रानी अपन खोली के संगी लावण्या ले कहिथें, “अरे, ये ह सिरिफ हमर ‘गेस्टहाउस’ के बारे मं कुछु पूछे ला आय हवंय.” दूनो हमर इहाँ आय के मंसूबा ला जान के थोकन अचिंता हो गीन.
जब हमन जनवरी महिना के सुरू मं इहाँ आय बखत गेस्टहाउस ला लेके पहिली पईंत कुछु पूछताछ करे रहेन, तउन बखत मदुरई ज़िला के टी कल्लूपट्टी ब्लॉक के कूवलापुरम गांव मं थोकन डर के हालत बन गे रहिस. ऊहाँ के मरद मन फुसफुसावत कुछेक दुरिहा परछी मं बइठे दू झिन माईलोगन मन डहर आरो करिन - दूनो के उमर बहुते जियादा नई रहिस, दूनो के लइका घलो रहिन.
वो माईलोगन मन कहिथें, “वो त वो कोती हवय, चलव जाबो.” अऊ हमन ला आधा किलोमीटर दुरिहा गाँव के दूसर छोर मं ले के आ जाथें. जब हमन उहाँ हबर गेन त ‘गेस्टहाउस’ के दूनो खोली डहर धियान नई देय जावत जइसने लागत रहय. दू नानकन खोली के मंझा लीम के रुख मं लटके बोरी मन अजीब अऊ अचरज ले भरे लगत रहय.
‘गेस्टहाउस’ मं महवारी के समे मं माइलोगन मन ‘पहुना’ जइसने होथें, फेर वो मन इहाँ ककरो बलाय ले धन अपन मन ले नई आवेंय. मदुरई सहर ले करीबन 17 कोस दूरिहा 3,000 अबादी वाले ये जगा मं कड़ा समाजिक रिती-रिवाज सेती वो मन ला महवारी के समे मजबूर होके आय ला परथे. ये घर मं जऊन दू माइलोगन मन ले हमर भेंट होथे - रानी अऊ लावण्या (असल नांव नई) - वो मन ला पांच दिन इहाँ रहे ला परही. फेर मोटियारिन मन ला पहिली बेर महवारी सुरु होय के बाद ले इहींचे तय जगा मं महिना भर रहेच ला परथे. इही हाल तऊन माईलोगन के घलो आय जेन मन के जचकी होय हवय, जचकी के बाद वो मन ला जन्मे लइका के संग इहाँ रहे ला परथे.
रानी बताथे, “हमन अपन बोरी मन ला खोली मं अपन संग राखथन.” बोरी मन मं अलग रखाय बरतन होथे, महवारी के दिनन मं इही बरतन भाड़ा ला बऊरे जाथे. इहाँ रांधे नई जाय, घर ले आय खाय ला, जऊन ला अक्सर परोसी मन रांधे रहिथें, माईलोगन मन तक ले इहीच बरतन मं राख के पहुंचाय जाथे. कहूँ हाथ ले हाथ झन छुवा जाय तेकरे डर ले ये ला बोरा मं भरके लीम के रुख ऊपर लटका देथें. इहाँ के हरेक ‘अवेइय्या’ सेती अलग-अलग बरतन हवंय – चाहे वो मन एकेच घर के काबर नई होंय होवत रहंय. फेर इहाँ सिरिफ दू ठन खोली हवय अऊ वो मन ला ये खोली मन मं रहे ला परथे.
कूवलापुरम मं रानी अऊ लावण्या जइसने माई लोगन मन करा महवारी बखत ये खोली मं रहे बगेर कऊनो चारा नई रहय. येकर पहिली खोली ह करीबन 20 बछर पहिली गाँव के लोगन मन बरार करके बनाय रहिन. दूनो माइलोगन ले एक झिन के उमर सिरिफ 23 बछर हवय, अऊ दूनो के बिहाव हो गे हवय. लावण्या के दू झिन लइका, त रानी के एक झिन लइका हवय: दूनो के घरवाला खेत मजूर आंय.
