‘आजादी के लड़ई बखत अइसने घलो बखत आय रहिस, जब चीज मन धुंधला नजर आवत रहिन. हमन ले कहे गे रहिस के तुमन जीते नइ सकव. तुमन दुनिया के सबले बड़े राज के खिलाफ लड़त हव... फेर हमन कभू वो चेताय अऊ धमकाय ला मन मं नइ रखेन अऊ लड़ेंन, येकरे सेती हमन आज आजाद हवन.’

आर. नल्लकन्नु

*****

“पिंयर डब्बा ला वोट डारव!” नारा लगे लगिस, “शुभ मंजाल पेटी ला चुनव!”

अंगरेज शासन के अधीन साल 1937 मं होय राज मन के चुनाव बखत ये ह मद्रास प्रेसीडेंसी के माहौल रहिस.

ये नारा ढोल बजावत नवा पीढ़ी के लइका मन के मंडली ले निकरत रहिस. ये मन ले अधिकतर वोट डारे के सरकार के उमर ले बनेच छोटे रहिन. वइसे, गर वो मन के उमर जियादा घलो रइतिस, त ले घलो वो मन वोट नई डारे सकत रहिन, सब्बो बड़े उमर के लोगन मन ला वोट डारे के हक नइ रहिस.

वोट डारे मं लगे रोक ले जमीन अऊ संपत्ति के मालिक अऊ गाँव-देहात के अमीर किसान मन ला फायदा होइस.

वोट देय नइ सकेइय्या नवा पीढ़ी के लइका मन ला भारी परचार करत देखे नवा बात नइ रहिस.

जुलाई 1935 के सुरु मं, जस्टिस—अख़बार अऊ जस्टिस पार्टी के एक ठन भाग — ह  घिनहा बोली के संग, अऊ अवमानना ​​करत छापिस:

तुमन कऊनो घलो गाँव मं जाव, इहाँ तक के दूरदराज के इलाका मं घलो. तुमन ला खादी अऊ गांधी टोपी पहिरे अऊ तिरंगा झंडा धरे कांग्रेस के नवा पीढ़ी के मंडली मन जरुर मिल जाहीं. ये मं करीबन अस्सी फीसदी कार्यकर्ता अऊ स्वयंसेवक, शहर अऊ गाँव-देहात के इलाका के बिन वोट वाले, बिन जमीन-जायदाद वाले, बेरोजगार नवा पीढ़ी मन आंय...

साल 1937 मं, नवा पीढ़ी के ये लइका मन मं आर.नल्लकन्नु घलो रहिस अऊ वो बखत ओकर उमर सिरिफ 12 बछर रहे होही. अब 2022 मं, वो ह 97 बछर के हो चुके हवंय, अऊ हमन ला वो बखत के बात ला बतावत हवंय, अऊ वो ह ये बात ला लेके हँसत हवंय के वो ह तऊन ‘उतइल लइका मन’ ले एक झिन रहिन. वो ह सुरता करत बताथें, ‘वो बखत जेकर करा जमीन रहिस अऊ जेन मन दस रूपिया धन ओकर ले जियादा के लगान देवत रहिन, सिरिफ उहिच मन वोट डारे सकत रहिन.’ साल1937 के चुनाव मं वोट डारे के हक मं थोकन इजाफा देखे ला मिलिस. वो ह कहिथे, “फेर अइसने कभू नइ होईस के 15-20 फीसदी ले जियादा जवान-सियान मन ला वोट डारे के हक मिले होय. अऊ कऊनो घलो निर्वाचन छेत्र मं जियादा ले जियादा हजार धन बनेच होईस त दू हजार लोगन मन वोट डारे होहीं.”

R. Nallakannu's initiation into struggles for justice and freedom began in early childhood when he joined demonstrations of solidarity with the mill workers' strike in Thoothukudi
PHOTO • M. Palani Kumar

आर. नल्लकन्नू ह नियाव अऊ आजादी सेती लड़ई मं बाल उमर ले सामिल होगे रहिस, जब वो ह तूतुकुड़ी मं मिल मजूर मन के हड़ताल मं विरोध प्रदर्सन मं सामिल होय रहिस

नल्लकन्नु के जनम 'श्रीवैकुंठम मं होय रहिस, ओकर बाद वो ह  तिरुनेलवेली जिला मं रहे लगिस. आज, श्रीवैकुंठम के नाता तमिलनाडु के तूतुकुड़ी ज़िला ले हवय (जऊन ला 1997 तक तूतीकोरिन बलाय जावत रहिस).

वइसे, नल्लकन्नु बनेच कम उमर मं आंदोलन मन मं लगे रहिस.

“फेर जब मंय लइका रहेंव, तभी ले. मोर शहर के तीर के तूतुकुड़ी मं मिल मजूर मन काम बंद कर दीन. वो मिल ह हार्वे मिल समूह के हिस्सा रहिस. बाद मं, ये हड़ताल ला पंचलई [कॉटन मिल] मजूर मन के हड़ताल के नांव ले बलाय जाय लगिस.

“वो बखत, ये मजूर मन के मदद बर हमर शहर के हरेक घर ले चऊर संकेले गीस अऊ तूतुकुड़ी मं हड़ताल मं बइठे परिवार मन तक बक्सा मं डारके पहुंचाय गीस. हमर जइसने नान-नान लइका मन येती-वोती जाके, चऊर संकेले के काम करत रहेन” वइसने त भारी गरीबी रहिस, “फेर सब्बो अपन अपन हैसियत ले कुछु न कुछु मदद दीन. मंय वो बखत 5 धन 6 बछर के रहेंव, अऊ मजूर मन के एक होके लड़ई ह मोर उपर भारी गहिर ले असर करिस. ओकरेच असर रहिस के मोला कम उमर मंइच राजनीतिक काम मं सामिल होय के आदत हो गे.”

