जीवनभाई बारिया ला चार बछर के भीतर मं दू बेर हार्ट अटेक आइस. 2018 मं जब पहली बेर आय रहिस तऊन बखत वो ह घर मं रहिस. ओकर घरवाली गभिबेन ह वोला अस्पताल ले के गे रहिस. अप्रैल 2022 मं, वो ह अरब सागर मं ट्रॉलर (मछरी धरे के डोंगा) चलावत रहिस तब ओकर सीना मं भारी दरद होईस. ओकर संग के एक झिन करमचारी ह चलाय ला संभाल लीस अऊ दूसर ह वोला सुता दीस. वो मन पार ले करीबन पांच घंटा के दूरिहा मं रहिन. गुजरे के पहिली जीवनभाई दू घंटा ले जियादा बखत तक ले वो हालत ले जूझत रहिस.

गभीबेन जऊन ला सबले डेर्रावत रहय तऊन ह सच होगे.

जब जीवनभाई ह पहिली बेर आय हार्ट अटेक के बछर भर बाद फिर ले मछरी धरे के फइसला करिस, त वो ह येला लेके उछाह मं नई रहिस. वो ह जानत रहिस के ये ह खतरा ले भरे हवय जऊन ला जीवनभाई करिस. गुजरात के अमरेली जिला के नान कन समंदर के पार मं बसे सहर जाफराबाद के अपन कम उजियार कुरिया मं बइठे गभिबेन कहिथे, “मंय वोला अइसने नई करे ला कहे रहेंव.”

फेर सहर के अधिकतर लोगन मन जइसने, 60 बछर के जीवनभाई ला मछरी धरे ला छोड़ अऊ कऊनो बूता नई आवत रहिस, जेकर ले वो ह बछर भर मं 2 लाख रूपिया कमावत रहिस. 55 बछर के गभिबेन कहिथे, वो ह 40 बछर ले ये बेवसाय मं रहिस. हार्ट अटेक आय के बाद जब वो ह बछर भर ले सुस्तावत रहिस, त मंय अपन घर ला कइसने करके चलाय सेती मजूरी (मछुवारा मन के मछरी सुखाय के) करेंव. जब वो ला लगिस के वो ह बने होगे हवय, त वो ह काम मं जाय के फइसला करिस.

जीवनभाई ह जाफराबाद के एक बड़े मछुआरा के मछरी धरेइय्या ट्रॉलर मं काम करिस, बछर के आठ महिना सेती – बरसात ला छोड़ के – मजूर मन ये ट्रॉलर मन ला 10-15 दिन सेती अरब सागर मं ले के जावत रहिन. वो मं कुछेक हफ्ता चले के भरपूर रासन-पानी ले जावत रहिन.

गभीबेन कहिथे, अपात बेरा मं इलाज के बिन सुविधा के कतको दिन तक ले समंदर मं रहे ह सुरच्छित नई ये. ओकर करा प्राथमिक इलाज के समान हवय. दिल के रोगी सेती ये ह खतरा ले भरे आय.

Gabhiben holding a portrait of her late husband, Jeevanbhai, at their home in Jafrabad, a coastal town in Gujarat’s Amreli district
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गुजरात के अमरेली जिला के समंदर पार के सहर जाफ़राबाद के अपन घर मं गुजरे घरवाला जीवनभाई के फोटू के संग गाभीबेन

भारत के जम्मो राज मन मं गुजरात मं सबले जियादा समंदर के पार हवंय – 1600 किलोमीटर ले जियादा 39 तालुका अऊ 13 जिला मं बगरे हवय. ये ह देस के समंदर के उपज मं 20 फीसदी योगदान देथे. मत्स्य आयुक्त के वेबसाइट के मुताबिक, राज मं 1,000 ले जियादा गांव मं पांच लाख ले जियादा लोगन मन मछरी पाले के काम मं लगे हवंय.

ये मन मं अधिकतर लोगन ला चार महिना तक ले इलाज के सुविधा नई मिल सकय धन येकरे सेती के वो मन हरेक बछर ला समंदर मं बिताथें.

