उज्जर चितकबरा भुरुआ रंग के पांख छोट-छोट घास में एने-ओने छितराइल बा.
राधेश्याम बिश्नोई सांझ के ढल रहल रोशनी में बेचैन होके इलाका के चक्कर लगावत बाड़ें. मने मने इहे मनावत बाड़ें कि उनकर शक गलत साबित होखे. ऊ तनी जोर से कहलें, “ई पांख टूटल नइखे लागत.” फेरु केहू के फोन लगइलें, “रउआ आवत बानी नू? हमरा त पूरा यकीन बा…,” लाइन पर दोसरा ओरी बात कर रहल आदमी से कहलें.
हमनी के माथा के ऊपर, इहंवा से उहंवा 220 किलोवाट हाईटेंशन (एचटी) के तार गइल बा. एह से अपशकुन जेका कबो आवाज आवत बा, कबो ई चटखत बा. ढल रहल सांझ के अन्हार में तार करिया लाइन जइसन देखाई देत बा.
जानकारी जुटावे के जिम्मेवारी इयाद आवते, 27 बरिस के बिश्नोई आपन कैमरा निकाल लेत बाड़ें. घटना स्थल के लगे, तनी दूर ठाड़ होके ऊ फोटो खींचे लागत बाड़ें.
अगिला दिन हमनी मुंह अन्हारे फेरु ऊ जगहा पहुंचत बानी जहंवा चिरई मरल मिलल रहे. राजस्थान के जैसलमेर जिला में खोतोलाई से सटल एगो छोट बस्ती, गंगाराम की ढाणी से ई जगह सिरिफ एक किलोमीटर दूर बा.
अब कवनो दुविधा ना बचल. पक्का हो गइल कि ऊ पांख सोन चिरई (ग्रेट इंडियन बस्टर्ड यानी जीआईबी) के बा. एह चिरई के इहंवा गोडावण पुकारल जाला.
वन्यपशु चिकित्सक डॉ.श्रवण सिंह राठौड़ भी 23 मार्च, 2023 के दिन, भोर में घटना स्थल पर मौजूद बाड़ें. सबूत के जांच करत ऊ कहलें, “एह में कवनो शक नइखे कि ई हादसा हाईटेंशन तार से टकराए से भइल बा. अइसन लागत बा ई मौत आज से तीन दिन पहिले, मतलब 20 मार्च (2023) के दिन भइल हवे.”
साल 2020 से अबले तलक ई चउथा चिरई मरल बा. भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) के डॉ. राठौड़ ओकर जांच कर रहल बाड़ें. डब्ल्यूआईआई पर्यावरण, वन आउर जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) आ राज्य वन्यजीव विभाग के एगो तकनीकी शाखा बा. डॉ. राठौड़ इहे कहलें, “जेतना मरल चिरई (गोडावण) मिलल हवे, सभे हाईटेंशन तार के नीचे पड़ल मिलल. एह साफ पता चलत बा कि मौत के संबंध बिजली के तार से बा.”
जे चिरई मरल पावल गइल ह, ऊ सोन चिरई (आर्डीयोटिस नाइग्रिसेप्स यानी ग्रेट इंडियन बस्टर्ड) हवे. ऊ लुप्त होखे के कगार पर पहुंच गइल बा. पछिला पांच महीना में ई दोसर बेर ह, जब हाईटेंशन तार से टकरा के इनकर मउत भइल हवे. राधेश्याम बतावत बाड़ें, “साल 2017 (एह चिरई सभ पर जब से ऊ नजर रखले बाड़ें) से अबले, चिरई मरे के ई नौमा घटना हवे.” ऊ पड़ोस के ढोलिया में रहेलें. ढोलिया, जैसलमेर के सांकड़ा ब्लॉक में एगो छोट गांव हवे. कुदरत के सच्चा हितैषी होखे के नाते ऊ लुप्त हो रहल चिरई सभ पर कड़ा नजर रखेलें. उनकरो कहनाम बा, “जादे करके गोडावण चिरई हाईटेंशन तार के नीचे मरल पाइल गइल ह.“
सोन चिरई के वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 के पहला अनुसूची में शामिल कइल गइल बा. भारत आउर पाकिस्तान के मैदानी इलाका में पावल जाए वाला ई एगो दुर्लभी, विलुप्तप्राय पक्षी हवे. आज पूरा दुनिया में सिरिफ 120-150 सोन चिरई बाचल बाड़ी. भारत में त खाली पांचे राज्य में इनका देखल जा सकेला. कर्नाटक, महाराष्ट्र आउर तेलंगाना के बीच के सीमावर्ती इलाका में 8 से 10, आउर गुजरात में चार गो मादा चिरई देखल गइल बाड़ी.
