सुधीर कोसरे चारपाई पर तनी अलगे तरीका से बइठल रहस, उनकर गोड़ पर लागल जगह जगह के घाव लउकत सके. दहिना जांघ पर पांच सेमी जेतना लमहर कटला के निशान रहे. दहिना केहुनी के नीचे भी एगो घाव देखाई देत रहे जवना में टांका लगावे के पड़ल रहे. एक तरह से कहल जाव, त उनकर सउंसे देह पर चोट के निसान रहे.
दू गो कमरा के काच मकान में एगो कोना में ऊ घबराइल बइठल रहस. कमरा में अंजोर भी कम रहे. उनकरा तनिको आराम ना रहे, भीतर से एकदम हिलल रहस. घाव सभ भी टीस मारत रहे. लगही माई आउर भाई लोग बइठल रहे. बाहिर जम के पानी बरसत रहे. बहुते दिन इंतजार कइला के बाद अब जाके एह इलाका में भी बारिश भइल रहे.
पछिला 2 जुलाई, 2023 के बात हवे. लोहार गाड़ी समुदाय (गाड़ी लुहार के नाम से भी जानल आउर राज्य के अन्य पिछड़ा जाति के रूप में पहचानल जाला) से आवे वाला एगो भूमिहीन मजूर सुधीर खेत पर काम करत रहस. उहे घरिया एगो जंगली सुअर उनका पर हमला कर देलक. जान त बच गइल, बाकिर गंभीर तरीका से घायल हो गइलन. दुबर-पातर 30 बरिस के सुधीर के हिसाब से भाग नीमन रहे कि मुंह चाहे छाती पर जादे चोट ना लागल.
पारी सुधीर से कवठी गांव में 8 जुलाई के भेंट करे पहुंचल रहे. सुधीर इहंई रहेलन. गांव चंद्रपुर जिला के सावली तहसील में पड़ेला आउर चारो ओरी जंगल से घेराइल बा. अबही कुछे दिन पहिले ऊ अस्पताल से लउटल रहस.
ऊ इयाद करत बाड़न कि कइसे एगो दोसर मजूर उनकर चीख-चिल्लाहट सुनके दउड़ल आइल रहस. उहे सुअर के पत्थर से मार-मार के भगइलन आउर उनकर जान बचइलन. एह में ऊ आपनो जान के परवाह ना कइलन.
हमला सायद कवनो मादा सुअर कइले रहे. हमला में सुधीर भुइंया में गिर गइलन तब ऊ दांत गड़ा देलक. ऊ लाचार आसमान ओरी देखत रहस, मौत सिर पर मंडरात रहे. सुधीर बतावत बाड़न, “ऊ बेर-बेर पाछू हटे आउर फेरु से हमरा पर छलांग लगा देवे. हमरा देह पर एने-ओने केतना जगह दांत गड़ावत रहे.” उनकर घरवाली दर्शना बुदबुदात रहस. उनकरा तनिको बिस्वास ना होखत रहे कि उनकर घरवाला संगे अइसन भइल बा आउर ऊ मौत के मुंह से वापस अइलन ह.
ऊ जनावर लगे के झाड़ी में कूद के भाग गइल, बाकिर तबले ऊ उनकरा खुने-खून कर चुकल रहे.
घटना के दिन पानी रुक-रुक के पड़त रहे. एहि चलते सुधीर जवन खेत में काम करत रहस, ऊ गील रहे. दु हफ्ता से जादे बखत से बोआई रुकल रहे. सुधीर जंगल से सटल सीमा पर मेड़ बनावे के काम करत रहस. आपन घर चलावे खातिर ऊ एह काम के अलावा आउर कइएक तरह के दोसर काम करेलन. आपन इलाका के दोसर भूमिहीन मजूर जेका ऊ काम खातिर कवनो दूर-दराज के इलाका में जाएल पसंद ना करस. बलुक उहंई गांवे में काम मिले के इंतजार करेलन.
ओह दिनवा सुधीर के सरकारी अस्पताल में प्राथमिक उपचार भइल. एकरा बाद उनकरा 30 किमी दूर गढ़चिरौली शहर के जिला अस्पताल भेज देहल गइल. उहंवा टांका लागल. छव दिन ले अस्पताल में भरती रहलन, ताकि जल्दी से ठीक हो सकस.
