“मंय त इहाँ बिहाव करके रोवत हवं”

नवा बहुरिया 29 बछर के रोजी अपन दुखड़ा सुनावत हवय. वो ह अकेल्ला नो हे. श्रीनगर मं डल झील के बासिंदा मन के कहना आय के नोनी मन इहाँ के रहेइय्या टूरा मन ले बिहाव करे ला नई चाहंय. गुलशन नजीर कहिथे, “हमर पहिलीच ले तीन बेर रिस्ता टूट चुके हवय,” जेन ह अपन छोटे बेटा बर रिस्ता खोजत हवय. इहाँ तक ले अब रिस्ता लवेइय्या मन घलो इहाँ आय ला बंद कर दे हवंय.”

बारू मुहल्ला के ये महतारी के कहना आय के येकर कारन आय, राज के सबले बड़े ताजा पानी के झील मन ले एक के तीर मं पानी के भारी कमी के समस्या.

बढ़ई के बूता करेइय्या मुश्ताक अहमद कहिथें, “नौ बछर पहिली हमन अपन डोंगा लेके जावत रहेन अऊ झील के कतको जगा ले पानी संकेल के लावत रहेन. पानी के कऊनो टैंकर नई रहिस”.

फेर बीते दस बछर ले जियादा बखत ले मुश्ताक बिहनिया 9 बजे ले मेन रोड मं सरकार के डहर ले अवेइय्या पानी के टैंकर ला अगोरत हवय. गुडू मोहल्ला मं रहेइय्या ओकर 10 लोगन के परिवार येकरेच भरोसा मं हवय. अपन सुभीता सेती वो ह 20-25 हजार खरचा करके पानी के टंकी बिसोय हवय अऊ पाइपलाइन डारे हवय. वो ह कहिथे, “फेर य ह तभेच काम करते जब बिजली रहिथे, जेन ह कश्मीर मं जड़कल्ला मं एक ठन बड़े समस्या आय.” ये महिना (फागुन) ट्रांसफार्मर मं खराबी सेती वो मन ला बाल्टी मं पानी भरके लाय ला परिस.

Left: Hilal Ahmad, a water tanker driver at Baroo Mohalla, Dalgate says, 'people are facing lot of problems due to water shortage.'
PHOTO • Muzamil Bhat
Right: Mushtaq Ahmad Gudoo checking plastic cans (left) which his family has kept for emergencies
PHOTO • Muzamil Bhat

डेरी: डलगेट के बारू मोहल्ला मं पानी के टैंकर चालक हिलाल अहमद कहिथें, ‘पानी के भंडारण सेती लोगन मन ला बनेच अकन समस्या ला झेले ला परत हवय ' जउनि : मुश्ताक अहमद गुडू प्लास्टिक के डब्बा मन ला देखत हवंय (डेरी) जऊन ला ओकर परिवार ह आपत-बिपत सेती रखे हवय

मुर्शिदाबाद के बेगुनबारी पंचइत के हिजुली गांव के बासिंदा मन पानी के टैंकर ले घलो पानी भरथें. वइसे, वो मन बर पानी भेजे के बेवस्था एक झिन निजी बेपारी ह करथे, जेन ह पश्चिम बंगाल मं 20 लीटर सेती 10 रूपिया लेथे.

“हमर करा कऊनो उपाय नई ये, तुमन देखव, हमन इही पानी ला बिसोथन. गर चूक गे, त घर मं पिये के पानी नई रहय,” लालबानू बीबी कहिथे.

ये त साफ़ हवय के रोजी, मुश्ताक अऊ लालबानू तऊन लोगन मन ले हवंय जेन मन ला केंद्र सरकार के जल जीवन मिशन (जेजेएम) के लाभ नई मिले हवय. जेजेएम वेबसाइट के कहना आय के गाँव-देहात के 75 फीसदी परिवार मन (ओकर 19 करोड़) करा पिये के पानी मिलत हवय. ये मं ये घलो कहे गे हवय के साल 2019 मं 3.5 लाख करोड़ के खरचा सेती पांच बछर मं नल के संख्या तीन गुना होगे, येकरे सेती आज 46 फीसदी गाँव के घर मन मं पानी के कनेक्शन हवय.

