एकर चटख लाल रंग के देवाल पर लिखल बा: केएफसी.
इहंवा स्वाद के जादू चलावे वाला ‘केएफसी’ के कर्नल सैंडर्स नइखन, आउर इहंवा ‘के’ के मतलब ‘केंटकी’ भी नइखे. ई जादू त 32 बरिस के कुलमोरा के बिमान दास के बा. गांव के उनकर एकतल्ला होटल में राउर सभे के स्वागत बा,
असम के माजुली नदी के द्वीप पर बसल बा कुलमोरा. अइसे त, एकर सरकारी नाम नटुन कुलमोरा चापोरी हवे. कुलमोरा के आबादी इहे कोई 480 (2011 के जनगणना के हिसाब से) होई. एह में जादे करके किसान आउर खेतिहर मजदूर लोग बा. ना खाली इहंवा, बलुक बाहर से घूमे आवे वाला लोग भी नीमन आउर चहटगर खाए खातिर इहे केएफसी के खोजेला. सगरे सैलानी गाइड के साइट पर एह होटल के खूब जादे रेटिंग मिलल बा.
मई, 2020 के एगो दुपहरिया में आपन होटल खोलत बिमान इयाद करत हवें, “हम 2017 में एकरा ठेला पर शुरू कइले रहनी.” देवाल अंदर बाहर दूनो ओरी से चटख लाल रंग से पोतल बा. जरत घाम में उहंवा बकरी, कलहंस आऊ गाय-गोरु एने-ओने चरत हवे.
बिमान शुरू शुरू में ठेला पर चाऊमीन आउर कुछ दोसर तरह के खाए के चीज बेचे के शुरू कइले रहस. दुइए बरिस बाद, 2019 में ऊ आपन होटल खोल लेलन. एह होटल में एक बार में 10 लोग बइठ के खा सकेला. इहंवा देसी इस्टाइल में फ्राइज, बर्गर, पिज्ज़ा, पास्ता, मिल्कशेक आउर तरह-तरह के फास्ट फूड मिलेला, उहो एकदम सस्ता.
कुलमोरा में रहे वाला लोग केएफसी बड़ा चाव से खाला. इहे ना, दुनिया भर से एह द्वीप पर घूमे आवे वाला सैलानी लोग भी अंगुरी चाट-चाट के एकर स्वाद लेवेला. गूगल रिव्यू में इहे लोग के चलते एह होटल के 4.3 के रेटिंग मिलल बा. होटल के साइट पर जाके लोग खूब दिल से केएफसी के स्वाद आउर ताजगी के बड़ाई कइले बा.
एकरा केएफसी, माने कृष्णा फ्राइड चिकन काहे कहल जाला? एह पर बिमान तड़ से पाकेट से फोन निकाल लेलन. फोन में ऊ आपन घरवाली देबजानी दास आउर एगो 7 से 8 बरिस के लइका के फोटो देखावे लगलें. ऊ खूब गर्व से कहले, “हम एकर नाम आपन लइका, कृष्णा के नाम पर रखले बानी.” बिमान बतावत बाड़न कि उनकर बबुआ रोज स्कूल के बाद केएफसी आवेला. जब कृष्णा के माई-बाबूजी लोग ग्राहक लोग के खाए के परोसत रहेला, ऊ एगो कोना में बइठ के आपन स्कूल के काम पूरा करेलन.
दुपहरिया के खाए के बखत बा. बिमान हमनी के फ्राइज संगे कुरकुरा तलल एगो चिकन बर्गर खिलावत बाड़न. ऊ हमनी के संगे-संगे इहो बतावत बाड़न कि ई कइसे पकावल जाला. आपन छोट रसोई में ऊ घूम-घूम के बतावत बाड़ें, “हमार रसोई माजुली के सबसे साफ आउर चिक्कन रसोई में बा.” उनकर होटल में तीन गो काउंटर, एगो फ्रिज, एगो ओवन और एक ठो डीप फ्रायर बा. काटल तरकारी सभ खूब तरीका से संभार के रखल बा. केचप आउर दोसर सॉस के बोतल सभ रसोई के अलमारी में सजावल बा.
बिमान फ्रिज से मैरिनेट (मसाला में सानल) चिकन के एगो डिब्बा निकालत बाड़न. फेरू एगो-एगो करके चिकन के टुकड़ा के आटा में लपेट बढ़िया से छानत बाड़न. खउलत तेल में जइसहीं ई छनाए लागत बा, बिमान पाव रोटी टोस्ट करे लागत बाड़न. बर्गर बनावत-बनावत ऊ बतावे लगलें, “माई भोरे-भोरे काम पर चल जात रहे. हमरा आपन पेट अपने से भरे के पड़त रहे.” ऊ बतावत बाड़न कि कइसे 10 बरिस के उमिर से ही ऊ खाना पकावे लगलन. उनकर माई, इला दास खेतिहर मजदूरी करेली, आउर बाबूजी दीघला दास मछरी बेचेलन.
बिमान कहत बाड़ें, “माई जब खाना पकावस, त हम आंख गड़ा के देखीं. अइसहीं देखत-देखत हम दाल, चिकन आउर मछरी बनावल सीख लेनी. हमार पड़ोसी आउर दोस्त सभ के हमार हाथ के बनल खाना बहुत भावत रहे. ऊ लोग हमर घरे आके खाना खात रहे. एहि सभ चलते खाना बनावे में हमार रुचि जाग गइल.”
