े रहिस, त जम्मो फसल बरबाद हो गे.”  कुछु हफ्ता बीते, सिरिफ तीन के दू हिस्सा फसल बांचे सकिस.

अतुल के मुताबिक खराब सड़क सेती कतको गांव के लोगन मन ला खेती छोड़े ला परे हवय. जऊन लोगन मन अपन उपज बेंचे ला चाहत हवंय वो मन बर पार भसके सेती बजार जाय करीबन मुस्किल होगे हवय काबर कतको सड़क कटे परे हवंय.

अतुल कहिथें, “मंय अपन उपज रंगिया अऊ गुवाहाटी ले जावत रहंय. एक बखत रहिस, जब मंय रतिहा मं केरा अऊ लिंबू ला वैन मं भरके ले जावत रहंय. मंय दूसर बिहनिया करीबन 5 बजे गुवाहाटी के फ़ैंसी बजार हबर जावत रहंय अऊ बेंचत रहंय, अऊ उहिच दिन बिहनिया आठ बजे घर लहूंट आवत रहंय.” फेर बीते पुर के बाद ले ये ह नई होय सकिस.

अतुल बतावत जाथें, “मंय अपन उपज ला डोंगा ले धूलाबारी तक ले जावत रहंय. फेर काय कहंव! साल 2021 के बाद ले पार ह कतको बेर भसक गीस. साल 2022 के पुर के बाद येकर मरम्मत मं पांच महिना लाग गे.”

पार भसके ले जऊन हाहाकार मचे रहिस तऊन ला सुरता करत अतुल के दाई प्रभाबाला दास दुखी हो जाथें. वो ह कहिथें, “पुर ह हम सब्बो ला बरबाद कर दे हवय.”

वइसे, जइसने हमन बिदा होय पार मं चढ़त रहेन, ओकर बेटा हमन ला देख के मुचमुचावत कहिथे. “बीते बखत घलो तुमन आय रहेव, जब पुर आय रहिस. कऊनो बने बखत मं भेंट करे ला आवव. मंय तुमन ला अपन खेत के साग-भाजी देहूं.”

अनुवाद: निर्मल कुमार साहू

Wahidur Rahman

ୱାହିଦୁର ରହମନ୍ ଆସାମର ଗୌହାଟିର ଜଣେ ସ୍ୱାଧୀନ ରିପୋର୍ଟର୍।

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Pankaj Das

ପଙ୍କଜ ଦାସ ପିପୁଲ୍ସ ଆର୍କାଇଭ୍ ଅଫ୍ ରୁରାଲ୍ ଇଣ୍ଡିଆର ଆସାମ ଭାଷାର ଜଣେ ଅନୁବାଦ ସମ୍ପାଦକ। ସେ ଗୌହାଟିର ବାସିନ୍ଦା, ସେ ମଧ୍ୟ ଜଣେ ଦକ୍ଷ ଅନୁବାଦକ ଯେ କି ୟୁନିସେଫ୍ ସହିତ କାର୍ଯ୍ୟ କରନ୍ତି। ସେ idiomabridge.blogspot.comରେ ଶବ୍ଦଚାତୁରୀରେ ପ୍ରଦର୍ଶନ କରିବାକୁ ଭଲପାଆନ୍ତି।

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Photographs : Pankaj Das

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Editor : Sarbajaya Bhattacharya

ସର୍ବଜୟା ଭଟ୍ଟାଚାର୍ଯ୍ୟ ପରୀର ଜଣେ ବରିଷ୍ଠ ସହାୟିକା ସମ୍ପାଦିକା । ସେ ମଧ୍ୟ ଜଣେ ଅଭିଜ୍ଞ ବଙ୍ଗଳା ଅନୁବାଦିକା। କୋଲକାତାରେ ରହୁଥିବା ସର୍ବଜୟା, ସହରର ଇତିହାସ ଓ ଭ୍ରମଣ ସାହିତ୍ୟ ପ୍ରତି ଆଗ୍ରହୀ।

ଏହାଙ୍କ ଲିଖିତ ଅନ୍ୟ ବିଷୟଗୁଡିକ Sarbajaya Bhattacharya
Translator : Nirmal Kumar Sahu

Nirmal Kumar Sahu has been associated with journalism for 26 years. He has been a part of the leading and prestigious newspapers of Raipur, Chhattisgarh as an editor. He also has experience of writing-translation in Hindi and Chhattisgarhi, and was the editor of OTV's Hindi digital portal Desh TV for 2 years. He has done his MA in Hindi linguistics, M. Phil, PhD and PG diploma in translation. Currently, Nirmal Kumar Sahu is the Editor-in-Chief of DeshDigital News portal Contact: [email protected]

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