अनेक पीढ़ियों से यहां के कारीगर इस दुर्लभ सुषिर वाद्ययंत्र को बनाते रहे हैं. लेकिन, नई पीढ़ी के युवाओं द्वारा अधिक लाभ के आकर्षण में दूसरे व्यवसायों को अपनाए जाने के कारण यह शिल्प धीरे-धीरे अब विलुप्ति की तरफ़ बढ़ रहा है
अपर्णा कार्तिकेयन एक स्वतंत्र पत्रकार, लेखक, और पारी की सीनियर फ़ेलो हैं. उनकी नॉन-फिक्शन श्रेणी की किताब 'नाइन रुपीज़ एन आवर', तमिलनाडु में लुप्त होती आजीविकाओं का दस्तावेज़ है. उन्होंने बच्चों के लिए पांच किताबें लिखी हैं. अपर्णा, चेन्नई में परिवार और अपने कुत्तों के साथ रहती हैं.
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Prabhat Milind
प्रभात मिलिंद, शिक्षा: दिल्ली विश्विद्यालय से एम.ए. (इतिहास) की अधूरी पढाई, स्वतंत्र लेखक, अनुवादक और स्तंभकार, विभिन्न विधाओं पर अनुवाद की आठ पुस्तकें प्रकाशित और एक कविता संग्रह प्रकाशनाधीन.