जैसलमेर में सोन चिरई सबले जादे गिनती में बा. राजस्थान के घास वाला मैदान में इनकर कुदरती ठिकाना बा. एह ठिकाना में चिरई सभ पर नजर रखे वाला वन्यजीव जीवविज्ञानी डॉ. सुमित डूकिया कहेलें, “इनकर दू गो ठिकाना बा- एक ठो पोकरण लगे, आउर दोसर इहंवा से मोटा-मोटी 100 किमी दूर डेजर्ट नेशनल पार्क में ”
कवनो लाग-लपेट कइले बिना, ऊ कहे लगलें, “हमनी इहंवा करीब सभे इलाका से सोन चिरई गायब बाड़ी. उनकर कुदरती ठिकाना के फेरु से उनकरा हिसाब से तइयार करे आउर उनका लुप्त होखे से बचावे खातिर सरकार अबले कवनो ठोस कदम नइखे उठवले..” डूकिया इकोलॉजी, रूरल डेवलपमेंट एंड सस्टेनिबिलिटी (ईआरडीएस) फाउंडेशन के अवैतनिक वैज्ञानिक सलाहकार बानी. ई संगठन साल 2015 से गोडावण के बचावे खातिर सामुदायिक भागीदारी बढ़ावे में लागल बा.
सुमेर सिंह भाटी कहलें, “पहिले ई चिरई झुंड के झुंड आसमान में देखाई देत रहे. बाकिर अब त इनकर अकाल पड़ल बा.” चालीस साल के सुमेर सिंह स्थानीय पर्यावरणविद बानी आउर जैसलमेर जिला के घना जंगल में सोन चिरई आउर एकर कुदरती ठिकाना बचावे में लागल बानी.
सुमेर सम ब्लॉक के संवत गांव के रहे वाला बानी. उहंवा जाए में एक घंटा लागेला. बाकिर गोडावण के मरे के खबर सुन के ऊ आउर उनका तरह के दोसर लोग, जे एह चिरई के भविष्य के चिंता करे वाला बा, आउर वैज्ञानिक घटना स्थल पर पहुंचे खातिर मजबूर हो गइल.
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रासला गांव लगे देगराय माता के मंदिर बा. उहंवा से कोई 100 मीटर दूर गोडावण के एगो प्लास्टर ऑफ पेरिस के आदमकद मूरति ठाड़ बा. ई मूरति हाईवे से ही लउकेला- चबूतरा पर रसड़ी के घेरा में एगो अकेला चिरई.
इहंवा के लोग एह मूरति के जरिए आपन गोस्सा आउर विरोध जतावत बा. गांव के लोग बतइलक, ”एहि जगहा एक बरिस पहिले एगो गोडावण चिरई के मौत भइल रहे. ओकरे इयाद में ई मूरति स्थापित कइल गइल हवे.” उहंवा स्मृति पट्टिका पर लिखल बा: “16 सितंबर 2020 के देगराय माता मंदिर लगे हाईटेंशन तार से टकरइला से एगो मादा गोडावण के मउत भइल रहे. उहे चिरई के इयाद में ई स्मारक बनावल गइल बा.”
