जुलाई 2019 मं जब पुर के पानी ओकर घर मं भरे लगिस त शुभांगी काम्बले ह अपन समान छोड़ के भाग गे. फेर निकरत बखत वो ह लहुवा-लहुवा दू ठन कापी ला धर लीस.

अवेइय्या बखत मं 175 पेज वाले ये दू ठन कापी, वो ला कतको लोगन के परान बचाय मं मदद करही.

वो बखत जब महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिला के ओकर गाँव अर्जुनवाड़, पहिली ले एक ठन अऊ बिपत कोविड-19 के कतको बढ़त मामला ले जूझत रहिस. अऊ शुभांगी ये कापी मं सफ्फा ढंग ले गाँव मं बगरे कोरोना के मामला ले जुरे जानकारी लिखे रहिस, ये मं फोने नंबर, पता, परिवार के दीगर लोगन मन के जानकारी. ओकर इलाज होय के जानकारी, सेहत ले जुड़े दीगर जानकारी घलो सामिल रहिस.

33 बछर के मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता (मितानिन धन आशा) कहिथे, “कोविड रिपोर्ट (गांव मं करे गे आरटी-पीसीआर जाँच) सबले पहिली मोर करा आही.” वो ह भारत के गाँव-देहात सेती 2005 के स्वास्थ्य मिशन सेती नियुक्त एक लाख महिला सामुदायिक स्वास्थ्य देखभाल कार्यकर्ता मन ले एक आय. ओकर लिखे जानकारी ह वोला एक झिन कोविड-पॉजिटिव गांव लोगन के पता लगाय मं मदद करे रहिस, जेन ला शिरोल तालुका मं राहत शिविर मं ले जाय गे रहिस, जेकर ले कम से कम 5,000 दिगर लोगन ला ये ये वायरस बाबत बताय गे रहिस.

वो ह कहिथे, ”पुर सेती कतको लोगन के फोन बंद हो गे रहिस धन नेटवर्क कवरेज ले बहिर हो गे.” शुभांगी, जेन ह 5 कोस दूरिहा तरवाड़ मं अपन मायका चले गे रहिस, ह तुरते अपन हाथ ले लिखाय जानकारी ला खोजिस अऊ शिविर मं कुछु दीगर लोगन मन के फोन नंबर मिलिस. “मंय कइसने करके मरीज ले बात करे मं सुफल हो गेंव.”

A house in Arjunwad village that was destroyed by the floods in 2019
PHOTO • Sanket Jain

साल 2019 मं पुर ले बरबाद अर्जुनवाड़ गांव के एक ठन घर

An ASHA worker examining the damage in the public health sub-centre in Kolhapur's Bhendavade village, which was ravaged by the floods in 2021
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Medical supplies destroyed in the deluge
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डेरी : साल 2021 के पुर ले तबाह कोल्हापुर के भेंदावड़े गांव मं सार्वजनिक स्वास्थ्य उप-केंद्र मं होय नुकसान के जांच करत एक ठन आशा कार्यकर्ता , जउनि : जलपरलय मं इलाज के समान मन खराब हो गे

वो ह तीर के आगर गांव मं बने बने एक ठन कोविड सेंटर मं एक ठन बिस्तरा के घलो बेवस्था करिस अऊ मरीज ला जल्दी उहाँ ले जाय गीस. वो ह कहिथे, “गर मंय कापी ला नई लेगे होतेंय, त हजारों लोगन मन संक्रमित हो जाय रतिन.”

ये पहिली बेर नई रहिस जब शुभांगी ह अपन गांव ऊपर आय आफत ला टार देय रहिस धन अपन काम ला अपन ले आगू रखिस. साल 2019 के पुर (अगस्त मं) के बाद, वो ह अपन बरबाद माटी के घर के देखरेख करे के पहिली काम मं लगे रहिस. वो ह कहिथे, “मंय पंचइत के आदेश के मुताबिक गांव मं होय जम्मो नुकसान के सर्वे करे मं लगे रहेंव.”

