जमील कढ़ाई करे मं माहिर हवय जऊन मं महीन जरी (सोन) के धागा लगाय जाथे. हावड़ा जिला के 27 बछर के ये मजूर भूईंय्या पालथी मारके घंटों बइठे रहिथे अऊ महंगा कपड़ा मन ला चमकदार बनाथे. फेर, 20 बछर के उमर मं हड्डी के टीबी होय के बाद ले वोला सुई धागा ले दूरिहा रहे ला परिस. बीमारी ह ओकर हड्डी मन ला अतक कमजोर कर दीस के वोला लंबा बखत तक ले मोड़ के रखे मुस्किल होगे.

“ये मोर काम-बूता करे के उमर आय, अऊ [मोर] दाई-ददा ला सुस्ताय ला चाही. फेर येकर उलट होवत हवय. वो मन ला मोर इलाज सेती काम करे ला परत हवय,” हावड़ा जिला के चेंगाइल इलाका के रहेइय्या अऊ इलाज सेती कोलकाता जवेइय्या जवान लइका के कहना आय.

इहीच जिला मं अविक अऊ ओकर परिवार हावड़ा के पिलखाना झुग्गी मं रहिथे, अऊ किसोर उमर के ये लइका ला घलो टीबी हवय. वोला साल 2022 के बीच मं स्कूल छोड़े ला परिस. वइसे वो ह बने होवत हवय ओकर बाद घलो वो ह स्कूल जाय नई सकय.

मंय पहिली बखत जमील, अविक अऊ दीगर मन ले वो बखत मिले रहेंव जब मंय साल 2022 मं ये कहिनी ला लिखे ला सुरु करे रहेंव. मंय अक्सर वो मन के हाल चाल जाने सेती पिलखाना के झुग्गी-झोपड़ी मं जावत रहेंव काबर के मोला वो मन के रोज के जिनगी ला जाने फोटू खींचे ला रहिस.

निजी दवाखाना के खरचा उठाय मं अच्छम जमील अऊ अविक सुरु मं दक्षिण 24 परगना अऊ हावड़ा जिला के गाँव-देहात इलाका के मरीज मन के मदद सेती काम करेइय्या एक ठन गैर-सरकारी संगठन डहर ले चलत मोबाइल टीबी क्लिनिक मं जाँच कराय आय रहिस. सिरिफ ये दूनों नई रहिन अऊ घलो कतको आय रहिन.

Left: When Zamil developed bone tuberculosis, he had to give up his job as a zari embroiderer as he could no longer sit for hours.
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Right: Avik's lost the ability to walk when he got bone TB, but now is better with treatment. In the photo his father is helping him wear a walking brace
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डेरी: जब जमील ला हड्डी मं टीबी होगे, त वोला जरी कढ़ाई के काम ला छोड़े ला परिस काबर के वो ह अब घंटों  बइठे नई सकत रहिस. जउनि: हड्डी के टीबी होय सेती अविक ह चले फिरे नई सकत हवय, वइसे अब इलाज ले वो ह बने होवत हवय. फोटू मं ओकर ददा ओकर रेंगे खातिर खास किसम के पनही बनाय हवय

An X-ray (left) is the main diagnostic tool for detecting pulmonary tuberculosis. Based on the X-ray reading, a doctor may recommend a sputum test.
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An MRI scan (right) of a 24-year-old patient  shows tuberculosis of the spine (Pott’s disease) presenting as compression fractures
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फुफ्फुसीय टीबी के पता लगाय एक्स-रे (डेरी) निदान के कारगर तरीका आय. एक्स-रे के आधार ले डॉक्टर ह थूक के जाँच बर लिखथे. 24 बछर के मरीज के एमआरआई स्कैन (जउनि) मं रीढ़ के टीबी   (पॉट्स रोग) के संपीड़न फ्रैक्चर के रूप में दिखत हवय

हाल के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2019-21 ( एनएफएचएस-5 ) मं कहे गे हवय, टीबी रोग ह एक ठन बड़े बीमारी के रूप मं फिर ले उभरे हवय. दुनिया भर मं टीबी के 27 फीसदी मामला भारत मं हवय (नवंबर 2023 मं छपे, विश्व स्वास्थ्य संगठन के टीबी रिपोर्ट ).

