12 बछर के रहिस जमलो, माँघ (फरवरी) के महिना मं एक दिन वो ह मिर्चा के खेत मं बूता करे बर तेलंगाना चले गे रहिस. लाक डाउन के बखत अपन संगी मजूर मन संग घर लहूँटत, तीन दिन सरलग पइदल रेंगत जमलो के परान चले गे.
जमलो ह मुरिया आदिवासी समाज के लइका रहिस. ओकर दाई सुकमती सुकमती मड़कम बताथे, “वो हा हमन ला बिन बताय अपन संगी-जहूँरिया अउ गाँव के मन संग चले गे रहिस. हमन ला ओकर जाय के दुसर दिन एकर पता चलिस.”
12 बछर के ये टूरी छत्तीसगढ़ के बस्तर इलाका के बीजापुर जिला के अपन गांव आदेड लहूँतट रहिस. ओला मिलाके 11 झिन रहीन, जेमा के कुछु लइका मन तेलंगाना के मुलुगु जिले के कन्नईगुडेम गाँव के खेत मं बूता करे बर गे रहीन (ऊपर के कवर फ़ोटो 7 मई के सड़क पर पइदल जावत अइसनेच एक ठन समूह के आय) वो मन उहाँ मिर्चा तोड़े के बूता करत रहीन, मजूरी 200 रुपिया या फेर तोड़े गे मिर्चा के हिस्सा मजूरी मं मिलत रहिस, (देखव मिर्ची के खेत मं लइका मन )
जमलो के ददा, एंदोराम बताइस, “अपन संगी-जहूँरिया अऊ गाँव के मन संग बूता करे ला गे रहिस. उहाँ काम-बुता बंद हो गे त वो सब मन लहूँतट रहीन.जेन बखत वो मन (मुलुगु जिला के) पेरुरु गाँव ले रेंगे ला धरीन त वो हा मोला उहाँ ले फोन करे रहिस. एकर बाद ओकर संग के गाँव घर के मन फोन करके मोर बेटी के मरे के बात बताइन.” जमलो के ददा एंदोराम कहिथे,वो अऊ ओकर घरवाली सुकमती, आदेड गाँव के दुसर आदिवासी मन जइसने चार-मौहा,सरइ मुड़ी जइसे जंगल के उपज ला संकेलथे, थोर कुन खेती हे, धान, चना अऊ दीगर फसल कमाके, दुसर के खेत मं बूता करके या फेर सरकारी काम मनरेगा मिले ले करके रोजी-रोटी के इंतजाम करथे.
जगदलपुर के एक ठन अख़बार बर काम करेइय्या, गोंड आदिवासी समाज के बीजापुर के एक ठन पत्रकार पुष्पा उसेंडी-रोकाडे बताइस, “जमलो, दू महिना पहिली बूता करे ला तेलंगाना गे रहिस, फेर लाकडाउन सुरु होते सात काम बंद होगे. जम्मो मजूर मन गाँव लहुटे बर उतइल होवत रहीन. ओ मन अपन करा जतक बचा के रखे रहीन सब्बो खतम होगे रहिस, ठेकेदार घलो ओ मन ला गाँव जाय के सलाह दे रहिस.”
लॉकडाउन बखत आय-जाय के कोनो सुविधा साधन नई होय के सेती ओ मन पइदल रेंगत घर लहूँटे लगीन. कन्नईगुडेम से आदेड गांव 65-67 कोस (170-200 किलोमीटर) दुरिहा हे (रद्दा के मुताबिक कम जियादा हो सकथे). वो मन 16 अप्रैल ले जंगल के रद्दा डहर ले रेंगे ला सुरु करीन काबर के माई रद्दा बंद रहिस.रद्दा मं रात मं गाँव अऊ जंगल मं सोवत रहीन. रद्दा अब्बड़ लम्बा, 3 दिन मं वो मन 33 कोस ले जियादा (100 किलोमीटर ले जियादा) रेंगत आ गे रहीन.
