पानी के पीछे भागते क़र्ज़ के दलदल में फंसे किसान
आंध्रप्रदेश के अनंतपुर के बारे में यह रपट 20 साल पहले इसी माह में ‘द हिन्दू’ में छपी थी. पानी के गहराते संकट के साथ एक बार फिर से बड़ी संख्या में वाटर डिवाईनरों (धरती में पानी होने का अनुमान लगाने वाले लोग) और बोरवेल रिग मशीनों की सक्रियता के कारण में हम इस रपट को यहां फिर से प्रस्तुत कर रहे हैं
7 जुलाई, 2024 | पी. साईनाथ
किसानों के दिलों में हमेशा ज़िंदा रहेंगे एम. एस. स्वामीनाथन
डॉ. एम. एस. स्वामीनाथन (1925-2023) भारत के अग्रणी कृषि वैज्ञानिक थे. उनके योगदान का दायरा कृषि शोधों, नीतियों और योजनाओं तक फैला हुआ था जिसके तहत उन्होंने प्रस्तावित किया कि हमें कृषि में विकास को किसानों की आय में बढ़ोतरी के हिसाब से मापनी चाहिए, न कि सिर्फ़ बढ़ती उत्पादन-मात्रा से
3 अक्टूबर, 2023 | पी. साईनाथ
पुरुलिया की धरती से आज़ादी व मोहब्बत के गीत
आज़ादी की लड़ाई के दौरान लोकगीतों ने अर्थ की दृष्टि से एक नया आयाम हासिल किया था, क्योंकि ढोल बजाने वाले संदेशवाहकों व गायकों ने अपने गीतों के ज़रिए ब्रितानवी हुकूमत के ख़िलाफ़ विद्रोह का नारा बुलंद किया था
17 अगस्त, 2023 | पी. साईनाथ
‘मैं गांधी और आंबेडकर में से किसी एक को क्यों चुनूं?’
पारी 15 अगस्त, 2023 को अपने पाठकों के लिए शोभाराम गहरवार की कहानी लेकर आया है, जिन्हें आज़ादी की लड़ाई के दौरान अंग्रेज़ों ने गोली मारकर घायल कर दिया था. राजस्थान के दलित समुदाय से ताल्लुक़ रखने वाले 98 वर्षीय शोभाराम दादा ख़ुद को गांधीवादी बताते हैं, डॉ. आंबेडकर के पक्के प्रशंसक हैं, और भूमिगत क्रांतिकारियों के दल का हिस्सा भी थे. साल 2022 में पेंगुइन द्वारा प्रकाशित पी. साईनाथ की किताब 'द लास्ट हीरोज़, फुटसोल्जर्स ऑफ़ इंडियाज़ फ्रीडम' से एक अंश
15 अगस्त, 2023 | पी. साईनाथ
तोहफ़े देने वाले ठेकेदारों से होशियार!
झारखंड के गुमला ज़िले में तेतरा गांव की टेरेसा लकड़ा ने एक कड़वे अनुभव के बाद यह जाना कि किसी छोटी ग्राम पंचायत का सरपंच जब रसूखदार लोगों की इच्छा के ख़िलाफ़ जाता है, तो क्या हो सकता है
10 जुलाई, 2023 | पी. साईनाथ
विदर्भः भीषण गर्मी व सूखे से जूझते इलाक़े में वाटर पार्क की अश्लीलता
साल 2005 में छपी इस स्टोरी का सार सालों तक कक्षा 11 की पाठ्यपुस्तकों में पढ़ाया जाता रहा. लेकिन, अतीत को मिटा देने को आतुर हो चले इस दौर में, एनसीईआरटी ने 2023-24 के सत्र से ‘तर्कसंगत’ पाठ का हिस्सा रही इस स्टोरी को हटा दिया है. इसके उलट, फन एंड फूड विलेज आज भी मौजूद है
11 अप्रैल, 2023 | पी. साईनाथ
पुरुलिया के बाग़ी ठेलू महतो का कुआं
भारत की आज़ादी की लड़ाई लड़ने वाले स्वतंत्रता सेनानियों की तेज़ी से खोती जा रही अंतिम पीढ़ी के एक क्रांतिकारी ने 6 अप्रैल, 2023 की शाम पश्चिम बंगाल के पुरुलिया ज़िले में आख़िरी सांस ली
10 अप्रैल, 2023 | पी. साईनाथ