हमन 1937 के चुनाव मन के बात ला एक पईंत अऊ छेड़ देन अऊ पूछेन: मंजाल पेटी धन पिंयर बक्सा सेती वोट देय के काय मतलब रहिस?

वो ह बताथें, “वो बखत मद्रास मं दूइच ठन मेन पार्टी रहिस. कांग्रेस अऊ जस्टिस पार्टी. चुनाव चिन्ह के जगा मतपेटी के रंग ले पार्टी के पहिचान होवत रहिस. कांग्रेस, जेकर बर हमन वो बखत परचार करे रहेन, वोला एक ठन पिंयर बक्सा देय गे रहिस. जस्टिस पार्टी ला पच्चई पेटी (हरा बक्सा) देय गे रहिस. वो बखत येकरे ले वोटर ला ये चिन्हे मं सुभीता होवत रहिस के वो ह कऊन पार्टी के समर्थन करथे.”

अऊ हव, वो बखत घलो चुनाव मन मं बेंच अकन रंग नजर मं आवय अऊ नाचा होवत रहिस. द हिंदू लिखथे के 'देवदासी प्रचारक तंजवुर कमुकन्नमल.. सब्बो वोटर ला को 'सुंघनी के डब्बा’ मं वोट डारे ला उचकावय! वो बखत  सुंघनी (माखुर) के डब्बा सुनहरा धन पिंयर रंग के होवत रहिस. द हिंदू ह घलो अपन पढ़ेइय्या मन ला ‘पिंयर बाक्स ला भरव’ नांव ले खबर लगाय रहिस.

नल्लकन्नु  कहिथें, “मंय सिरिफ 12 बछर के रहेंव, येकरे सेती वोट डारे नइ सकंय. फेर मंय परचार मं बढ़-चढ़ के हिस्सा लेंय. तीन बछर बाद, वो ह चुनाव ले अलग राजनीतिक अभियान मं घलो सामिल होय लगिस. अऊ “ पराई [ एक किसम के ढोल] बजाय अऊ नारा लगाय लगिस.”

Nallakannu with T. K. Rangarajan, G. Ramakrishnan and P. Sampath of the CPI(M). Known as ‘Comrade RNK’, he emerged as a top leader of the Communist movement in Tamil Nadu at quite a young age
PHOTO • PARI: Speical arrangement

सीपीआई(एम) के टी. के. रंगराजन, जी. रामकृष्णन अऊ पी. संपत के साथ नल्लकन्नू.‘कॉमरेड आरएनके’ के नांव ले मशहूर, वो ह कम उमर मं तमिलनाडु मं कम्युनिस्ट आंदोलन के बड़े नेता के रूप मं आगू आइस

वइसे, वो ह अब कांग्रेस के समर्थन नइ करत रहिस. अपन संगवारी मन के ‘कॉमरेड आरएनके’ मतलब नल्लकन्नु कहिथें, “मंय 15 बछर के उमर मेंच भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी [सीपीआई] ले जुड़ गे रहेंव.” वोला बालिग होय तक ले पार्टी के सदस्यता मिले ला अहोरे ला परिस. फेर आरएनके अवेइय्या कुछु दसक मं तमिलनाडु मं कम्युनिस्ट आंदोलन के सबले बड़े चेहरा मन ले एक होके आगू आइस. अब वो ह लोगन मन ला सेंगोडी (लाल झंडा) के समर्थन करे बर कहय, न के मंजाल पेटी के. वो ह ये मं अक्सर सफल घलो हवय.

*****

“तिरुनेलवेली मं जऊन कोती हमन रहत रहेन, उहाँ सिरिफ एक स्कूल रहिस अऊ लोगन मन वोला बस ‘स्कूल’ कहत रहिन. ओकर इहीच नांव रहिस.”

नल्लकन्नु,, चेन्नई मं अपने घर मं बने नान-कन आफिस मं बइठे हमर ले गोठियावत हवंय. ओकर बगल मं. ओकर टेबल के साइडबोर्ड मं कतको सारा नान-नान मूर्ति अऊ छोटे मूर्ति मन रखाय हवंय. ओकर ठीक बगल मं लेनिन, मार्क्स अऊ पेरियार के मूर्ति मन हवंय. ओकर पाछू आंबेडकर के सुनहरा रंग के एक ठन नान-कन मूर्ति हवय, जेन ह तमिल क्रांतिकारी कवि सुब्रमण्यम भारती के एक बड़े रेखाचित्र के आगू रखाय हवय. पेरियार के नान कन मूर्ति के पाछू एक ठन अऊ रेखाचित्र रखाय हवय, जेन मं भगत सिंह, राजगुरु अऊ सुखदेव एके संग हवंय. अऊ ये सब्बो के आगू एक ठन कैलेंडर टंगाय हवय, जेन ह हमन ला कहत हवय के ‘पानी कम से कम बऊरो.’

ये जम्मो जिनिस एक नजर मं नल्लकन्नू के सोच-बिचार के इतिहास ला आगू रख देथे. ये तीसर पईंत आय, जब हमन ओकर ले भेंटघाट करत हवन. ये साल 2022 के 25 जून आय. येकर पहिली ओकर संग साल 2019 मं भेंटघाट होय रहिस.

नल्लकन्नु कहिथे, “भरतियार मोला सबले जियादा प्रेरणा देवेइय्या कवि लागथे. फेर ओकर कविता अऊ गीत मन के उपर अक्सर रोक लगा देय जावत रहिस.” वो ह ओकर एक ठन असाधारन गीत 'सुतंतिरा पल्लु' (आजादी के गीत) के कुछु पांत ला बताथें. वो ह कहिथें, “जिहां तक ले मोला सुरता हवय, ये गीत ला वो ह 1909 मं लिखे रहिस. त वो ह 1947 मं भारत के आजाद होय लके पहिलीच आजादी के जसन मनावत रहिस!”