दू डाक्टर अऊ 15 नर्स के मोबाइल टीम दिन भर मं करीबन 50 कोस (150 किमी) दूरिहा जाथे, धार धन पांच अलग-अलग जगा मं जाके लोगन मन के इलाज करथे जेन मन कोलकाता धन हावड़ा तक ले जाय नई सकंय. मोबाइल क्लीनिक के मरीज मन मं बनिहार, मजूर, पथरा खदान मजूर, बीड़ी बनेइय्या, बस अऊ ट्रक ड्राइवर रहिन.

जऊन मरीज मन के मंय फोटू खिंचेंव अऊ मोबाइल क्लीनिक मं ओकर मन ले गोठ बात करेंव, वो मन ले अधिकतर गाँव-देहात अऊ शहर के गंदी बस्ती मं रहिथें.

ये मोबाइल क्लीनिक कोविड बखत खास करके सुरु करे गे रहिस अऊ अब ये बंद हवय. अविक जइसने रोगी अब हावड़ा मं बंट्रा सेंट थॉमस होम वेलफेयर सोसाइटी मं जाँच कराय सेती जाथें. ये जवान लइका मन के जइसने, सोसायटी मं अवेइय्या दीगर लोगन मन घलो कोनहा मं परे समाज ले आंय अऊ घर वो मन भीड़ वाले सरकारी अस्पताल मं जाहीं त वो मन के दिन भर के रोजी के नुकसान हो जाही.

रोगी मन ले गोठियावत, मंय देखेंव के चेत धरे, इलाज अऊ देखभाल के बातेच छोड़ देव, बनेच कम लोगन मन टीबी रोग के बारे मं जानत रहिन. कतको टीबी मरीज अपन परिवार के संग मं रहिथें अऊ एकेच खोली मं रहिथें काबर के वो मन करा अऊ रद्दा नई ये. जऊन मन एके संग काम करथें वो मन घलो एकच खोली मं रहिथें; “मंय अपन काम करेइय्या संगवारी मन के संग रहिथों. एक झिन ला टीबी हवय, फेर मंय अपन रहे बर अलग खोली के भाड़ा नई उठाय सकंव. येकरे सेती मंय वो मन के संग रहिथों,” रोशन कुमार कहिथें जेन ह 13 बछर पहिली हावड़ा मं एक ठन जूट कारखाना मं काम करे सेती दक्षिण 24 परगना ले आय रहिस.

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'Tuberculosis has  re-emerged  as  a  major  public  health  problem,' says the recent National Family Health Survey 2019-21(NFHS-5). And India accounts for 27 per cent of all TB cases worldwide. A case of tuberculous meningitis that went untreated (left), but is improving with treatment. A patient with pulmonary TB walks with support of a walker (right). It took four months of steady treatment for the this young patient to resume walking with help
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'Tuberculosis has  re-emerged  as  a  major  public  health  problem,' says the recent National Family Health Survey 2019-21(NFHS-5). And India accounts for 27 per cent of all TB cases worldwide. A case of tuberculous meningitis that went untreated (left), but is improving with treatment. A patient with pulmonary TB walks with support of a walker (right). It took four months of steady treatment for the this young patient to resume walking with help
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हाल के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2019-21 (एनएफएचएस-5) मं कहे गे हवय, ‘टीबी रोग ह एक ठन बड़े बीमारी के रूप मं फिर ले उभरे हवय.’ दुनिया भर मं टीबी के 27 फीसदी मामला भारत मं हवय. ट्यूबरकुलस मैनिंजाइटिस जेकर इलाज नई होय हवय (डेरी), फेर इलाज ले सुधार होवत हवय. फुफ्फुसीय टीबी के एक झिन रोगी वॉकर के सहारा ले के चलथे (जउनि). ये जवान रोगी ला मदद लेके चले-फिरे सुरु करे मं चार महिना तक ले सरलग इलाज कराय ला परिस