कवठी गांव चंद्रपुर जिला में पड़ेला. बाकिर उहंवा से गढ़चिरौली शहर जादे नजदीक बा. चंद्रपुर शहर उहंवा से कोई 70 किमी दूर बा. उनका रेबीज खातिर रैबिपूर सूइया लगवावे, पट्टी बदलवावे आउर दोसर तरह के जांच सभ खातिर सावली के छोट सरकारी अस्पताल जाए के पड़ी.
सुधीर पर जंगली सुअर के हमला भइल, त सभे के ध्यान खेती से जुड़ल एह नयका खतरा ओरी गइल. कीमत में उतार-चढ़ाव, जलवायु परिवर्तन आउर कइएक दोसर कारण से खेती-किसानी में पहिलहीं जोखिम रहे. बाकिर अब चंद्रपुरे ना, भारत के जंगल (संरक्षित आ असंरक्षित दुनू) के आसपास के इलाका में अब खेती, एगो खूनी पेशा बन गइल बा.
जंगली जनावर सभ फसल चौपट करे लागल बा. किसानन के रात के नींद हराम हो गइल बा. ऊ लोग आपन फसल बचावे खातिर अजीब-अजीब तरह के उपाय करत बा. काहेकि खेतिए आमदनी के एकमात्र साधन बा. पढ़ीं: ‘ अबकी अकाल चार गोड़ पर आइल बा ’
अगस्त 2022 आउर एकरा पहिले भी, रिपोर्टर के भेंट कइएक अइसन लोग से भइल जे बाघ, तेंदुआ आउर दोसर जंगली जनावर के हमला में गंभीर रूप से घायल भइल रहे. एह में मरद, मेहरारू, किसान, चाहे सुधीर जइसन खेतिहर मजूर लोग भी शामिल बा. सभे से बातचीत कइल गइल. सभे लोग चंद्रपुर जिला के ताडोबा अंधारी टाइगर रिजर्व (टीएटीआर) के भीतरी आवे वाला संरक्षित जंगली इलाका के आसपास के तहसील में रहेला आउर उहंई काम करेला. एह तहसील में मूल, सावली, सिंदेवाही, ब्रम्हपुरी, भद्रावती, वरोरा, चिमूर के गांव शामिल बा.
रिपोर्टर के जुटावल जानकारी (डिस्ट्रिक्ट फॉरेस्ट डाटा) के हिसाब से, पछिला बरिस अकेले चंद्रपुर जिला में बाघ के हमला में 53 लोग मारल गइल. एह में 30 गो मौत सावली आ सिंदेवाही तहसील में भइल. जानकारी के मुताबिक पूरा इलाका इंसान आउर जनावर के बीच लड़ाई खातिर बदनाम बा.
जान जाए आउर घायल होखे के इलावा टाइगर रिजर्व के लगे मध्यवर्ती क्षेत्र (बफर जोन) आउर ओकर बाहरी इलाका में पड़े वाला सभे गांव में दहशत छाइल बा. खेती-खलिहानी पर जे असर पड़त बा, ऊ हमनी के सामने बा. किसान लोग जनावर सभ के डर से रबी के फसल रोपल छोड़ देले बा. ऊ लोग के मालूम बा कि जंगली सुअर, चाहे हिरण, नीलगाय जइसन जनावर सभ अंतत: फसल बरबाद कर दीही.
सुधीर भाग्यशाली रहस कि बच गइलन. उनकरा पाछू बाघ ना, सुअर पड़ल रहे. पढ़ीं: खोलदोडा: किसानन के रतजगा आ फसल के पहरेदारी .
*****
अगस्त 2022 के बात बा. एक दिन दुपहरिया के 20 बरिस के भाविक जारकर दोसर मजूर लोग संगे खेत में धान रोपत रहस. उहे घरिया उनकर बाऊजी के संगी वसंत पीपरखेड़े के फोन आइल.
