वो ह कहिथे, “एक दिन मंय ओलंपिक मं भारत सेती पदक जीते ला चाहत हों,” वो अपन खेल अकेडमी के आगू ले जवेइय्या डामर के सड़क मं लंबा दऊड़ के बाद अभू घलो लंबा लंबा सांस लेवत हवय. चार घंटा के कठिन प्रसिच्छ्न के बाद आखिर मं ओकर थके अऊ जख्मी जुच्छा गोड़ भूईंय्या मं पसरे थोकन सुस्तावत हवंय.

13 बछर के ये लंबा दूरिहा के धाविका कऊनो नव किसिम के चलन के मुताबिक जुच्छा गोड़ नईं चलत हवय. वो ह कहिथे, “मंय अइसनेच दऊड़थों काबर के मोर दाई-ददा दऊड़े सेती महंगा पनही बिसोय नई सकंय.”

वर्षा कदम, दूकाल इलाका वाले मराठवाड़ा मं राज के सबले गरीब जिला मन ले एक परभणी के बनिहार विष्णु अऊ देवशाला के बेटी आय. ओकर परिवार मातंग समाज ले हवय, जऊन ह महाराष्ट्र मं अनुसूचित जाति के रूप मं सूचीबद्ध हवय.

“मोला दऊड़े भाथे,” वो ह कहिथे, ओकर आंखी मं चमक हवय. “करीबन दू कोस (पांच किलोमीटर) के बुलढाणा अर्बन फ़ॉरेस्ट मैराथन 2021 ह मोर पहिली [दऊड़] रहिस. जब मंय दूसर स्थान मं आयेंव अऊ मंय पहिला पदक घलो जीते रहेंव त मोला बनेच बढ़िया लगिस. मंय अऊ जियादा प्रतियोगिता जीते ला चाहत हवंव,” ये प्रन लेके चलत ये किसोर नोनी के कहना रहिस.

जब वो ह सिरिफ आठ बछर के रहिस तब ओकर दाई-ददा मन ओकर लगन ला देख ले रहिन. “मोर मोमा पाराजी गायकवाड़ राज स्तर के एथलीट रहिस. वो ह अब सेना मं हवंय. वोला देख के मंय घलो दऊड़े सुरु कर देंय,” वो ह बताथे. 2019 मं वो ह अंतर-स्कूल राज्य-स्तरीय प्रतियोगिता मं चार किलोमीटर के क्रॉस-कंट्री दऊड़ मं दूसर रैंक हासिल करिस अऊ, “येकर ले मोला दऊड़े बर अऊ जियादा आत्मविश्वास मिलिस.”

arsha Kadam practicing on the tar road outside her village. This road used was her regular practice track before she joined the academy.
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Right: Varsha and her younger brother Shivam along with their parents Vishnu and Devshala
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बाएं: वर्षा कदम अपन गांव के बहिर टार रोड मं अभियास करत हवंय. अकेडमी मं शामिल होय के पहिली ये सड़क ओकर रोज के अभियास ट्रैक होवत रहिस.जउनि : वर्षा अऊ ओकर छोटे भाई शिवम अपन दाई-ददा विष्णु अऊ देवशाला के संग

मार्च 2020 मं महामारी सेती ओकर स्कूल बंद हो गे. वर्षा कहिथे, “मोर दाई-ददा करा ऑनलाइन पढ़े सेती फोन [स्मार्टफोन] नईं ये,”  त ये बखत मं वो ह दू घंटा बिहनिया अऊ दू घंटा संझा दऊड़े मं लगावय.

अक्टूबर 2020 मं, 13 साल के उमर मं, वो ह महाराष्ट्र के परभणी जिला के पिम्पलगांव ठोम्बरे गांव के बहिर इलाका मं बसे श्री समर्थ एथलेटिक्स स्पोर्ट्स आवासीय अकेडमी मं भर्ती हो गीस.

कोनहा मं परे समाज मन के 13 दीगर एथलीट घलो इहाँ प्रसिच्छ्न लेवत हवंय. ये मं आठ झिन टूरा अऊ पांच झिन नोनी मन. कुछेक राज मं विशेष जनजातीय समूह (पीवीटीजी) ले हवंय. ओकर मन के दाई-ददा मन मराठवाड़ा इलाका मं किसान, कुसियार कटेइय्या, बनिहार अऊ बहिर जाके रोजी मजूरी करेइय्या आंय. ये इलाका ह भारी दूकाल सेती जाने जाथे.