Rakhi Sharma (left) battled tuberculosis three times but is determined to return to complete her studies. A mother fixes a leg guard for her son (right) who developed an ulcer on his leg because of bone TB
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Rakhi Sharma (left) battled tuberculosis three times but is determined to return to complete her studies. A mother fixes a leg guard for her son (right) who developed an ulcer on his leg because of bone TB
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राखी शर्मा (डेरी) तीन बेर टीबी ले जूझ चुके हवय फेर अपन पढ़ई ला पूरा करे के ठान ले हवय. एक झिन दाई अपन बेटा (जउनि) सेती लेग गार्ड लगाथे जेकर गोड़ मं हड्डी के टीबी सेती अल्सर होगे हवय

किसोर लइका अऊ टीबी ला लेके राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन 2021 के रिपोर्ट मं कहे गे हवय के देश मं टीबी के रोगी लइका मन के संख्या दुनिया के बचपन ऊपर टीबी के 28 फीसदी हवय.

जब अविक ला टीबी के पता चलिस त वोला स्कूल छोड़े ला परिस काबर के वो ह अब थोकन दूरिहा मं बने अपन घर ले रेंगे नई सकत रहिस. 16 बछर के अविक कहिथे, मोला अपन स्कूल अऊ संगवारी मन के सुरता आथे अऊ अब वो मन मोर ले एक क्लास आगू निकर गें हवंय. मोला खेल खेले ह घलो सुरता आथे.

भारत मं, हरेक बछर 0 ले 14 बछर उमर तक के अंदाजन 3.33 लाख लइका मन टीबी रोग हो जाथे; टूरा मन मं येकर रोग के अंदेसा जियादा होथे. एनएचएम के रिपोर्ट मं कहे गे हवय, “लइका मन मं टीबी के इलाज करे मुस्किल आय ... लइका मन मं येकर लच्छन बचपना के दीगर बीमारी मन के जइसने होथे.” ये मं कहे गे हवय के जवान टीबी रोगी ला दवई के बड़े खुराक के जरूरत होथे.

17 बछर के राखी शर्मा बनेच लंबा इलाज के बाद ले बने होवत हवय. वो ह अभू घलो बिना सहारा के रेंगे नई सकय धन लंबा बखत तक ले बइठे नई सकय. ओकर परिवार हमेसा पिलखाना झुग्गी मं रहत रहिस. ये बीमारी सेती ओकर पढ़ई के एक बछर बरबाद होगे. ओकर ददा राकेश शर्मा, जऊन ह हावड़ा मं एक ठन होटल मं काम करथे, वो ह कहिथे, “हमन घर मं ट्यूशन मास्टर रकहे हवन जेकर ले पढ़ई के हर्जा झन होवय. हमन वोला जइसने हो सकथे सबले बढ़िया तरीका ले सहारा देय के कोसिस करत हवन, फेर हमर घलो खरचा करे के एक ठन ताकत हवय.”

गांव-देहात के इलाका मं टीबी के मामला सबले जियादा हवय; हालेच मं एनएफएचएस 5 के मुताबिक, जऊन घर मन मं रांधे सेती लकरी धन भूसी बारथें, जेकर मन के अलग रंधनी खोली नई ये अऊ वो मन लगा-लगी मं रहिथें, वो मन ला येकर होय के अंदेसा सबले जियादा हवय.

स्वास्थ्य कर्मी मन ये मं एकमत हवंय के टीबी न सिरिफ गरीबी, उचित खुराक अऊ कम कमई सेती होथे, फेर ये बीमारी ह रोगी के गरीबी ला अऊ जियादा गरीबी डहर ले जाथे.