लावण्या कहिथे, “अभू त हमन सिरिफ दूनोच झिन हवन, फेर कभू-कभू इहाँ आठ धन नो झिन माईलोगन राहत रहिन अऊ तब इहाँ भीड़-भड़क्का जइसने हो जाय.” फेर अक्सर अइसने होवत रहिथे, तेकरे सेती सियान मन तोख धियान देके दूसर खोली बनवाय ला मानिन, एकर बाद युवा कल्याण संगठन ह पइसा के बेवस्था करिस अऊ तब जाके अक्टूबर 2019 मं ये ह बने सकिस.
फेर इहाँ सिरिफ दू ठन खोली हवय अऊ रानी अऊ लावण्या ह नवा बने खोली मं पसरे हवंय काबर के वो ह बड़े अकन, हवादार अऊ उजेला वाला आय. लावण्या ह समाज के जुन्ना रित-रिवाज सेती ये खास जगा मं रहे ला मजबूर हवय. ये सोचे के बात आय के एक तरफ वो ह अइसने जुन्ना रित-रिवाज ला मानत रहत रहिस, उहिंचे ओकर करा इस्कूल पढ़ई बखत सरकार डहर ले मिले लैपटॉप रहिस, जेन ह ये जमाना के चीज आय. वो ह कहिथे, “हमन इहाँ बइठे-बइठे बखत ला कइसने काटबो? हमन, मोर लैपटॉप मं गाना सुनथन धन फिलिम देखथन. जब मंय घर लहुंट जाहूँ त येला लेवत जाहूं.”
‘गेस्टहाउस’ मुट्टूथुरई के बदला मं थोकन मान-सम्मान के भासा सेती करे गे हवय, जेकर मतलब होथे ‘छुतहा’ माईलोगन मन के रहे के जगा. रानी बताथे, “हमन अपन लइका मन के आगू ये ला ‘गेस्टहाउस’ कहिथन, जेकर ले वो मन ये नई समझ पावेंव के आखिर असल मं ये ह काबर आय. मुट्टूथुरई मं रहे ह भारी सरम के बात आय – खासकरके तऊन बखत जब कऊनो मन्दिर मं तिहार होवत रहय धन कऊनो सार्वजनिक कार्यक्रम अऊ गाँव बहिर के हमर नाता-गोता रिस्ता मन, जऊन मन ला ये रिवाज के बारे मं पता नई ये.” कूवलापुरम मदुरई ज़िला के तऊन पांच गांव मन ले एक हवय, जिहां महवारी के समे मं घर-समाज ले अलगे रहे ला परथे. ये रिवाज के मनेइय्या दीगर गाँव- पुदुपट्टी, गोविंदनल्लूर, सप्तुर अलगापुरी अऊ चिन्नयापुरम हवंय.
ये तरीका ले अलगे रहे ले महवारी सेती लांछन घलो लग सकत हवय. फेर मोटियारिन, बिन बिहाय माइलोगन मन तय समे मं ये गेस्टहाउस नई आंय त पीठ पाछू गाँव के लोगन मन मं खुसुर-पुसुर सुरु हो जाथे. 14 बछर के अऊ कच्छा 9 वीं पढ़ेइय्या नोनी भानु (जेन ह ओकर असल नांव नई ये) कहिथे, “वो मन बिल्कुले नई समझेंय के महवारी के चक्र ह कइसने काम करथे, फेर गर मंय हरेक पईंत 30 दिन बीते ‘मुट्टूथुरई’ नई गेंय, त इही लोगन मन कहिथें के मोला इस्कूल नई भेजे जाना चाही.”
