पारी के ‘फेसेस’ प्रोजेक्ट बहुते खास बा. एह प्रोजेक्ट के मकसद हमनी के देस में रहे वाला लोग के चेहरा आउर आजीविका के विविधता देखावल बा. एकर डेटाबेस में जिला आउर गांव के आधार पर देस के कोना-कोना में रहे वाला लोग के चेहरा आउर रोजी-रोटी के जानकारी उपलब्ध करावल गइल बा. अब चेहरा के गिनती हजारन में हो गइल बा.

PHOTO • Atraye Adhikary

समीर पाठक पस्चिम बंगाल के बीरभूम जिला के एगो रिटायर डाकिया हवन

साल 2023 में फेसेस 53 गो नयका ब्लॉक में गइल. जइसे कि, पस्चिम बंगाल के बीरभूम जिला के दुबराजपुर ब्लॉक, जहंवा हमनी के भेंट, सहयोगी समीर पाठक से भइल. ऊ रिटायर डाकिया बाड़न. हमनी कुछ आदिवासी समाज के लोग के भी एह अभियान में जोड़नी. जइसे कि- कनिक्कर, मल्हार, कोली, पनियान, कट्टुनायकन, मलाई अरायण, अदियान आउर बोडो.

सुरु-सुरु में त कइएक विद्यार्थी लोग फेसेस प्रोजेक्ट के जरिए गांव-देहात से जुड़ल, फोटो के जरिए उहंवा के दस्तावेजीकरण कइलक. कइएक बरस ले हमनी के सहयोग करे वाला, जे लोग जादेतर पढ़ाई-लिखाई करे वाला लइका लोग रहे, देस भर में बहुते ब्लॉक में जाके लोग सभ के फोटो खींचलक.

फेसेस के मकसद राज्य के हर एक जिला के, हर एक ब्लॉक में कमो ना, त एगो बालिग मरद-मेहरारू आउर एगो लइका, चाहे किसोर के फोटो के दस्तावेजीकरण कइल बा. गांव-देहात से परे, ई प्रोजेक्ट शहर आ कस्बा में रहे वाला प्रवासी मजूर सभ के चेहरा भी दरज करेला.

केरल के अलाप्पुझा जिला के हरिपद ब्लॉक के चार कोइर मजूर लोग में से एगो हवन, सुमंगला . आईं उनकरा से मिलल जाव. एह बरिस फेसेस प्रोजेक्ट में नया पेशा से जुड़े वाला एगो नया चेहरा. उनकरा बारे में मौजूद जानकारी से पता चलेला कि गांव-देहात में मेहरारू लोग खाली घरे ना संभारे. ऊ लोग खेत-खलिहान में काम करेला, मछरी आ तरकारी बेचेला, सिलाई, बुनाई, कढ़ाई करेला. संक्षिप्त में कहीं त ऊ लोग मल्टीटास्कर (एक संगे कइएक तरह के काम करे वाला) बा.

PHOTO • Megha Elsa Thomas
PHOTO • Raplin Sawkmie

बावां: सुमंगला केरल के अलाप्पुझा के कोइर मजूर बाड़ी. दहिना: नोबिका कासैन विद्यार्थी बाड़ी आउर मेघालय के पारंपरिक खासी नर्तकी भी बाड़ी

पारी के जादे करके सहयोगी सभ विद्य़ार्थी बा. एह में कवनो अचरज नइखे कि एहू बरिस विद्यार्थी लोग फेसेस के सबले जादे सहयोग करे वाला में से रहे.

मेघालय के उदती खासी हिल्स में मावफलांग ब्लॉक (एह बरिस एगो आउर नया जगह) में हमनी के भेंट नोबिका खासैन से भइल. ऊ नवमां में पढ़ेली आउर पारंपरिक खासी नर्तकी भाड़ी. नोबिका के कहनाम बा, “सभ बेरा नाच करे से पहिले तइयार होखे में जादे बखत लगला के बावजूद, हमरा पारंपरिक पहनावा पहिनल बहुते भावेला.”

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अनुवादक: स्वर्ण कांता

Translator : Swarn Kanta

Swarn Kanta is a journalist, editor, tech blogger, content writer, translator, linguist and activist.

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