पहिली हार्ट अटेक आय के बाद हरेक बेर जब घलो जीवनभाई समंदर मं जावत रहिन, गभिबेन ला तनाव अऊ चिंता लगत रहय. अपन सोच के संग अकेल्ला परे रहय, आस अऊ डर के मंझा मं डोलत, रतिहा ला छत मं लगे पंखा ला देखत बिता देवत रहय. जब जीवनभाई बने होके घर लहूंट आवय, त वो ह चैन के साँस लेवय.

फेर एक दिन अइसने नई होईस. वो ह नई लहूंटिस.

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जीवनभाई के किस्मत अलग हो सकत रहिस गर गुजरात सरकार ह हाईकोर्ट ले अपन पांच बछर जुन्ना करे करार ऊपर काम करे रतिस.

अप्रैल 2017 मं, जाफराबाद के पार से दूर एक ठन टापू, शियाल बेट के बासिंदा 70 बछर के जंदुरभाई बालधिया ह बोट एंबुलेंस के जुन्ना मांग ला जोर देवत गुजरात हाई कोर्ट मं एक ठन जनहित अरजी दायर करिस. अरजी के संग वो ला रद्दा देखावत, 43 बछर के अरविंदभाई खुमान, एक वकील-कार्यकर्ता रहिन, जऊन ह कमजोर समाज मन के हक के सेती काम करेइय्या अहमदाबाद मं बसे एक ठन संगठन सेंटर फॉर सोशल जस्टिस ले जुरे रहिन.

अरजी मं दावा करे गे हवय के सरकार मछुआरा मन के “मौलिक अऊ संवैधानिक अधिकार के उल्लंघन करत हवय, भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के अनदेखी करत हवय, जऊन ह जिनगी के हक के गारंटी देथे.

वो ह मत्स्य पालन सम्मेलन, 2007 के काम के हवाला दीस, जऊन ह "बेवसाय सुरच्छा, सेहत सुरच्छा अऊ इलाज बाबत कम से कम जरूरत मन ला” तय करथे.

Standing on the shore of Jafrabad's coastline, 55-year-old Jeevanbhai Shiyal says fisherfolk say a silent prayer before a trip
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जाफ़राबाद के समंदर तीर मं ठाढ़े 55 बछर के जीवनभाई शियाल कहिथें के मछुआरा मन समंदर मं उतरे ले पहिली मऊन धरे भगवान के सुमिरन करथें

अगस्त 2017 मं, हाई कोर्ट ह सरकार डहर ले कुछु भरोसा मिले के बाद अरजी के निपटारा कर दीस. सरकार डहर ले पेश मनीषा लवकुमार ह अदालत ला बताईस के सरकार ह “समंदर तीर के बासिंदा मन” अऊ “मछुआरा मन के हक के सेती बनेच चेत धरे हवय.”

खास करके, अदालत के आदेश मं कहे गे रहिस के सरकार ह समंदर पार के 1,600 किलोमीटर मं चलेइय्या “कऊनो घलो किसिम के अपात हालत ला संभाले सेती जम्मो सुविधा वाले” सात ठन बोट एम्बुलेंस बिसोय के फइसला करे रहिस.

पांच बछर बाद घलो, मछुआरा मन ला सेहत ले जुरे अपात हालत ले गुजरे ला परत हवय. फेर ओखा अऊ पोरबंदर मं करार करे गे सात ठन बोट एंबुलेंस मन ले सिरिफ 2 ठन लगाय गे हवय.

जाफराबाद ले 7 कोस दूरिहा भंडार दिग मं बसे नान कन सहर राजुला के बासिंदा अरविंदभाई कहिथें, “अधिकतर समंदर के पार अभू घलो असुरच्छित हवय. वाटर एंबुलेंस तेज चाल वाले डोंगा आंय जऊन ह मछरी धरेइय्या ट्रालर के बनिसब्त आधा बखत मं ओतके दूरिहा जा सकथें. हमन ला अइसने एंबुलेंस के सखत जरूरत हवय काबर मछुवार मन ये बखत पार के तीर डोंगा ला चलाय नई सकंय.”