पीपरखेड़ फोन पर बतइलन कि तनिके देर पहिले एगो बाघ हमला कइले रहे आउर इहो बतइलन कि ओह हमला में भाविक के बाऊजी भक्तदा ना बचलन. बाघ उनकर लाश घसीट के जंगल के भीतरी ले गइल.
भइल ई रहे कि, भक्तदा आपन तीन गो संगी संगे जंगल किनारे एगो खेत में काम करत रहस. 45 बरिस के भक्तदा तनी देर खातिर जमीन पर ओठंग के सुस्तात रहस, तबहिए कहूं से अचानक एगो बाघ उनकरा पर हमला कर देलक. बाघ पीछे से झपट्टा मरलक आउर भक्तदा के गरदन दबोच लेलक. लागत रहे ऊ गलती से इंसान के आपन शिकार समझ लेले रहे.
पीपरखेड़े बतइले, “बाघ हमार दोस्त के झाड़ी में घसीट के ले गइल. हमनी लाचार ई सभ देखत रह गइनी.” ऊ अबहियो आपन दोस्त के जान ना बचा पावे के अपराध बोध में डूबल रहस.
संजय राउत के कहनाम बा, “हमनी बहुते हो-हल्ला मचइनी. बाकिर बाघ भक्तदा के आपन चंगुल में ले लेले रहे.” उहो एह हादसा के गवाह रहस.
दुनो दोस्त लोग के हिसाब से ऊ सभ उनकरा लोग संगे भी हो सकत रहे.
ओह लोग के इलाका में बाघ के होखे के भनक त रहे. बाकिर तनिको अंदाजा ना रहे कि ऊ खेत में आके हमला कर दीही. गांव में पहिल बेर बाघ के हमला में केहू (भक्तदा) के जान गइल रहे. एकरा से पहिले गांव पर मवेशी आउर भेड़ के हमला होखत रहे. पछिला दू दशक में सावली आउर लगे के दोसर तहसील में बाघ के हमला में लोग के मौत भइल रहे.
भाविक ओह हादसा के इयाद करत कहे लगले, “हमार त खून जम गइल.” उनकर घर हीरापुर गांव में बा. ई गांव सुधीर के गांव से जादे दूर नइखे. ओह घरिया उनकर बहिन रागिनी (18 बरिस) उनकरा लगे रहस. ऊ बतावत बाड़न कि खबर उनकरा अचके मिलल. एकरा से उनका आउर उनकर परिवार के बहुत बड़ा सदमा लागल. अबहियो ऊ आपन बाऊजी के मौत से सदमा में बाड़न, कि ई सभ कइसे भइल.
दुनो भाई-बहिन लोग मिलके अब घर संभारेला. पारी जब उनकरा घर गइल, तब उनकर माई लताबाई घर पर ना रहस. रागिनी बतावत बाड़ी, “ऊ अबहियो सदमा से बाहिर नइखी आ पाइल. एगो बाघ हमनी के बाऊजी के जान ले लेलक, एह बात के समझल आउर स्वीकार कइल मुस्किल बा.”
गांव में दहशत के माहौल बा. किसान लोग कहले, “आजो, हमनी अकेले बाहिर ना जाएनी.”
*****
धान के खेत में अब सागौन आउर बांस रोपल बा. ई चरखुट आउर आयताकार डिब्बा जइसन देखाई देवेला. धान उगावे खातिर खेत में बरखा के पानी जमा कइल जाला. एहि से चारों ओरी से मेड़ लगावल गइल बा. जैव विविधता के मामला में चंद्रपुर के गिनती सबले समृद्ध इलाका में होखेला.
सावली आउर सिंदेवाही ताडोबा जंगल के दक्षिण में पड़ेला. दुनो गांव बाघ संरक्षण के कोसिस के नतीजा भुगत रहल बा. जइसन कि 2023 में नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी के रिपोर्ट, स्टेटस ऑफ टाइगर, 2022 में बतावल गइल, ताडोबा अंधारी टाइगर रिजर्व में बाघन के जवन तादाद 2018 में 97 रहे, एह बरिस बढ़के 112 हो गइल.