Congested living conditions increase the chance of spreading TB among other family members. Isolating is hard on women patients who, when left to convalesce on their own (right), feel abandoned
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Congested living conditions increase the chance of spreading TB among other family members. Isolating is hard on women patients who, when left to convalesce on their own (right), feel abandoned
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एके खोली में सब्बो के गुजर-बसर सेती घर के दीगर लोगन मन ला घलो टीबी होय के अंदेशा बढ़ जाथे. महतारी रोगी ला अलग रखे कठिन होथे, जेन मन ला अपन भरोसा (जउनि) मं ठीक होय सेती छोड़ देय जाथे, त वो मन अपन आप ला तियागे जइसने मसूस करथें

Left: Monika Naik, secretary of the Bantra St. Thomas Home Welfare Society is a relentless crusader for patients with TB.
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Right: Patients gather at the Bantra Society's charitable tuberculosis hospital in Howrah, near Kolkata
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डेरी: बैंट्रा सेंट थॉमस होम वेलफेयर सोसाइटी  के सचिव मोनिका नाइक टीबी के रोगी मन बर लड़त हवंय. जउनि: कोलकाता के तीर हावड़ा मं बैंट्रा सोसायटी के धर्मार्थ तपेदिक अस्पताल मं मरीज जुरत हवंय

एनएफएचएस-5 ये घलो कहिथे के टीबी रोगी वाले परिवार ह कलंक के डर ले येला छिपाके रखथें: “... पांच ले एक झिन मरद अपन परिवार के टीबी होय के बात ला लुका के रखथे .” टीबी अस्पताल सेती स्वास्थ्यकर्मी मिले घलो मुस्किल आय.

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के रिपोर्ट (2019) के मुताबिक, भारत मं टीबी के एक चौथाई महतारी मरीज 15 ले 49 बछर के हवंय. वइसे मरद मन के बनिस्बत माइलोगन मन ला टीबी कम होथे. फेर जेन मन येकर रोगी होथें वो मन अपन सेहत ला छोड़ घर के चिंता जियादा करथें.

“मंय जल्दी ले जल्दी लहूंटे ला चाहत हवंव. मोला डर हवय के मोर घरवाला आन ले बिहाव कर लिही” बिहार के टीबी रोगी हनीफा अली कहिथे, जेन ह अपन बिहाव ला लेके चिंता मं परे हवय. हावड़ा मं बैंट्रा सेंट थॉमस होम वेलफेयर सोसाइटी के डॉक्टर मन के कहना आय के बनेच संभावना हवय के वो ह अपन दवई लेगे ला बंद कर दिही.

“माइलोगन मन चुपेचाप ये बीमारी ला झेलथें. वो मन लच्छन ला छिपाथें अऊ बूता करत रहिथें. अऊ बाद मं जब वो मन ला बीमारे के पता चलथे, तब तक ले बनेच बखत गुजर चुके रहिथे. नुकसान हो चुके रहिथे,” सोसायटी के सचिव मोनिका नाइक कहिथे. वो ह 20 बछर ले जियादा बखत ले टीबी ला लेके काम करत हवंय, वो ह कहिथे के टीबी ले निजात मिले मं लंबा बखत लगथे अऊ येकर असर जम्मो परिवार मं परथे.

“अइसने कतको मामला हवय जेन मं मरीज भले बने होगे होय, घर के मन वोला लहुंट के आय के मन नई रखंय. हमन ला असल मं परिवार के लोगन मन ला समझे ला परही,” वो ह कहिथे. नाईक ला टीबी के रोकथाम के काम मं लगे सेती मान-सम्मान वाले जर्मन क्रॉस ऑफ द ऑर्डर ऑफ मेरिट मिले हवय.