असल मं, बिहार राज के सात निश्चय योजना के तहत साल 2017-18 मं बिहार के अकबरपुर मं चिंता देवी अऊ सुशीला देवी के गाँव मं नल लगाय गे रहिस. चिंता कहिथे, “नल छै-सात बछर पहिली लगाय गे रहिस. एक ठन टंकी घलो, फेर अब तक ले ये नल ले पानी के एक बूंद पानी निकरे नई ये.”

बात ये आय के चिंता अऊ सुशीला दलित आंय, अऊ 40 दलित परिवार मन ला कभू घलो पानी के कनेक्शन नई मिलिस, फेर ऊंच जात के घर मन ला मिलिस. सुक्खा नल अब जात के चिन्हारी बन गे हवय.

Left: Women wait to fill water in West Bengal. Here in Hijuli hamlet near Begunbari in Murshidabad district, Rajju on the tempo. Lalbanu Bibi (red blouse) and Roshnara Bibi (yellow blouse) are waiting with two neighbours
PHOTO • Smita Khator
Right: In Bihar's Nalanda district, women wait with their utensils to get water from the only hand pump in the Dalit colony of Akbarpur panchayat
PHOTO • Umesh Kumar Ray

डेरी: पश्चिम बंगाल मं पानी भरे सेती अगोरत माईलोगन मन. इहाँ के मुर्शिदाबाद जिला के बेगुनबारी के हिजुली गांव मं रज्जू टेम्पो मं हवय. लालबानू बीबी (लाल ब्लाउज) अऊ रोशनारा बीबी (पिंयर ब्लाउज) दूनों परोसी मन के संग अगोरत हवंय. जउनि: बिहार के नालंदा जिला मं, अकबरपुर पंचइत के दलित बस्ती मं माइलोगन मन अपन बरतन-बासन धरे अकेल्ला बोरिंग मं पानी भरे बर अगोरत हवंय

In the Dalit colony of Akbarpur, a tank was installed for tap water but locals say it has always run dry
PHOTO • Umesh Kumar Ray
Right: The tap was erected in front of a Musahar house in Bihar under the central Nal Jal Scheme, but water was never supplied
PHOTO • Umesh Kumar Ray

अकबरपुर के दलित बस्ती मं नल के पानी सेती एक ठन टंकी लगाय गे रहिस फेर इहाँ के लोगन मन के कहना आय के वो ह हमेशा सूखाय रहिथे. जउनि: केंद्रीय नल जल योजना के तहत बिहार मं एक झिन मुसहर घर के आगू मं  नल लगाय गे रहिस, फेर पानी सप्लाई कभू नई करे गीस

अकबरपुर के दलित बस्ती जिहां वो मन रहिथें, सिरिफ एके ठन बोरिंग हवय जेन ह सबले जियादा मुसहर अऊ चमार (राज मं पिछड़ी जाति अऊ अनुसूचित जाति के रूप मं सूचीबद्ध) के काम मं आवत हवय.

बोरिंग जेन ह अक्सर खराब होवत रहिथे, “ हमन चंदा करके वोला सुधारवाथन.” नालंदा जिला के ये बस्ती के बासिंदा 60 बछर के चिंता ह कहिथे. वो ह कहिथे, “एकेच उपाय ऊंच जात के यादव मन ले पूछे आय, फेर वो मन मना करे सेती जाने जाथें.”

नेशनल कैंपेन ऑन दलित ह्यूमन राइट्स (एनसीडीएचआर) के एक ठन अध्ययन ले पता चलथे के भारत मं, सब्बो दलित गांव मन मं करीबन आधा (48.4 फीसदी) ला पानी नई मिलत हवय, अऊ 20 फीसदी ले जियादा मन ला साफ पानी मिलत नई ये.

महाराष्ट्र के पालघर मं के ठाकुर आदिवासी राकु नाडागे के मुताबिक, न ही आदिवासी अइसने करथें. अपन गाँव गोंडे खुर्द मं वो ह कहिथे, “टेंकर कभू नई आवय.” येकरे सेती जब 1,137 लोगन मन के निस्तारी के इहाँ के चूंवा घाम मं सूखा जाथे, त “हमन ला दू कलशी [ पानी ले जाय के बरतन] एक ठन मुड़ मं अऊ दूसर अपन कनिहा मं धरके जंगल ले जाय ला परथे. कऊनो सड़क नई ये.”

राकू ला अपन परिवार के बऊरे सेती पानी लेगे ला तीन बेर जाय ला परथे- नौ घंटा मं करीबन 10 कोस रेंगत.