सुमेर सिंह, राधेश्याम आउर जैसलमेर के बहुते लोग गोडावण के मरे आउर ओकर कुदरती ठिकाना के अनदेखी से बहुते गोस्सा में बा. ऊ लोग के मानना बा कि आस-पास के गांव देहात के समुदायन आउर उनकर आजीविका के प्रति उपेक्षा के एक तरह से ई प्रतीक ह.
सुमेर सिंह के कहनाम बा, “बिकास के नाम पर अनमोल धरोहर नष्ट हो रहल बा. अइसन बिकास आखिर केकरा ला?” बात त ऊ एकदम चोखा कहत बाड़ें. इहंवा से कोई 100 मीटर दूर एगो सौर ऊर्जा संयंत्र लागल बा. उहंवा लोग के माथा के बिजली के तार गइल बा. एकरा बावजूद गांव में बिजली के कवनो भरोसा ना रहे.
पछिला 7.5 बरिस से भारत के अक्षय ऊर्जा में 286 प्रतिशत के इजाफा भइल बा. केंद्रीय नवीन आउर अक्षय ऊर्जा मंत्रालय के ई दावा बा. पछिला एक दशक में, खास करके पछिला 3 से 4 बरिस में राजस्थान में सौर आउर पवन ऊर्जा के हजारन प्लांट लगावल गइल. इहे ना, अडानी रिन्यूएबल एनर्जी पार्क राजस्थान लिमिटेड (एआरईपीआरएल) भी जोधपुर के भादला में एगो सौर पार्क लगा रहल बा. एह पार्क के क्षमता 500 मेगावाट बा. अइसने एगो आउर पार्क जैसलमेर के फतेहगढ़ में लगावल जात बा. एकरा क्षमता 1,500 मेगावाट बतावल जा रहल बा. कंपनी की वेबसाइट पर सवाल रखल गइल कि का ऊ लोग जमीन के भीतर से जाए वाला तार से आपन ऊर्जा-उत्पादन के वितरण करी. ई रिपोर्ट अइला तक एकर कवनो माकूल जवाब ना मिलल ह.
राजस्थान में सौर आउर पवन संयंत्र से पैदा होखे वाला बिजली नेशनल ग्रिड के भेज देहल जाला. भेजे खातिर बिजली के हाई वोल्टेज तार के बिशाल जाल लगावल गइल बा. ई तार गोडावण, गरुड़, गिद्ध आउर दोसर चिरई खातिर घातक साबित हो रहल बा. एह इलाका में अक्षय ऊर्जा से जुड़ल परियोजना बा, पोखरण आउर रामगढ़-जैसलमेर के गोडावण खातिर तइयार भइल हरित क्षेत्र खातिर बाधा बन सकत बा.
मध्य एशियाई वायुमार्ग (सीएएफ) में पड़े के चलते, जैसलमेर के बहुते महत्व बा. आप्रवासी चिरई सभ आर्कटिक से मध्य यूरोप आ एशिया से एहि रस्ता से हिंद महासागर पहुंचेला. संयुक्त राष्ट्रसंघ के अंतरराष्ट्रीय समझौता ‘कन्वेंशन ऑन दी कन्जर्वेशन ऑफ़ माइग्रेटरी स्पीशीज़ ऑफ वाइल्ड एनिमल्स’ के अनुमान से 182 आप्रवासी जलीय पक्षी के प्रजाति वाला 279 चिरई इहे रस्ता से गुजरेला. विलुप्त होखे के कगार पर पहुंचल कुछ आउर चिरई के भी पहचान कइल गइल बा. एह में बंगाल के गिद्ध, चाहे ओरियंटल वाइट-बैक्ड वल्चर (जिप्स बेंगालेन्सिस), लॉन्ग-बिल्ड, चाहे भारतीय गिद्ध (जिप्स इंडिकस), पिद्दो, चाहे स्टोलिज्का बुशचैट (सैक्सिकोला मेक्रोरिंचा), हरियर मुनिया आउर हौबरा गोडावण, चाहे मैकक्वीन बस्टर्ड (क्लेमिडोटिस मैक्वीनी) जइसन नाम बा.
