मुझे-ही-नहीं-पता-कि-मुझ-पर-कितना-क़र्ज़-है

Vikarabad, Telangana

Mar 17, 2023

'मुझे ही नहीं पता कि मुझ पर कितना क़र्ज़ है'

चिल्तमपल्ली गांव में किसान कमल चंद्र की आत्महत्या को 13 साल हो चुके हैं. उनकी पत्नी परमेश्वरी अब भी निजी साहूकारों से लिए ऋण को चुकाने के लिए संघर्ष कर रही हैं, जिससे जुड़ा कोई काग़ज़ात उनके पास नहीं है

Want to republish this article? Please write to zahra@ruralindiaonline.org with a cc to namita@ruralindiaonline.org

Translator

Amit Kumar Jha

अमित कुमार झा एक अनुवादक हैं, और उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल की है.

Author

Amrutha Kosuru

अम्रुता कोसुरु फ़्रीलांस पत्रकार हैं और साल 2022 की पारी फ़ेलो हैं. उन्होंने एशियन कॉलेज ऑफ़ जर्नलिज़्म से ग्रैजुएशन किया है और साल 2024 की फुलब्राइट-नेहरू फ़ेलो के तौर पर चुनी गई हैं.

Editor

Sanviti Iyer

संविति अय्यर, पीपल्स आर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया में बतौर कंटेंट कोऑर्डिनेटर कार्यरत हैं. वह छात्रों के साथ भी काम करती हैं, और ग्रामीण भारत की समस्याओं को दर्ज करने में उनकी मदद करती हैं.