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Shivamurti Sathe (right) is an organic farmer from Kakramba and sells his produce daily in the Tuljapur market in Maharashtra. He has seen five droughts in the last six decades, and maintains that the water crisis is man-made
PHOTO • Jaideep Hardikar
Shivamurti Sathe (right) is an organic farmer from Kakramba and sells his produce daily in the Tuljapur market in Maharashtra. He has seen five droughts in the last six decades, and maintains that the water crisis is man-made
PHOTO • Medha Kale

शिवमूर्ति साठे (जउनि) काकरंबा के एक जैविक किसान आंय अऊ महाराष्ट्र के तुलजापुर बजार मं रोज अपन उपज बेचथें. वो ह बीते 60 बछर मं पांच बेर अकाल देखे हवय अऊ ओकर मानना आय के पानी के संकट बर मइनखे के हाथ हवय

ककरंबा गांव के बासिंदा शिवमूर्ति साठे ह अपन जिनगी के साठ बछर मं पांच बेर अकाल देखे हवय.

ये किसान के कहना आय के महाराष्ट्र के तुलजापुर इलाका मं, बीते 20 बछर ले धनहा जमीन भर्री हो गे हवय; एक तिनका बन-कांदी के नई जामय. वो ह येकर बर ट्रेक्टर बऊरे ला दोस देथे. आट [नांगर] अऊ बइला के संग, माटी मं कांदी ह वासन [मेड़] बनाय रहिस जेकर ले पानी ह भर जावय अऊ धीरे-धीरे रिसत रहय. ट्रैक्टर माटी ला पोला कर देथे अऊ पानी सीधा एक छोर ले दूसर छोर मं चले जाथे.

वो ह 1972 मं अपन नौ बछर के उमर के बखत ला सुरता करथे जब वो ह “पहिली अऊ सबले खराब अकाल” देखे रहिस. पानी त रहिस फेर खाय के कुछु नई रहिस. ओकर बाद घलो हालत ह कभू नई सुधरिस. साठे कका तुलजापुर शहर मं इतवारी बजार मं साग-भाजी अऊ चीकू बेंचथे. साल 2014 मं सूखा के सेती वो ह अपन आम के बगीचा के एक एकड़ ला गंवा दीस. “हमन जमीन भीतरी के पानी ला भारी बऊरे हवन अऊ सब्बो किसिम के जहरीला रसायन बऊर के अपन धनहा भूंइय्या ला भर्री बना दे हवन.”

ये फागुन के महिना आय, अऊ वो ह कहिथे, “हमन बइसाख मं अकरस पानी के आस करत हवन, नईं त ये बछर भारी मुसकुल होवेइय्या हवय.” पिये के पानी के मार मचे हवय. “हमन हजार लीटर पानी सेती 300 रूपिया खरचा करत हवन. अऊ सिरिफ मइनखेच मन ला नईं, हमर मवेसी मन ला घलो पानी के जरूरत होथे.”

स्वामीनाथन आयोग के पहिली रिपोर्ट बताथे के चारा के सेती मवेसी मरत हवंय, जेकर ले किसान मन बर सीजन के कऊनो ठिकाना नई होय ले निपटे अऊ घलो मुस्किल होगे हवय. रिपोर्ट मं आगू बताय गे हवय, “वइसने अकाल ह कुछु बखत के घटना नो हे फेर ये ह सदा के बिनास करेइय्या आय.”

Left: Droughts across rural Maharashtra forces many families into cattle camps in the summer
PHOTO • Binaifer Bharucha
Right: Drought makes many in Osmanabad struggle for survival and also boosts a brisk trade that thrives on scarcity
PHOTO • P. Sainath

डेरी: जम्मो महाराष्ट्र मं अकाल सेती कतको परिवार घाम बखत मवेसी केंप मं रहे ला मजबूर हो जाथें. जउनि: अकाल सेती कतको लोगन मन ला जिनगी गुजारे सेती जूझे ला परथे अऊ तेज करोबार ला बढ़ावा मिलथे जेन ह अभाव मं पनपथे

