इ कहानी जलवायु परिवर्तन प आधारित पारी के ओ श्रृंखला के हिस्सा ह जवन पर्यावरण रिपोर्टींग के खांचा में साल 2019 के रामनाथ गोयनका अवार्ड जीतलस.
मलाहीन लोग भोरे 3 बजे उठ जाला कि 5 बजे से कार सुरु कईल जा सके. ओकरा से पहिले उ लोग के आपन घरो के कार पूरा करे के होला. ओ लोग के कार करे के जघे माने समुन्दर बेसी दूर ना होला. उ लोग पैदले उंहा चल जाला आ ओमें कूद परेला.
कब्बो-कब्बो उ लोग नाव से दरियाव के बीचे उंचास जघ़े प जाला लोग. आ आगे 7-10 घंटा ले पानी के भीतरी जाला लोग. हर बेर भीतर से जब बहिरी आवेला लोग त अपना साथे दरियाई सेवार के झोप्पा निकाल के ले आवेला लोग, बुझाला कि एही प ओ लोग के जिनगी बा-औरी इहे सांचो बा. तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिला के भारतीनगर के मलाह टोला के मेहरारू लोग के दरियाव में गोता लगा के दरियाई ओधी, सेवार गोट्टा कईल ही ओ लोग के कमाई ह.
कार करे घरी, उलोग जालीदार थैला के साथे ‘सुरक्षा उपकरण’ ले के चलेला. जब ले मलाह ओ लोग के सेवार वाला डीह प ले जाला, तब ले उ लोग आपन साड़ी के दुनू गोड़ के बीच से फ़ना के धोती जइसन फेंटा कास ले ला लोग. जालीदार तिला के अपना डाड़ प बान्ह के, साड़ी के ऊपर से टी-शर्ट पहिनेला लोग. ’सुरक्षा’ उपकरण में आंख पर के चस्मा, प लपेटे ला कपड़ा के पट्टी, रबर के दस्ताना होला, रबर के चप्पलो रहेला, कि ओ लोग के गोड़ पत्थर से घवाही ना होखे. हर समय उ लोग इ उपयोग करेला चाहे पानी के भीतरी होखे लोग चाहे बहरी.
दरियाई सेवार गोट्टा कईल ए लोग के जघे के रेवाजी धंधा ह, जे माई से बेटी ले चलल आवता. कवनो अकेला बेसहारा मेहरारू ला त कमाई के इहे एगो जरिया ह.
दरियाई सेवार के तेजी से कम भईला चलते आमदनी अब घटत जाता. जेकरा पीछे तापमान में बढ़ोतरी, दरियाव के पानी में बढ़ोतरी, बदलत मौसम, जलवायु आ इ जरिया के सबसे बेसी दोहन कारन बा.
42 बरीस के पी. रक्कम्मा इंहां कार करे वाली एगो मेहरारू हई जे भारतीनगर रहेली. भारतीनगर तिरुपुल्लानी ब्लॉक के मायाकुलम गांव लगे बा. उ बतावेली, “दरियाई सेवार के बढ़ल अब एकदम कम हो गईल बा. आब इ हमनी के ओतना ढेर नईखे मिलत, जेतना पहिले मिलत रहे. अब कब्बो-कब्बो हमनी लगे महीना में 10 दिन कार होला.” साल में खाली पांचे महीना अइसन होला जब मेहरारू लोग के लगे कार होला. मने बेवस्थित तरीका से सेवार गोट्टा कईल जाला. इ एगो झटका बा. रक्कम्मा के बुझाला कि दिसंबर 2004 के “सुनामी के बाद धार बेसी बरियार हो गईल बा आ दरियाव के स्तर बढ़ गईल बा.”
अइसन बदलाव ए. मुकुपोरी जइसन हार्वेस्टर के नोकसान देता. उ आठे साल के उमिर से दरियाई सेवार के गोटियावे ला गोता लगवातारी. जब उ बहुत लईका रहली त माई-बाप मर गईल रहे आ नातेदार लोग उनकर बियाह एगो नसेड़ी से क दहल लोग. अब 35 बरीस के उमीर में उनका तीन गो बेटी बा. बाकिर उ अभीनो अपना मरदे के साथे रहेली, बाकिर उ कुच्छो कमाए चाहे परिवार के देखे लायक नईखन.