ओकर बाद तीन महिना ले जियादा बखत तक ले वो ह पुर के असर मं आय लोगन मन ले गोठ बात करत रहय अऊ हरेक जगा के तबाही देखत रहय. वो ह जऊन देखिस अऊ सुनिस, वो ह वोला भारी हलाकान करिस, वो ह सर्वे करे 1,100 ले जियादा घर मं होय नुकसान ला लिखत चिंता अऊ तनाव मसूस करे लगिस.

वो ह कहिथे, “मंय अपन दिमागी हालत डहर चेत नई धरत रहेंय. फेर मोर करा काय कऊनो चारा रहिस?”

तऊन बछर पुर के सेती परे मार ले उबरे के पहिलेच, वो ह 2020 मं कोविड राहत के मामला मं सबले आगू रहिस. अऊ महामारी के कोप के बाद घलो, वो ह जुलाई 2021 मं पुर के असर मं अवेइय्या लोगन मन के मदद सेती लहूंट के आगे रहिस. शुभंगी कहिथे, “पुर अऊ कोविड एके संग मिले के मतलब रहिस अइसन बिपत जऊन ला हमन कभू सोचे घलो नई सकत रहेन.”

अपन खुद के मानसिक सेहत ला सरलग चेत नई धरे ह आखिर मं दूसर रद्दा ले परगट होय लगिस.

अप्रैल 2022 मं, वोला निमोनिया अऊ मध्यम खून के कमी के  पता चले रहिस. वो ह कहिथे, “मोला आठ दिन ले जर धरे रहिस, फेर कऊनो बूता सेती मंय येकर लच्छन ला नजरंदाज करत रहेंव.” ओकर हीमोग्लोबिन 7.9 तक गिर गे, जऊन ह माइलोगन मन सेती बढ़िया स्तर (12-16 ग्राम प्रति डेसीलीटर खून) ले बनेच तरी रहिस, अऊ वो ला अस्पताल मं भरती कराय ला परिस.

ASHA worker Shubhangi Kamble’s X-ray report. In April 2022, she was diagnosed with pneumonia and also moderate anaemia
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Shubhangi walking to a remote part of Arjunwad village to conduct health care surveys. ASHAs like her deal with rains, heat waves and floods without any aids
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डेरी: आशा कार्यकर्ता शुभांगी कांबले के एक्स-रे रिपोर्ट. अप्रैल 2022 मं , वोला निमोनिया अऊ मध्यम खून के कमी के पता चले रहिस. जउनि: शुभांगी स्वास्थ्य सर्वे करे सेती अर्जुनवाड़ गांव के दूरदराज के इलाका मं जावत हवय. आशा के जइसने वो ह बिना ककरो मदद के बरसात, घाम अऊ पुर ले निपटथे

दू महिना बाद, जइसने वो ह बने होवत रहिस, ओकर गाँव मं भारी पानी गिरिस अऊ शुभांगी ह एक बेर अऊ पानी ला बढ़त देख तनाव मसूस करे लगिस. वो ह कहिथे, “एक बखत, हमन आतुर होके बरसात ला अगोरत रहेन, फेर अब हरेक बरसात के संग हमन ला पुर आय के डर रहिथे. ये बछर अगस्त मं, पानी अतके जल्दी ले चढ़त रहय के मंय कतको दिन ले सुते घलो नई सकंय.” [ये ला घलो पढ़व: पुर के पानी मं बोहावत कोल्हापुर के नोनी खिलाड़ी मन के सपना ]

सरलग इलाज के बाद घलो, शुभांगी के हीमोग्लोबिन स्तर कमति रहिथे; वो ला चक्कर आय अऊ थकान के घलो दिक्कत हवय. फेर देखे मं कऊनो अराम धन इलाज नई ये. वो ह कहिथे, “आशा के रूप मं जब हमन खुदेच पूरा तरीका ले बरबाद हो जाथन, हमन ला मदद करे के एक ठन तरीका बनाय ला चाही.”

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शिरोल के गणेशवाड़ी गांव के 38 बछर के आशा कार्यकर्ता छाया कांबले ह 2021 के पुर के हरेक बात ला सुरता करिस. वो ह कहिथे, “बचाय बर आय डोंगा हमर घर के ऊपर मं तइरत रहिस.”