इहाँ प्रसिच्छन लेवत,कुछेक लइका मन राज अऊ राष्ट्रीय स्तर के दऊड़ मं हिस्सा लेग चुके हवंय, अऊ कुछेक अंतरराष्ट्रीय स्तर मं भारत के प्रतिनिधित्व घलो करे हवंय.

स्टार एथलीट साल भर अकेडमी मं रइथें अऊ 13 कोस (39 किमी) दूरिहा परभणी के स्कूल/कॉलेज मं पढ़थें. वो मन सिरिफ छुट्टीच के बखत अपन गाँव घर मं जाथें. “कुछेक के स्कूल  बिहनिया होथे अऊ कतको मझनिया मं जाथें. येकरे सेती हमन ओकरे मुताबिक अभियास तय करथन,” संस्थापक रवि रासकाटला कहिथें.

रवि कहिथें, “ ये इलाका के लइका मन मं कतको खेल सेती भरपूर संभावना हवंय, फेर जब परिवार ह दू बखत के खाय सेती जूझत हवंय त ओकर सेती वो मन ला येला एक ठन पेशा के रूप मं अपनाय ला कठिन आय.” 2016 मं अकेडमी सुरु होय के पहिली वो ह जिला परिषद के स्कूल मं खेल सिखावत रहिस. 49 बछर के कोच कहिथें, “मंय बनेच कम उमर मं अइसने (गांव-देहात के) लइका मन ला मुफत मं सबले बढ़िया प्रसिच्छ्न देवाय के फइसला करेंव.” वो ह कोचिंग, प्रसिच्छ्न, आहार अऊ पनही सेती हर बखत प्रायोजक खोजत रहिथे.

Left: Five female athletes share a small tin room with three beds in the Shri Samarth Athletics Sports Residential Academy.
PHOTO • Jyoti Shinoli
Right: Eight male athletes share another room
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डेरी: पांच झिन महिला एथलीट श्री समर्थ एथलेटिक्स स्पोर्ट्स आवासीय अकेडमी मं तीन बिस्तरा वाले एक ठन नान कन टिन के खोली मं रहिथें. जउनि: आठ झिन मरद एथलीट मन एक ठन दीगर खोली मं रइथें

The tin structure of the academy stands in the middle of fields, adjacent to the Beed bypass road. Athletes from marginalised communities reside, study, and train here
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अकेडमी के अस्थायी भवन टीना ले बने हवय जेन ह नीला रंग ले पुताय हवय अऊ बीड बाईपास रोड के तीर के खेत के बीच मं बने हवय. कोनहा मं परे समाज मन के एथलीट इहाँ रइथें, पढ़थें अऊ प्रसिच्छ्न लेथें

अकेडमी के अस्थायी भवन टीना ले बने हवय जेन ह नीला रंग ले पुताय हवय  अऊ बीड बाईपास रोड के तीर के खेत के बीच मं बने हवय. अकेडमी ह डेढ़ एकड़ जमीन मं बने हवय जऊन ह परभणी के एथलीट ज्योति गवते के ददा शंकरराव के आय. वो ह राज्य परिवहन दफ्तर मं चपरासी रहिस; ज्योति के दाई रसोइय्या के बूता करथे.

“हमन टीना के छानी वाले घर मं रहत रहेन. जब मंय कुछु पइसा जमा कर लेंव त कइसने करके अपन बर घर बनवा लें. मोर भाई [महाराष्ट्र पुलिस मं सिपाही]  घलो अब पहिली ले जियादा कमावत हवय, ज्योति कहिथे जेन ह अपन जिनगी ला दऊड़ ला समर्पित कर दे हवय. वो ला जब लगिस के ओकर परिवार ह ‘रवि सर’ ला ओकर खेल अकेडमी सेती अपन खेत के जमीन देय सकथे त वो ह अपन दाई-ददा अऊ भाई के संग बिचार करिस. वो ह कहिथे, “हमन मिलजुल के येकर फइसला करेन.”