हमन नाचबो, हमन गाबो
काबर के हमन आजादी के खुसी पा लेन
वो बखत गीस जब बामन ला ‘महाराज’ कहे ला परय
वो बखत गीस जब अंगरेज ला ‘मालिक’ कहे ला परय
वो बखत गीस जब चोट्टा के पाँव परे ला परय
वो बखत गीस जब निपोरी कहेइय्या के सेवा परे ला परय
अब हरेक कोनहा मं चाह हवय आजादी के...

The busts, statuettes and sketches on Nallakanu’s sideboard tell us this freedom fighter’s intellectual history at a glance
PHOTO • P. Sainath

नल्लकन्नु के साइडबोर्ड के नान-नान मूर्ति, छोटे मूर्ति मन अऊ रेखाचित्र हमन ला एक नजर मं ओकर सोच-बिचार के इतिहास ला आगू रख देथे

नल्लकन्नु के जन्मे के चार बछर पहिली, साल 1921 मं भारती गुजर गे रहिस. वो ह ये गीत त ओकर ले बनेच पहिली लिखे रहिस. फेर ओकर ये गीत अऊ दीगर कविता मन नल्लकन्नू ला ओकर लड़ई के बखत मं रद्दा दिखाइस. जब वो ह 12 बछर के घलो नइ होय रहिस, आरएनके ला भारती के कतको गीत अऊ कविता सुरता होगे रहिस. वोला आज घलो कुछु छंद अऊ गीत के बोल आखर के आखर सुरता हवंय. वो ह कहिथें, “मंय वो मन ले कुछु ला स्कूल मं हिंदी के पंडित पल्लवेसम चेट्टियार ले सीखे रहेंव.” अऊ हव, ओकर कऊनो घलो कविता स्कूल के किताब मं नइ रहिस.

“जब एस सत्यमूर्ति स्कूल मं आय रहिस, त वो ह घलो मोला भरतियार के लिखे एक ठन किताब देय रहिस, ये ओकर कविता संग्रह तेसिया गीतम रहिस.” सत्यमूर्ति स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ अऊ कला संरक्षक रहिस. भारती, रूस मं 1917 मं होय अक्टूबर क्रांति के समर्थन करेइय्या सुरु के लोगन मन मं एक झिन रहिस. वो ह येकर प्रशंसा मं एक ठन गीत घलो लिखे रहिस.

भारती उपर नल्लकन्नू के मया अऊ अस्सी बछर तक ले खेती अऊ मजूर मन के सेती लड़े, नल्लकन्नू ला समझे मं सुभीता जान परथे.

नइ तो, ‘कॉमरेड आरएनके’ के कहिनी ला बताय सही मं मुस्किल आय. मंय अब तक ले जतक लोगन ले मिले हवं वो मन मं सबले लजकुरहा आंय. वो ह जतक आसानी ले एतिहासिक घटना, आन्दोलन अऊ लड़ई के बारे मं हमन ला बताथें, ओतकेच सिधवा मइनखे बनके अपन आप ला ये सबके श्रेय लेगे ले इंकार कर देथें. वइसे, वो ह कुछु घटना अऊ आन्दोलन मं महत्तम अऊ बड़े भूमका निभाय रहिस. फेर वो ह कभू घलो ये सब्बो जिनिस के बारे मं बात करत अपन आप ला बीच मं नइ रखय.

जी. रामकृष्णन कहिथे, “कॉमरेड आरएनके हमर राज मं किसान आंदोलन के संस्थापक नेता मं ले एक रहिस. ‘जीआर’, सीपीआई (एम) के राज्य कार्यकारिणी के सदस्य आंय. 97 बछर के ये सीपीआई नेता के भूमका अऊ समाज मं ओकर योगदान माने के लइक हवय. अपन जवानी ले अब तक ले, दशकों ले वो ह श्रीनिवास राव के संग मिलके जम्मो राज मं किसान सभा बनाय रहिस. ये सभा मन आज घलो वामपंथ के मजबूती के नींव बने हवंय. अऊ जम्मो तमिलनाडु मं येला बनाय सेती नल्लकन्नु ह भारी मिहनत करिस अऊ जम्मो तमिलनाडु मं कतको अभियान अऊ आंदोलन करिस.”

नल्लकन्नु ह भारी मिहनत करके किसान मन के लड़ई ला उपनिवेश-विरोधी आंदोलन ले जोड़िस.येकर छोड़, वो ह ये आन्दोलन ला वो बखत तमिलनाडु के सबले बड़े लड़ई मन ले एक, सामंतवाद-विरोधी लड़ई के संग जोड़ दीस. साल 1947 के बाद घलो सामंतवाद के समस्या बने रहिस. वो ह तब ले घलो ओकर खिलाफ लड़त रहिस, अऊ आज घलो लड़त हवय. अऊ हर किसम के आजादी सेती लगे हवय. सिरिफ अंगरेज राज ले आजादी हासिल करे ओकर लड़ई नइ रहिस.

Left: Nallakannu with P. Sainath at his home on December 12, 2022 after the release of The Last Heroes where this story was first featured .
PHOTO • Kavitha Muralidharan
Right: Nallakannu with his daughter Dr. Andal
PHOTO • P. Sainath

डेरी: 12 दिसंबर , 2022 मं द लास्ट हीरोज के रिलीज होय के बाद पी. साईनाथ के संग नल्लकन्नू, जिहां ये कहिनी पहिली बेर छपे रहिस. जउनि: नल्लकन्नू अपन बेटी डॉ. अंडाल के संग

“हमन रतिहा मं ओकर मन ले लड़न, वो मन के उपर पथरा फेंकन. इहीच हमर हथियार रहिस अऊ इहीच ले वो मन ला खदेड़ देवन. कभू कभू त जमके मारपीट घलो हो जावय. 1940 के सड़क मं होय विरोध प्रदर्सन बखत, त अइसने कतको बेर होईस. हमन वो बखत अपन जवानी मं रहेन अऊ वो मन ले लड़ेन. हमन दिन रात अपन हथियार के संग वो मन ले लड़ेन!”