शुभांगी जइसने, छाया घलो पानी कमतियाय काम मं लहूंट गे रहिस, वोला घर के सब्बो बूता बंद करे ला परिस. वो ह कहिथे, “हमन सब्बो (गणवेशवाड़ी के छे आशा कार्यकर्ता) पहिली उप-केंद्र गे रहेन.” फेर पुर ह सेंटर ला नुकसान पहुंचाय रहिस, येकरे सेती वो मन इहाँ के एक बासिंदा के घर ला कुछु बखत सेती सेंटर बनाइन.

“हरेक दिन निमोनिया, हैजा, टाइफाइड, चमड़ी के रोग, जर-तप अऊ पुर के असर वाले कतको लोगन (उप-केंद्र मं) आवंय.” ये मन के ड्यूटी  महिना भर तक ले चलिस, बिना एको दिन नागा के घलो.

Chhaya Kamble (right) conducting a health survey in Ganeshwadi village
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छाया कांबले (डेरी) गणेशवाड़ी गांव मं स्वास्थ्य सर्वे करत हवय

Chhaya says the changes in climate and the recurring floods have affected her mental health
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डेरी: छाया कहिथे के मऊसम मं बदलाव अऊ घेरी-बेरी अवेइय्या पुर ह वो मन के दिमागी सेहत ऊपर असर करे हवय. जउनि: इहाँ वो ह सर्वे के जानकारी संकेलत हवय

छाया कहिथे, हरेक के आंखी मं आंसू देखे ह हमर ऊपर असर करते. दुरभाग ले हमर बर कऊनो दिमागी सेहत के इलाज के सुविधा नई ये. त हमन बने कइसे होय सकतेन?  अऊ इही वो मन के संग होईस, वो मन उबरे नई सके हवंय.

ओकर तनाव के हालत सरलग बढ़त रहय अऊ वोला साँस लेय मं दिक्कत होय ला धरिस. वो ह कहिथे, “मंय ये सोच के येला चेत नई धरत रहेंव के ये ह बूता के बोझा सेती होही.” कुछेक महिना मं छाया ला अस्थमा होगे. वो ह कहिथे, “डॉक्टर ह कहे रहिस के ये ह भारी तनाव के सेती रहिस.” अइसने भरपूर अध्ययन हवंय जऊन ह तनाव अऊ अस्थमा के सबंध ला बताथें.

येकर बाद घलो के जब दवई मन ले छाया ला राहत मिलत रहय, फेर वो ह तेजी ले बदलत मऊसम ला लेके चिंता करे ला बंद नई करे सकिस. जइसने, ये बछर मार्च अप्रैल के धूपकल्ला बखत, वो ला चक्कर आय अऊ साँस लेय मं तकलीफ होय लगिस.

वो ह सुरता करथे, “ये ह ड्यूटी बखत कठिन समिया रहिस. मोला लगिस के मोर चमड़ी जरत हवय. शोध मं मिले हवय के भारी गरमी सोचे-समझे ऊपर असर कर सकत हवय, इहाँ तक के आत्महत्या दर , हिंसा अऊ हमलावर होय ला घलो बढ़ाय सकत हवय.

कतको दीगर आशा कार्यकर्ता मन छाया के जइसने लच्छन के बात बताथें. कोल्हापुर के मनोवैज्ञानिक शाल्मली रणमाले-काकड़े कहिथें, “ये ह अजीब नई ये. ये ह मऊसमी भावात्मक विकार (एसएडी) के लच्छन आंय.”

एसएडी अवसाद के एक रूप आय जऊन ह मऊसम मं बदलाव ले जनम लेथे. फेर लच्छन समान रूप ले उच्च अक्षांश वाले देश मन मं जड़कल्ला ले जुरे होथे, भारत जइसने उष्णकटिबंधीय देश मन मं घलो लोगन मन ला असर करेइय्या विकार के बारे मं जागरूकता बढ़े हवय.