PHOTO • Priyanka Borar

कच्छी गीत के एक ठन अंश जेन ह अब तक पारी मं छपे नई ये, आम लोगन मन के पानी के संकट के समाधान  खोजे के सरकार के भरोसा नई करे के बात करथे. सायेद सरदार सरोवर परियोजना के बाद घलो पानी देय मं भारी विफल होय के सेती जिहां बांध के ऊँचाई ला बढ़ाके अकाल ले जूझत किसान मन के सपना ऊपर पानी फेर दीस. इलाका मं व्यवस्थित रूप ले पिये के पानी देय के छोड़ निर्माण काम डहर, खेती ले कारखाना डहर, गरीब ले अमीर मन के डहर चले जाथे, जेकर ले किसान मन ला जूझे ला परथे

साल 2023 मं जेठ ले भादों तक, धाराशिव (पहिली उस्मानाबाद) जिला के तुलजापुर ब्लॉक में 570.3 मिमी पानी गिरिस (समान्य 653 मिमी सलाना बरसात के बनिस्बत). येकर आधा ले जियादा हिस्सा असाढ़ मं सिरिफ 16 दिन मं गिर गे. जेठ, सावन अऊ कुंवार मं 3-4 हफ्ता तक ले परे सूखा ले भूंइय्या मं जरूरी नमी नई होय सकिस, नदिया-नरुआ, तरिया-डबरी नई भरिस.

येकरे सेती काकरबा के किसान जूझत हवंय; “हमन ला [अब] हमर जरूरत के सिरिफ 5-10 फीसदीच मिलत हवय. तुमन ला गाँव भर मं बरतन अऊ हंडा (मटका) के लंबा लाइन देखे ला मिलही,” वो ह पारी के ये रिपोर्टर ला चेताथे.

साठे कका कहिथे, " ये मं [अकाल जइसने हालत] मइनखे के पूरा हाथ हवय.”

जइसने के मुर्शिदाबाद जिला मं आफत हवय जिहां भूजल ह आर्सेनिक ले जहरीला होगे हवय. पश्चिम बंगाल मं गंगा के मैदानी इलाका मं भागीरथी के पार मं मीठ पानी के ट्यूबवेल तेजी ले सूखत हवंय.

बेगुनबारी पंचइत मं नल के पानी नई होय सेती लोगन मन ट्यूबवेल के भरोसा मं रहिन (अबादी: 10, 983, जनगणना 2011). रोशनआरा बीबी कहिथे, “हमन ट्यूबवेल ले निस्तारी करथन, फेर अब [2023] सब्बो सूखा गे हवय. जइसने के इहाँ बेलडांगा I ब्लॉक मं तरिया रहिस. तरिया घलो तेजी ले नंदावत जावत हे.” वो ह कहिथे के ये ह बरसात मं कमी के संग-संग भूजल ले पानी खिंचेइय्या भारी पैमाना मं पंप के बेहिसाब पानी खिंचे सेती होथे.

In Murshidabad, shallow pumps (left) are used to extract ground water for jute cultivation. Community tanks (right) are used for retting of jute, leaving it unusable for any household use
PHOTO • Smita Khator
In Murshidabad, shallow pumps (left) are used to extract ground water for jute cultivation. Community tanks (right) are used for retting of jute, leaving it unusable for any household use
PHOTO • Smita Khator

मुर्शिदाबाद मं, जूट (सन) के खेती सेती पानी पंप (डेरी) लगाय जाथे. सार्वजनिक तरिया (जउनि) मन मं सन ला फुलोय जाथे जेकर ले वो ह घर बऊरे के काम नई आवय

साल 2017 के ये रिपोर्ट मं कहे गे हवय के भारत मं भूजल खेती अऊ घरेलू दूनों के माई साधन आय, जेन ह गाँव मन मं पानी निस्तारी के 85 फीसदी आय.

जहांआरा बीबी बताथें के इहाँ भूजल के भारी दोहन सरलग बारिसकल्ला मं कम पानी गिरे के नतीजा आय. हिजुली गाँव के 45 बछर के बासिंदा के बिहाव जूट (सन) के खेती करेइय्या एक ठन परिवार ले होय हवय. फसल तभे लुये जा सकथे जब फुलोय सेती भरपूर पानी हो. एक बेर कटे के बाद जूट अगोरे नई सकय, वो ह सर जाथे. साल 2023 के सावन के आखिर मं बेलडांगा I ब्लॉक के खेत मन मं बिन पानी के खड़े सन के फसल, बरसात मं भारी कम पानी गिरे के गवाही देथे.

