घरे के लोगवा दुस्मन बनल

कच्छ के एगो जवान लइकी के उदासी भरल लोकगीत, जे बियाह के बाद आपन परिवार से दूर हो गइली, या सायद बियाहे चलते दूर हो गइली

21 जून, 2023 | प्रतिष्ठा पांड्या

कच्छ: आस्था आउर भाईचारा के मीनार

आज भक्ति रस में डूबल रेगिस्तान के एगो खास लोकगीत सुनल जाव. एगो अइसन इलाका के गीत जे राजनीतिक उथल-पुथल के बादो संगीत, वास्तुकला आउर संस्कृति में समधर्म परंपरा सहेज के रखले बा

25 मई, 2023 | प्रतिष्ठा पांड्या

चलनी हम देसवा पराए…

बियाह के बाद बेटी के बिदाई हो रहल बा, माई-बाबूजी, घर-अंगना, सखि-सहेली सभ छूट रहल बा. मन में टीस उठत बा. इहे भाव वाला एगो कच्छी गीत सुनल जाव

14 मई, 2023 | प्रतिष्ठा पांड्या

‘गुलमिया अब हम नाही बजइबो’

कच्छ के गांव के मेहरारू लोग जमीन-जायदाद में हिस्सा खातिर आवाज उठा रहल बाड़ी. एह लोकगीत में उहे आवाज सुनल जा सकेला

8 अप्रिल, 2023 | प्रतिष्ठा पांड्या

कच्छ: झील किनारे प्रेम आ बिछोह कथा

भुज में कच्छ के एह लोकगीत में प्यार बा, इंतजार बा, विरह बा. पारी में कच्छी लोकगीतन के कड़ी में ई दोसर लोकगीत पेश बा

25 फरवरी, 2023  | प्रतिष्ठा पांड्या

रण के लोकगीत: ‘मीठ पानी’ के एगो देस, कच्छ

गुजरात के एह उत्तर पश्चिमी इलाका से, कच्छ के लोग आउर उहंवा के संस्कृति के जश्न मनावेे वाला, एक ठो गीत

6 फरवरी, 2023 | प्रतिष्ठा पांड्या

PARI Contributors
Translator : Swarn Kanta

Swarn Kanta is a journalist, editor, tech blogger, content writer, translator, linguist and activist.

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