18 अप्रैल के बिहनिया 9 बजे,थके हारे मजूर मन फेर रेंगे ला धरीन. अपन गाँव ले 20 कोस दुरिहा (60 किलोमीटर) रद्दा मं जमलो के परान छुटगे. कतको बात कहे गिस के ओअर पेट अउ मुड़ी पिरोत रहिस, वो हा गिर परिस त ओकर हड्डी टूट गे. फेर सरकार के तरफ ले कोनो मेडिकल रिपोर्ट हमन ला नइ मिल पाइस.
बीजापुर के मुख्य स्वास्थ्य और चिकित्सा अधिकारी, डॉ. बी.आर. पुजारी हमन ला फ़ोन मं बताइस, "वो हा नानचिक टूरी रहिस,जेन हा तिन दिन तक ले रेंगत आवत रहिस (46 कोस, 140 किलोमीटर). फेर जब ओकर गाँव 20 कोस दुरिहा बाहन्चे रहिस त वो ह गिर परिस. हो सकत हे वो ह थक गे रहिस, थकान के सेती ओ हर गिर परिस होय, एकर पता पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट मं घलो नइ मिल पाय. ओकर संग के मजूर मन के कहना रहिस के एक दिन पहिली घलो रद्दा मं गिरे रहिस अऊ वोला चोट पहुंचे रहिस."
डॉ. पुजारी ला ओकर मऊत के खबर बिहनिया 11 बजे मिलिस. डॉ. पुजारी हा मीडिया ला बताथे, "मंय जब एक ठन एम्बुलेंस भेजेंव त ओ मन लाश ला धर के 3 कोस चलके आ गे रहीन." जमलो के लाश ला बीजापुर जिला अस्पताल लाये बर उसूर अस्पताल ले एम्बुलेंस भेजे गे रहिस. "जमलो के संग के 11 मजूर मन ला कोविड-19 के नियम-कानून के मुताबिक कोरोंटाइन मं भेज दे गे रहिस."
भारत के दूरदराज के आदिवासी इलाका मन मं लाकडाउन के असर ला ले के कोनो मुश्किल ले लिखे हे, फेर जमलो मड़कम के कहिनी जम्मो मीडिया मं आ गे रहिस.
डॉ. पुजारी ह मीडिया ला बताथे,जमलो बहरिया मजूर रहिस,रद्दा मं ओकर मऊत होय रहिस तेकर सेती डाक्टर मन ओकर कोरोना जाँच करिन. ओकर नमूना शनिवार (18 अप्रैल) बिहनिया जाँच बर जगदलपुर भेजे गे रहिस अऊ इतवार संझा के ओकर रिपोर्ट निगेटिव आय रहिस. पोस्टमॉर्टम होय के बाद सोमवार के ओकर लाश ओकर परिवार ला दे दे गे रहिस.
ये खबर के सह-लेखक कमलेश पैकरा, जेन हा बीजापुर के पत्रकार आय अऊ कँवर आदिवासी समाज ले आथे, तेन ला जमला के माँ सुकमती हा बताथे, मंय हा 8 लइका मन ला जनम देंव जेन मं 4 झिन रेंगे के उमर मं मर गिन अऊ अब जमलो घलो नई बांहचीस.
सुकमती अऊ एंदोराम के तीन ठन अऊ लइका हें. 14 बछर के बुधराम ह कुछु बखत पहिली स्कुल जाय ला छोड़ दे हे. जेन बखत हमन जमलो के घर गे रहेन,वो ह तेंदू पान बांधे बर डोरी बनाय ला छाल लेय ला बाहिर गे रहिस. ओकर 6 बछर के बहिनी सरिता, जेन ह गाँव के स्कुल मं पहिली मं पढथे, गाँव के सरकारी बोरिंग मं नहावत रहिस.ओकर दू बछर के भाई अपन दाई के संग घर मं रहिस.