काकर ले लड़ेव? अऊ वो मन ला कहाँ ले भगायेव?

वो ह कहिथे, मोर शहर के तीर उप्पलम [नून के खेत] ले. नून के सब्बो खेत अंगरेज मन के कब्जा मं रहिन. उहाँ के मजूर मन के हालत भारी खराब रहिस, ठीक मिल मजूर मन के जइसनेम जिहां दशकों पहिली लड़ई सुरू होगे रहिस.विरोध-प्रदर्सन होवत रहय अऊ वो मन ला जनता के भारी दया-मया मिले रहिस.

“फेर ये सबके बीच मं,पुलिस ह नून खेत के मालिक मन के दलाली करिस. एक बेर आमना सामना मं एक झिन सब इंस्पेक्टर के जान चले गीस. इहाँ तक के लोगन मन थाना मं घलो धावा मार दीन. येकर बाद, गस्ती पुलिस बनाय गीस. वो ह दिन मं नून खेत मन मं जावय अऊ रतिहा मं हमर गाँव के तीर-तखार मं डेरा डार लेवय. अऊ अइसने मं हमर वो मन के संग झड़प हो जावय.” ये विरोध-प्रदर्सन अऊ झड़प कुछेक बछर धन ओकर ले जियादा बखत तक ले चलत रहिस. “फेर, 1942 के करीब अऊ भारत छोड़ो आन्दोलन के सुरू होतेच वो मं तेजी आ गीस.”

Despite being one of the founders of the farmer's movement in Tamil Nadu who led agrarian and working class struggles for eight long decades, 97-year-old Nallakannu remains the most self-effacing leader
PHOTO • PARI: Speical arrangement
Despite being one of the founders of the farmer's movement in Tamil Nadu who led agrarian and working class struggles for eight long decades, 97-year-old Nallakannu remains the most self-effacing leader
PHOTO • M. Palani Kumar

तमिलनाडु मं किसान आंदोलन के संस्थापक मन ले एक होय के बाद घलो, जऊन ह 80 बछर तक किसान अऊ मजूर लोगन के लड़ई के अगुवई करिस, 97 बछर के नल्लकन्नू सबले विनम्र नेता बने हवंय

किशोर उमर मं नल्लकन्नु के ये आंदोलन मन मं भाग लेय ओकर ददा रामासामी तेवर ला पसंद नइ रहिस. तेवर करा  4-5 एकड़ ज़मीन रहिस अऊ ओकर छै झिन लइका रहिन. किसोर आरएनके ला घर मं अक्सर सज़ा मिलय. अऊ कभू-कभू ओकर ददा ओकर स्कूल फीस भरे ले मना कर देवय.

“लोगन मन ओकर ले कहेंव- तोर लइका पढ़त नइ ये? वो हमेसा बहिर रहिथे अऊ हल्ला मचाथे. अइसने लगथे के वो ह तोर हाथ ले निकर गे हे अऊ कांग्रेस मं सामिल होगे हवय. हरेक महिना 14 ले 24 तारीख के बीच मं ‘स्कूल’ मं फीस भरे जावत रहिस. गर मंय ओकर ले फ़ीस मांगंव, त वो ह मोर उपर नरियावय अऊ कहय; “तंय अपन पढ़ई छोड़ दे अऊ खेत मं अपन कका मन के हाथ बंटा.”

“जइसने-जइसने फ़ीस भरे के बखत नजीक आवय, मोर ददा के कोनो न कोनो करीबी वोला मना लेवय अऊ वोला भरोसा देवंय के अब मंय सुधर जाहूँ अऊ पहिली जइसने काम नइ करंव, तब कहूँ जाके वो ह मोर फीस भरय.”

वइसे, “वो ह जतक मोर रहे के तरीका के विरोध करिस, ओकर संग मोर मतभेद जियादा बढ़त गे. मंय मदुरई के द हिंदू कॉलेज ले तमिल मं इंटरमीडिएट तक ले पढ़ेंव. ये कालेज ठीक तिरुनेलवेली जंक्शन तीर रहिस, फेर येला हिंदू कालेज कहे जावत रहिस. मंय इहाँ सिरिफ दू बछर तक ले पढ़ई करेंव येकर बाद पढ़ई छोड़ देंय.”

काबर के वो ह जम्मो बखत विरोध-प्रदर्सन मं लगे रहय. वइसने त वो ह येकर श्रेय ले नइ चाहय, फेर ये कहे गलत नइ होही के वो ह अइसने विरोध प्रदर्सन के अगुवई करे सुरू कर देय रहिस. आरएनके तेज़ी ले एक जवान नेता के रूप मं उभरत रहिस. फेर वो ह अपन बर खुद होके कभू बड़े पद के मांग नइ करिस अऊ जिहां तक ले हो सके येकर ले बांचत रहय.

The spirit of this freedom fighter was shaped by the lives and writings of Lenin, Marx, Periyar, Ambedkar, Bhagat Singh and others. Even today Nallakannu recalls lines from songs and poems by the revolutionary Tamil poet Subramania Bharti, which were often banned
PHOTO • PARI: Speical arrangement
The spirit of this freedom fighter was shaped by the lives and writings of Lenin, Marx, Periyar, Ambedkar, Bhagat Singh and others. Even today Nallakannu recalls lines from songs and poems by the revolutionary Tamil poet Subramania Bharti, which were often banned
PHOTO • PARI: Speical arrangement

ये स्वतंत्रता सेनानी के मन मं लेनिन, मार्क्स, पेरियार, अंबेडकर, भगत सिंह अऊ दिगर लोगन मन के जिनगी अऊ लिखे के असर परे रहिस. आज घलो नल्लकन्नू क्रांतिकारी तमिल कवि सुब्रमण्यम भारती के गीत अऊ कविता मन ला सुरता करथें, जेकर मन के उपर रोक लगाय जावत रहिस

वो ह जऊन घटना अऊ आन्दोलन मन मं सामिल रहिस वो सब्बो उपर बखत के हिसाब ले देखे मुस्किल आय. अऊ येकर सबले बड़े कारन ये आय के वो ह अतक मोर्चा अऊ अलग-अलग आन्दोलन मं हिस्सा लेगे रहिस जेकर आंकड़ा बनेच जियादा हवय.