अलापी मंडल, जेकर उमर करीबन 40 बछर हवय, टीबी से उबर चुके हवय. वो ह कहिथे, “मंय अपन घर जाय बर दिन गिनत हवंव. ये लंबा इलाज बखत वो ह मोला अकेल्ला छोड़ दीस...”

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Left:  Prolonged use of TB drugs has multiple side effects such as chronic depression.
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Right: Dr. Tobias Vogt checking a patient
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डेरी: बनेच बखत तक ले टीबी दवई लेगे ले लंबा बखत के अवसाद जइसने कई खराब असर होथे. जउनि: डॉ. टोबियस वोग्ट एक झिन मरीज के जांच करत हवंय

Left: Rifampin is the most impactful first-line drug. When germs are resistant to Rifampicin, it profoundly affects the treatment.
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Right: I t is very difficult to find staff for a TB hospital as applicants often refuse to work here
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डेरी: रिफैम्पिन सबले असरकारी दवई आय. जब रोगाणु रिफैम्पिसिन के उपर प्रतिरोधी होथे, त इलाज ह गहिर ले असर करथे. जउनि: टीबी अस्पताल मं काम करेइय्या खोजे भारी मुस्किल आय काबर के वो मन अक्सर इहाँ काम करे ले मना कर देथें

स्वास्थ्य कर्मी मं बर संक्रमन के खतरा जियादा हवय अऊ मास्क जरूरी आय. सोसायटी डहर ले चलत क्लिनिक मं जियादा संक्रमित टीबी मरीज मन ला खास वार्ड मं रखे जाथे. ओपीडी ह हप्ता मं दू बेर रोज के 100-200 के इलाज करथे, ये मं 60 फीसदी रोगी माइलोगन मन हवंय.

टीबी के इलाज करेइय्या डाक्टर मन बताथें के लंबा बखत तक ले टीबी के दवई खाय सेती कतको रोगी मं खराब असर के के रूप मं अवसाद देखे ला मिलथे. उचित इलाज लंबा अऊ जटिल काम आय- छुट्टी मिले के बाद घलो रोगी मन ला बेर के बेर दवई खाय ला चाही अऊ वो मन ला बढ़िया खुराक चाही.

डॉ. टोबियस वोग्ट कहिथे, काबर के अधिकतर मरीज गरीब होथें येकरे सेती वो मन अक्सर बीच मं दवई खाय ला बंद कर देथें, जेकर ले वो मन ला एमडीआर टीबी (मल्टी-ड्रग रेजिस्टेंस ट्यूबरकुलोसिस) होय के खतरा होथे. जर्मनी के ये डॉक्टर ह बीते 20 बछर ले हावड़ा मं टीबी के इलाज करत हवय.

मल्टीड्रग-प्रतिरोधी टीबी (एमडीआर-टीबी) एक सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट अऊ स्वास्थ्य सुरक्षा के खतरा बने हवय. साल 2022 मं दवा प्रतिरोधी टीबी के रोगी पांच झिन ले दू झिन ला इलाज मिल सकिस. डब्ल्यूएचओ के ग्लोबल टीबी रिपोर्ट कहिथे के “साल 2020 मं, 15 लाख लोगन मन टीबी ले मर गीन, जऊन मं एचआईवी पीड़ित 2 लाख14 हजार लोगन मन घलो शामिल रहिन.”

वोग्ट बतावत जाथें: “टीबी रोग देह के कऊनो घलो हिस्सा ला नुकसान कर सकथे, जेन मं हड्डी, रीढ़, पेट अऊ इहाँ तक ले दिमाग घलो शामिल हवय. अइसने लइका मन हवंय जेन मन टीबी ले बने हो जाथें, फेर वो मन के पढ़ई-लिखई मं बाधा पर जाथे.”