राधेश्याम शौकिया फोटोग्राफी करेलें. उनकर लमहर फोकस वाला टेली लेंस से केतना बेरा बेचैन कर देवे वाला फोटो आवेला. “हम रात में हवासील (पेलिकन) चिरई के सोलर पैनल लागल खेत में उतरत देखले बानी. ऊ लोग के इहंवा झील होखे के भ्रम होखेला. बेबस चिरई सभ पैनल में लागल शीशा पर फिसले लागेला. एकरा से ओह लोग के गोड़ में बहुते चोट आवेला.”
भारतीय वन्यजीवन संस्थान के 2018 के अध्ययन के हिसाब से हाईटेंशन तार से खाली गोडावण के नुकसान नइखे होखत. डेजर्ट नेशनल पार्क के भीतर आउर लगे के 4,200 वर्ग किमी के दायरा में बिजली के तार के घना जाल बिछल बा. एकरा चलते हर साल करीब 84,000 दोसर चिरई सभ भी मारल जाला. “एह प्रजाति खातिर एतना जादे संख्या में मौत बहुते चिंता के विषय बा. जदि अइसने चलत रहल, त एकरा विलुप्त होखे से केहू ना बचा सकी.”
खतरा खाली आसमाने ना, जमीन पर भी मंडरा रहल बा. मैदानी इलाका के बड़हन हिस्सा, ओरण मतलब पूजनीय स्थल, 200 मीटर ऊंच पवन चक्की से भर गइल बा. दू गो पवन चक्की के बीच मोस्किल से 500 मीटर के जगह बा. इहे ना, हजारन हेक्टेयर जमीन पर अलग से ऊंच दीवार से घेर के सौर संयंत्र लगावल बा. पूजनीय स्थल के इलाका में अक्षय ऊर्जा के घुसपैठ होखे से उहंवा मवेशी चरावल भी खतरा से खाली नइखे. जबकि एह क्षेत्र में स्थानीय समुदाय के लोग पेड़ के एगो डंठल तक काटल, धरम के खिलाफ मानेला. चरवाहा लोग अब सीधा रस्ता ना चल सके. बलुक ऊ लोग पवन चक्की आउर ओकर माइक्रोग्रिड पार करे खातिर पूरा घेराबंदी के घूम के पार करे के मजबूर बा.
धानी (ऊ अपना के इहे पुकारेली) के कहनाम बा, “हम भोरे निकलिला त लउटे में सांझ हो जाला.” धानी, 25 बरिस, आपन चार ठो गाय आउर पांच ठो बकरी के चरावे घास के जंगल जाली. “केतना बेरा जंगल जात घरिया रस्ता में तार से बिजली के झटका लाग जाला.” धानी के बियाह हो गइल बा. उनकर घरवाला अबही बाड़मेर शहर में पढ़ाई करत हवें. ऊ परिवार के छव बीघा (मोटा मोटी एक एकड़) जमीन आउर आपन 8, 5 आउर 4 बरिस के तीन ठो लइकन के देखभाल करेली.
जैसलमेर के सम ब्लॉक में रासला के देगराय ग्राम प्रधान मुरीद खान के कहनाम बा, “हमनी इहंवा के विधायक आउर जिला उपायुक्त (डीसी) से भी मिलनी, आउर एह समस्या पर चरचा कइनी. बाकिर अबले कवनो कदम ना उठावल गइल.”
ऊ कहलें, “हाईटेंशन के छव से सात गो लाइन हमनी के पंचायत से होके जाला. ई जगह हमनी के ओरण (पूजनीय स्थल) में आवेला. हमनी जब ओह लोग से सवाल करिले कि केकरा से पूछ के ई सभ लगावल गइल बा, त जवाब मिलेला, ‘हमनी के केकरो से पूछे के जरूरत नइखे’.”
