the-language-of-the-fish-frogs-and-a-few-fractured-poems-bho

Jalpaiguri, West Bengal

Sep 25, 2025

मछरी, बेंग, गाछ, गीध ना बचल, त भाषो बिला जाई

आपन बोली-बानी मरत देख एगो कवि रोअता. संगही जिनगी, रोजी-रोटी, हवा-पानी आउर ऊ दुनिया जेकरा हमनी जानत रहीं, के उजड़ला पर भी शोक मना रहल बा. सब कुछ सत्ता आ लालच के बलि चढ़ गइल बा

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Author

Moumita Alam

मोमिता आलम पस्चिम बंगाल के कवयित्री बानी. उहा के दू ठो कविता संग्रह- द म्यूजिंग्स ऑफ द डार्क आउर पोएम्स ऐट डेब्रेक छप चुकल बा. उहां के तेलुगु आउर तमिल में अनुवाद भी करेनी.

Editor

Pratishtha Pandya

प्रतिष्ठा पंड्या पारी में सीनियर एडिटर बानी, जहंवा ऊ पारी के रचनात्मक लेखन विभाग के अगुआई करेनी. उहां के पारीभाषा टीम के हिस्सो बानी आ गुजराती स्टोरी के संपादन आउर अनुवाद करेनी. उहां के लिखल कविता गुजराती आउर अंगरेजी में छपत रहेला.

Illustration

Atharva Vankundre

अर्थव वणकुंदरे मुंबई के स्टोरीटेलर आउर चित्रकार बानी. उहां के जुलाई से अगस्त 2023 तक पारी के फेलो रह चुकल बानी.

Translator

Swarn Kanta

स्वर्णकांता एगो पत्रकार, एडिटर, टेक ब्लॉगर, कंटेन्ट राइटर, ट्रांसलेटर, लिंग्विस्ट आ एक्टिविस्ट बारी.