जीवनभाई जानलेवा हार्ट अटेक आय बखत पार ले 40 समुद्री मील धन 25 कोस दूरिहा रहिस. करीबन 20 बछर पहिली, मछुआरा मन सायदे कभू समंदर मं अतक दूरिहा जावत रहिन.

गभीबेन कहिथे, “जब वो ह पहिली बेर मछरी धरे ला सुरु करिस, त वो ला पांच धन आठ समुद्री मील के भीतरी भरपूर मछरी मिल जावत रहिस. ये पार ह मुस्किल ले एक धन दू घंटा के दूरिहा मं होही. कतको बछर ले, ये ह सरलग खराब हो गे हवय. ये बखत, हमन ला पार ले 10 धन 12 घंटा के दूरिहा जाय ला परथे.”

Gabhiben recalls the stress and anxiety she felt every time Jeevanbhai set off to sea after his first heart attack. Most fisherfolk in Gujarat are completely cut off from medical services during time they are at sea
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गाभीबेन तनाव अऊ चिंता ले घिरे तऊन बखत ला सुरता करथें, जऊन बखत जीवनभाई ह पहिली बेर हार्ट अटेक आय के बाद समंदर मं जावत रहिन. गुजरात के अधिकतर मछुआरा मन समंदर मं रहे सेती इलाज के सुविधा ले बचे रहि जाथें

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मछुआरा मन ला समंदर मं दूरिहा तक ले जाय के दू कारन आय, पार तीर मं बढ़त प्रदूसन अऊ घटत मैंग्रोव खोल.

नेशनल फिशवर्कर्स फोरम के सचिव उस्मान गनी कहिथें, “समंदर पार के तीर मं भारी पइमाना मं कारखाना मन के कचरा ह समंदर के पर्यावरन तंत्र ऊपर भयंकर असर करथे.” वो ह कहिथे, “येकर ले मछरी मन पार तीर ले चले जाथें अऊ मछुआरा मन ला दूरिहा तक ले जाय ला मजबूर कर देथे. वो मन जतक आगू जाथें, अपात सेवा ओतकी महत्तम हो जाथे.”

स्टेट ऑफ एनवायरनमेंट रिपोर्ट (एसओई), 2013 के मुताबिक, गुजरात के समंदर तीर के जिला मं 58 माई कारखाना हवंय, जऊन मं रसायन, पेट्रोकेमिकल, लोहा अऊ मेटल सामिल हवंय. ये मं 822 खनन अऊ 3156 खदान के पट्टा दे गे हवंय. 2013 के रपट आय के बाद ले कार्यकर्ता मन के मानना आय के ये आंकड़ा ह भारी बढ़ गे होही.

रपट बताथे के राज मं 70 फीसदी ले जियादा बिजली कारखाना मन येकर समंदर तीर के 13 जिला मं हवंय, बचे 30 फीसदी कारखाना बाकि 20 जिला मं हवंय.

बड़ौदा के पर्यावरण कार्यकर्ता रोहित प्रजापति कहिथें, “कल-कारखाना अक्सर पर्यावरन मानदंड मन के बखिया उखेड़ देथें. हरेक अपन कचरा ला सीधा धन नंदिया के डहर ले समंदर मं फेंक देथें. गुजरात मं 20 ले जियादा नंदिया प्रदूषित हवंय. वो मं कतको अरब सागर मं जाके खतम होथें.”

गनी कहिथें के विकास के नांव ले के समंदर पार के संगे-संग सरकार ह मैंग्रोव खोल ला घलो छितिर-भीतिर कर दे गे हवय. वो ह कहिथे, मैंग्रोव ह पार ला बचाथे अऊ मछरी मन ला अंडा दे बर सुरच्छित जगा देथे. फेर जिहां घलो गुजरात पार तीर कल-कारखाना लगे हवंय, मैंग्रोव ला खतम कर दे हवंय. मैंग्रोव के नईं होय ले मछरी पार तीर मं नई आवंय.”