घटना के थोरिके दिन बाद, 27 मार्च 2023 के जब लोकसभा में एकरा बारे में सवाल उठावल गइल, तब पर्यावरण, वन आउर जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री अश्विनी चौबे जी जवाब देलें. चौबे जी कहले गोडावण के महत्वपूर्ण कुदरती ठिकाना के राष्ट्रीय उद्यान (एनपी) घोषित कइल जाई.
सोन चिरई के दू गो ठिकाना में से एगो के त पहिलहीं नेशनल उद्यान घोषित कइल जा चुकल बा. दोसर ठिकाना भारतीय सेना के जमीन पर बा. बाकिर सोन चिरई कहूं सुरक्षित नइखे.
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सर्वोच्च न्यायालय 19 अप्रिल, 2021 के एगो याचिका पर सुनवाई करत फैसला सुनइलस , “जरूरत के हिसाब से गोडावण के इलाका में ऊपर से गुजरे वाला हाईटेंशन तार के हटा के जमीन के नीचे से जाए वाला पावरलाइन बिछावल जाए. ई काम तत्काल प्रभाव से सुरू होखे के चाहीं आउर एक बरिस में एकरा खत्म भी कइल जाव. तबले इहंवा के पावरलाइन में डाईवर्टर (प्लास्टिक के एगो डिस्क जेकरा से चिरई सभ के चेतावनी देवे खातिर लाइट निकलेला) लगावल जाव.”
सर्वोच्च न्यायालय के फैसला में राजस्थान में अइसन 104 किमी लमहर पावरलाइन के पहचान कइल गइल बा जेकरा जमीन के भीतर से ले जाे के बा. आउर 1,238 किमी लमहर लाइन के भी, जेकरा में डाईवर्टर लगावे के बा.
दू बरिस बाद, अप्रिल 2023 तक सर्वोच्च न्यायाल के एह आदेश के पूरा तरह से अनदेखी कइल गइल. हां, प्लास्टिक के कुछ डाइवर्टर जरूर लगावल गइल बा, बाकिर बस खानापूरति खातिर. काहे कि कुछेक किमी तक ही डाईवर्टर लागल बा. जे इलाका में एकरा लगावल गइल बा, ऊ मुख्य सड़क से सटल ऊ हिस्सा बा जहंवा आमतौर पर मीडिया आउर लोग के नजर रहेला. वन्यजीव जैव वैज्ञानिक डूकिया के कहनाम बा, “अबले भइल शोध के हिसाब से एह मामला में डाईवर्टर लगावल बहुते कारगर साबित भइल बा. एकरा मदद से अइसन मउत टालल जा सकत रहे.”
आज सोनचिरई पूरा धरती पर आपन अकेला घर में खतरा में बा. दोसरा ओरी, देस में बिदेशी पशु खातिर ठिकाना बनावे के हड़बड़ी लागल बा. जान लीहिं. सरकार भारत में अफ्रीका ते चीता लावे के 224 करोड़ रुपइया के पांच बरिस के योजना पर तेजी से काम कर रहल बा. चीता के बिशेष बिमान से भारत लावे के सोचल गइल बा. ओह लोग खातिर सुरक्षित वनक्षेत्र भी तय बा आउर ओकरा विकसित भी कइल जात बा. इहंवा निगरानी खातिर वॉचटावर बनत बा. एकरा अलावे, बाघ के उदाहरण भी लेवल जा सकत बा. बाघ के गिनती अब बढ़ रहल बा. ओह लोग के संरक्षण खातिर बनल परियोजना पर साल 2022 में 300 करोड़ रुपइया खरचा कइल गइल.