इहाँ के बासिंदा मन पारी ला बताइन, फेर कऊनो घलो मामला मं, आर्सेनिक मिले सेती ये इलाका के ट्यूबवेल ऊपर भरोसा नई करे जा सकय. जब भूजल मं आर्सेनिक के बात आथे, त मुर्शिदाबाद सबले जियादा असर वाले जिला मन ले एक आय,  जेह ह चमड़ी, साँस अऊ जचकी ले जुरे बीमारी ऊपर असर करथे.

फेर आर्सेनिक मिले ला लेके बढ़त जागरूकता के संग ये ह बंद हो गे हवय. वइसे, वो ह अब जम्मो ढंग ले निजी पानी पहुंचेइय्या मन के भरोसा मं हवय अऊ सोचे के बात ये आय के कऊनो नई जानय के जऊन पानी वो मन बिसोवत हवंय वो ह सुरच्छित हवय धन नई.

पानी के टैंकर कुछेक लइका मन ला स्कूल ले घर ले आथे, जइसने रज्जू, बेगुनबारी हाई स्कूल के 5 वीं क्लास के लइका अऊ हिजुली के बासिंदा. रज्जू मदद करे सेती हैंडपंप के पानी के टैंकर ले पानी घर ले जाथे. वो ह ये रिपोर्टर डहर देखके आंखी मारत कहिथे, “ये घर मं पढ़ाई ले बढ़िया हवय.”

ये इलाका मं वो ह सिरिफ अइसने करेइय्या नो हे. हिजुली ले कुछेक कोस दूरिहा काजिसाहा मं (अबादी 13,489, जनगणना 2011) कुछेक लइका उछाह मं पानी के बेपारी के बताय मुताबिक बड़े लोगन मन ला वो मन के बरतन अऊ मटका मं पानी भरे मं मदद करत हवंय. लइका मन के कहना आय के वो मन ला ये ह भाथे काबर के “हमन ला वैन के पाछू मं बइठके गाँव भर मं घूमे के मऊका मिलथे.”

Left: In Hijuli and Kazisaha, residents buy water from private dealers. Children are often seen helping the elders and also hop on to the vans for a ride around the village.
PHOTO • Smita Khator
Right: Residents of Naya Kumdahin village in Dhamtari district of Chhattisgarh have to fetch water from a newly-dug pond nearby or their old village of Gattasilli from where they were displaced when the Dudhawa dam was built across the Mahanadi river
PHOTO • Purusottam Thakur

डेरी: हिजुली अऊ काज़िसाहा मं, बासिंदा मन निजी बेपारी ले पानी बिसोथें. लइका मन ला अक्सर बड़े लोगन मन के मदद करत देखे जाथे अऊ वो मन गाँव घूमे सेती वैन मं चढ़ जाथें. जउनि: छत्तीसगढ़ के धमतरी जिला के नया कुमदाडीहिन गांव के बासिंदा मन ला लकठा मं खने नवा तरिया धन अपन जुन्ना गांव गट्टासिल्ली ले पानी लाय ला परथे , जिहां ले महानदी मं दुधावा बांध बने के बाद वो मन ला  विस्थापित करे गे रहिस

PHOTO • Sanviti Iyer

पुरंदर तालुका के पोखर गांव के शाहूबाई पोमन हमन ला बताथें के भलेच चऊर पिसे अऊ धान कूटे कठिन बूता आय, फेर भारी दूरिहा ले हरेक दिन पानी दोहारे के बनिस्बत वो ह भारी असान आय.राजगुरुनगर के देव तोरणे गांव की पार्वतीबाई अवारी कहिथे, ओकर गांव के माइलोगन मन किस्मतवाली आंय, काबर के ओकर मन तीर भरपूर पानी वाले एक ठन चूँवा हवय अऊ वो सब्बो इहाँ ले पानी भरथें. घर के सेती पानी भरे माइलोगन मन के जिम्मेवारी आय, फेर पानी के जगा तक जाय बर भारी लंबा रद्दा जाय के बनिस्बत चूँवा ले पानी लाय जियादा सुभीता आय. मूल ग्रिंडमिल सॉन्ग्स (जांता गीत) प्रोजेक्ट टीम ह ये गीत मन ला साल 1995 अऊ 1999 मं पुणे जिला मं रिकॉर्ड करे रहिस. ये गीत पहिली घलो बनाय गे रहिस, अइसने बखत मं जब साल दर साल पानी भरे जावत रहिस अऊ नदिया ले लाय अऊ चूँवा ले निकारे जावत रहिस. आज के उलट, जब पानी अऊ ओकर कमी करीबन एकेच अरथ वाले बन गे हवंय

मुर्शिदाबाद मं आर्सेनिक अऊ महाराष्ट्र के पालघर मं डायरिया - हजारों कोस दूरिहा फेर एकेच समस्या के नतीजा – नंदावत जावत पानी के भंडार.

