राजस्थान के राईका समाज के लोग अपनी यात्राओं के दौरान समय काटने के लिए क़िस्सागोई करते हैं. लेकिन चरागाहों के साथ-साथ यह परंपरा भी ख़त्म होती जा रही है. इस वीडियो में फुयाराम राईका एक कहानी सुनाते हैं
स्वेता डागा, बेंगलुरु स्थित लेखक और फ़ोटोग्राफ़र हैं और साल 2015 की पारी फ़ेलो भी रह चुकी हैं. वह मल्टीमीडिया प्लैटफ़ॉर्म के साथ काम करती हैं, और जलवायु परिवर्तन, जेंडर, और सामाजिक असमानता के मुद्दों पर लिखती हैं.
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Rashmi Sharma
रश्मि शर्मा मास कम्युनिकेशन की छात्रा हैं, और मीडिया, अंतर्राष्ट्रीय संबंधों व विदेश नीति के विषय में दिलचस्पी रखती हैं. वह कॉपीराइटर और कंटेंट क्यूरेटर की भूमिका में कई संगठनों के साथ काम कर चुकी हैं.