अकेडमी मं टीना ले बने दू खोली हवंय, हरेक के अकार करीबन  15 x 20 फीट हवय. दूनों खोली के बीच के भिथि घलो टीनाच ले बनाय गे हे. एक ठन नोनी मं के सेती आय जेन मं तीन बिस्तरा मं पांचों सुतथें ये ह अकेडमी ला दानदाता मन ले मिले हवय. दूसर खोली टूरा मन के सेती आय. फरसी वाले भूंइय्या मं वो मन सुपती लगा के सुतथें.

दूनों खोली मं एक ट्यूब लाइट अऊ एक पंखा लगे हवय. वो तभे चलथें जब बिजली आथे. बिजली के हालत इहाँ भारी खराब हवय. ये इलाका मं धूपकल्ला मं तापमान 42 डिग्री तक ले हबर जाथे अऊ जड़कल्ला मं ये ह 14 डिग्री तक ले गिर जाथे.

महाराष्ट्र राज खेलकूद नीति, 2012 के मुताबिक, राज के ये खिलाड़ी मन के प्रदर्सन मं सुधार बर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स, अकेडमी, प्रसिच्छन-शिविर अऊ खेल समान मुहइय्या कराय जरूरी आय.

फेर रवि बताथें, “दस बछर बाद घलो अब तक ले ये  नीति सिरिफ कागज मं लिखाय हवंय. जमीनी मं कऊनो काम नई होय हे. सरकार अइसने प्रतिभा ला चिन्हारी करे नई सके हवय. खेल अफसर मन मं घलो ये ला लेके कऊनो चेत नई ये.”

इहाँ तक ले 2017 मं भारत के नियंत्रक अऊ महालेखा परीक्षक के एक ठन ऑडिट रिपोर्ट घलो मानथे के तालुका स्तर ले राज तक ले खेल के बुनियादी ढांचा विकसित करे के खेल नीति के मकसद ह पूरा नई होय हवय.

Left: Boys showing the only strength training equipments that are available to them at the academy.
PHOTO • Jyoti Shinoli
Right: Many athletes cannot afford shoes and run the races barefoot. 'I bought my first pair in 2019. When I started, I had no shoes, but when I earned some prize money by winning marathons, I got these,' says Chhagan
PHOTO • Jyoti Shinoli

डेरी: अकेडमी के एकेच शक्ति प्रसिच्छ्न उपकरन ला टूरा मन देखावत हवंय. जउनि: कतको एथलीट पनही नई बिसो सकंय अऊ जुच्छा गोड़ दऊड़थें . छगन कहिथें, ‘मंय अपन पहिली जोड़ी 2019 मं बिसोय रहेंव. जब मंय सुरु करेंव त मोर करा पनही नई रहिस, फेर जब मंय मैराथन जीतके ईनाम हासिल करेंव तब अपन बर बिसो सकंय'

Athletes practicing on the Beed bypass road. 'This road is not that busy but while running we still have to be careful of vehicles passing by,' says coach Ravi
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बीड़ बाईपास रोड मं अभियास करत खिलाड़ी. कोच रवि कहिथें, ‘ये रोड ह ओतक चहल-पहल वाले नो हे फेर दऊड़त बखत हमन ला अभू घलो अवेइय्या जवेइय्या गाड़ी मन ले चेत धरे ला परथे’

रवि बताथें के अकेडमी के रोज के खरचा के बेवस्था करे सेती वो ह निजी कोचिंग देथें. “मोर बनेच अकन सिखेइय्या लइका जेन मन सफल अऊ नामी मैराथन धावक हवंय, वो मन ईनाम के कुछु पइसा ले अकदमी के मदद करथें.”

पइसा सेती सीमित संसाधन अऊ सुविधा के बाद घलो अकेडमी येकर खास चेत रखथे के खिलाड़ी मन ला पौष्टिक आहार मिलय. वो मन ला हफ्ता मं तीन ले चार बेर चिकन धन मछरी साग देय जाथे. दीगर दिन मं वो मन ला अंडा, साग-सब्जी, केरा, ज्वारी, बाजरी अऊ भाकरी के संगे संग मटकी, मूंग अऊ चना जइसने अंकुरित अनाज देय जाथे.