पुद्दुचेरी के मूल बासिंदा नारीवादी लेखिका सालई सेल्वम, जऊन ह महवारी ला ले के अइसने कतको रोक के खिलाफ अवाज उठावत रहिथें, कहिथें, “मोला ये बात ले बिल्कुले अचरज नई होवय. दुनिया मं माईलोगन मन ला दबाय के सरलग कोसिस होवत हवंय, सरलग वोकर ले मइनखे ले तरी के जीव बरोबर बेवहार करे जाथे. संस्कृति के नांव ले ये तरीका के रोक ओकर मूल हक ला नकार देय के बहाना भर आय. अऊ जइसने के नारीवादी ग्लोरिया स्टीनम ह अपन ऐतिहासिक निबंध ‘इफ़ मेन कुड मेंस्ट्रुएट’ मं सवाल करे हवय, फेर मरद मन ला महवारी आवत रइतिस त का ये चीज मन बिल्कुले अलग नई होय रइतिस?”
मोर कूवलापुरम अऊ सप्तुर अलगापुरी मं जतको घलो माईलोगन मन ले भेंट होइस, वो मन ले जियादा मन सेल्वम के ये बात ले सहमत रहिन – के ये संस्कृति, शोषन ऊपर झूठ के परदा डाल देथे. रानी अऊ लावण्या दूनो ला कच्छा 12वीं के बाद अपन पढ़ई बंद करे ला मजबूर करे गीस अऊ तुरते वोमन के बिहाव कर देय गेय रहिस. रानी बताथे, “जचकी बखत के हाल थोकन मुस्किल लगत रहय अऊ येकरे सेती मोला ऑपरेशन करवाय ला परिस. जचकी के बाद मोर महवारी बिगर गे रहिस फेर मुट्टूथुरई जाय मं थोकन घलो देरी होइस त लोगन मन पूछे ला धरें के मंय फिर ले गरभ ले त नई हवंव. वो मन मोर तकलीफ बिल्कुले घलो नई समझेंव.”
रानी, लावण्या अऊ कूवलापुरम के दीगर माइलोगन मन ला ये बात के थोकन घलो अंदाजा नई हवय के ये रिवाज ह कब अऊ कइसने सुरु होईस, फेर लावण्या कहिथे, हमर दाई-महतारी मन, डोकरी दाई मन अऊ पन डोकरी दाई मन ला घलो इही तरीका ले अलगे रहय ला परय. येकरे सेती हमर हालत घलो ओकर मन ले अलगा नई ये.”
चेन्नई के डाक्टर अऊ द्रविड़ विचारक डॉक्टर एझिलन नागनाथन ये रिवाज के सुरु होय ला लेके अचंभा अऊ तर्क ले भरे बात कहिथे, “येकर सुरुवात तऊन बखत होइस, जब हमन सिकारी होवत रहेन.”
“तमिल आखर वीटुक्कू तूरम (घर ले दूरिहा – महवारी के समे मं माईलोगन मन ला अलगे रखे जाय सेती कहे जाय थोकन बने भाखा) मूल रूप ले काटुक्कू थूरम [ जंगल ले दूरिहा] बनाय गेय रहिस. माईलोगन मन ये सुरक्षित जगा मन रहत रहिन काबर ये माने जावत रहिस के खून के गंध (महवारी, जचकी धन जवान होय सेती) पाके जंगली जानवर मन ये मन ला मार के खा सकत रहिन. बाद मं ये रिवाज ह माईलोगन मन ला दबा के रखे सेती होय लगिस.”
