नफ़रत-के-साए-में-सांस-लेतीं-ज़िंदगियां-और-मादरी-ज़बानें

Lucknow, Uttar Pradesh

Feb 20, 2023

नफ़रत के साए में सांस लेतीं ज़िंदगियां और मादरी ज़बानें

नफ़रत और फ़िरक़ापरस्ती के दौर में, एक कवि मोहब्बत और आज़ादी की ज़बानों को ढूंढ़ रही है. इतिहास के दबे पन्नों से वह मातृभाषाओं की कतरनों को जमा करती है और एक कविता कहती है

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Poem

Sabika Abbas

साबिका एक कवि, आयोजक और क़िस्सागो हैं. वह एसएएजी एंथोलॉजी के लिए बतौर सीनियर एडिटर काम करती हैं, और फियरलेस कलेक्टिव के साथ सामुदायिक कार्यों और अभियानों का संचालन करती हैं.

Editor

Pratishtha Pandya

प्रतिष्ठा पांड्या, पारी में बतौर वरिष्ठ संपादक कार्यरत हैं, और पारी के रचनात्मक लेखन अनुभाग का नेतृत्व करती हैं. वह पारी’भाषा टीम की सदस्य हैं और गुजराती में कहानियों का अनुवाद व संपादन करती हैं. प्रतिष्ठा गुजराती और अंग्रेज़ी भाषा की कवि भी हैं.

Painting

Labani Jangi

लाबनी जंगी साल 2020 की पारी फ़ेलो हैं. वह पश्चिम बंगाल के नदिया ज़िले की एक कुशल पेंटर हैं, और उन्होंने इसकी कोई औपचारिक शिक्षा नहीं हासिल की है. लाबनी, कोलकाता के 'सेंटर फ़ॉर स्टडीज़ इन सोशल साइंसेज़' से मज़दूरों के पलायन के मुद्दे पर पीएचडी लिख रही हैं.

Translator

Pratima

प्रतिमा एक काउन्सलर हैं और बतौर फ़्रीलांस अनुवादक भी काम करती हैं.