केतना बाघ आपन संरक्षित इलाका से बाहिर प्रादेशिक वन क्षेत्र में घूमत पाइल गइल बा. इहंवा इंसानी बस्ती भी बा. एहि से बाघ के संरक्षित क्षेत्र से बाहिर घना बस्ती में आवे के घटना बढ़ गइल बा. बफर जोन आउर ओकरा लगे के इलाका के जंगल में बाघ के हमला के घटना सबले जादे देखे में आवत बा. मतलब साफ बा कि कुछ बाघ रिजर्व से बाहिर आवे लागल बा.
साल 2013 में ताडोबा अंधारी टाइगर रिजर्व लगे के इलाका में एगो अध्ययन कइल गइल. पाइल गइल कि जादे करके हमला संरक्षित क्षेत्र से बाहिर बफर जोन आउर आस पास के इलाका में भइल बा. जंगल में सबले जादे हमला भइल बा. एकरा बाद खेत, उजाड़ जंगल, उत्तर-पूर्वी गलियारा (रिजर्व, बफर जोन आउर जंगल के जोड़े वाला रस्ता) में अइसन घटना देखे के मिलल बा.
मानव-बाघ संघर्ष, बाघ बचावे के कोसिस के नकारात्मक पहलू बा. मामला एतना गंभीर बा कि जुलाई 2023 में हाले में भइल राज्य विधानमंडल के मानसून सत्र के दौरान वन मंत्री सुधीर मुनगंटीवार के सामने एगो ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लावल गइल. एकरा जवाब देवे घरिया ऊ एह संबंध में कइल जा रहल कोसिस सभ के बारे में बतइलन. मंत्री कहले कि ‘टाइगर ट्रांसलोकेशन (स्थानांतरण)’ योजना के तहत दु गो वयस्क बाघ के गोंदिया के नागझिरा टाइगर रिजर्व भेजल देहल गइल बा. भविष्य में भी कुछ आउर बाघन के अइसन इलाका में भेजे के बारे में सोचल जा रहल बा, जहंवा ओह लोग के रहे खातिर जगह होखे.
मंत्री इहो कहलन कि सरकार बाघ के हमला में जियान होखे वाला फसल, मारल जाए वाला मवेशी, घायल होखे चाहे मरे वाला पीड़ित के मिले वाला मुआवजा के रकम बढ़ाई. बाघ के हमला में इंसानन के मौत होखला पर मुआवजा के रकम, 20 लाख से बढ़ाके 25 लाख कर देहल गइल. बाकिर फसल बरबाद होखे, चाहे मवेशी सभ के मरला पर मिले वाला मुआवजा पहलहीं जेतना रहल. फसल चौपट होखला पर अधिकतम 25000 आ मवेशी के मरला पर 50,000 के मुआवजा देवे के नियम बा.
बाकिर, फिलहाल एह समस्या के कवनो ओर-अंत नइखे लउकत.
टीएटीआर क्षेत्र में (बफर जोन आउर रिजर्व के बाहिर के इलाका में) कइल गइल विस्तार अध्ययन में पता चलल, “भारत के मध्य राज्य महाराष्ट्र में ताडोबा-अंधारी टाइगर रिजर्व के आस पास पछिला दू दशक में मनुष्य पर मांसभक्षी जनावर के हमला तेजी से बढ़ल बा.”
साल 2005-11 के बीच भइल एगो जांच में, “इंसान आ बड़ मांसभक्षी जनावर के बीच संघर्ष के रोके या कम करे के उपाय के बारे में जाने के प्रयास कइल गइल. एकरा खातिर ताडोबा-अंधारी टाइगर रिजर्व आउर ओकरा आसपास के इलाका में बाघ आउर तेंदुआ के हमला के मानवीय आ पारिस्थितिक विशेषता के जांच भइल.” कुल 132 हमला के जांच भइल. एह में 78 प्रतिशत हमला बाघ के आउर 22 प्रतिशत हमला तेंदुआ के पावल गइल.