मड़कम परिवार करा 10-12 बछर होगे रहिस फेर रासन कारड नइ रहिस, ओकर करा जेन रासन कारड रहिस कोनो गलती से रद्द कर दे गे रहिस. अपन थोरकुन कमई ले,हाट बजार ले जियादा दाम दे के जरूरी चऊर, नून-तेल ला बिसोत रहीन. जमलो के मरे के बाद ओ मन ला नवा बीपीएल (गरीबी रेखा ले निचे) कारड मिले हे. ये मं घलो कतको गलती हवय–ओ मन 5 झिन हंवे फेर ये मं मडकम परिवार के 4 झिन के नाँव हावे. (जमलो के आधार कार्ड मं घलो ओकर नाम गलत लिखे गे हे,अंगरेजी मं जीता मड़कम.)
जमलो हा गाँव के स्कुल मं तीसरी तक पढ़े रहिस,अपन घर के 2 जोड़ी बइला के देखरेख बर ओला स्कुल छोड़े ला परिस. घर मं कुछु मुर्गी ला घलो पोसे गे रहिस.
ओकर गाँव, आदेड छत्तीसगढ़ के रजधानी रइपुर ले 134 कोस (400 किलोमीटर) दुरिहा हावे. आदेड गाँव तक पहुंचे बर पक्का सड़क ले बीजापुर ले 10 कोस (30 किलोमीटर) दुरिहा टोयनार गाँव जाय ला परही. उहाँ ले रद्दा माटी वाला आय, रद्दा के मंझा मं दू ठन नहर हावय.
आदेड गांव मं 42 घर-परिवार रहत हें, ये हा मोर्मेड पंचइत के गाँव आय. गाँव के पञ्च माडिया आदिवासी समाज के बुधराम कोवासी कथे–गाँव मं 4 समाज के लोगन मन हें– मुरिया अऊ माडिया आदिवासी, कलार अऊ राउत, जेन मन पिछड़ा समाज के आंय.
बुधराम आगू कहिथे, “जमलो सिरिफ 12 बछर के रहिस,वो हा पहिली पइत मिर्चा तोरे बर आंध्र (तेलंगाना)गे रहिस. वइसने गाँव ले काम बूता बर लोगन मन दीगर राज नई जायं–हाँ, टोयनार या बीजापुर तक चले जाथें.
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल हा जमलो के मऊत ला अपन मन मं ले रहिस. 21 अप्रैल के एक ट्वीट मं वो ह लिखीस-बीजापुर के 12 बछर के टुरी जमलो मड़कम के मउत ला सुन हिरदे ह दरक जाथे.ये मुस्किल बखत मं तुरते सहायता बर मुख्यमंत्री राहत कोष से मंय 1 लाख रुपिया अऊ स्वैच्छिक अनुदान ले 4 लाख रुपिया देवत हों. बीजापुर के कलेक्टर ला मामला के जाँच करके, रिपोर्ट देय बर कहे गे हे.
सरकार के श्रम विभाग घलो एकर जाँच करथे अऊ गाँव के एक झिन माईलोगन अऊ तेलंगाना के कन्नईगुडेम गांव के मजूर ठेकेदार उपर एफआईआर कराय हावय. ये मन उपर आरोप लगाय गे हे के ये मन ठेकेदार बनके पंजीकरण कराय बिना, नाबालिग समेत मजूर मन ला दीगर दुसर–दुसर राज मं ले जावत रहीन.
छत्तीसगढ़ के बीजापुर, सुकमा और दंतेवाड़ा के सीमा ले लगे गाँव के लोग-बाग मन काम-बूता खोजत दुसर राज चले जाथें (ये जिला मन के कतको गाँव नक्सली मार झेलत हैं). वइसने देखे जाय त ये मन तेलंगाना अऊ आंध्र प्रदेश के मिर्चा के बड़े बड़े खेत मं बूता करे ला जाथें.मिर्चा ओमन के खाय-पिये के जरूरत मं शामिल हवे तेकरे सेती मजूरी मं एला लेके घलो लहुंटथें.
जमलो घलो अपन घर-परिवार बर कुछु ले के आय के सपना संजोय रहे होही,फेर ओकर घर-दुआर तक पहुँचइय्या रद्दा, ये 12 बछर के नोनी बर बहुतेच लम्बा साबित होगे.
अनुवाद: निर्मल कुमार साहू