Shubhangi Kamble weighing a 22-day-old newborn in Kolhapur’s Arjunwad village
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शुभांगी कांबले कोल्हापुर के अर्जुनवाड़ गांव मं 22 दिन के लईका के वजन लेवत

Stranded villagers being taken to safety after the floods
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Floodwater in Shirol taluka in July 2021
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डेरी : पुर के पानी मं फंसे गांव के लोगन मन ला सुरच्छित निकारे जावत हवय. जउनि: जुलाई 2021 मं शिरोल तालुका मं पुर के पानी

शुभांगी कहिथे, “जइसने-जइसने मऊसम बदलथे, मोला चिंता होय ला धरथे, मोला चक्कर आथे. आटा माला अजीबत सहन होइना झाले (मंय येला अऊ झेल नई सकंव). करीबन हरेक पुर के असर वाले आशा कऊनो न कऊनो रूप मं तनाव के गम करत हवंय, जऊन ह अब जुन्ना बीमारी मन के कारन बनत हवंय, येकर बाद घलो, अतका लोगन मन ला बचाय के बाद घलो सरकार हमर मदद नई करय.”

अइसने नई ये के स्वास्थ्य अधिकारी मन समस्या ला नई मानंय. सवाल ये आय के काय वो मन के जुवाब भरपूर हवय धन सही घलो हवय.

तीर के पुर असर वाले हाटकानगले तालुका के तालुका स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रसाद दातार के कहना हवय के ये इलाका मं स्वास्थ्यकर्मी मन पुर अऊ कोविड के बाद ले “बहुते जियादा बूता अऊ तनावग्रस्त” हवंय. वो ह कहिथें, “ये चिंता ला दूर करे ला मदद करे सेती हमन आशा कार्यकर्ता मन सेती सलाना सांस्कृतिक कार्यक्रम रखथन.”

फेर, कोल्हापुर के शिरोल तालुका के बासिंदा आशा यूनियन के नेता नेत्रदीपा पाटिल के मानना आय के ये कार्यक्रम ले कऊनो राहत नई मिलत हवय. वो ह बतावत जाथे, “जब मंय अफसर मन ले दिमागी सेहत ले जुरे दिक्कत के बारे मं बतायेंव, त वो मन येला ये कहत नई मानिन के हमन ला अइसने हालत ले निपटे सेती सीखे के जरूरत हवय.”

रणमाले-काकड़े के कहना आय के आशा कार्यकर्ता मन ला इलाज अऊ सलाह के जरूरत हवय जेकर ले वो मन सरलग तनाव ले निपट सकेंव. वो ह कहिथें, “मदद करेइय्या हाथ ला घलो मदद के जरूरत हवय. दुरभाग ले हमर समाज मं अइसने नई होवय.” वो ह कहिथे, येकर छोड़, सबले आगूके सेहत के देखरेख करेइय्या कतको कार्यकर्ता मदद करे मं अतक आतुर रहिथें के वो मन अक्सर अपन खुद के पीरा, हतासा अऊ भावनात्मक बोझ ला समझे नईं.

वो ह कहिथे के घेरी-बेरी तनाव वाले घटना मं होवत हवंय. फेर ये इलाका मं मऊसम तेजी ले बदलत हवय. येकरे सेती ये बाबत भरी गहिर ले अऊ जल्दी दखल देय के जरूरत हवय.

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कोल्हापुर मं आशा कार्यकर्ता मन के गिरत दिमागी सेहत सेती कतको कार्म हवंय अऊ बदलत मऊसम के सबले जियादा भूमका हवय.