वो ह आजादी के लड़ई के बखत के सबले महत्तम बखत ला खुदेच बताथे: “भारत छोड़ो आंदोलन के लड़ई.” वो बखत वो ह 17 बछर के घलो नइ होय रहिस, फेर विरोध-प्रदर्सन मं महत्तम भूमका निभावत रहिस. करीब 12 ले 15 बछर के उमर के बीच के बखत ह ओकर कांग्रेसी ले कम्युनिस्ट बने के बखत रहिस.

तुमन कइसने किसम के विरोध सभा बलाय मं मदद करेव धन वो मं सामिल होय?

सुरू मं, “हमर करा टीन ले बने पोंगा रहिस. हमन कऊनो गाँव धन बस्ती मं कहूँ घलो टेबल-कुर्सी लगा देवन अऊ गाये ले सुरू कर देवन. टेबल ला पोंगा ला रखे अऊ लोगन मन ला कहे सेती काम मं लावत रहेन. मंय तुमन ला बतावंव के लोगन मन के भीड़ लाग जावय.” एक पईंत अऊ, नल्लकन्नू ह लोगन मन ला जोरे के अपन भूमका ला जियादा नइ बताईस. वइसे, ये ह ओकर जइसने जमीनी लड़ाका सेतीच ये ह होय सकत रहिस.

“लोगन मनके जुरे के बाद, जीवनंदम जइसने बोलेइय्या वो टेबल मं खड़े होके भासन देवय. अऊ येकर बर वोला माइक के जरूरत नइ परत रहिस.

“अवेइय्या बखत, हमन ला बढ़िया माइक अऊ लाउडस्पीकर मिले लगिस. ये सब्बो मं हमर पसंद माइक रहिस, “जेन ला लोगन मन ‘शिकागो माइक’ धन ‘शिकागो रेडियो सिस्टम’ बोलत रहिन. हव, फेर हमन अक्सर येकर खरचा उठाय नइ सकत रहेन.”

RNK has been a low-key foot soldier. Even after playing a huge role as a leader in many of the important battles of farmers and labourers from 1940s to 1960s and beyond, he refrains from drawing attention to his own contributions
PHOTO • M. Palani Kumar
RNK has been a low-key foot soldier. Even after playing a huge role as a leader in many of the important battles of farmers and labourers from 1940s to 1960s and beyond, he refrains from drawing attention to his own contributions
PHOTO • M. Palani Kumar

आरएनके शांत सुभाव वाले जमीनी लड़ाका रहे हवय. 1940 ले 1960 के दसक अऊ ओकर बाद किसान अऊ मजूर मन के कतको महत्तम लड़ई मं अगुवई करके बड़े भूमका निभाय के बाद घलो, वो अपन योगदान ला सबके नजर मं लाये ला बांचत रहिथें

अंगरेज मन आंदोलन ला दबाय बर कड़ा कार्रवाई  करंय, त वो बखत लोगन मन ले गोठ-बात कइसने करव?

“अइसने हालत कतको बेर बनिस, जइसने के रॉयल इंडियन नेवी [आरआईएन] बगावत [1946] के बाद, कम्युनिस्ट मन के उपर नकरस्सी पूरा कस देय गीस, फेर पहिली घलो छापा परत रहिस.कभू-कभू अंगरेज मन गाँव के पार्टी के हरेक दफ्तर के तलासी लेवत रहिन. आजादी के बाद घलो अइसने होईस, जब पार्टी उपर रोक लगा देय गे रहिस. हमन पत्रिका अऊ अखबार निकारत रहेन. जइसने जनशक्ति. फेर हमर करा अपन बात एक दूसर तक पहुंचाय के कतको दीगर तरीका घलो रहिस. अऊ वो मन ले कुछु त सदियों जुन्ना रहिस.

“कट्टबोम्मन [अट्ठारहवीं सदी के महान अंगरेज विरोधी सेनानी] के बखत ले लोगन मन घर के मुहटा मं लीम के डारा टांगत रहिन. ये ह एक ठन आरो रहिस के कऊनो चेचक धन दीगर बीमारी वाले हवय. संगे संग, ये ह गुपत आरो सेती बऊरे जावत रहिस के उहाँ कऊनो बइठका चलत हवय.

‘गर घर के भीतरी ले कऊनो लइका के रोय के आवाज आय, त येकर मतलब होवत रहिस के बइठका अभू घलो चलत हवय, गर घर के मुहटा मं गोबर परे होय, त ले घलो ओकर इहीच मतलब रहय के बइठका अभू घलो चलत हवय, गर गोबर सूक्खा रहय, त ओकर मतलब रहिस के तीर ताखर मं खतरा हवय अऊ इहाँ ले दूरिहा भाग जाव, धन बइठका अब सिरागे हवय.’

आरएनके बर, अजादी के लड़ई बखत सबले बड़े प्रेरणास्रोत काय रहिस?

‘कम्युनिस्ट पार्टी ह प्रेरणा के सबले बड़े स्रोत रहिस.’