कतको टीबी रोगी मन के रोजी-रोटी चले गे हवय. “करेजा मं टीबी होय के पता चले के बाद, अब मंय काम नई करे सकंव, भलेच मंय जम्मो किसम ले ठीक होगे हवं. मोर ताकत खतम होगे हवय,” कभू रिक्सा चलेइय्या शेख सहाबुद्दीन कहिथे. ये बरकस मइनखे जेन ह कभू हावड़ा जिला मं सवारी मन ला ढोवत रहिस, अब लाचार होगे हवय.  “पांच परानी के मोर परिवार हवय. कइसने जिहीं?’ सहसपुर के ये बासिंदा पूछथे.

Left: Doctors suspect that this girl who developed lumps around her throat and shoulders is a case of multi-drug resistant TB caused by her stopping treatment mid way.
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Right: 'I don't have the strength to stand. I used to work in the construction field. I came here to check my chest. Recently I have started coughing up pink phlegm,'  says Panchu Gopal Mandal
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डेरी:  डॉक्टर मन ला संदेहा हवय के ये नोनी के घेंच अऊ खांध मं गांठ बन गे हवय. ये ह मल्टी-ड्रग प्रतिरोधी टीबी के मामला आय जेन ह ओकर इलाज ला बीच मं रोके सेती होय हवय. जउनि: मोर मं खड़े होय के घलो ताकत नई ये. मंय मकान-सड़क बनाय के काम करत रहेंव. मंय अपन सीना के जाँच कराय इहाँ आय रहेंव. पांचु गोपाल मंडल कहिथे, ‘हालेच मं मोला गुलाबी कफ वाले खांसी सुरु होगे हवय’

Left: NI-KSHAY-(Ni=end, Kshay=TB) is the web-enabled patient management system for TB control under the National Tuberculosis Elimination Programme (NTEP). It's single-window platform helps digitise TB treatment workflows and anyone can check the details of a patient against their allotted ID.
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Right: A dress sample made by a 16-year-old bone TB patient at  Bantra Society. Here patients are trained in needlework and embroidery to help them become self-sufficient
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डेरी: नि-क्षय- (नि=खतम, क्षय=टीबी) राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के तहत टीबी ला काबू करे सेती  वेब-सक्षम रोगी प्रबंधन प्रणाली आय. येकर सिंगल-विंडो प्लेटफ़ॉर्म टीबी इलाज के काम ला   डिजिटल बनाय मं मदद करथे. अऊ  कऊनो घलो अपन आवंटित आईडी के जरिया ले रोगी के जानकारी  ला जांच कर सकथे. जऊनि : बैंट्रा सोसाइटी मं 16 बछर के हड्डी के टीबी रोगी के बनाय पोसाक के नमूना. इहाँ मरीज मन ला अपन गोड़ मं ठाढ़ होय सके लइक बनाय बर सुई अऊ कढ़ाई के प्रसिच्छ्न देय जाथे

पांचु गोपाल मंडल सियान मरीज आय जेन ह बैंट्रा होम वेलफेयर सोसाइटी क्लिनिक मं इलाज कराय आथे. वो ह घर मिस्त्री रहिस अऊ अब, “मोर करा पइसा नई ये, 200 रूपिया घलो नई अऊ खड़े होय के ताकत नई ये. मंय अपन सीना के जाँच कराय सेती इहाँ आय रहेंव. हालेच मं मोला गुलाबी कफ वाले खांसी सुरु होगे हवय,” 70 बछर के हावड़ा के ये बासिंदा कहिथे. ओकर कहना आय के ओकर सब्बो बेटा कमाय खाय बर ये राज ले बहिर चले गे हवंय.