ASHA worker Netradipa Patil administering oral vaccine to a child at the Rural Hospital, Shirol
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Netradipa hugs a woman battling suicidal thoughts
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डेरी : आशा कार्यकर्ता नेत्रदीपा पाटिल ग्रामीण अस्पताल , शिरोल मं एक लइका ला टीका के खुराक देवत. जउनि: नेत्रदीपा ह आत्महत्या के विचार ले जूझत एक माइलोगन ला पोटार के धरे हवय

Rani Kohli (left) was out to work in Bhendavade even after floods destroyed her house in 2021
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An ASHA checking temperature at the height of Covid-19
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डेरी : रानी कोहली (डेरी) 2021 मं पुर के बाद ओकर घर ला तबाह करे के बाद घलो भेंदावड़े मं काम करे सेती निकरे रहिस. जउनि : एक झिन आशा कोविड-19 के तापमान के जांच करत

ये मन के ऊपर काम के भारी बोझा के बाद घलो हरेक आशा ला एक गाँव मं 1,000 लोगन मन के 70 ले जियादा सेहत  के देखभाल करे के बूता ला करथें, जऊन मं सुरच्छित गरभ अऊ बहुउद्देशीय टिकाकरन तय करे सामिल हवय. ये स्वास्थ्य कार्यकर्ता मन कमती तनखा अऊ सोशन ले जूझत हवंय.

नेत्रदीपा बताथें के महाराष्ट्र मं आशा ला महिना मं सिरिफ 3,500-5,000 रुपिया महिना, वो घलो कम से कम तीन महिना के बाद ले. वो ह फोर के कहिथे, “आज घलो हमन ला स्वयंसेवक माने जाथे, जेकर ले हमन ला न्यूनतम मजदूरी अऊ दीगर लाभ नई मिलय.” आशा कार्यकर्ता मन ला जऊन ह मिलथे वो ला सरकार ह  'प्रदर्शन-आधारित प्रोत्साहन' कहिथे, जेकर मतलब आय के वो मन ला अपन समाज के कुछेक बूता करे के बाद देय जाथे. कऊनो तय मानदेय नई ये अऊ तनखा एक जार ले दूसर राज मं अलगा अलगा होथे.

येकरे सेती कतको आशा कार्यकर्ता समाज के सेहत के देखभाल के जरूरत मन ला पूरा करे ले होय सिरिफ अपन आमदनी ले चले नई सकंय. जइसने के शुभांगी ला खेत मजूरी करके अपन जरूरत ला पूरा करे के दुगुना मिहनत करे ला परथे.

वो ह कहिथे, “2019 अऊ 2021 के पुर के बाद, “मोला तीन महिना तक ले बूता नई मिलिस काबर खेत मन  बरबाद हो गे रहिन. बदलत मऊसम के संगे संग बरसात घलो बेबखत हो गे हवय. इहाँ तक ले के गर कुछु बखत बरसात होथे, त ये सब्बो ला बरबाद कर देथे, जऊन मं खेती के बूता मिले के आस घलो मेंझरे हवय.” जुलाई 2021 मं भारी बरसात अऊ पुर ले कोल्हापुर समेत महाराष्ट्र के 24 जिला मं 4.43 लाख हेक्टेयर फसल खेत ऊपर असर परे रहिस.

2019 के बाद ले, एक के बाद एक पुर अऊ संपति के बरबाद होय के संगे संग खेती किसानी के नुकसान ह सुभांगी ला कतको साहूकार ले छोटे-बड़े, भारी बियाज मं कुल जमा 100,000 रुपिया करजा लेगे ला मजबूर होय ला परिस. इहाँ तक ले के वोला अपन सोन गिरवी रखे ला परिस अऊ 10x15 फीट के टपरा कुरिया मं रहे ला परिस काबर वो हा अपन जुन्ना घर ला फिर ले बनवाय नई सकत रहिस.

37 बछर के ओकर घरवाला संजय कहिथे, “2019 अऊ 2021 दूनों मं, पुर के पानी 30 घंटा ले घलो कमती बखत मं घर मन मं भर गे. हमन कुछु घलो बचाय नई सकत रहेन.” संजय अब राजमिस्त्री के काम करे ला सुरु कर देय हवय काबर खेत मजूरी सेती भरपूर बूता नई ये.

