लॉकडाउन-के-बीच-बुज़ुर्ग-कामगारों-की-आजीविका-का-कोई-ठिकाना-नहीं

Kolhapur, Maharashtra

Jul 01, 2020

लॉकडाउन के बीच बुज़ुर्ग कामगारों की आजीविका का कोई ठिकाना नहीं

कर्नाटक के बेलगावी और महाराष्ट्र के कोल्हापुर में मशीनों की मरम्मत करने वाले एक मुस्लिम कामगार, एक आदिवासी बुनकर, और रस्सी बनाने वाले एक दलित श्रमिक - तीनों बुज़ुर्ग और अत्यधिक कुशल कारीगरों के पास लॉकडाउन में कोई काम नहीं है

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Author

Sanket Jain

संकेत जैन, महाराष्ट्र के कोल्हापुर में रहने वाले पत्रकार हैं. वह पारी के साल 2022 के सीनियर फेलो हैं, और पूर्व में साल 2019 के फेलो रह चुके हैं.

Translator

Qamar Siddique

क़मर सिद्दीक़ी, पीपुल्स आर्काइव ऑफ़ रुरल इंडिया के ट्रांसलेशन्स एडिटर, उर्दू, हैं। वह दिल्ली स्थित एक पत्रकार हैं।