विविधता में ही एकता, विविधता में ही आनंद
अंतर्राष्ट्रीय अनुवाद दिवस के मौक़े पर, पारी के अनुवादकों की टीम विविधता से भरी उस दुनिया की तस्वीर पेश करती है जिसमें हम अपनी भाषाओं के सहारे जीते हैं और भाषाओं से परे जाकर भी उसे ख़ूबसूरत बनाने की कोशिश कर रहे हैं
30 सितंबर, 2022 | पी. साईनाथ
क्रांतिकारियों का पेट भरकर आज़ादी के आंदोलन को पोसने वाली भवानी महतो
भवानी महतो, जिनकी उम्र 101 साल से लेकर 104 वर्ष के बीच है, आज़ादी के आंदोलन में अपनी किसी भी भूमिका या भागीदारी को दृढ़ता से अस्वीकार कर देती हैं. जब हम पश्चिम बंगाल के पुरुलिया ज़िले में स्थित उनके घर जाकर उनकी पूरी कहानी जानने की कोशिश करते हैं, तो हमें इसके विपरीत निष्कर्ष मिलते हैं और स्वतंत्रता संग्राम के लिए उनके बलिदान की कहानी सामने आती है
18 अप्रैल, 2022 | पी. साईनाथ
कैप्टन भाऊ के साथ समाप्त हुआ इतिहास का एक सोपान
'हमने स्वतंत्रता और आज़ादी, दोनों के लिए लड़ाई लड़ी थी, लेकिन हम सिर्फ़ स्वतंत्रता ही हासिल कर पाए'
17 फ़रवरी, 2022 | पी. साईनाथ
देशभक्ति में विरोधाभास: देसी बनाम विदेशी शराब
एक आधिकारिक घोषणा में सामने आया है कि मध्य प्रदेश में पिछले एक दशक में भारत में निर्मित विदेशी शराब के सेवन में 23 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. यह घोषणा साल 1994 में सरगुजा ज़िले में घटी एक दिलचस्प अभियान की याद दिलाती है
3 जनवरी, 2022 | पी. साईनाथ
एक ख़त भारत के मुख्य न्यायाधीश के नाम
भारत के मुख्य न्यायाधीश ने ठीक ही पाया कि भारत में खोजी पत्रकारिता लुप्त हो रही है. लेकिन क्या न्यायपालिका को इस तथ्य पर गौर करने की ज़रूरत नहीं है कि प्रेस की आज़ादी स्वतंत्र भारत के इतिहास के अपने सबसे निचले स्तर पर है?
23 दिसंबर, 2021 | पी. साईनाथ
किसानों की जीत से जम्हूरियत की जीत, हर मोर्चे पर मीडिया की हार
तीनों कृषि क़ानूनों को इसलिए निरस्त नहीं किया गया, क्योंकि प्रधानमंत्री कुछ किसानों को 'फुसलाने' में विफल रहे, बल्कि इसलिए वापस लिया गया है कि किसान अपनी मांग पर टिके रहे; जबकि डरपोक मीडिया उनके संघर्ष और ताक़त को कम आंकती रही
20 नवंबर, 2021 | पी. साईनाथ
एक ऐसा गांव जिसे ‘विकास’ के नाम पर कई बार उजाड़ा गया
ओडिशा के कोरापुट में स्थित छोटा सा गांव चिकापार, संभवतः दुनिया का अकेला गांव था जिसने थल सेना, वायु सेना, और नौसेना का मुक़ाबला किया, और हार गया
18 नवंबर, 2021 | पी. साईनाथ
ग़रीबी उन्मूलन के नाम पर आदिवासियों के गले में क़र्ज़ का फंदा
1990 के दशक में ग़रीबी उन्मूलन के उद्देश्य से बहुत सी 'योजनाएं' लाई गईं और बिना सोचे-समझे उनका कार्यान्वयन होता रहा. कुछ ऐसा ही छत्तीसगढ़ के सरगुजा ज़िले में भी हुआ, जिसकी क़ीमत नहकुल पंडो ने अपनी छत गंवाकर चुकाई
3 नवंबर, 2021 | पी. साईनाथ
बेहद मामूली मजूरी के बदले बड़े जोख़िम उठाते मछुआरे