खिलाड़ी डामर रोड मं अपन अभियास बिहनिया 6 बजे ले सुरु कर देथें अऊ 10 बजे तक ले दऊड़त रइथें. संझा मं उहिच सड़क मं 5 बजे ले वो मन ‘स्पीड वर्क’ के अभियास करथें. “ये रोड ह वइसे बनेच चहल पहल वाले नो हे, फेर ओकर बाद घलो अभियास करत हमन ला सड़क मं आवत-जावत गाड़ी मन ले भारी सावधानी बरते ला परथे. मंय वो मन के सुरच्छा के भारी चेत रखे रइथों. ओकर कोच कहिथें, स्पीड वर्क के मतलब जियादा ले जियादा दूरिहा ला कम से कम बखत मं पूरा करे ला होथे. जइसने के एक किलोमीटर दूरिहा ला 2 मिनट 30 सेकंड ले जियादा बखत नई लगे ला चाही.”

वर्षा के दाई ददा अधीर होके तऊन दिन ला अगोरत हवंय, जब ओकर मन के एथलीट बेटी के राष्ट्रीय-स्तर के एथलीट बने के सपना पूरा होही. साल 2021 लेच वो ह महाराष्ट्र मं होवइय्या कतको मैराथन प्रतियोगिता मन मं हिस्सा लेवत आवत हवय. “हमन चाहत हवन के वो ह दऊड़ मं सबले बढ़िया निकर जावय. हमन अपन डहर ले ओकर मनोबल ला बढ़ाय कऊनो कसर नई छोड़त हवन. हमन जानत हवन के एक दिन वो ह हमर अऊ देश सेती नांव कमाही,” ओकर दाई खुसी अऊ गरब ले कहिथे. “हमन सचमुच मं वोला प्रतियोगिता मन मं दऊड़त देखे ला चाहत हवन. हमन देखे ला चाहत हवन के वो ह कइसने प्रदर्सन करथे, “ओकर ददा विष्णु घलो अपन बात कहे ले अपन आप ला रोके नई सकिस.

ये जोड़ा साल 2009 मं बिहाव के बाद ले काम बूता खोजत सरलग घूमत रहय. जब ओकर सबले बड़े लइका वर्षा तीन बछर के रहिस, तब वो मन रोजी मं कुसियार काटे के काम मं गाँव ले बहिर चले जावत रहिन. ये परिवार ह झाला मं जिनगी गुजारत रहिस अऊ कभू घलो एक जगा टिक के नई रहत रहय. “ट्रक मं सरलग आय जाय सेती वर्षा के तबियत बिगड़ जावत रहय, येकरे सेती हमन बहिर जाय ला बंद कर देन,” देवशाला सुरता करत कहिथे.  वो मन गाँवच मं बूता खोजे ला सुरु कर दीन, “जिहां माइलोगन मन ला रोजी 100 रूपिया अऊ मरद लोगन मन ला 200 रूपिया मिलथे,” विष्णु बताथे. वो ह खुद बछर भर मं छे महिना मजूरी करे शहर मं जाथे. “मंय नासिक धन पुणे जाथों, अऊ उहां सुरच्छा गार्ड के रूप मं धन कऊनो काम वाले जगा मं मजूर धन नर्सरी मं माली के बूता करथों.” विष्णु 5 ले 6 महिना मं 20,000 ले 30,000 रूपिया कमा लेथे. देव्शल घरेच मं रइथे, जेकर ले ओकर दूनों लइका एक झिन नोनी अऊ एक झिन बाबू के स्कूल जाय ह झन छूटे.

अपन तरफ ले कऊनो कसर नई छोड़े के बाद घलो वर्षा के दाई ददा वर्षा सेती एक जोड़ी पनही बिसोय नई सकत हवंय, फेर येकर बाद घलो ये किशोर एथलीट ये बात ले रत्ती भर घलो टूटे नई ये. वो ह कहिथे, “मंय अपन तेजी बढ़ाय अऊ दऊड़े के अपन तकनीक ऊपर जियादा धयान देय के कोसिस करत हवंव.”