After the floodwater had receded, Shubhangi Kamble was tasked with disinfecting water (left) and making a list (right) of the losses incurred by villagers
PHOTO • Sanket Jain
After the floodwater had receded, Shubhangi Kamble was tasked with disinfecting water (left) and making a list (right) of the losses incurred by villagers
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पुर के पानी कम होय के बाद , शुभांगी कांबले ला पानी (डेरी) कीटाणुरहित करे अऊ गांववाला मन के होय नुकसान सूची (जउनि) बनाय के काम सौंपे गे रहिस

अपन खुद के नुकसान अऊ पीरा के बाद घलो शुभांगी ह आशा के रूप मं काम के भारी मांग ला पूरा करे मं अपन बनेच बखत लगाय के गम पाइस.

पुर ले होय नुकसान के सर्वे करे के संगे संग आशा ला पानी ले होय बीमारी मन ला बगरे ले रोके सेती पानीवाला जगा मन ला कीटाणुरहित करे के काम सौंपे गे रहिस. वो मन के कतको काम के मजूरी घलो नई देय जाय. नेत्रदीप कहिथे, “पुर के बाद ये सब्बो राहत के बूता करे सेती जेकर ले हमन ला बनेच दिमागी दिक्कत होईस, हमन ला कुछु घलो मेहनताना नई देय गीस. ये सब्बो मुफत के मिहनत आय.”

शुभांगी कहिथे, “हमन ला हरेक घर जाय ला परत रहिस अऊ दरज करे ला परत रहिस के का कऊनो ला जल जनित धन रोग जनित बीमारी मन के लच्छन हवंय. आशा ह बखत मं इलाज तय करके कतको लोगन मन के परान बचाइस.”

फेर जब वो ह ये बछर अप्रैल मं खुदेच बीमार परिस त सरकार डहर ले बहुते कम मदद मिलिस. वो ह कहिथे “सार्वजनिक स्वास्थ्य  कार्यकर्ता होय के बाद घलो मोला एक ठन निजी अस्पताल मं इलाज कराय ला परिस अऊ 22,000 रूपिया खरचा करे ला परिस. काबर सरकारी अस्पताल सिरिफ दवई लिखत रहीस जबकि मोला तुरते अस्पताल मं भर्ती होय के जरूरत रहिस.” वोला सरकारी उप-केंद्र ले मुफत मं फोलिक एसिड अऊ आयरन के खुराक मिलते, येकर बाद घलो वो ह महिना मं उपरहा दवई बर 500 रूपिया खरचा करथे.

छाया, जऊन ह आशा कार्यकर्ता के रूप मं महिना मं 4,000 रूपिया कमाथे. दवई सेती 800 रूपिया खरचा करथे, वो ला अऊ बीमार करे सकत हवय. वो ह कहिथे, “आखिर मं, हमन ये बात ला मान ले हन के हमन समाजिक कार्यकर्ता अन, सायेद येकरे सेती हमन ला अतक तकलीफ उठाय ला परथे.”

2022 मं, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ह दुरिहा इलाका के समाज मन ला सरकारी इलाज के सुविधा ले जोरके इलाज ला सुभिता बनाय सेती आशा कार्यकर्ता मन ला ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड ले सम्मानित करे रहिस. छाया कहिथे, “हमन सब्बो ला येकर गरब हवय. फेर जब हमन अपन बड़े मन ला ढेरियाय अऊ कमती मेहनताना के बारे मं पूछ्थन त वो मन कहिथें हमन मानवता सेती भारी बेस्वास के सेवा करत हवन. वो मन हमन ला कहिथें, 'भुगतान चांगला नहीं मिलात, पान तुमला पुण्य मिलते (हो सकत हे तुमन ला वाजिब मेहनताना नई मिलत हवय, फेर लोगन के आसीस कमावत हवव)’.”

