“जदि रउआ कूड़ा फइलावत बानी, त हम कइसे ‘कचरा वाली’ हो गइनी? असलियत त ई बा कि हमनिए के दम से ई शहर साफ-सुथरा बा. कहीं इहंवा के लोगवे त ‘कचरावाला’ नइखे? पुणे में कूड़ा बीने वाली सुमन मोरे पूछली.

सुमन, कागद काच पत्र काश्तकारी पंचायत 1933 के तहत संगठित 800 मूल कूड़ा बीने वाला में से एगो हई. कूड़ा बीने के काम करे वाला मेहरारू लोग के गिनती बहुते जादे हो गइल बा. ऊ लोग पुणे नगर निगम (पीएमसी) से आधिकारिक पहचान पत्र के मांग कइले रहे. पहचान पत्र से ओह लोग के काम के औपचारिक रूप से महत्व मिलेला. ई साल 1996 में जारी कइल गइल.

मेहरारू लोग अब कूड़ा बीने, उठावे के काम पीएमसी संगे मिलके करेला. ऊ लोग महार आउर मातंग समुदाय से आवेला. एह समुदाय के महाराष्ट्र में अनुसूचित जाति के रूप में पहचानल जाला. सुमन बतइली, “हमनी गील आउर सूख्खल कूड़ा के अलग-अलग करिला. गील कूड़ा के कचरा वाला ट्रक में डालल जाला. सूखल कूड़ा में से हमनी के जे मन करे रखिला आउर बचल कूड़ा के भी ट्रक में लाद देहल जाला. ”

अब मेहरारू लोग के चिंता सता रहल बा कि पीएमसी ओह लोग के काम के निजी कंपनी आउर ठेकेदार के सौंप दीही. बाकिर ऊ लोग आपन हक छोड़े के तइयार नइखे. “हमनी केहू के आपन काम छीने ना देहम,” आशा कांबले कहली.

मोल फिलिम, पुणे के कूड़ा बीने आउर उठावे वाला मेहरारू लोग के आंदोलन के इतिहास, ओहि लोग के आवाज में रउआ सभे के सामने ले के आइल बा.

फिलिम देखीं: मोल

अनुवाद: स्वर्ण कांता

Kavita Carneiro

Kavita Carneiro is an independent filmmaker based out of Pune who has been making social-impact films for the last decade. Her films include a feature-length documentary on rugby players called Zaffar & Tudu and her latest film, Kaleshwaram,  focuses on the world's largest lift irrigation project.

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Video Editor : Sinchita Parbat

सिंचिता माजी पारीची व्हिडिओ समन्वयक आहे, ती एक मुक्त छायाचित्रकार आणि बोधपटनिर्माती आहे. सुमन पर्बत कोलकात्याचा ऑनशोअर पाइपलाइन अभियंता आहे, सध्या तो मुंबईत आहे. त्याने दुर्गापूर, पश्चिम बंगालच्या राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थेतून बी टेक पदवी प्राप्त केली आहे. तोदेखील मुक्त छायाचित्रकार आहे.

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Text Editor : Sanviti Iyer

Sanviti Iyer is Assistant Editor at the People's Archive of Rural India. She also works with students to help them document and report issues on rural India.

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Translator : Swarn Kanta

Swarn Kanta is a journalist, editor, tech blogger, content writer, translator, linguist and activist.

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