तमिलनाडु में रामनाड ज़िले के तट पर उन मछुआरों के साथ दो रातों की यात्रा का क़िस्सा जिनकी कड़ी मेहनत के सहारे कोई और करोड़पति बन जाता है
26 अक्टूबर, 2021 | पी. साईनाथ
जब लॉरी में अटका किशनजी का ठेला
मुरादाबाद के इस ठेले वाले की तरह, हर कहीं छोटे-छोटे ठेले वाले बड़े वाहनों से टकरा जाते हैं
4 अक्टूबर, 2021 | पी. साईनाथ
हर हिंदुस्तानी भाषा, आपकी भाषा है
आज 30 सितंबर, अंतर्राष्ट्रीय अनुवाद दिवस है. “द पीपल्स आर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया” 13 भाषाओं में प्रकाशित होता है - यानी किसी भी अन्य पत्रकारिता वेबसाइट की तुलना में अधिक भाषाओं में प्रकाशित किया जाता है
30 सितंबर, 2021 | पी. साईनाथ
हौसाबाई पाटिल: आज़ादी की लड़ाई के एक सुनहरे अध्याय का हुआ अंत
95 वर्षीय तेज़तर्रार स्वतंत्रता सेनानी, जोकि 1943-46 के समयांतराल में ब्रिटिश हुकूमत पर बुलंद हौंसलों से हल्ला बोलने वाले सतारा के भूमिगत क्रांतिकारियों के समूह का हिस्सा थीं, आख़िरी सांस तक इंसाफ़ की लड़ाई लड़ते हुए ग़रीबों व मज़लूमों के हक़ की बात करती रहीं
24 सितंबर, 2021 | पी. साईनाथ
मलकानगिरी: साप्ताहिक हाट में जीवन की बाट जोहते धुरुआ
ओडिशा के मलकानगिरी ज़िले के आदिवासी अपने उत्पाद बेचने के लिए हाट या ग्रामीण बाज़ारों पर निर्भर रहते हैं. हालांकि, कई बार वे वहां तक पहुंच नहीं पाते
19 अगस्त, 2021 | पी. साईनाथ
भगत सिंह झुग्गियां आज भी लड़ते हैं आज़ादी की ख़ातिर
भारत के आख़िरी जीवित बचे स्वतंत्रता सेनानियों में से एक, पंजाब के होशियारपुर ज़िले के भगत सिंह झुग्गियां, ब्रिटिश राज के ख़िलाफ़ लड़ाई तक ही नहीं रुके. 93 साल की उम्र में, आज भी वे किसानों और मज़दूरों के लिए आवाज़ बुलंद करते हैं
15 अगस्त, 2021 | पी. साईनाथ
‘लेकिन मेरे पास इश्टीरिओ है महाराज’
ग्रामीण इलाक़ों के बहुत से ट्रक या लॉरी ड्राइवर, मसलन कोरापुट में इस गाड़ी को चलाने वाला व्यक्ति ही, मालिक की नज़र बचाते हुए कभी-कभी फ़्रीलांस कैब ड्राइवर की तरह काम करते हैं
5 अगस्त, 2021 | पी. साईनाथ
झाबुआ: बहुत कठिन है डगर पनघट की
21 जुलाई, 2021 | पी. साईनाथ
यूपी पंचायत: मरने वाले शिक्षकों की संख्या 1,621 हुई
यूपी सरकार अप्रैल में पंचायत चुनाव कराने के लिए आख़िर तैयार क्यों थी, जिसने इतने लोगों की जान ले ली और यह संख्या लगातार बढ़ती जा रही है? पारी आपके लिए ताज़ा अपडेट लेकर आया है
18 मई, 2021 | पी. साईनाथ
यह मुश्किल दिनों की रात है
पूर्वी महाराष्ट्र के गोंदिया जिले की सैकड़ों महिलाएं दैनिक मज़दूरी कमाने के लिए छोटे शहरों से आसपास के गांवों में जाती हैं। शहर से गांवों की ओर होने वाले इस प्रवास का बहुत कम अध्ययन किया गया है
1 मई, 2021 | पी. साईनाथ
निधन पर शोक, लेकिन उनके जीवन का जश्न - गणपति बाल यादव (1920-2021)