Jeevanbhai Shiyal on a boat parked on Jafrabad's shore where rows of fish are set to dry by the town's fishing community (right)
PHOTO • Parth M.N.
Jeevanbhai Shiyal on a boat parked on Jafrabad's shore where rows of fish are set to dry by the town's fishing community (right)
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जाफ़राबाद के पार मं ठाढ़े एक ठन डोंगा मं जीवनभाई शियाल बइठे हवंय. इहां सहर के मछुआरा समाज के मछरी के पांत (जउनि) सुखाय सेती रखे गे हवंय

2021 इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट के मुताबिक, गुजरात के मैंग्रोव खोल ह 2019 के बाद ले 2 फीसदी कम हो गे हवय, फेर इही बखत मं देश के स्तर मं ये मं 17 फीसदी बढ़े हवय.

रिपोर्ट मं बताय गे हवय के गुजरात मं 39 मेर ले 38 समंदर तीर के तालुका अलग अलग दिग ले पार के खतम होय सेती भारी नाजुक हवंय. ये ला आमतऊर ले मैंग्रोव ला रोके जा सकत रहिस.

प्रजापति कहिथें, ”मैंग्रोव ला बचाय नई सके सेती गुजरात पार के संग समंदर के स्तर ह बढ़े के कारन मन ले एक ठन आय. समंदर अब कल-कारखाना के कचरा ला लहूंटा लाथे. प्रदूसन अऊ (येकर नतीजा) मैंग्रोव के नई होय ले ये तय होते के पार के तीर के पानी कतक गंदा रही.”

समंदर पार ले अऊ दूरिहा जाय ला मजबूर, मछुआरा मन ला अब पानी के तेज लहर, तेज हवा अऊ अचानक बदले मऊसम ले जूझे ला परथे. गरीब मछुआरा मन के ऊपर जियादा येकर मार झेल्थें काबर वो मन नान-नान मछरी धरेइय्या डोंगा मन ला चलाथें जऊन ह बिपद हालत ले निपटे सेती बने मजबूत नई रहंय.

अप्रैल 2016 मं सनाभाई सियाल के डोंगा मंझा समद्र मं टूट गे. एक ठन भारी लहर ह एक ठन नान कन भुरका ला खोल दीस अऊ बोर्ड उपर के आठ मछुआरा मन के भारी कोसिस के बाद घलो पानी डोंगा मं खुसरे लगिस. मदद के गुहार बेकार रहिस, काबर तीर-तखार मं कऊनो नई रहिस. वो मन अपन दम मं रहिन.

जइसनेच मछुआरा अपन परान बचाय सेती समंदर मं कूद गीन, डोंगा ह टूट गीस अऊ बूड़ गे. हरेक मन तइरे सेती लकरी के जऊन घलो हिस्सा मिलिस वो ला धर लीन. छे झिन बांच गे. 60 बछर के सनाभाई समेत दू झिन के परान चले गे.

बांचे लोगन मन करीबन 12 घंटा समंदर मं येती-वोती तइरत रहंय, एकर बाद मछरी धरेइय्या ट्रालर ह वो मन ला देखिस अऊ बचाइस.

Jamnaben's husband Sanabhai was on a small fishing boat which broke down in the middle of the Arabian Sea. He passed away before help could reach him
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जमनाबेन के घरवाला सनाभाई मछरी धरे डोंगा मं रहिस, जेन ह अरब सागर के मंझा मं टूट गे. कऊनो मदद मिले के पहिलीच ओकर मऊत हो गे

जाफराबाद के बासिंदा 65 बछर के सनाभाई की घरवाली जमनाबेन कहिथें, “ओकर लाश तीन दिन बाद मिले रहिस. मोला नई पता के स्पीड बोट वोला बचाय सकत रहिस धन नई. फेर ओकर करा कम से कम जिंये के एक बने मऊका मिले रतिस. डोंगा मं कुछु गड़बड़ होय के गम पावत वो ह अपात बेरा मं मदद मांगे सके रतिस. सबले खराब बात ये आय के हमन ये सोचते रहि जाथन के काय होय होही?”

ओकर दू झिन बेटा 30 बछर के दिनेश अऊ 35 बछर के भूपद- दूनो के बिहाव होगे हवय अऊ हरेक के दू-दू लईका हवंय – वो मन घलो मछुआरा आंय. सनाभाई के गुजरे के बाद, फेर कुछु डर जइसने सुरु होगे हवय.