Nallakannu remained at the forefront of many battles, including the freedom movement, social reform movements and the anti-feudal struggles. Being felicitated (right) by comrades and friends in Chennai
PHOTO • PARI: Speical arrangement
Nallakannu remained at the forefront of many battles, including the freedom movement, social reform movements and the anti-feudal struggles. Being felicitated (right) by comrades and friends in Chennai
PHOTO • PARI: Speical arrangement

नल्लकन्नू आजादी के लड़ई, सामाजिक सुधार आंदोलन अऊ सामंतवाद विरोधी लड़इ समेत कतको लड़ई मं सबले आगू मं रहेंव.   चेन्नई मं कामरेड अऊ संगवारी मन के डहर ले सम्मानित होवत (जउनि)

*****

‘जब मोला गिरफ्तार करे गीस, त मंय अपन मूंछ काबर मुंडवा लेंय?’ आरएनके हाँसथे.‘ मंय कभू अइसने नइ करे रहेंव. अऊ न कभू अपन चेहरा ला छिपाय सेती मूंछ रखेंव. गर येकर ले चेहरा लुका जातिस, त मंय काबर रखतेंव?

‘पुलिस ह येला सिगरेट ले जरा देय रहिस. मद्रास के एक झिन इंस्पेक्टर कृष्णमूर्ति ह मोर उपर जुलुम करत जराय रहिस. रतिहा के 2 बजे वो ह मोर हाथ मन ला बांध दीस अऊ बिहनिया 10 बजे खोलिस. ओकर बाद वो ह मोला ठेंगा ले भारी मारे रहिस.’

एक पईंत अऊ, दूसर स्वतंत्रता सेनानी जइसने, वो ह ये घटना ला बिन रार के सुरता करिस. वो इंस्पेक्टर उपर ओकर मन मं कउनो बैर नइ रहिस. आरएनके ह त उन दिन के बदला लेगे बर कभू वो इंसपेक्टर ला नइ खोजिस. ओकर मन मं अइसने करे के बिचार घलो तक नइ आइस.

वो ह सुरता करत कहिथे, ‘असल मं ये घटना भारत ला आजादी मिले के बाद, 1948 मं होय रहिस. मद्रास समेत कतको राज मं हमर पार्टी उपर रोक लगा देय गे रहिस अऊ 1951 तक अइसनेच चलत रहिस.’

Nallakannu remains calm and sanguine about the scary state of politics in the country – 'we've seen worse,' he tells us
PHOTO • M. Palani Kumar

नल्लकन्नू देश मं राजनीति के भयंकर हालत ला लेके शांत अऊ आस ले भरे हवंय – वो ह हमन ला बताइस के ‘हमन येकर ले घलो खराब बखत देखे हवन’

‘फेर तुमन ला ये समझे ला परही के सामन्तवाद विरोधी लड़ई रहिस, जेन ह सिरोय नइ रहिस. ओकर दाम हमन ला भरे ला परिस. ये ह 1947 के बनेच पहिली सुरु होगे रहिस अऊ आजादी मिले के बाद घलो चलत रहिस.

‘आजादी, सामाजिक सुधार, सामंतवाद विरोधी लड़ई – हमन ये मुद्दा मन ला एक संग उठायेन. ये किसिम ले हमन अपन आन्दोलन ला चलायेन.’

हमन बढ़िया अऊ समान तनखा सेती घलो लड़े रहेन. हमन छुआछूत ला खतम करे बर लड़े रहेन. हमन मन्दिर भीतरी जाय देय सेती होवेईय्या आन्दोलन मं बड़े भूमका निभाय रहेन.

‘जमींदारी रिवाज ला खतम करे के अभियान तमिलनाडु के बड़े आन्दोलन रहिस. राज मं कतको बड़े जमींदारी रहिस. हमन मिरासदारी [ पुरखा के वसीयत मं मिले जमीन] अऊ ईनामदारी [राज करेइय्या मन मइनखे धन संस्था मन ला फोकट मं देय जमीन] के चलन के खिलाफ लड़ई लड़ेन. कम्युनिस्ट मन ये लड़ई मं सबले आगू रहिन. हमर आगू बड़े बड़े जमींदार रहिन अऊ वो मन के संग हथियार धरे गुंडा अऊ ठग रहिस.

‘पुन्नियूर सांबशिव अय्यर, नेडुमनम सामियप्पा मुतलियार, पूंडि वांडियार जइसने जमींदार रहिन, जेकर मन करा हजारों एकड़ धनहा जमीन रहिस.’

हमन इतिहास के एक ठन मजेदार क्लास मं बइठे हवन. अऊ एक झिन अइसने मइनखे ले गोठियावत हवन, जेन ह वो इतिहास बनाय मं अपन भूमका निभाय रहिस.

PHOTO • PARI: Speical arrangement

'आजादी, सामाजिक सुधार, सामंतवाद विरोधी लड़ई – हमन ये मुद्दा मन ला एक संग उठायेन. हमन बढ़िया अऊ समान तनखा सेती घलो लड़े रहेन. हमन छुआछूत ला खतम करे बर लड़े रहेन. हमन मन्दिर भीतरी जाय देय सेती होवेईय्या आन्दोलन मं बड़े भूमका निभाय रहेन'

संगे संग, समाज मं ब्रह्मतेयम अऊ देवतानम के सदियों जुन्ना रिवाज घलो चलन मं रहिस.’

‘ब्रह्मतेयम मं राज करेइय्या मन बाम्हन मन ला मुफत मं जमीन देय रहिन. वो मन राज करिन अऊ जमीन के फायदा लेगिन. वो मन खुद खेती करत नइ रहिन, फेर फायदा उहिच मन ला मिलत रहय. देवतानम मं, मन्दिर मन ला जमीन भेंट करे जावत रहिस, कभू-कभू मन्दिर मन ला गाँव के गाँव नेंग मं देय जावत रहिस. छोटे कमेइय्या अऊ मजूर वो मन के दया मं जींयत रहिन, जऊन घलो वो मन के खिलाफ होवय वो मन ला बेदखल करे जावत रहिस.