मोटा-मोटी 18 बरिस में बिमान रोजी-रोटी खातिर घर छोड़ देले रहस. ऊ मुंबई में आपन एगो दोस्त लगे गइलन. ओह घरिया उनकर पाकिट में सिरिफ 1,500 रुपइया रहे. उहंवा उनकर एगो नातेदार मदद कइलन. उनकरा शहर के एगो अपार्टमेंट में सेक्योरिटी गार्ड के नउकरी मिल गइल. बाकिर ऊ जादे दिन ना टिक सकलन, “हम ऊ काम छोड़ के भाग गइनी. बाद में हमरा आपन नातेदार खातिर बहुते खराब लागल. हम उनकरा एगो चिट्ठी लिखनी, ‘रउआ से निहोरा बा हमरा गलत मत समझम. ई काम हमरा खातिर नइखे, आउर हम एह काम खातिर नइखी. एहि से हम एकरा छोड़ देहनी’.”
एकरा बाद बिमान मुंबई के अलग-अलग होटल में काम कइलन. इहंवा ऊ पंजाबी, गुजराती, इंडो-चाइनीज आउर इहंवा तक कि कॉन्टिनेंटल (महाद्वीपीय शैली) पकवान बनावे के सीख लेलन. बाकिर अबही खाना बनावे के हुनर से ऊ दूर रहस. ऊ बतइले, “पहिले पहिले हम होटल सभ में प्लेट साफ करत रहीं, आउर टेबल लगावे के काम करीं.” जब 2010 आइल, बिमान के हैदराबाद के एटिको नाम के फूड कोर्ट में काम करे के मउका भेंटल. एहिंगे धीरे-धीरे ऊ आगू बढ़े लगलें. बाद में तरक्की भइल आउर ऊ उहंवा के मैनेजर बन गइलें.
एहि बीच उनकरा प्यार हो गइल आउर ऊ देबजानी से बियाह कर लेलन. देबजानी केएफसी में उनकर बिजनेस पार्टनर हई. छोट चचेरी बहिन शिवानी आउर शिवानी के बहिन (उनकर नाम भी देबजानी बा) भी रसोई में मदद करेली.
हैदराबाद के बाद, बिमान आपन गांव, माजुली लउटे के फैसला कइलन. शुरू शुरू में उनकरा असम के शिवसागर में डेमो ब्लॉक के एगो होटल में नौकरी मिलल. एहि घरिया उनकर मन में आपन होटल खोले के बात आइल. आखिर में, ऊ आपन होटल शुरू कर देलन. बिमान बतावत बाड़न, “हम ग्राहक लोग के बइठे खातिर 2,500 रुपइया महीना किराया पर एगो जगह लेनी, आउर ओकरा पीछे रसोई सेट कर लेनी.”
हम बिमान के एह लजीज बर्गर आउर फ्राइज खातिर 120 रुपइया देनी. हम उनकर कहानी सुनत जात रहनी, आउर संगे-संगे खात भी जात रहनी. ऊ बतावत बाड़ें कि बर्गर के अलावा ग्राहक के उनकरा हाथ के पिज्जा सबसे जादे भाएला. एकर दाम 270 रुपइया बा. गूगल रिव्यू में इहंवा मिले वाला ताजा नींबू-पानी, मिल्क शेक आउर वेजिटेबल रोल के भी खूब चरचा बा.
बिमान आउर उनकर परिवार सेंसोवा में रहेला. ई कुलमोरा से कोई दस किलोमीटर पड़ी. ऊ रोज आपन स्विफ्ट डिजायर से होटल जालन-आवेलन. बिमान कहले, “हमार दिन 9 बजे भोर से शुरू हो जाला. पहिले चिकन आउर दोसर तरकारी सभ काटे के काम करिले. फेरु एकरा बनावे के तइयारी में लग जाइले.”
बिमान बतावत बाड़न जदी राउर दिन अच्छा बा, त 10,000 के कमाई हो जाई. जादेकर के अक्टूब-दिसंबर में केएफसी खूब बिकाला. ई सैलानी लोग के उहंवा घूमे आवे के बखत होखेला. दोसरा बखत रोज के 5,000 रुपइया त केनहूं नइखे गइल.
एहि बीच रोज नियम से आवे वाला एक ठो ग्राहक भीतरी ढुकत बाड़ी. उनकर नाम निकिता चैटर्जी हवे. ऊ अंदर आके आपन ऑर्डर देवे लगली. निकिता सोशल वर्कर हई. साल भर भी ना होत होई, ऊ मुंबई से माजुली आ गइल रहस. ऊ बतइसी, “हमार जिनगी त केएफसी के सहारे कटत बा. जब हम पहिल बेर कृष्णा फ्राइड चिकन के बारे में सुननी, पता चलल ई माजुली के हिसाब से बहुत नीमन बा. बाकिर जब हम इहंवा आके खइनी, त लागल कि एकर टक्कर में केहू नइखे, ई त बेजोड़ बा.”
बिमान ओरी ताकत निकिता कहतारी, “अइसे त, हमार एगो शिकायत भी बा. दू दिन से राउर केएफसी काहे बंद रहे?” ऊ असम के बहुत बड़ त्योहार, बीहू के बात करत बाड़ी. एह घरिया इहंवा पूरा द्वीप बंद रहेला.
बिमान उनकरा के टोनियावत बाड़ें, “दू दिन से रउआ भूखले बानी का?”
रउआ जे घरिया भी नटुन कुलमोरा चापोरी गांव जाए के मउका भेंटे, कृष्णा फ्राइड चिकन होटल जरूर जाईं. एकर स्वाद रउआ आपन अंगूरी चाटे के मजबूर क दीही.
अनुवाद: स्वर्ण कांता