अध्ययन के हिसाब से, “सबले जादे हमला जंगल में छोट-मोट चीज इकट्ठा करे निकलल लोग पर भइल बा.” जंगल आउर गांव से दूर हमला के डर कम रहे. रिजर्व लगे के इलाका में मानव गतिविधि कम करे के जरूरत बा. एह से इंसान के मरे के घटना में कमी आई आउर दोसर संघर्ष पर लगाम कसाई. अध्ययन के निचोड़ इहे रहे कि इंधन के वैकल्पिक संसाधन (जइसे कि बायोगैस आउर सोलर) तक पहुंच बढ़ी त संरक्षित क्षेत्र में लकड़ी चुने जाए के मजबूरी भी कम हो जाई.
मानव बस्ती में शिकारी जनावर के मौजूदगी आउर जंगली शिकार के कमी से बाघ के हमला बढ़ गइल बा.
हाल के बरिसन में घटल घटना से पता चलेला कि जंगल में मवेशी चरावे, चाहे कृषि उत्पाद इकट्ठा करे के बजाय खेत में काम करे घरिया बाघ के हमला जादे भइल बा. चंद्रपुर के किसान जंगली जनावर, खास करके पेड़ पौधा खाए वाला जनावर सभ से त्रस्त बाड़न. काहेकि ऊ लोग उनकर फसल के जियान कर देवेला. बाकिर रिजर्व के लगे के इलाका के खेत या जंगल सभ के सीमा पर बाघ आउर तेंदुआ के हमला बढ़ल जात बा. एकर कवनो हल नजर नइखे आवत.
पूरा क्षेत्र के दौर से पता चलेला कि जंगली जनावर आउर बाघ के हमला से लोग सबले जादे परेसान बा. पुणे के रहे वाला वन्यजीव विज्ञानी डॉ. मिलिंद वाटवे के कहनाम बा, अइसन घटना के चलते भारत के संरक्षण प्रयास पर दीर्घकालिक असर पड़ सकत बा. जदि गांव के लोग वन्य जीव के आपन दुश्मन माने के सुरु कर देलक (जइसन कि ऊ लोग स्वभावत: महसूस करेला), त कवनो जंगली जनावर सरंक्षित क्षेत्र के बाहिर सुरक्षित ना रह पाई!
संकट कवनो एगो बाघ चलते नइखे. एह इलाका में आउर दोसरो बाघ बा, जे इंसान के आपन शिकार समझ के गलती से हमला कर देवेला. अइसन हमला में जे लोग आपन परिवार के खो चुकल बा, ऊ लोग अइसन होखत अपना आंख से देखले बा. ओह लोग खातिर ई कभी ना भुलावे वाला भयानक हादसा बा.
हीरापुरा से कोई 40 किमी दूर सावली तहसील में चांदली बीके. गांव के रहे वाला प्रशांत चेलट्टीवार के परिवार भी अइसने त्रासदी से गुजर रहल बा. पछिला 15 दिसंबर 2022 के उनकर घरवाली स्वरूपा एगो बाघ के शिकार बन गइली. गांव के पांच गो दोसर मेहरारू लोग के आंख के आगू ई सभ भइल. देखते देखते बाघ स्वरूपा पर कूदल आउर झपट्टा मार के उनकरा जंगल के भीतर ले गइल. मेहरारू लोग के डर के मारे घिग्घी बंध गइल रहे. हादसा 15 दिसंबर 2022 के भोर में लगभग 11 बजे भइल.
“उनका गइला छव महीना हो गइल. हमरा त अबहियो समझ में ना आवेला कि का भइल रहे,” साल 2023 में येलट्टीवार हमनी के बतकही के दौरान बतइली.
येलपट्टीवार परिवार लगे कोई एक एकड़ जमीन बा. ऊ लोग खेतिहर मजूरी करेला. स्वरूपा आउर दोसर मेहरारू लोग गांव के खेत में कपास (धान के खेती वाला एह इलाका में कपास नया फसल बा) चुनत रहे, जब ई हादसा भइल. गांव के लगे के एगो खेत में बाघ अचके आके स्वरूपा पर हमला कर देलक. बाघ उनकरा के कोई 500 मीटर दूर ले घसीटत जंगल में लेके गइल. वन अधिकारी आउर कर्मचारी लोग के मदद से गांव के लोग कुछ घंटा बाद उनकर क्षत-विक्षत आउर बेजान देह लेके गांव लउटल. बाघ के हमला में जान गंवावे वाला लोग के लिस्ट में स्वरूपा के भी नाम जुड़ गइल.