अपना घर के उ अकेले कमइनिहार हई. उ कहेली कि तीन गो बेटी के पढावे ला “सेवार से होखे वाला कमाई पूरा नईखे पड़त.” उनकर सबसे छोट बेटी बीकॉम में पढेले. दुसरकी बेटी कालेज में जाई. सबसे छोटकी बेटी छह क्लास में बाड़ी. मुकुपोरी के डर बा कि इ सब “जल्दी ठीक होखे वाला नईखे.”
उ आ उनकर साथी हार्वेस्टर मुथुरियार समुदाय से बा लोग जेकरा के तमिलनाडु में सबसे पाछे के समुदाय मानल जाला. रामनाथपुरम मछुआरा संगठन के अध्यक्ष, ए. पलसामी के अकान बा कि तमिलनाडु के 140 किलोमीटर के आर प, दरियाई सेवार गोट्टा करे वाली मेहरारू 600 से बेसी नईखी. बाकिर उ जवन कार करेली कुल, ओह प बहुत बड़का आबादी आसरित बा, जवन खाली तमिलानाडूये ले नईखे.
42 बरीस के पी. रानिंमा सम्झावेली, “सेवार के इस्तेमाल अगार बनावे में कईल जाला.” अगार जिलेटिन जइसन चीज ह, जेकरा से खाए वाला चीज कुल के गाढ कईल जाला.
ईंहां के सेवार के फ़ूड इंडस्ट्री, कुछ फर्तिलाइजर्स में एगो चीज, फार्मा कंपनी में दवाई बनावे में आ दूसरो कार ला इस्तेमाल कईल जाला. मेहरारू लोग दरियाई सेवार के गोट्टा क के सुखावेला लोग, जेकरा के बाद में मदुरै जिला के फैक्ट्री कुल में सफाई से राखे के भेज दहल जाला. ए जघह में सेवार के दू गो किसीम बा, मत्तकोराई आ मरिकोझंतु. जेलिडियम के कब्बो-कब्बो सलाद, पुडिंग, आ जैमो में परोसल जाला. इ ओ लोग खातिर बढ़िया बा जे डायटिंग करता. आ ई कब्बो-कब्बो कब्ज दूर करे ला भी इस्तेमाल होला. मट्टकोरई (gracilaria) के उपयोग कपडा रंगाई के साथे दूसरो उद्द्योग धंधा में कईल जाला.
अइसे, बहुत भारी पैमाना प दरियाई सेवार के उपयोग से इ दूहा जाता. केन्द्रीय नमक आ समुद्री सेवार अनुसंधान संस्थान (मंडपम कैम्प, रामनाथपुरम) बतवलस कि खराब ढंग से सेवार गोट्टा करे के चलते एकरा मिले में कमी आइल बा.
आज इ कम हो गईल बा. 45 बरीस के एस अमृतं कहेली, “पांच बरीस पहिले, हमनी 7 घंटा में कम से कम 10 किलो मरिकोझंतु गोट्टा क लीँ. बाकिर अब एक दिन में 3-4 किलो से बेसी ना मिलेला. आ अब दरियाई सेवार के नापीयो पहिले से कुछ बरीस में छोट हो गईल बा.”
एकरा से जवन रोजगार बा ओहू में कमती भईल. जिला में दरियाई सेवार के राखे वाला एगो कंपनी के मालिक ए बोस कहतारन, साल 2014 ले अंत ले, मदुरई में अगार के 37 गो इकाई रहे. आज अइसन खाली साते गो इकाई बा. औरी उ आपन कुल ताकत के 40 परतिसत प कार करता. बोस, अखिल भारतीय अगार औरी अल्गिनेट निर्माता कल्याणकारी मंडल के अध्यक्ष रहलन, अब सदस्य लोग के कमी के चलते इ संगठन दू बरीस से कार नईखे करत.
चालीस बरीस से दरियाई सेवार गोट्टा करे वाली 55 बरीस के मरियम्मा कहेली, “हमनी के जेतना दिन ले कार मिले उ अब कम हो गईल बा. सेव्वर के सीजन ना होखे त हमनी के नोकरी के दूसर मौका ना मिलेला.”
