अंधेरी-रोशनी-का-दिया-जलता-है

Ahmedabad, Gujarat

May 13, 2021

अंधेरी रोशनी का दिया जलता है

बीते साल 5 अप्रैल को प्रधानमंत्री के कहने पर लोगों ने रात 9 बजे, 9 मिनट के लिए सारी लाइटें बंद करके दिए जलाए. इस आयोजन ने अलग-अलग लोगों पर अलग तरीके से असर डाला. गुजरात के शहर अहमदाबाद की रहने वाली एक कवि ने कुछ यूं अपनी प्रतिक्रिया दी…

Translator

Devesh

Want to republish this article? Please write to [email protected] with a cc to [email protected]

Author

Pratishtha Pandya

प्रतिष्ठा पांड्या, पारी में बतौर वरिष्ठ संपादक कार्यरत हैं, और पारी के रचनात्मक लेखन अनुभाग का नेतृत्व करती हैं. वह पारी’भाषा टीम की सदस्य हैं और गुजराती में कहानियों का अनुवाद व संपादन करती हैं. प्रतिष्ठा गुजराती और अंग्रेज़ी भाषा की कवि भी हैं.

Translator

Devesh

देवेश एक कवि, पत्रकार, फ़िल्ममेकर, और अनुवादक हैं. वह पीपल्स आर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया के हिन्दी एडिटर हैं और बतौर ‘ट्रांसलेशंस एडिटर: हिन्दी’ भी काम करते हैं.