जमनाबेन कहिथें, “दिनेश अभू घलो रोज के मछरी धरे जाथे. भूपद जतका हो सकथे मना करथे. फेर हमर देखभाल करे सेती एके परिवार हवय अऊ आमदनी के एकेच जरिया आय. हमर जिनगी समंदर ला भेंट चढ़े हवय.”

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55 बछर के जीवनभाई सियाल, जऊन ह मछरी धरेइय्या डोंगा के मालिक आंय, कहिथें के मछुआरा मन समंदर मं उतरे के पहिली मऊन धरे भगवान के सुमिरन करथें.

वो ह सुरता करथें, “करीबन बछर भर पहिली, मोर एक झिन मजूर ह अचानक ले सीना मं दरद मसूस करिस. हमन तुरते पार डहर जाय ला सुरु करेन.” पांच घंटा तक ले ये मजूर ह साँस लेय सेती हांफत रहय, डोंगा के पार तक आवत ले ओकर हाथ ओकर सीना मं रहिस. सियाल कहिथे, ये ह पांच दिन जइसने लगिस. हरेक सेकंड पहिली ले जियादा लंबा लगय. हरेक मिनट पहिली ले जियादा तनाव ले भरे रहय. मजूर ह बांच गे काबर पार पहुंचतेच वोला अस्पताल मं भर्ती कराय गे रहिस.

सियाल ला येकर आय-जाय मं 50,000 रूपिया खरचा करे ला परिस, काबर वोला एक दिन के भीतरी लहूंटे ला परिस. वो ह कहिथे, “एक चक्कर लगाय मं 400 लीटर तेल के जरूरत परथे. हमन वो दिन एके घलो मछरी नई धरे लहूंट गे रहेन.”

When one of Jeevanbhai Shiyal's workers suddenly felt chest pains onboard his trawler, they immediately turned back without catching any fish. The fuel expenses for that one trip cost Shiyal over Rs. 50,000
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जब जीवनभाई शियाल के ट्रॉलर मं ओकर एक मजूर ला अचानक सीना मं बनेच तेज दरद होइस, त वो ह बिन मछरी धरे तुरते लहूंट गे. आय जाय मं ओकर 50, 000 रूपिया ले जियादा के तेल सिरा गे रहिस

'We bear the discomfort when we fall sick on the boat and get treated only after we are back home,' says Jeevanbhai Shiyal
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जीवनभाई शियाल कहिथें, ' जब हमन डोंगा धरके निकरे रहिथन, त बीमार परे ले घलो अपन असुविधा ला झेले ला मजबूर रहिथन. कऊनो किसिम के इलाज हमन ला तभे मिलथे जब हमन घर लहूंटथन’

शियाल कहिथें, फेर मछरी धरे मं बढ़त उपरहा लागत, सेहत के हालत ला नजरंदाज करे के हमर सहज आदत आय. हमन अपन आप ला बनेच जियादा टारत रहिथन, फेर हमन ला अइसने नई करे ला चाही.

“ये ह खतरा ले भरे हो सकथे. फेर हमन बिना कऊनो बचत के सधारन जिनगी जींयत रहिथन. हमर हालत हमन ला अपन सेहत ला टारे सेती मजबूर करथे. जब हमन डोंगा मं बीमार परथन त हमन ला तकलीफ होथे अऊ घर लहूंटे के बादेच इलाज मिलथे.”

शियाल बेट के बासिंदा मन ला घर मं घलो इलाज नई मिल सकय. 15 मिनट तक के डोंगा सवारी, टापू मं पहुंचे के एकेच जरिया आय; डगमगावत डोंगा मं चढ़े अऊ उतरे मं लगे पांच मिनट घलो लड़ई जइसने होथे.

बोट एंबुलेंस ला छोड़ के, बलधिया के अरजी मं शियाल बेट के 5,000 बासिंदा मन के सेती प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) के मांग घलो करे गे रहिस – ये सब्बो मन आमदनी सेती मत्स्य पालन ऊपर आसरित हवंय.