मरियम्मा जब 1964 में जानमाल रहली, ओ बेरा मायाकुलम गांव में एक साल में अइसन 179 दिन रहे जब तापमान 38 डिग्री सेल्सियस चाहे ओकरा से बेसी हो जाए. 2019 में, उहां 271 दिन इतना गरम रहे, मने कि 50 परतिसत से बेसी के बढ़ोतरी.
ए साल जुलाई में न्यूयार्क टाइम्स के औन लाइन पोस्ट से पता चलता कि अगिला 25 बरीस में इ जगह में अइसन 286 दिन हो सकेला. एमे कवना सक नईखे कि दरियावो गरम होता अब.
इ सब बात के परभाव भारतीनगर के खाली मलाहे लोग प नईखे. जलवायु परिवर्तन प इंटर गवरमेंटल पैनल के ताजा रिपोर्ट (आईपीसी) उ सब पढ़ाई के बतावेला, जवन दरियाई सेवार के जलवायु परिवर्तन कम करे वाला के रूप में देखता. इ रिपोर्ट कहेला, “दरियाई सेवार कृषि प्रक्रिया, रिसर्च के ओर इशारा करता.”
कोलकाता जादवपुर विश्वविद्यालय में समुद्र बिज्ञान के पोरफेसर तुहिन घोष ओ रिपोर्ट के प्रमुख लेखकन में से एगो रहलन. मलाहिन लोग के बात से उनकर बिचार बुझाता. उ फोन प पारी से बतियवलन, “खाली दरियाई सेवारे ना, बाकिर बहुत दूसर प्रक्रिया में बढ़ोतरी चाहे गिरावट लउकता,( जइसे पलायन)इ बात मछरी के पैदावार , झींगा के पैदावार, आ दरियाई आ जमीन दुनू प लागू होता. केकड़ा गोट्टा कईल, मध गोट्टा कईल पलायन ( जइसन सुंदरबन में देखल गईल) सब सामिल बा.
पोरफेसर तुहिन घोष कहेलन कि मलाह लोग जून बात कहता ओकरा में दम बा. “ऐतरे, मछरी के मामला में इ खाली जलवायु परिवर्तन के बात नईखे. जाल से मछरी पकड़े वाला जहाज आ बैपार करे ला मछरी पकड़े वाला में भी दोस बा. एहीसे मलाह लोग के सामान्य ढंग से मछरी धरे के काम में कमी भईल बा.”
जाल वाला जहाज से दरियाई सेवार के ओतना परभाव नईखे जेतना बैपार करे वाला उद्द्योग धंधा के दूहला से बा. भारतीनगर के मेहरारू लोग आ ओ लोग के साथी लोग एह पर गंभीर चिंतन कईले बा. ओ लोग के साथे काम करे वाला आ शोधकर्ता लोग के कहनाम बा कि कम पैदावार से चिंता में पर के उ लोग आपसे में बैठक कईल. आ एकरा ब्यवस्थित कटाई के जुलाई महीना से पांच महीना ले समेटे के फैसला कईल लोग. एकरा बाद उ लोग तीन महिना ले दरियाव के लगे ना जाला लोग. जेसे सेवार दुबारा बढ़ जाए. मार्च से जून ले उ लोग सेवार जरूर गोट्टा करेला, बाकिर महीना के तानियके दिन ले मेहरारू लोग अपने एगो बेवस्था क लेले बा.
इ बिचार करे वाला बात बा. बाकिर एकरा ला ओ लोग के कीमत देवे के परेला. मरियम्मा कहेली, “मलाहिन लोग के महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) में कार ना मिलेला. सेवार गोट्टा करे के सीजनो में हमनी मस्किल से 100-150 रोपया कमानी जान.” सीजन में एगो मेहरारू एक दिन में 25 किलो ले दरियाई सेवार जमा क सकेली. बाकिर एकरा दामो में गिरवाट आईल बा. ओ लोग के ले आईल दरियाई सेवार के अलगे-अलगे किसिम प दाम होला.