कूवलापुरम के लोकसाहित्य ह ओतका तर्क ले भरे नई ये. इहां के बासिंदा मन के कहना आय के ये ह एक ठन किरिया आय, जेन ह सिद्धर (गुरू जइसने) ला मान-सम्मान देवत करे जाथे, ये गांव अऊ तीर-तखार के चार दीगर गांव मन बर ये प्रतिज्ञा ला निभाय एक तरीका ले जरूरी हो गे हवय. कूवलापुरम मं सिद्धर ला समर्पित मंदिर - तंगामुडी सामी – के मुखिया 60 बछर के एम मुत्तू कहिथे, “सिद्धर हमर संग जिनगी गुजारत रहिस, वो ह देंवता रहिस अऊ भारी ताकतवाला रहिस. हमर मानना आय के हमर गाँव अऊ पुडुपट्टी, गोविंदनल्लूर, सप्तुर अलगापुरी अऊ चिन्नयापुरम ओकर घरवाली रहिन. वचन टोरे के कऊनो कोसिस ये गाँव मन के सरबनास साबित होही.”
फेर 70 बछर के सी रासु, जऊन ह अपन जिनगी के जियादा बखत कूवलापुरम मं गुजारे हवय, कऊनो तरीका ले घलो भेद होय ला नकार जाथे. वो ह कहिथे, “ये रिवाज ह देंवता ला मान-सम्मान देय सेती हवय. माई लोगन मन ला हरेक तरीका ले सुविधा देय गेय हवय जऊन मं मजबूत जगा, पंखा अऊ ठीके-ठाक खुल्ला जगा सामिल हवय.
ये सब्बो तऊन जिनिस मन आंय जेन ह ओकर 90 बछर के बहिनी, मुत्तुरोली ला अपन बखत मं मिले नई रहिस. वो ह थोकन जोर देके कहिथें,” हमन खपरा वाला मं रहत रहेन. बिजली घलो नई रहिस. आज के नोनी मन बढ़िया हाल मं हवंय अऊ ओकरे बाद घलो सिकायत करथें. फेर हमन ला ये बेवस्था ला माने ला परही नई त हमन धुर्रा मं मिल जाबो.”
गाँव के जियादा करके माईलोगन मन ये बात ला मन मं धर ले हवंय. एक झिन माईलोगन ह महवारी ला लुकाय के कोसिस करे रहिस, वोला सपना मं घेरी-बेरी सांप दिखय, जेकरे मतलब ये निकाले गीस के वो ह रिवाज ला टोरे रहिस अऊ ‘मुट्टूथुरई’ नई गे रहिस, तेकरे सेती ये ह देंवता के कोप के आरो रहिस.
ये सब्बो गोठबात मं जऊन बात ह छुटगे रहिस, वो ह ये आय के गेस्टहाउस के सुविधा मन मं शौचालय सामिल नई हवय. भानु बताथे, “हमन बहिर जाय धन नैपकिन बदले सेती दुरिहा खेत मन मं जाथन.” गाँव मं इस्कूल जावत नोनी मन सैनिटरी नैपकिन पहिरे लगे हवंय (जऊन ला बऊरे के बाद भूईंया मं गाड़ धन जरा देय जाथे, धन गाँव के सरहद के बहिर फेंक देय जाथे) फेर बड़े उमर के माईलोगन मन अभू घलो कपड़ा बऊरथें, जेन ला धोके दुबारा पहिरथें.
‘मुट्टूथुरई’ मं रहेइय्या माईलोगन मन सेती खुल्ला मं एक ठन नल लगे हवय – गाँव के बाकि लोगन मन ये ला नई छुवेंय. रानी बताथे, “हमन अपन संग जऊन कपड़ा अऊ कंबल लेके आथन, वो ला धोये बगेर हमन दुबारा गाँव मं गोड़ नई धरे सकन.”
परोसी सप्तुर अलगापुरी, जऊन ह सेदप्पाटी ब्लॉक मं बसे करीबन 600 के अबादी वाला गाँव आय, इहाँ के माईलोगन मन के मानना आय के गर वो मन ये रिवाज ला नई मानहीं, त वो मन के महवारी आय ह बंद हो जाही.चेन्नई के मूल बासिंदा 32 बछर के करपागम (असल नांव नई) अलगे रहे के ये रिवाज ले बगिया गे रहिस. वो ह कहिथें, “फेर मंय समझ गेंय ये संस्कृति आय अऊ मंय येकर खिलाफ नई जाय सकंव. मंय अऊ मोर घरवाला, हमन दूनो तिरुप्पूर मं काम करथन अऊ इहां सिरिफ छुट्टी बखत आथन.” वो अपन घर के छत पऊंच के खाल्हे के नानकन जगा कोती देखावत बताथे के महवारी के समे मं ये ह वोकर रहे के ‘जगा’ होथे.