Devshala’s eyes fills with tears as her daughter Varsha is ready to go back to the academy after her holidays.
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Varsha with her father. 'We would really like to see her running in competitions. I wonder how she does it,' he says
PHOTO • Jyoti Shinoli

डेरी : अपन छुट्टी बिताय के बाद जब वर्षा लहुंट के अकेडमी जाय सेती तियार हवय, त देवशाला के आंखी मं मया के आंसू भर जाथे. जउनि: अपन ददा के संग वर्षा. ‘हमन सचमुच मं वोला प्रतियोगिता मन मं दऊड़त देखे ला चाहत हवन. हमन देखे ला चाहत हवन के वो ह कइसने प्रदर्सन करथे,‘ वो ह कहिथे

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छगन बोम्बले एक मैराथन धावक आंय, जऊन ला अपन पहिली पनही बिसोय सेती दऊड़ प्रतियोगिता मं अपन पहिली जीत ला अगोरे ला परे रहिस. “मंय अपन पहिली पनही के जोड़ा 2019 मं बिसोय रहेंव. जब मंय दऊड़े ला सुरु करेंव, तब मोर करा पनही नई रहिस, फेर जब मोला मैराथन जीते के ईनाम मं थोकन पइसा मिलिस, तब मंय येला बिसोंय,” वो ह तऊन पनही डहर आरो करथे जेन ला वो ह पहिरे हवय अऊ अब भारी घीस गे हे.

करीबन 22 बछर के ये एथलीट अंध जनजाति समाज के बनिहार के बेटा आय, जेकर परिवार के लोगन मन हिंगोली जिला के खम्बाला गांव मं रइथें.

ओकर गोड़ ला भले पनही मिल गे, फेर बिन मोजा के तऊन पनही के घिसे तल्ला सेती वो ह डामर के सड़क के बज्जरता  ला वो ह बने करके मसूस कर सकथे. “ हव, ये ह तकलीफ देथे. सिंथेटिक ट्रैक अऊ बढ़िया किसम के पनही, दूनोच हमर गोड़ के हिफाजत करथें अऊ जखम ले बचाथें.” वो ह ये रिपोर्टर ला हालात ला समझावत कहिथे. “ काबर के हमन अपन दाई-ददा संग पइदल रेंगे, भागे-दऊड़े, खेले-कूदे, डोंगरी मं चढ़े अऊ बिन चप्पल के खेत मं बूता करे के आदत हवय, येकरे सेती हमर बर ये ह कऊनो बड़े बात नो हे.” आये दिन लगे अऊ जखम लगे के बात ला खतम करत वो ह कहिथे.

छगन के दाई-ददा- मारुति अऊ भागीरता करा खुद के जमीन नई ये अऊ ओकर परिवार ह बनिहारी के आमदनी ले चलथे. “कभू हमन बनिहारी करथन, अऊ कभू किसान मन के मवेसी मन ला चराय ले जाथन- कऊनो घलो बूता जेन ला हमन ला कहे जाथे वोला हमन करथन,” मारुति बताथे. दूनों मिलके दिन भर मं 250 रूपिया कमा लेथें. फेर मुस्किल के बात ये आय के वो मन ला महिना मं सिरिफ 15 ले 20 दिन के बूता काम मिल पाथे.

ओकर दऊड़ेइय्या बेटा छगन परिवार के मदद करे सेती शहर, तालुका, राज अऊ राष्ट्रीय स्तर मं छोटे-बड़े मैराथन मं हिस्स लेवत रइथे. वो ह कहिथे, पहिली के तीन विजेता मन ला ईनाम मं नगदी घलो मिलथे. कभू 10,000 रूपिया, कभू 15,000 रूपिया. मोला बछर भर मं 8 ले 10 मैराथन दऊड़ प्रतियोगिता मं भाग लेय  के मऊका मिल जाथे. ये मं हरेक ला जीते मुस्किल होथे. साल 2022 मं मंय दू ठन प्रतियोगिता जिए रहेंव अऊ तीन मं उप विजेता रहेंव. मंय तब करीबन 42,000 रूपिया कमाय रहेंव.”