विस्तार अल्लुवार भी ओह में से एगो रहस. ऊ बतइले, “बाघ के डेरावे खातिर हमनी के बहुते हो-हल्ला मचावे के पड़ल, थरिया पीटनी, ढोल बजइनी.”
सूर्यकांत मारुति पाडेवार, येलट्टीवार के पड़ोसी बाड़न. उनकर आपन 6 एकड़ के जमीन बा. ऊ कहले, “हमनी आपन आंख से ऊ भयानक नजारा देखनी. ओकरा बाद से गांव में डर के माहौल बा.”
गांव वाला लोग भड़कल रहे. ऊ लोग के मांग रहे कि वन विभाग या त बाघ के पकड़े, चाहे मार गिरावे. बाकिर कुछ बखत बाद बिरोध ठंडा पड़ गइल.
स्वरूपा के मरला के बाद उनकर घरवाला के काम पर लउटे के हिम्मत ना भइल. उनकर कहनाम बा कि अबहियो एगो बाघ गांव में अक्सरहा आवेला.
दिद्दी जागलू बद्दमवा, सात एकड़ जमीन पर खेती करे वाला 49 बरिस के किसान कहले, “हमनी हफ्ता भर पहिलहीं आपन खेत में एगो बाघ के देखले बानी.” ऊ बतावत बाड़न कि बरखा के बाद जुलाई के सुरु में जब बोआई होखे लागल, ‘हम कवनो काम खातिर फेरु खेत पर गइबे ना कइनी. एह हादसा के बाद केहू रबी के फसल ना रोपलक.”
प्रशांत के घरवाली के मरला के बाद 20 लाख के मुआवजा मिलल बा. बाकिर पइसा से उनकर घरवाली त अब ना लउटिहें. स्वरूपा के पाछू उनकर एगो लइका आउर एगो लइकी बाड़ी.
*****
इहो साल पछिला साल जेका बा. चंद्रपुर जिला में टाइगर रिजर्व लगे इलाका में खेत में बाघ आउर दोसर जंगली जनावर के खतरा अबहियो बरकरार बा.
एक महीना पहिले (25 अगस्त, 2023 के) 60 बरिस के एगो आदिवासी मेहरारू किसान लक्ष्मीबाई कन्नाके बाघ के हमला में मारल गइल रहस. उनकर गांव, टेकाडी, भद्रावती तहसील में टाइगर रिजर्व कनारे पड़ेला. ई नामी मोहरली रेंज लगे बा, जेकरा एह जंगल के प्रवेश द्वार मानल जाला.
घटना के दिन सांझ के ऊ आपन पतोह सुलोचना संगे इरई बांध से सटले आपन खेत में काम करत रहस. सांझ के कोई 5.30 बजत होई. सुलोचना देखली कि एगो बाघ पाछू से जंगली घास के बीच से चुपचाप लक्ष्मीबाई के पाछू आवत बा. एकरा से पहिले कि ऊ चिल्लइती आउर सावधान करती, बाघ उनकर बूढ़ सास पर झपटल. उनकर गरदन पकड़ के बांध के पानी में खींच ले गइल. सुलोचना बच गइली. ऊ सभे के खेत पर बुलइली. घंटन बाद लक्ष्मीबाई के शव जलाशय से निकालल गइल.
वन अधिकारी लोग तत्काल प्रभाव से अंतिम संस्कार खातिर 50,000 रुपइया के ब्यवस्था कइलक. मुआवजा के रकम बढ़ावे के सरकारी आदेश के पालन करत कुछे दिन बाद मरे वाली के 74 बरिस के घरवाला रामराव कन्नाके के 25 लाख रुपइया के मुआवजा देवल गइल. जाहिर बा, गांव वाला के प्रकोप आउर बिद्रोह के संभावना देख के अइसन कइल गइल रहे.
अब वन रक्षक के एगो टीम टेकाडी गांव के निगरानी करेला. बाघ के हरकत पर नजर रखे खातिर कैमरा लगावल गइल बा. गांव वाला लोग अब टोली बना के खेत पर काम करे जाला. सभे केहू डर के साया में जिए के मजबूर बा.