सप्तुर अलगापुरी के ‘मुट्टूथुरई’ अलग-थलग परे जगा मं बने एक ठन नानकन अऊ भारी जुन्ना आय अऊ माईलोगन मन महवारी आय ले अपन घर मन ला छोर के गली मं रहे ला पसंद करथें. फेर 41 बछर के लता (असल नांव नई) कहिथें के अइसने तभे तक रहिथे “जब तक ले बरसात नई होवत हो.” बरसात होय ले वो ह मुट्टूथुरई मं रहे ला चले जाथे.
ये सोचे के बात आय के कूवलापुरम अऊ सप्तुर अलगापुरी, दूनो जगा मं करीबन सब्बो के घर मन मं शौचालय हवंय, जेन ह सात बछर पहिली राज सरकार के योजना के तहत बनाय गेय रहिस. गाँव के मुटियार मन येकर उपयोग करथें फेर माईलोगन अऊ सियान मन खेत जाय ला पसंद करथें. फेर दूनो गाँव के ‘मुट्टूथुरई’ मं शौचालय नई ये.
माइक्रोबायोलॉजी मं स्नातक करेइय्या 20 बछर के शालिनी (असल नांव नई) कहिथें, “मुट्टूथुरई तक ले जाय बर हमन ला घूमके अऊ सुनसान रद्दा ले जाय ला परथे. महवारी के समे मं हमन भले ऊही जगा ला जावत होवन फेर हमन ला माई रद्दा ले होके नई जाय सकन.” शालिनी मदुरई के अपन कॉलेज मं दीगर पढ़ेइय्या टुरी मन ले कभू घलो महवारी ऊपर गोठ-बात नई करय, काबर वो ला ये बात के डर लगे रहिथे के येकर ले ‘भेद ह खुल’ जाही. वो ह कहिथे, “फेर ये कऊनो गरब करे वाले बात नई ये.”
सप्तुर अलगापुरी के जैविक खेती करेइय्या किसान, 43 बछर के टी. सेल्वकणी ह गाँव के लोगन मन ले ये रिवाज ला लेके बात करे के कोसिस करे हवय. वो सवाल करथे, “हमन स्मार्टफोन अऊ लैपटॉप चलाय ला सुरु कर देय हवन, येकरे बाद घलो आज 2020 मं घलो हमर माईलोगन मन ला (महवारी बखत) अलगे राख देय जाथे?” फेर कभू-कभू तर्क के बात घलो ओतके काम नई आय. लता जोर देवत कहिथें. “जिला कलेक्टर तक ला घलो इहां के नियम-धरम माने ला परही. इहाँ के दवाखाना अऊ अस्पताल मन मं काम करेइय्या नर्स (अऊ दीगर पढ़े लिखे अऊ नऊकरी करेइय्या माईलोगन) मन घलो महवारी के समे बहिर मं रहिथें.” वो ह सेल्वकणी ले कहिथें, “तोर घरवाली ला घलो येकर पालन करे ला चाही, ये ह आस्था के बात आय.”