Left: 22-year-old marathon runner Chhagan Bomble from Andh tribe in Maharashra
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Right: Chhagan’s house in Khambala village in Hingoli district. His parents depend on their earnings from agriculture labour to survive
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डेरी: महाराष्ट्र के अंध जनजातीय समाज के 22 बछर के मैराथन धावक छगन बोम्बले.जउनि : हिंगोली जिला के खम्बाला गांव मं छगन के घर.ओकर दाई-ददा परिवार के गुजर-बसर सेती बनिहारी के भरोसा मं हवंय

येती खम्बाला गांव मं छगन के एक खोली के घर मेडल अऊ ट्रॉफी ले भरे हवय. ओकर दाई-ददा ला ये मेडल अऊ  सर्टिफिकेट ला देख के गरब होथे. हमन अनाड़ी [अनपढ़] हवन. मोर बेटा दऊड़के अपन जिनगी मं कुछु करही, 60 बछर के मारुति कहिथें. “हमर बर त ये ह सोन ले जियादा कीमती आय,” छगन के 57 बछर के दाई भागीरता मने मन मुचमुचावत माटी के अपन घर मं बगरे मेडल अऊ सर्टिफिकेट डहर आरो करत कहिथे.

छगन कहिथे, “मंय कुछु बड़े करे के जुगत मं लगे हवं. मोला ओलंपिक मं हिस्सा लेगे ला हवय.” ओकर अवाज मं एक ठन खास प्रन के गूंज सुने ला मिलथे. फेर वोला बाधा के अंदेसा घलो हवय. “हमन ला कम से कम खेलकूद के बुनियादी सुविधा के जरूरत हवय. एक धावक सेती सबले बढ़िया प्रदर्सन के मतलब सबले कम बखत मं सबले जियादा दूरी तय करे ले होथे, फेर सिंथेटिक ट्रैक अऊ माटी धन डामर के सड़क मं ये बखत ह अलग अलग होथे. येकर नतीजा ये होथे के राष्ट्रीय अऊ अंतरराष्ट्रीय दऊड़ प्रतियोगिता धन ओलंपिक सेती हमर चयन मं कतको दिक्कत आथे,” वो ह फोरके समझावत कहिथें.

परभणी के ये उभरत एथलीट मन ला शक्ति प्रसिच्छ्न सेती दू डम्बल अऊ चार पीवीसी जिम प्लेट ले अपन काम चलाय ला परत हवय. “परभणीच नईं, जम्मो मराठवाड़ा मं राज सरकार के एके घलो अकेडमी नई ये,” रवि बताथें.

वायदा अऊ नीति के आंकड़ा मं कऊनो कमी नई ये. साल 2012 मं बने राज के खेलकूद नीति ला अब 10 बछर ले जियादा हो चुके हवय, जेकर तहत खेलकूद ला प्रोत्साहित करे सेती तालुका स्तर मं घलो बुनियादी सुविधा देय के बेड़ा करे गे रहिस. खेलो इंडिया के आय के बाद घलो हालत मं कऊनो बदलाव नई आइस, जेकर तहत महाराष्ट्र सरकार ला जम्मो राज मं 36 (हरेक जिला मं एक ठन) खेलो इंडिया सेंटर सुरु करे ला रहिस.

Left: Chhagan participates in big and small marathons at city, taluka, state and country level. His prize money supports the family. Pointing at his trophies his mother Bhagirata says, 'this is more precious than any gold.'
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Right: Chhagan with his elder brother Balu (pink shirt) on the left and Chhagan's mother Bhagirata and father Maruti on the right
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डेरी : छगन सरलग शहर, तालुका, राज अऊ राष्ट्रीय स्तर के छोटे-बड़े मैराथन मं भाग लेथें. वोला ईनाम मं मिले रकम ले मदद मिल जाथे. वोला मिले कतको ट्रॉफी ला देखावत ओकर दाई भागीरता कहिथें, ‘ये ह सोन ले घलो जियादा कीमती आय.’ जउनि: छगन अऊ ओकर बड़े भाई बालू ; संग मं दाई भागीरता अऊ ददा मारुति डेरी डहर हवंय

भारत के ‘स्पोर्टिंग पॉवरहाउस’ (खेल के महाशक्ति) कहेइय्या ग्रामीण महाराष्ट्र मं अंतरराष्ट्रीय स्तर के 122 नवा स्पोर्ट्स कॉप्लेक्स बनाय के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के घोषणा उपर सबके नजर लगे हवय. ये घोषणा मुख्यमंत्री ह जनवरी 2023 मं महाराष्ट्र स्टेट ओलंपिक गेम सुरु करे बखत करे रहिस.