101 वर्षीय गणपति, भारत के अंतिम जीवित स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे. वह 1943 में सांगली जिले में तूफ़ान सेना के भूमिगत क्रांतिकारियों के लिए एक डाकिया थे. उन्होंने अपने जीवन के आख़िरी महीनों तक रोज़ साइकिल भी चलाई
20 अप्रैल, 2021 | पी. साईनाथ
कोविड के बीच फ़ोर्ब्स की रपट: अमीरों के हाथ लगा कुबेर का ख़ज़ाना
पिछले एक साल में जीडीपी में 7.7 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है, हम ‘उल्टे’ पलायन का दूसरा दौर देख रहे हैं, और जब दिल्ली के फाटकों पर प्रतीक्षा कर रहे किसानों की सुनने वाला कोई नहीं है, ठीक इसी समय भारतीय अरबपतियों ने अथाह धन इकट्ठा कर लिया है
16 अप्रैल, 2021 | पी. साईनाथ
अमीर किसान, वैश्विक साज़िश, स्थानीय मूर्खता
दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शनकारी किसानों को तितर-बितर करने के प्रयास विफल होने के बाद, वैश्विक साज़िश की बात करके स्थानीय दमन को उचित ठहराया जा रहा है। क्या आगे किसी और ग्रह का हाथ होने का पता लगाने की कोशिश की जाएगी?
6 फ़रवरी, 2021 | पी. साईनाथ
और आपने सोचा यह सिर्फ़ किसानों के बारे में है?
नए कृषि क़ानून केवल किसानों को ही नहीं, बल्कि सभी नागरिकों को संवैधानिक उपचार से वंचित कर रहे हैं — जो कि 1975-77 के आपातकाल के बाद से अभी तक नहीं देखा गया था। दिल्ली के द्वार पर मौजूद किसान हम सभी के अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं
10 दिसंबर, 2020 | पी. साईनाथ
'नॉर्मल' की ओर लौटने को बेचैन ग़रीबों का ख़ून चूसने वाले जोंक
कोविड के हालिया संकट में ज़्यादा चिंता की बात यह नहीं है कि हम कितनी जल्दी पहले जैसी सामान्य स्थितियों की तरफ़ लौटेंगे. जिसे 'सामान्य' स्थिति बताया जाता है, दरअसल वह करोड़ों ग़रीब भारतीयों के लिए समस्याओं की जड़ रहा है. 'न्यू नॉर्मल' भी पुराना 'नॉर्मल' ही है
10 अगस्त, 2020 | पी. साईनाथ
शंकरैया: क्रांति के नौ दशक
एन शंकरैया भारत के आख़िरी जीवित स्वतंत्रता सेनानियों में से एक हैं. चेन्नई में ‘पारी’ से बात करते हुए, वह हमें ब्रिटिश राज के ख़िलाफ़ अपनी लड़ाई के सार्वजनिक, जेल, और भूमिगत, तीनों रूपों की आश्चर्यजनक कहानी बताते हैं
15 जुलाई, 2020 | पी. साईनाथ
प्रवासी, और अभिजात वर्ग की नैतिक अर्थव्यवस्था
लॉकडाउन ने भारत में पुराने ज़माने से होती आ रही प्रवासी मज़दूरों के अधिकारों की क्रूर अवहेलना को उजागर किया है – इन लाखों लोगों को हमारी दिखावटी चिंता की नहीं, बल्कि संपूर्ण न्याय की ज़रूरत है, यही बता रहा है इंडिया टुडे में प्रकाशित हो चुका यह लेख
8 जून, 2020 | पी. साईनाथ
कोविड-19 के बारे में हमें क्या करना चाहिए
संकट की इस घड़ी में सरकार द्वारा ‘पैकेज’ की घोषणा निर्दयता और अनभिज्ञता का मिश्रण है
27 मार्च, 2020 | पी. साईनाथ
पुआल के ढेर पर लटका आदमी
ग्रामीण भारत की सड़कों से गुज़रते हुए, कभी-कभी आपका सामना खुशियों से भर देने वाली विचित्र अनुभूतियों से होता है