माईलोगन मन ला गेस्टहाउस मं पांच दिन रहे ला परथे. फेर महवारी सुरु होय के बाद मुटियारिन मन ला पूरा महीना भर तक ले रहे ला परथे. अइसने जचकी के बाद घलो, महतारी ला अपन जन्मे लइका के संग महिना भर तक ले इहाँ रहे ला परथे
सालई सेल्वम कहिथें, “मदुरई अऊ थेनी जिला के तीर-तखार मं अइसने कतको अऊ ‘गेस्टहाउस’ देखे जा सकत हवय. वो मन करा अलगे-अलगे कायदा ला माने सेती अलगे-अलगे मन्दिर हवंय. हमन लोगन मन ले बात करे के भारी कोसिस करेन फेर वो मन नई सुनेंव काबर के ये ह आस्था के बात आय. ये ला सिरिफ राजनीतिक इच्छाशक्ति ले बदले जा सकत हवय. फेर अइसने कुछु करे के जगा कुर्सी मं बइठे लोगन मन जब इहाँ वोट मांगे ला आथेंय, त वो मन गेस्टहाउस ला नवा तरीका ले, अऊ इहाँ अऊ सुविधा देय के वादा करथें.”
सेल्वम ला लागथे के अइसने करे के जगा गर कुर्सी मं बइठे लोगन मन चाहें त ये मं हाथ डालके ये तरीका के गेस्टहाउस मन ला बंद करे सकत हवंय. ओकर मुताबिक, “वो मन कहिथें के ये ह मुस्किल काम आय काबर के ये आस्था के मामला आय. फेर हमन ये तरीका के छुवाछूत ला राखे रहे के इजाजत कब तक ले देय सकथन? यकीन करव, सरकार ह गर सखत कदम उठाही त येकर उलट नतीजा घलो देखे ला मिलही – फेर येला खतम होय ला चाही अऊ मोर यकीन करो, लोगन मन जल्देच सब्बो कुछु बिसोर दिहीं.”
तमिलनाडु मं मासिक धरम अऊ महवारी ले जुरे कतको रोक-ठोक कऊनो बड़े भारी बात नई आय. पट्टुक्कोट्टई ब्लॉक के अनाइक्कडू गांव के 14 बछर के एस विजया के नवंबर 2018 मं इही रोक-ठोक सेती ओकर परान चले गीस, जब तंजावुर ज़िला मं गज चक्रवात के भारी असर परे रहिस. तऊन समे महवारी ले गुजरत ये नोनी जेकर पहिली महवारी चलत रहिस, घर के तीर बने घांस फूस ले बने कुरिया मं अकेल्ला रहे ला मजबूर करे गेय रहिस. (घर मं रहत रहय ओकर परिवार के दीगर लोगन मन बांच गे रहिन).
डॉक्यूमेंट्री फिलिम बनेइय्या गीता इलंगोवन, जऊन ह 2012 मं बनाय डॉक्यूमेंट्री, माधवीदाई (मासिक धरम) महवारी ले जुरे रोक-ठोक ऊपर बने हवय, कहिथें, “ये तरीका के रोक-ठोक तमिलनाडु के बनेच अकन जगा मन मं हवय, सिरिफ तरीका मं फरक हवय.” कुछु सहर के इलाका मं ये अलग रखे ह सोच-समझ के हो सकत हवय, फेर चलन मं हवंय. “मंय एक झिन बड़े अफसर के घरवाली ला ये कहत सुने हवंव के वो ह अपन बेटी ला तऊन तीन दिन तक ले रंधनी खोली मं जाय के मनाही कर दीस अऊ ये ह ओकर ‘अराम’ करे के समे रहिस. तुमन येला चाहे अपन भाखा मं कहव फेर आखिर मं ये ह फेरफार आयेच.”