राकु नाडागे के कहना आय के ओकर गांव गोंडे खुर्द मं, चुंवा के पानी तेजी ले गिरत जावत हे अऊ 227 घर येकर भरोसा मं हवंय. वो ह कहिथे, ये ह हमर बर पानी के सबले लकठा के अऊ एके जरिया आय. मोखदातालुका के ये गांव मं अधिकतर लोगन मन ठाकुर जनजाति के हवंय.

दू बछर पहिली, ओकर बेटा दीपक ला दस्त होगे रहिस, जेन ह ओकर पिये के पानी सेती होय रहिस. साल 2018 के एक ठन अध्ययन मं पालघर जिला के नौ गांव के लइका मन मं डायरिया 33.4 फीसदी दर्ज करे गीस. अपन बेटा के बीमार होय के बाद ले राकू हर दिन पानी उबाल के पिथे.

फेर उबाले सेती, राकू ला पहिली पानी लाय ला परही. घाम मं जब चूंवा मं पानी सूखा जाथे, त गाँव के माईलोगन मन बाघ नदी तक ले जाथें – करीबन 3 कोस दूरिहा अऊ तीन घंटा अवई-जवई मं, दिन मं दू ले तीन बार जाथें, बिहनिया धन संझा मं जब घाम मं कमती रइथे.

यूनिसेफ के एक ठन रिपोर्ट के मुताबिक, भारत भर मं पानी ले जुरे घर के सब्बो काम बूता के भार माईलोगन मन के ऊपर गलत तरीका ले परथे अऊ “गाँव-देहात के करीबन 54 फीसदी माईलोगन मन (कुछेक किसोर उमर के नोनी मन ला मिलाके) अंदाजन हरेक दिन 35 मिनट पानी भरे मं गुजारथें.”  रिपोर्ट मं ये घलो कहे गे हवय के ये ह बछर भर मं 27 दिन के रोजी-मजूरी के नुकसान के बरोबर आय.

चिंता देवी कहिथे, “मरद लोगन मन ला का बूता सेती[बहिर] जाय ला परथे, येकरे सेती हमन ला रांधे बर पानी लाय ला परथे. बिहनिया बखत बोरिंग मं भारी भीड़ लाग जाथे.” वो ह कहिथे, “मंझनिया मं हमन ला नुहाय-धोय अऊ दीगर काम सेती पानी के जरूरत परथे अऊ संझा के रांधे सेती पानी के जरूरत परथे.”

Left: In Gonde Kh village in Palghar district, a single well serves as the water-source for the entire community, most of whom belong to the K Thakur tribe.
PHOTO • Jyoti Shinoli
Right: When the well dries up in summer, the women have to walk to the Wagh river to fetch water two to three times a day
PHOTO • Jyoti Shinoli

डेरी: पालघर जिला के गोंडे खुर्द गांव मं, एके ठन चूँवा समाज के निस्तारी करथे, जिहां अधिकतर ठाकुर जनजाति के हवंय. जउनि: घाम मं जब चूँवा सूख जाथे त माई लोगन मन ला दिन मं दू ले तीन बेर पानी लाय बर बाघ नदी तक जाय ला परथे

Left: Young girls help their mothers not only to fetch water, but also in other household tasks. Women and girls of the fishing community in Killabandar village, Palghar district, spend hours scraping the bottom of a well for drinking water, and resent that their region’s water is diverted to Mumbai city.
PHOTO • Samyukta Shastri
Right: Gayatri Kumari, who lives in the Dalit colony of Akabarpur panchayat, carrying a water-filled tokna (pot) from the only hand pump in her colony. She says that she has to spend at least one to two hours daily fetching water
PHOTO • Umesh Kumar Ray