‘जान लेवव, ये मठ मन्दिर मन करा छै लाख एकड़ जमीन रहिस. हो सकत हे अभू घलो होय. फेर लोगन मन के निडर लड़ई ह वो मन के ताकत ला बनेच कम कर देय हवय.

“तमिलनाडु ज़मींदारी उन्मूलन अधिनियम 1948 मं लागू होइस, फेर जमींदार अऊ बड़े जमीन मालिक मन ला मुआवजा देय गीस. वो लोगन मन ला कुछु नइ मिलिस जेन मन खेती करे रहिन. सिरिफ बड़े किसान मन ला मुआवजा मिलिस. खेती करेइय्या गरीब के हाथ कुछु नइ आइस. साल 1947-49 के बीच, ये मन्दिर मन ला मिले जमीन ले, बनेच अकन लोगन मन ला बेदखल कर देय गीस. येकर खिलाफ हमन भारी विरोध-प्रदर्सन करेन जेकर नारा रहिस: ‘किसान करा होही जमीन, तभे घर मं आही खुशहाली.’

“ये हमर लड़ई रहिस. साल 1948 ले 1960 तक अपन हक सेती लड़ई चलत रहय. सी राज गोपालाचारी [राजाजी] ह मुख्यमंत्री के रूप मं जमींदार अऊ मठ मन्दिर के संग दीस. हमन कहेन, ‘जमीन खेती करेइय्या’ ला मिलय. राजाजी कहिस के जमीन ओकर हवय जेकर करा कागजात हवय. फेर हमन अपन लड़ई ले ये मन्दिर अऊ मठ के ताकत ला दबोच लेन. हमन ओकर मन के फसल बांटे के नियम-कायदा ला नइ मानेन. हमन वो मन के गुलाम बने ले इंकार कर देन.

“अऊ हव, ये जम्मो लड़ाई ला समाजिक लड़ई ले अलग नइ देखे जा सकत रहिस.

मोला सुरता हवय एक दिन रतिहा मं मन्दिर मं मंय विरोध प्रदर्सन देखेंव, मन्दिर मं रथ तिहार होवत रहिस. अऊ किसान मनेच रस्सी ले रथ ला खिंचेंव. हमन कहेन के गर मन्दिर मं जाय के हक नइ मिलही, त वो मन  कहूँ घलो रथ खींचे ला नइ जावंय. संगे संग, हमन बोये सेती कुछु अनाज मिले के अपन हक ला घलो मांगे रहेन.”

R. Nallakannu accepted the government of Tamil Nadu's prestigious Thagaisal Thamizhar Award on August 15, 2022, but immediately donated the cash prize of Rs. 10 lakhs to the Chief Minister’s Relief Fund, adding another 5,000 rupees to it
PHOTO • M. Palani Kumar
R. Nallakannu accepted the government of Tamil Nadu's prestigious Thagaisal Thamizhar Award on August 15, 2022, but immediately donated the cash prize of Rs. 10 lakhs to the Chief Minister’s Relief Fund, adding another 5,000 rupees to it
PHOTO • P. Sainath

आर. नल्लकन्नू ह 15 अगस्त, 2022 मं तमिलनाडु सरकार के प्रतिष्ठित थगैसल थमिझार पुरस्कार स्वीकार करिस, फेर तुरतेच 10 लाख रूपिया नगद पुरस्कार के संग अपन डहर ले 5 हजार रूपिया मिलाके मुख्यमंत्री राहत कोष मं दान कर दीस

अब वो ह अपन कहिनी मं अजादी ले पहिली अऊ बाद के बखत ला बताय लगे हवय. एक डहर, येकर ले भोरहा घलो होय सकथे. दूसर डहर, वो बखत के जटिलता घलो आगू मं आथे. जइसने के बनेच अकन बात मं अजादी के जरूरत रहिस. ये मन ले कुछु आन्दोलन कब सुरु होय रहिस कोनो नइ जानय, अऊ ये ह कब सिरोही तय घलो मालूम नइ ये. अऊ आरएनके जइसने लड़ाका सब्बो मोर्चा मं आजादी खोजत लड़त रहय.

“वो बखत हमन, मजूर मन के पिटाई अऊ जुलुम के खिलाफ घलो लड़त रहेन.

साल 1943 मं घलो दलित मजूर मन ला कोड़ा मारे जावत रहिस, अऊ ओकर बाद जखम मं पानी मं गोबर घोल के डार देवत रहिन. वो मन ला कुकुरा बासा जाग के 4 धन 5 बजे बूता करे जाय ला परत रहिस. वो मन ला मवेसी मन ला धोये, गोबर संकेले अऊ ओकर बाद पानी पलोय बर मिरासदार मन के खेत मं जाय ला परय. वो बखत तंजवुर जिला मं बसे तिरुतुरईपूंडी के तीर एक ठन गाँव मं हमन वो मन बर विरोध प्रदर्सन करे रहेन.

“श्रीनिवास राव के अध्यक्षता मं किसान सभा ह बड़े अकन विरोध प्रदर्सन आयोजित करे रहिस. बिचार कुछु अइसने रहिस के ‘गर वो मन तुमन ला लाल झंडा धरे ले मारथें, त तुमन घलो ओकर जुवाब देवव.’ आखिर मं तिरुतुरईपूंडी के मिरासदार अऊ मुदलियार मन एक ठन करार मं दसखत करिन के अब कोड़ा मारे, घाव मं गोबर पानी डारे अऊ दीगर कऊनो जुलुम नइ करंय.”

आरएनके ह साल 1940 ले लेके 1960 के दसक तक अऊ ओकर बाद घलो ये बड़े आन्दोलन मन मं अपन महत्तम भूमका निभाय रहिस. वो ह तमिलनाडु मं अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) के मुखिया के रूप मं श्रीनिवास राव के जगा लीन. साल 1947 के बाद के दसक मन मं, ये पैदल लड़ाका, किसान-मजूर मन के आन्दोलन मं एक ठन मजबूत सेनापति बनके आगू मं आइस.