इलंगोवन के ये कहना घलो आय के सब्बो धरम मन मं अऊ समाजिक-आर्थिक भुमका मं महवारी ला बने नई माने ह आम आय, सिरिफ अलगे-अलगे तरीका मन ले. वो हा कहिथें, “अपन डॉक्यूमेंट्री फिलिम सेती मंय एक झिन अइसने माइलोगन ले बात करेंव जऊन ह अमेरिका के एक ठन सहर मं रहत रहिस तेकरे बाद घलो महवारी के समे अलग-थलग रहत रहिस. वो ह तर्क करिस के ये ह ओकर निजी चुनाव आय. बड़े बरग के मनखे, बड़े जात के माईलोगन सेती जऊन ह निजी पसंद आय, ऊहिच ह कमजोर बेअवाज माईलोगन मन सेती समाजिक दबाव बन जाथे, जऊन मन सखत मरद सत्ता के समाज मं विरोध करे के थोकन घलो हिम्मत नई करे सकेंव.”
इलंगोवन अपन बात रखत आगू कहिथें, “हमन ला ये घलो सुरता करे ला चाही के पवित्रता के ये संस्कृति सही मं ‘ऊँच’ जात के बनाय हवय येकरे बाद घलो ये ह जम्मो समाज ऊपर असर करथे.” कूवलापुरम के समाज मं बनेच अकन दलित हवंय. फिलिम बनेइय्या बताथें, “डॉक्यूमेंट्री ह मरद मन सेती देखे ला सोच के बनाय गेय रहिस, हमन चाहथन के वो मन ये समस्या ला समझें गुनेंय. नीति बनाय मं जियादा करके मरद मनेच होथें. हमन जब तक ले येकर बारे मं बात नई करबो, येकर ऊपर जब तक ले अपन घर ले बात सुरु नई होही, तब तक ले मोला कऊनो आस नई दिखय.”
चेन्नई मं रहेईय्या स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर शारदा शक्तिराजन कहिथें, “बिन पानी के सुविधा ले माईलोगन मन ला अलगे रखे ले बीमारी के बनेच अकन खतरा होय सकत हवय. बनेच समे ले ओद्दा पैड पहिरे रहत ले अऊ साफ पानी के सुविधा नई होय ले एकर नतीजा पेसाब अऊ प्रजनन नली मं संक्रमन होय सकत हवय. अइसने संक्रमन माईलोगन मन ला अवेइय्या बखत मं जनम करे के ताकत बिगाड़ सकथे अऊ लम्बा समे के बीमारी के कारन घलो बन सकथे, जइसने कोख मं हमेसा दरद. साफ-सफई नई रखे ले (जुन्ना कपड़ा के दुबारा बऊरे ले) अऊ येकर ले होय संक्रमन ले सर्वाइकल कैंसर होय के महत्तम कारन आय.”
2018 मं इंटरनेशनल जर्नल ऑफ कम्युनिटी मेडिसिन एंड पब्लिक हेल्थ में छपे रिपोर्ट के मुताबिक़, सर्वाइकल कैंसर माईलोगन मन ला होय दूसर सबले आम कैंसर आय, खासकरके तमिलनाडु के गाँव देहात के इलाका मन मं.
येती कूवलापुरम मं, भानु के दीगर जरूरत हवय. “ये रिवाज ला बदले नई जाय सकय, चाहे जतको मन लगाके कोसिस करे जाय. फेर गर तुमन हमर बर सही मं कुछु करे सकत हवव त किरिपा कर के ‘मुट्टूथुरई’ मं हमर बर शौचालय के बेवस्था कर देवव. येकर ले हमर जिनगी थोकन असान हो जाही.”
पारी अऊ काउंटरमीडिया ट्रस्ट के तरफ ले भारत के गाँव देहात के किशोरी अऊ जवान माइलोगन मन ला धियान रखके करे ये रिपोर्टिंग ह राष्ट्रव्यापी प्रोजेक्ट ' पापुलेशन फ़ाउंडेशन ऑफ़ इंडिया ' डहर ले समर्थित पहल के हिस्सा आय जेकर ले आम मइनखे के बात अऊ ओकर अनुभव ले ये महत्तम फेर कोंटा मं राख देय गेय समाज का हालत के पता लग सकय.
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अनुवाद: निर्मल कुमार साहू