येकर जुवाब मं हाई कोर्ट के आदेश मं कहे गे रहिस के उपस्वास्थ्य केंद्र मं हफ्ता मं पांच दिन बिहनिया 10 बजे ले संझा 4 बजे तक ले जिला अऊ तीर-तखार के चिकित्सा अधिकारी मन के तैनाती करे जाही.

फेर बासिंदा मन के कहना आय के अइसने कऊनो जमीनी कार्रवाई होवत नई ये.

Kanabhai Baladhiya outside a Primary Health Centre in Shiyal Bet. He says, 'I have to get on a boat every time I need to see a doctor'
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शियाल बेट के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के बहिर बइठे कानाभाई बलधिया. वो ह कहिथें, ‘मोला हरेक बेर डॉक्टर ला दिखाय सेती, डोंगा ले आय-जाय ला परथे’

Hansaben Shiyal is expecting a child and fears she won’t get to the hospital on time
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हंसाबेन शियाल गरभ ले हवंय, अऊ वो ला ये डर लगे रहिथे के वो ह टेम मं अस्पताल नई जाय सकय

एक झिन रिटायर मछुआरा कानाभाई बलधिया कहिथें. माड़ी मं घेरी-बेरी होय दिक्कत के कारन इलाज बर वोला जाफराबाद धन राजुला जाय ला परथे. 75 बछर के ये डोकरा सियान कहिथे, “इहाँ के पीएचसी अक्सर बंद रहिथे. अदालत ह कऊनो कारन ले कहिस के हफ्ता मं पांच दिन इहाँ एक झिन डॉक्टर होना चाही. जनी-मनी हफ्ता के आखिर मं लोगन मन बीमार नई परंय. फेर इहाँ हफ्ता के दिन घलो सायदेच कऊनो बने होहीं. मोला हरेक बेर डॉक्टर करा जाय मं डोंगा मं चढ़े ला परथे.”

गरभ धरे महतारी सेती, ये ह अऊ घलो बड़े समस्या आय.

28 बछर के हंसाबेन शियाल आठ महिना के गरभ ले हवंय अऊ सेहत के अलग-अलग दिक्कत सेती वो ला ये बखत तीन बेर जाफराबाद के एक ठन अस्पताल मं जाय ला परिस. वो ह सुरता करथें के जब वो ह छे महिना के गरभ ले रहिस त पेट ह भारी पिरोइस. रात होगे रहिस अऊ दिन के सेती फेरीवाला मन बनेच बखत तक ले रुके रहंय.वो ह रात भर ला गुजारे अऊ बिहनिया ला अगोरे के फइसला करिस. ये ह बनेच लंबा अऊ चिंता ले भरे रतिहा रहिस.

बिहनिया चार बजे हंसाबेन ह अऊ अगोरे नई सकिस. वो ह एक झिन डोंगहार ला बलाईस जऊन ह ओकर मदद करे बर तियार रहय. वो ह कहिथे, “जब गरभ रहिथे अऊ दरद होवत रहिथे, त डोंगा मं चढ़े अऊ उतरे भारी तनाव ले भरे होथे.  डोंगा कभू थिर नई होवय. तोला अपन आप ला संभाले ला परही. थोकन के चूक घलो तोला पानी मं गिरा सकथे. ये ह अइसने आय जइसने तोर जिनगी एक ठन सूत मं लटकत हवय.”

जब वो ह डोंगा मं चढ़गे त ओकर 60 बछर के सास मंजूबेन ह एंबुलेंस सेवा ला फोन करिस. वो ह कहिथे, “सोचेन के हमन वो मन ला पहिली ले फोन करबो त कुछु बखत बांच जाही. फेर वो मन हमन ला जाफराबाद बंदरगाह मं उतरे के बाद एक घाओ अऊ फोन करे ला कहिन.”

येकर मतलब ये रहिस के एंबुलेंस आय के पहिली वो मन ला 5-7 मिनट अऊ अगोरे ला परिस अऊ वोला अस्पताल ले जाय गीस.