*****

वो दूनों उछाह अऊ भाव ले भरे हवंय. हमन इंटरव्यू लेगे बर, माकपा नेता अऊ स्वतंत्रता सेनानी एन. शंकरैया के घर मं हवन. मतलब हमन एन. शंकरैया अऊ नल्लकन्नु दूनों ले एके संग गोठ बात करत हवन. आठ दसक ले लड़ई मं संगवारी रहे दूनों कामरेड एक दूसर ले जइसने मिलथें ओकर ले खोली मं रहे आन लोगन मन घलो भाव मं भर गीन.

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80 बछर ले काम करत 97 बछर के नल्लकन्नू अऊ 101 बछर के कॉमरेड शंकरैया ह 60 बछर पहिली भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के दू हिस्सा होय के बाद भले अपन रद्दा अलग-अलग कर लेंय होंय, फेर वो मन आजादी अऊ नियाव सेती लड़ई ला एक होके लड़े रहिन

हमन वो मन ले पूछेन के 60 बछर पहिली जब भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ह दू हिस्सा होगे, त दूनों अलग-अलग रद्दा मं निकर परेव. काय दूनों के मन मं एक-दूसर उपर कऊनो दुख नइ होईस? आखिर ये बंटवारा बने ढंग ले नइ होय रहिस.

नल्लकन्नु कहिथें, “फेर हमन ओकर बाद घलो कतको मुद्दा अऊ आन्दोलन मं संग मिलके काम करेन. पहिली के जइसनेच. एक-दूसर मं हमर बेवहार नइ बदलिस.”

शंकरैया कहिथें, “अभू घलो जब हमन मिलथन, जइसने एकेच पार्टी के हवन.”

हमन ओकर ले पूछेन के ये बखत देश मं बढ़त दंगा फसाद अऊ नफरत ला लेके ओकर काय बिचार हवंय? काय वोला देस के अस्तित्व उपर खतरा मंडरावत नजर आवत हे? आखिर बात वो देस के आय कें ला आजादी दिलाय मं ओकर घलो भागीदारी रहे हवय.

नल्लकन्नू कहिथे, “आजादी के लड़ई बखत अइसने घलो बखत आय रहिस, जब चीज मन धुंधला नजर आवत रहिन. हमन ले कहे गे रहिस के तुमन जीते नइ सकव. तुमन दुनिया के सबले बड़े राज के खिलाफ लड़त हव. हमन ले कुछेक के घर के लोगन मन हमन ला ये लड़ई ले दूरिहा रहे बर चेताय रहिन. फेर हमन कभू वो चेताय अऊ धमकाय ला मन मं नइ रखेन अऊ लड़ेंन, येकरे सेती हमन आज आजाद हवन.”

दूनों के कहना आय के  पूरा देस भर मं बड़े एकता बनाय के जरूरत हवय. जेकर ले बीते बखत जइसने एक दूसर के हाथ ला धर सकंय अऊ दूसर ले सीखे सकंय. आरएनके कहिथे, “जिहां तक ले मोला सुरता हवय, ईएमएस  [नंबूदिरीपाद] के खोली मं घलो गांधी के फोटू लगे रहिस.”

देस के ये बखत के हालत ला जानत घलो वो दूनों अतक धीर अऊ आस ले भरे कइसने हंवय, फेर हम जइसने लाखों करोड़ों लोगन मन ओकर ले डेर्राय हवन? नल्लकन्नू अपन खांध ला उचकावत कहिथे, “हमन येकरे ले घलो खराब बखत देखे हवन.”

आखिर मं:

स्वतंत्रता दिवस, 2022 मं जऊन बखत तक द लास्ट हीरोज: फुटसोल्जर्स ऑफ इंडियन फ्रीडम पहिलीच ले छपे बर जाय चुके रहिस, तमिलनाडु सरकार ह आरएनके ला थगैसल थमिझार पुरस्कार ले सम्मानित करिस. ये ह तमिलनाडु के सबले बड़े सम्मान आय, जेन ला साल 2021 मं स्थापित करे गे रहिस, जऊन ला राज अऊ तमिल समाज बर अपन बड़े योगदान देवेइय्या प्रतिष्ठित मइनखे ला देय जाथे. 10 लाख रूपिया नगद पुरस्कार के संग, येला फोर्ट सेंट जॉर्ज के प्राचीर मं मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन के हाथ ले आरएनके ला सौंपे गीस.

अनुवाद: निर्मल कुमार साहू

पी. साईनाथ पीपल्स अर्काईव्ह ऑफ रुरल इंडिया - पारीचे संस्थापक संपादक आहेत. गेली अनेक दशकं त्यांनी ग्रामीण वार्ताहर म्हणून काम केलं आहे. 'एव्हरीबडी लव्ज अ गुड ड्राउट' (दुष्काळ आवडे सर्वांना) आणि 'द लास्ट हीरोजः फूट सोल्जर्स ऑफ इंडियन फ्रीडम' (अखेरचे शिलेदार: भारतीय स्वातंत्र्यलढ्याचं पायदळ) ही दोन लोकप्रिय पुस्तकं त्यांनी लिहिली आहेत.

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Translator : Nirmal Kumar Sahu

Nirmal Kumar Sahu has been associated with journalism for 26 years. He has been a part of the leading and prestigious newspapers of Raipur, Chhattisgarh as an editor. He also has experience of writing-translation in Hindi and Chhattisgarhi, and was the editor of OTV's Hindi digital portal Desh TV for 2 years. He has done his MA in Hindi linguistics, M. Phil, PhD and PG diploma in translation. Currently, Nirmal Kumar Sahu is the Editor-in-Chief of DeshDigital News portal Contact: [email protected]

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