टीबी ला काबू करे सेती वेब-सक्षम रोगी प्रबंधन प्रणाली- नि-क्षय- के उद्देश्य ये देखे सेती बड़े एकेच जगा देने आय के इलाज कइसने चलत हवय. टीबी रोगी मन के उपर नजर रखे अऊ ये तय करे आय के वो मन के सुधर सही रद्दा मं होवत हे धन नई, ये ह देखभाल के महत्तम जिनिस आय. सोसाइटी के प्रशासनिक मुखिया सुमंत चटर्जी कहिथें, “हमन ये मं मरीज के जम्मो जानकारी [निक्षय] ला भरथन अऊ निगरानी कर सकथन.” वो ह ये घलो कहिथे के पिलखाना के गंदी बस्ती मं टीबी मरीज के संख्या जियादा हवय काबर के ये ह “ राज के सबले जियादा घन गन्दी बस्ती मन ले एक आय.”

डब्ल्यूएचओ के कहना आय के दुनिया भर मं, कोविड-19 के बाद टीबी दूसर बड़े बगरेइय्या जानलेवा बीमारी आय, येकर बाद घलो के येकर इलाज हवय अऊ रोके जा सकत हवय.

येकर छोड़, कोविड -19 महामारी के बाद ले ह खांसे अऊ बीमार परे ला संदेहा मं देखे जावत रहिस जेकर ले संभावित टीबी रोगी मन अपन बीमारी ले छिपा के रखे सेती मजबूर हो गीन जब तक के बीमारी ह बढ़ नई गीस अऊ बत्ती के छोड़ कऊनो रद्दा नई बांचिस.

मंय बखत बखत मं सेहत ले जुरे मुद्दा ला लेके लिखथों, फेर मोला पता नई रहिस के अतक सारा लोगन मन अभू घलो टीबी ले जूझत हवंय. काबर के ये ह कऊनो घातक बीमारी नो हे, येकरे सेती येकर बड़े रिपोर्टिंग नई करे जावय. मंय देखेंव के फेर ये ह हमेशा जानलेवा नई होय सकय. ये ह घर के अकेल्ला कमेइय्या रोगी के परिवार उपर असर कर सकथे. येकर छोड़, इलाज ह लंबा बखत ले होथे, येकर ले वो परिवार जेन मन पहिलीच ले कोनहा मं परे रहत हवंय, वो मन के कनिहा टूट जाथे.

ये कहिनी मं कुछेक नांव बदले गे हवय.

रिपोर्टर ह ये कहिनी मं मदद सेती जयप्रकाश इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल चेंज (जेपीआईएससी) के सदस्य मन के आभार जतावत हवय. जेपीआईएससी टीबी रोगी लइका मन के संग मिलके काम करथे अऊ वो मन के पढ़ई-लिखई के नुकसान  झन होवय येला तय करे के कोसिस करथे.

अनुवाद: निर्मल कुमार साहू

Ritayan Mukherjee

रितायन मुखर्जी, कोलकाता के फ़ोटोग्राफर हैं और पारी के सीनियर फेलो हैं. वह भारत में चरवाहों और ख़ानाबदोश समुदायों के जीवन के दस्तावेज़ीकरण के लिए एक दीर्घकालिक परियोजना पर कार्य कर रहे हैं.

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Editor : Priti David

प्रीति डेविड, पारी की कार्यकारी संपादक हैं. वह मुख्यतः जंगलों, आदिवासियों और आजीविकाओं पर लिखती हैं. वह पारी के एजुकेशन सेक्शन का नेतृत्व भी करती हैं. वह स्कूलों और कॉलेजों के साथ जुड़कर, ग्रामीण इलाक़ों के मुद्दों को कक्षाओं और पाठ्यक्रम में जगह दिलाने की दिशा में काम करती हैं.

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Translator : Nirmal Kumar Sahu

Nirmal Kumar Sahu has been associated with journalism for 26 years. He has been a part of the leading and prestigious newspapers of Raipur, Chhattisgarh as an editor. He also has experience of writing-translation in Hindi and Chhattisgarhi, and was the editor of OTV's Hindi digital portal Desh TV for 2 years. He has done his MA in Hindi linguistics, M. Phil, PhD and PG diploma in translation. Currently, Nirmal Kumar Sahu is the Editor-in-Chief of DeshDigital News portal Contact: [email protected]

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