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भारत के चिरई सभ में आपन कदकाठी से खास रोबीला दिखाई देवे वाला गोडावण, चाहे ग्रेट इंडियन बस्टर्ड, चाहे सोन चिरई एक मीटर ऊंच होखेला. एकर वजन 5 से 10 किलो के बीच होखेला. साल में बस एक बेर अंडा देवेला, उहो खुला में. जंगली कुकुरन के गिनती बढ़े चलते गोडावण के अंडा पर हरमेसा खतरा रहेला. नीलकंठ बोधा, मुंबई के नेचरुल हिस्ट्री सोसायटी (बीएनएचएस) के कार्यक्रम पदाधिकारी, के कहनाम बा, “स्थिति खराब बा. सोन चिरई के गिनती कम ना होखे, एकरा खातिर हमनी के कोसिस करे के पड़ा. एह लोग के चैन से रहे खातिर कुछ जगह भी अलग से छोड़े के पड़ी.” बीएएचएस, एह इलाका में कवनो परियोजना खातिर काम कर रहल बा.
उड़े वाला ई चिरई के जमीन पर चलल जादे नीमन लागेला. बाकिर जब ई उड़ेला, अद्भूत नजारा होखेला. एकर दुनो पांख 4.5 फीट तक फइल जाला. आपन भारी-भरकम देह चलते ई रेगिस्तान के आसमान में कवनो वायुपोत जइसन देखाई पड़ेला.
बिशाल गोडावण सामने से आवत खतरा के भांप ना सके. काहेकि ओकर आंख माथा के दुनो ओरी होखेला. इहे कारण बा कि ऊ अनजाने में सीधा तार से जाके टकरा जाला. एगो दिक्कत इहो बा कि ट्रक जेका सोन चिरई तेजी से मुड़ ना सके. मुड़े में देरी चलते ओकर माथा, चाहे पांख जमीन से कोई 30 मीटर ऊंच लागल तार में उलझे के खतरा रहेला. राधेश्याम के कहनाम बा, “जदि सोन चिरई बिजली के तार के झटका से जिंदा भी बच जाव, बाकिर एतना ऊंचाई से गिरे से ओकर मरल तय बा.”
राधेश्याम के इयाद बा, साल 2022 में राजस्थान के रस्ते टिड्डा सभ भारत में घुस आइल रहे, ओह घरिया “खेत बचावे में गोडावण जरूरी भूमिका निभइले रहे.’ हजार के गिनती में गोडावण, टिड्डन के आपन आहार बना लेले रहे. गोडावण अइसे केकरो नुकसान ना पहुंचावे. ई छोट सांप, बिच्छा, छिपकली खाके जिंदा रहेला. इनकरा से किसान के फायदा रहेला.”
उनकरा लगे 80 बीघा (कोई 8 करोड़) के खेत बा. एकरा पर ऊ ग्वार आउर बाजरा उगावेलन. जाड़ा ठीक ठाक रहल त कवनो तेसर फसल भी बो लेवेलन. ऊ कहलें, “मान लीहीं, 150 के जगहा हजार के गिनती में गोडावण होखित, त टिड्डन के हमला से निबटे में केतना अच्छा रहित.”
सोन चिरई के बचावे खातिर जरूरी बा कि ओकर कुदरती ठिकाना के सुरक्षित रखल जाव. राठौड़ कहलें, “हमनी कोसिस कर सकतानी. ई कवनो मोस्किल काम नइखे. आउर अदालत के भी हिदायत बा इहंवा पावरलाइन के भूमिगत कइल जाव आउर आगे से कवनो हाइटेंशन तार बिछावे के अनुमति ना देहल जाव. एकरा से पहिले कि सभ कुछ खत्म हो जाव, सरकार आपन जबाबदेही समझे के पड़ी.”
संवाददाता एह रिपोर्ट के तइयार करे में मदद खातिर, ‘बायोडायवर्सिटी कोलैबरेटिव’ के सदस्य डॉ. रवि चेल्लम के प्रति आपन आभार प्रकट करत बाड़ी.
अनुवाद: स्वर्ण कांता