नियम आ कानून के बदलाव से मामिला औरी कठिन हो गईल बा. साल 1980 ले उ लोगग धीर दूर ले जा सकत रहे द्वीप प, जैसे नाल्ल्थीवु, चालली, उप्पुथ्न्नी, एमे से कवनो के दूरी नाव से दू दिन लाग जाला. उ लोग घरे आवे से पहिले दरियाई सेवार गोट्टा करे में हफ्ता दिन रा सकेला. बाकिर ओह साल उ लोग जवन द्वीप प गईल लोग ओमे से 21 गो मन्नार के खाड़ी के समुद्री राष्ट्रीय उद्द्यान में मिला लहल गईल. ऐतरे उ बन बिभाग के अधिकार में आ गयिल. आ बिभाग उंहा रुके से मने क दह्लस. इ जगह प जाये के मनाही हो गईल. दंड (8,000 रूपया से 10,000) के डरे अब उ लोग ओ द्वीप प ना जाला.
एही चलते आवग में औरियो कमी भईल बा. 12 साल के उमिर से सेवार गोट्टा करे वाली एस अमृतं कहेली, “हमनी जब ओ द्वीप प हफ्ता दिन रहीं त कम से कम 15,000 से 20,000 ले रोप्य कमा लीँ. हमनी के मट्टकोरई आ मरिकोझंतु दुनू सेवार मिल जाए. अब हफ्ता में 1,000 रोपया कमाइल मस्किल बा.
इ हो सकता कि सेवार गोट्टा करे वाली मेहरारू कुल जलवायु परिवर्तन पर के बहस के बारे में ना जानत होखे कुल. बाकिर उ लोग एकरा परभाव के अपना अनुभव से जानेली. उ लोग बूझ गईल बा कि ओ लोग के जिनगी आ पेसा कई गो बदलाव देख रहल बा. उ लोग इ बदलाव में आपनो भूमिका देखता लोग. उ लोग जानता कि ओ लोग के कमाई के अकेला जरिया कई गो मस्किल के बीच में फंसल बा. उ लोग जनता कि ओ लोग के कार करे के दूसर रास्ता नईखे दहल गईल. मनरेगा में सामिल ना कईला प मरियम्मा के बात इहे बतावता.
पानी के स्तर दुपहरिया से बढ़ेला, एही से उ लोग आपन कार समेटेल सुरु क देला. कुछे घंटा में उ लोग गोटियावल सेवार के नाव प ध के ले आइल लोग जवना से गईल रहे लोग. जालीदार झोरा में धयिल सेवार ओहीजा अरिया जमा क दहल लोग.
ओ लोग के काम जोखिम वाला बा. दरियाव में गईल मस्किल भईल जाता. अभी कुछ हफ्ता पहिले ए जघ़े में एगो तूफ़ान के चलते चार गो मलाह के मिरतु हो गईल. जौना में से तीने गो लास मिलल. जगह के लोग के मानता बा कि जब हवा धीर आ दरियाव सांत होई तब्बे चउथा लास मिली.
अब जइसन इंहां के लोग कहेला कि बयारे के साथ कईले बिना दरियाव के कवनो कार मस्किल बा. जलवायु से जुड़ल परिस्थिति में बड़का बदलाव के कारन बहुत दिन कुली अचक्के होलें कुल. तब्बो मेहरारू लोग अपना कमाई के इ अकेल जरिया के खोजत असांत पानी में उतर जाली, आ भुला जाली.
कवर फोटो , ए मुकुपोरी जालीदार झोरा के खींचतारी. अब उ 35 बरीस के हो गईल बाड़ी. ऊ आठे बरीस के उमीर से दरियाई सेवार गोटा करे ला दरियाव में गोता लगावतारी. (फोटो , एम पलानी कुमार/पारी)
पारी के राष्ट्रव्यापी रिपोर्टिंग के इ प्रोजेक्ट, यूएनडीपी-समर्थित ओ पहल के हिस्सा ह जेमे साधारण लोग के जिनगी के सुनल , लहल , अनुभव से जलवायु परिवर्तन के रिकार्ड कईल जाला.
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अनुवाद: स्मिता वाजपेयी