उहे तहसील (भद्रावती) में, 20 बरिस के मनोज नीलकंठ खेरे से हमनी के भेंट भइल. ऊ स्नातक के दोसर बरिस के छात्र बाड़न. 1 सितंबर 2023 के दिन भोर में एगो जंगली सुअर उनकरा पर झपट्टा मार देलक. उनकरा बहुते चोट आइल. एह घरिया ऊ आपन घाव आउर सदमा से उबरे के कोसिस में बाड़न.
मनोज बतइलन, “हम आपन बाऊजी के खेत पर निराई, गुड़ाई के तइयारी देखत रहीं. पाछू से एगो जंगली सुअर आइल आउर आपन दांत से हमला कर देलक.”
भद्रावती तहसीले के पिरली गांव में आपन मामा मंगेश आसुटकर के घर पर मनोज एगो खटिया पर ओठंगल बाड़न. ओह दिन के घटना के इयाद करत ऊ कहलन, “बस 30 सेकेंड के मामला रहे.”
जंगली सुअर उनकर बावां जांघ फाड़ देले रहे. ओह पर पट्टी बंधल बा. ओकर हमला एतना भयानक रहे कि मनोज के पिंडली के मांसपेशी पूरा तरह से अलग हो गइल. डॉक्टर कहले बाड़न कि पिंडली के मांसपेशी भरे खातिर प्लास्टिक सर्जरी करावे के होई. मतलब परिवार पर इलाज के एगो भारी खरचा आ गइल बा. ऊ कहले, “भाग नीमन रहे, कि हम बच गइनी.” एह घटना में आउर केहू के कवनो चोट ना आइल.
मजबूत कद-काठी के मनोज आपन माई-बाबूजी के इकलौता संतान बाड़न. उनकर माई-बाऊजी लोग किसानी करेला. काहेकि उनकर गांव वडगांव बहुते दूर पड़ेला. उहंवा कवनो सार्वजनिक यातायात के सुविधा नइखे. एहि से मामा उनकरा पिरली गांव ले अइलन. इहंवा से 27 किमी दूर भद्रावती शहर में अस्पतालो बा.
ऊ आपन स्मार्टफोन से ओह दिन लागल आपन घाव देखातव बाड़न. फोटो से पता चल रहल बा कि चोट केतना गंभीर बा.
चांदली गांव में अर्द्ध-घुमंतू पशुपालक समुदाय कुरमार (राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग के रूप में सूचीबद्ध) से संबंध रखे वाला एगो सामाजिक कार्यकर्ता चिंतामन बालमवार के कहनाम बा जनावर सभ के हमला में जान जाए, घायल होखे के अलावा एह इलाका के खेती-किसानी पर भी खराब असर पड़ रहल बा. ऊ कहले, “अब रबी के खेती करे वाला कवनो किसान मुस्किल से भेंटाई. मजूर लोग खेत पर जाए से डेराला.”
जंगली जनावर आउर बाघ के हमला से इलाका के कइएक गांव में, खासकर के रबी के फसल के नुकसान पहुंचल बा. रात के पहरेदारी पूरा तरीका से ठप्प पड़ल बा. लोग गांव से बाहिर जाए से डेराला. इहंवा ले कि कवनो आपातकालीन स्थिति में भी ऊ लोग पहिले जेका सांझ के यात्रा करे से बचेला.
एह बीच, कवठी गांव में सुधीर के माई शशिकला बाई (खेतिहर मजूर) के अच्छा से पता बा कि जंगली सुअर के हमला में उनकर लइका, सुधीर के जान जा सकत रहे.
ऊ मराठी में बेर-बेर कहत रहस, “ अजी माझा पोरगा वाचली जी” आउर देवता-पित्तर के गोर लागे लगली. ऊ कहली, “हमार लइका ओह दिन मर के बचलन. हमार बुढ़ापा के लाठी त उहे बाड़न.” सुधीर के बाऊजी के बहुत पहिलहीं स्वर्गवास हो चुकल बा. उनकर माई पूछेली, “सुअर के जगहा बाघ हमला कइले रहित, त का होखित?”
अनुवाद: स्वर्ण कांता