‘For recording 70 health parameters of everyone in the village, we are paid merely 1,500 rupees,’ says Shubhangi
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शुभांगी कहिथें , ' गांव मं सब्बो 70 स्वास्थ्य मानक मन ला दरज करे सेती हमन ला सिरिफ 1 , 500 रूपिया देय जाथे

An ASHA dressed as Durga (left) during a protest outside the Collector’s office (right) in Kolhapur. Across India, ASHA workers have been demanding better working conditions, employee status, monthly salary and timely pay among other things
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An ASHA dressed as Durga (left) during a protest outside the Collector’s office (right) in Kolhapur. Across India, ASHA workers have been demanding better working conditions, employee status, monthly salary and timely pay among other things
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कोल्हापुर मं कलेक्टर दफ्तर (जउनि) के बहिर विरोध प्रदर्शन के बखत एक झिन आशा ह दुर्गा (डेरी) रूप धरे हवय. जम्मो भारत मं आशा कार्यकर्ता बढ़िया काम करे के हालत, करमचारी माने, महिना मं तनखा अऊ दीगर चीज के संग टेम मं तनखा के मांग करत हवंय

डब्ल्यूएचओ के एक ठन नीति बताथे के बदलत मऊसम ह कइसने सबले आगू आके बूता करेइय्या कार्यकर्ता मं के दिमागी सेहत ऊपर असर करथे: मऊसम के बड़े घटना मन ला अवसाद, चिंता अऊ  तनाव जइसने हालत मन बर पहिली आरो देवईय्या दिखाय गे हवय.

नेत्रदीपा कहिथे मऊसम के घटना मन, बिगड़त काम के हालत अऊ ये डहर चेत नई धरे सेती आशा मन के तन अऊ मन के सेहत ऊपर असर परत हवय. वो ह कहिथे, ये बछर नवतपा बखत सर्वे करत हमन ले कतको मन चमड़ी मं जलन, जलन अऊ थकान के जानकारी देय रहिन. “फेर हमन ला सुरच्छा के कऊनो चीज नई देय गीस.”

पुणे के भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) के मऊसम वैज्ञानिक अऊ मऊसम परिवर्तन रिपोर्ट ऊपर संयुक्त राष्ट्र अंतर सरकारी पैनल के सहयोग करेइय्या रॉक्सी कोल ह ‘मऊसम कार्य योजना’ के जरूरत ऊपर जोर दे हवय, जऊन मं सफ्फा-सफ्फा तऊन दिन के जिकर करे गे हवय जब लू चले अऊ येकर ले जुरे घटना जियादा होथे. वो ह कहिथें, “हमर करा अवेइय्या कतको बछर ले दसक तक के मऊसम के अनुमान हवंय. येकरे सेती वो इलाका मन मं अऊ वो दिन के पहिचान करे जा सकत हवय जब मजूर मन ला घाम मं नई निकरे ला चाही. ये कऊनो बड़े काम नई ये, आंकड़ा पहिलीच ले हवय.”

ये डहर कऊनो सरकारी नीति धन कोसिस नई होय ले, आशा कार्यकर्ता मं ला हालत ले निपटे सेती अपन तरीका खोजे ला छोड़ देय गे हवय. शुभांगी मऊसम के अनुमान करके अपन दिन के काम ला सुरु करथे. वो ह कहिथे, “मंय अपन काम ला छोड़े नई सकंव, मंय कम से कम दिन के बखत के मऊसम के सामना करे अपन ला तियार रखे के कोसिस करथों.”

ये कहिनी, रिपोर्टर ला स्वतंत्र पत्रकारिता अनुदान के तहत इंटरन्यूज के अर्थ जर्नलिज्म नेटवर्क डहर ले समर्थित कड़ी के हिस्सा आय.

अनुवाद: निर्मल कुमार साहू

Sanket Jain

संकेत जैन हे कोल्हापूर स्थित ग्रामीण पत्रकार आणि ‘पारी’चे स्वयंसेवक आहेत.

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Editor : Sangeeta Menon

Sangeeta Menon is a Mumbai-based writer, editor and communications consultant.

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Translator : Nirmal Kumar Sahu

Nirmal Kumar Sahu has been associated with journalism for 26 years. He has been a part of the leading and prestigious newspapers of Raipur, Chhattisgarh as an editor. He also has experience of writing-translation in Hindi and Chhattisgarhi, and was the editor of OTV's Hindi digital portal Desh TV for 2 years. He has done his MA in Hindi linguistics, M. Phil, PhD and PG diploma in translation. Currently, Nirmal Kumar Sahu is the Editor-in-Chief of DeshDigital News portal Contact: [email protected]

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