डेरी: किसोर उमर के नोनी मन न सिरिफ पानी लाय मं फेर दीगर घरेलू काम मं घलो अपन महतारी के हाथ बंटाथें. पालघर जिला के  किलाबंदर गांव मं मछुवारा समाज के माईलोगन अऊ नोनी मं पिये के पानी सेती चूँवा ले पानी भरे मं घंटों बिताथें, अऊ ये बात ले रिसाय हवंय के ओकर इलाका के पानी ला मुंबई शहर कोती मोड़ देय गे हवय. जउनि: अकबरपुर पंचइत के दलित बस्ती मं रहेइय्या गायत्री कुमारी अपन बस्ती के अकेल्ला हैंडपंप ले पानी भरे टोकना (मटका) ले जावत हवय. वो ह कहिथे के वोला रोज के पानी लाय मं कम से कम दू घंटा लाग जाथे

ये दलित बस्ती मं पानी के एकेच साधन चांपाकल (हैंडपंप/बोरिंग) हवय अऊ  पानी सेती लाइन लगे रहिथे. सुशीला देवी कहिथे, “अतक बड़े टोला [बस्ती] मं सिरिफ एकेच ठन हैंडपंप हवय. हम टोकना-बाल्टी [बरतन-बासन] धरके ठाढ़े हवन.”

धूपकल्ला मं जब बोरिंग सूखा जाथे, त माईलोगन मन खेत मं पानी पलोय सेती लगे बोर मन मं जाथें. 45 बछर के सुशीला देवी कहिथे, “ये ह कभू-कभू एक किमी दूरिहा होथे. पानी लाय मं बनेच बखत बरबाद होथे.

“गर्मी बढ़ती है तो हम लोगों को प्यासे मरने का नौबत आ जाता है [घाम बढ़त जाथे त हमन ला पियासे मरे के नौबत आ जाथे],” वो ह बगियावत कहिथे अऊ संझा के रांधे के तियारी सुरु करे चले जाथे.

ये ह अलग-अलग जगा के पारी के कहिनी आय, जऊन ला कश्मीर ले मुजामिल भट, पश्चिम बंगाल ले स्मिता खटोर, बिहार ले उमेश के राय, महाराष्ट्र ले मेधा काले अऊ ज्योति शिनोली अऊ छत्तीसगढ़ ले पुरुषोत्तम ठाकुर ह लिखे हवंय. गीत मन पारी के ग्रिंडमिल गीत परियोजना अऊ रण के गीत: कच्छी लोक गीत मन के ऊपर चलत परियोजना मन ले लेय गेय हवय, जेन ला नमिता वायकर अऊ प्रतिष्ठा पंड्या ह संजोय हवंय अऊ संविति अय्यर ह ग्राफिक्स बनाय हवय.

जिल्द फोटू: पुरूषोत्तम ठाकुर

अनुवाद: निर्मल कुमार साहू

Editors : Sarbajaya Bhattacharya

सर्वजया भट्टाचार्य, पारी के लिए बतौर सीनियर असिस्टेंट एडिटर काम करती हैं. वह एक अनुभवी बांग्ला अनुवादक हैं. कोलकाता की रहने वाली सर्वजया शहर के इतिहास और यात्रा साहित्य में दिलचस्पी रखती हैं.

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Editors : Priti David

प्रीति डेविड, पारी की कार्यकारी संपादक हैं. वह मुख्यतः जंगलों, आदिवासियों और आजीविकाओं पर लिखती हैं. वह पारी के एजुकेशन सेक्शन का नेतृत्व भी करती हैं. वह स्कूलों और कॉलेजों के साथ जुड़कर, ग्रामीण इलाक़ों के मुद्दों को कक्षाओं और पाठ्यक्रम में जगह दिलाने की दिशा में काम करती हैं.

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Photo Editor : Binaifer Bharucha

बिनाइफ़र भरूचा, मुंबई की फ़्रीलांस फ़ोटोग्राफ़र हैं, और पीपल्स आर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया में बतौर फ़ोटो एडिटर काम करती हैं.

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Translator : Nirmal Kumar Sahu

Nirmal Kumar Sahu has been associated with journalism for 26 years. He has been a part of the leading and prestigious newspapers of Raipur, Chhattisgarh as an editor. He also has experience of writing-translation in Hindi and Chhattisgarhi, and was the editor of OTV's Hindi digital portal Desh TV for 2 years. He has done his MA in Hindi linguistics, M. Phil, PhD and PG diploma in translation. Currently, Nirmal Kumar Sahu is the Editor-in-Chief of DeshDigital News portal Contact: [email protected]

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