Passengers alighting at Shiyal Bet (left) and Jafrabad ports (right)
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Passengers alighting at Shiyal Bet (left) and Jafrabad ports (right)
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शियाल बेट (डेरी) अऊ जाफ़राबाद बंदरगाह (जउनि) मं उतरत सवारी

अपन ऊपर गुजरे ह हंसाबेन ला डेर्रा दे हवय. वो ह कहिथे, “मोला डर हवय के मंय अपन जचकी बखत टेम मं अस्पताल नई पहुंचे सकंव. मोला डर लागत रहिथे के जब मोला जचकी के पीरा होही त डोंगा ले झंपा जाहूँ. मंय गांव के तऊन माइलोगन मन ला जनथों जऊन मन बखत मं अस्पताल नई हबरे सेती मर गीन. मोला अइसने मामला मं पता हवय जिहां लइका घलो नई बांचिस.”

अरजी ले जुड़े वकील-कार्यकर्ता अरविंदभाई के कहना आय के हालेच के बछर मं शियल बेट ले बढ़त पलायन के कारन इलाज सुविधा के अभाव हवय. वो ह कहिथें, “तुमन ला अइसने परिवार मिलहीं जऊन मन अपन सब्बो कुछू बेंच दे हवंय. ये मेर ले अधिकतर परिवार मन इलाज के सुविधा नई मिल सके ले भारी पीरा ले गुजरे हवंय. वो मन इहाँ ले चले गे हवंय अऊ कभू नई लहूंटे के किरिया करे हवंय.”

समंदर पार के बासिंदा गभीबेन ह प्रन करे हवय: ओकर परिवार के अवेईय्या पीढ़ी अपन पुस्तेनी बेवसाय ला नई करे देय. जीवनभाई के गुजरे के बाद, वो ह कतको मछुआरा मन के सेती मछरी सुखाय के बूता करथें. ये ह भारी मिहनत के बूता आय अऊ रोजी मं 200 रूपिया मिलथे. वो ह जऊन घलो कमाथे, वो ह अपन 14 बछर के बेटा रोहित के आगे पढ़े सेती आय, जऊन ह जाफराबाद के एक ठन पब्लिक इस्कूल मं पढ़त हवय. ओकर साध हवय के वो ह बड़े होके वो बनय जऊन ह ओकर इच्छा आय – सिरिफ मछरी धरे ला छोड़ के.

भलेच येकर मतलब ये होय के रोहित ला जाफराबाद ले बहिर जाय ला परही, गभिबेन ला ओकर बुढ़ापा मं अकेल्ला छोड़ के. जाफराबाद के कतको लोगन मन अपन सबले खराब डर के संग जींयत हवंय. गभी बेन घलो तऊन मन ले एक झिन आंय.

पार्थ एम.एन. ह ठाकुर फैमिली फाउंडेशन ले एक स्वतंत्र पत्रकारिता अनुदान ले के सार्वजनिक स्वास्थ्य अऊ नागरिक स्वतंत्रता के रपट लिखे हवय. ठाकुर फैमिली फाउंडेशन ह ये रिपोर्ताज मं कोनो किसिम के काटछांट नइ करे हे.

अनुवाद: निर्मल कुमार साहू

Parth M.N.

पार्थ एम एन हे पारीचे २०१७ चे फेलो आहेत. ते अनेक ऑनलाइन वृत्तवाहिन्या व वेबसाइट्ससाठी वार्तांकन करणारे मुक्त पत्रकार आहेत. क्रिकेट आणि प्रवास या दोन्हींची त्यांना आवड आहे.

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Editor : Sangeeta Menon

Sangeeta Menon is a Mumbai-based writer, editor and communications consultant.

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Translator : Nirmal Kumar Sahu

Nirmal Kumar Sahu has been associated with journalism for 26 years. He has been a part of the leading and prestigious newspapers of Raipur, Chhattisgarh as an editor. He also has experience of writing-translation in Hindi and Chhattisgarhi, and was the editor of OTV's Hindi digital portal Desh TV for 2 years. He has done his MA in Hindi linguistics, M. Phil, PhD and PG diploma in translation. Currently, Nirmal Kumar Sahu is the Editor-in-Chief of DeshDigital News portal Contact: [email protected]

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