परभणी के जिले खेल अफसर नरेंद्र पवार टेलीफोन मं बताथें, “हमन अकेडमी बनाय सेती उचित जगा ला खोजत हवन, अऊ तालुका स्तर के स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स बनाय के बूता चलत हवय.”

अकेडमी मं प्रसिच्छ्न लेवत एथलीट मन नई जानंय के वो मं काकर बात के भरोसा करें. “ये दुख के बात आय के नेता अऊ आम जनता घलो हमन ला तभेच महत्ता देथे, जब हमन ओलंपिक मं मेडल जीतथन,” छगन कहिथें. “तब तक ले हमन कऊनो ला नजर नई आवन. खेलकूद के बुनियादी सुविधा सेती हमर लड़ई ला महत्ता देवेइय्या कऊनो नईं ये. मोला वो बखत अऊ घलो खराब लागथे, जब मंय देखथों के ओलंपिक मं हिस्सा लेवेइय्या हमर पहलवान मन नियाव सेती लड़त हवंय, अऊ ओकर मन के मदद करे के छोड़ वो मन के संग निरदयी बेवहार करे जावत हवय.”

वो ह मुचमुचावत कहिथें, “फेर हम खिलाड़ी मं जनम ले लड़ाका होथन. सिंथेटिक रनिंग ट्रैक होय धन कऊनो अपराध के खिलाफ नियाव के मामला होय, हमन आखिरी साँस तक ले लड़े ला नईं छोड़न.”

अनुवाद: निर्मल कुमार साहू

ಜ್ಯೋತಿ ಶಿನೋಲಿ ಪೀಪಲ್ಸ್ ಆರ್ಕೈವ್ ಆಫ್ ರೂರಲ್ ಇಂಡಿಯಾದ ಹಿರಿಯ ವರದಿಗಾರರು; ಅವರು ಈ ಹಿಂದೆ ‘ಮಿ ಮರಾಠಿ’ ಮತ್ತು ‘ಮಹಾರಾಷ್ಟ್ರ1’ನಂತಹ ಸುದ್ದಿ ವಾಹಿನಿಗಳೊಂದಿಗೆ ಕೆಲಸ ಮಾಡಿದ್ದಾರೆ.

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Editor : Pratishtha Pandya

ಪ್ರತಿಷ್ಠಾ ಪಾಂಡ್ಯ ಅವರು ಪರಿಯ ಹಿರಿಯ ಸಂಪಾದಕರು, ಇಲ್ಲಿ ಅವರು ಪರಿಯ ಸೃಜನಶೀಲ ಬರವಣಿಗೆ ವಿಭಾಗವನ್ನು ಮುನ್ನಡೆಸುತ್ತಾರೆ. ಅವರು ಪರಿಭಾಷಾ ತಂಡದ ಸದಸ್ಯರೂ ಹೌದು ಮತ್ತು ಗುಜರಾತಿ ಭಾಷೆಯಲ್ಲಿ ಲೇಖನಗಳನ್ನು ಅನುವಾದಿಸುತ್ತಾರೆ ಮತ್ತು ಸಂಪಾದಿಸುತ್ತಾರೆ. ಪ್ರತಿಷ್ಠಾ ಗುಜರಾತಿ ಮತ್ತು ಇಂಗ್ಲಿಷ್ ಭಾಷೆಗಳಲ್ಲಿ ಕೆಲಸ ಮಾಡುವ ಕವಿಯಾಗಿಯೂ ಗುರುತಿಸಿಕೊಂಡಿದ್ದು ಅವರ ಹಲವು ಕವಿತೆಗಳು ಮಾಧ್ಯಮಗಳಲ್ಲಿ ಪ್ರಕಟವಾಗಿವೆ.

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Translator : Nirmal Kumar Sahu

Nirmal Kumar Sahu has been associated with journalism for 26 years. He has been a part of the leading and prestigious newspapers of Raipur, Chhattisgarh as an editor. He also has experience of writing-translation in Hindi and Chhattisgarhi, and was the editor of OTV's Hindi digital portal Desh TV for 2 years. He has done his MA in Hindi linguistics, M. Phil, PhD and PG diploma in translation. Currently, Nirmal Kumar Sahu is the Editor-in-Chief of DeshDigital News portal Contact: [email protected]

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